दिल्ली चलो मार्च को लेकर किसान संगठनों में 'मतभेद', BKU आंदोलन में नहीं होगी शामिल

दिल्ली चलो मार्च को लेकर किसान संगठनों में 'मतभेद', BKU आंदोलन में नहीं होगी शामिल

दिल्ली चलो मार्च को लेकर किसान यूनियनों में मतभेद की खबरें हैं. भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने कहा कि वह मार्च में शामिल नहीं होगी, लेकिन मांगों का समर्थन करेगी. बीकेयू (राजेवाल) ने कहा कि वे राहुल गांधी से मिलेंगे और मांगों पर बातचीत फिर से शुरू करने के लिए पीएम को पत्र लिखा है. किसान नेता सरवन सिंह पंढेर और दल्लेवाल ने शंभू और खनौरी बॉर्डर बंद किए जाने के विरोध में पीएम मोदी के पुतले जलाने और ट्रैक्टर मार्च निकालने की घोषणा की है.

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दिल्ली चलो मार्च को लेकर किसान संगठनों में 'मतभेद', BKU आंदोलन में नहीं होगी शामिलकुछ किसान यूनियनों ने किया मार्च से किनारा

दिल्ली चलो मार्च को लेकर किसान यूनियनों में मतभेद की खबरें हैं. भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने कहा कि वह मार्च में शामिल नहीं होगी, लेकिन मांगों का समर्थन करेगी. बीकेयू (राजेवाल) ने कहा कि वे राहुल गांधी से मिलेंगे और मांगों पर बातचीत फिर से शुरू करने के लिए पीएम को पत्र लिखा है. किसान नेता सरवन सिंह पंढेर और दल्लेवाल ने शंभू और खनौरी बॉर्डर बंद किए जाने के विरोध में पीएम मोदी के पुतले जलाने और ट्रैक्टर मार्च निकालने की घोषणा की है. उद्योगपति, सड़क किनारे ढाबे के मालिक और शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले किसान पिछले पांच महीनों से बंद पड़े रास्तो को खोलने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, वहीं अधिकांश किसान यूनियनें 'दिल्ली चलो मार्च' में शामिल होने को लेकर बंटी हुई हैं, जो सड़कें खुलने होने के बाद फिर से शुरू होने की संभावना है.

किसान संगठनों ने किया किनारा 

इस साल फरवरी की शुरुआत में सरवन सिंह पंढेर की अगुवाई वाली किसान मजदूर संघर्ष समिति (KMSC) और जगजीत सिंह दल्लेवाल की BKU एकता सिद्धूपुर सहित दो किसान यूनियनों ने 'दिल्ली चलो मार्च' की शुरुआत की थी. बाद में कुछ अलग-अलग किसान यूनियनें भी इसमें शामिल हो गईं, हालांकि BKU (राजेवाल) और BKU (एकता उग्रहां) जैसी बड़ी यूनियनों, संयुक्त किसान मोर्चा (SKM और SKM-ऑल इंडिया) के सदस्यों ने खुद को मार्च से दूर कर लिया है. पंजाब में सबसे बड़ी किसान यूनियन BKU (एकता उग्राहन) ने प्रदर्शनकारी किसानों को अपना समर्थन देने की घोषणा की है, लेकिन मार्च में शामिल होने से परहेज किया है. 

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मार्च पर किसान यूनियनें बंटी 

ज्‍यादातर किसान यूनियनें 'दिल्ली चलो मार्च' में शामिल होने को लेकर बंटी हुई नजर आ रही हैं. माना जा रहा है कि सड़कें खुलने के बाद इस मार्च को फिर से शुरू किया जा सकता है. 'दिल्ली चलो मार्च' की शुरुआत दो किसान यूनियनों ने की थी, जिसमें सरवन सिंह पंढेर के नेतृत्व वाली किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) और जगजीत सिंह दल्लेवाल की बीकेयू एकता सिद्धूपुर शामिल थीं. लेकिन बाद में कुछ अलग-अलग किसान यूनियनें भी इनमें शामिल हो गईं. 

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बीकेयू (राजेवाल) और बीकेयू (एकता उग्राहां) जैसी बड़ी यूनियनों, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम और एसकेएम-ऑल इंडिया) के सदस्यों ने खुद को मार्च से दूर कर लिया है. पंजाब में सबसे बड़ी किसान यूनियन बीकेयू (एकता उग्राहां) ने प्रदर्शनकारी किसानों को अपना समर्थन देने की घोषणा की, लेकिन मार्च में शामिल होने से परहेज किया.

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एक प्रमुख किसान संघ बीकेयू राजेवाल के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने बुधवार को इंडिया टुडे को बताया कि वह किसानों द्वारा उठाई जा रही मांगों का समर्थन करते हैं, लेकिन 'दिल्ली चलो मार्च' में शामिल नहीं होंगे. इसे हरियाणा पुलिस की तरफ से कानून और व्यवस्था की समस्या का हवाला देते हुए शंभू और खनौरी में दिल्ली-अमृतसर (एनएच 44) और पटियाला-दिल्ली (एनएच -52) हाइवे को ब्‍लॉक करने के बाद रोक दिया गया है. 

राजेवाल ने लगाया साजिश का आरोप 

बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा है कि कुछ निहित स्वार्थी संगठनों की तरफ से संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम और एसकेएम-ऑल इंडिया) को कमजोर करने की साजिश की जा रही है. उन्‍होंने कहा, 'इसका मतलब यह नहीं है कि अगर कुछ यूनियनें मार्च में शामिल नहीं हो रही हैं तो किसान एकजुट नहीं हैं. लेकिन हमें अपनी गलती माननी होगी. दुर्भाग्य से, ऐसी स्थिति नहीं होनी चाहिए थी. एसकेएम को तोड़ा गया है.' साथ ही उन्होंने आगाह किया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार किसानों के खिलाफ बल प्रयोग की कीमत चुकाएगी. 

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क्या कहा राजेवाल ने?

राजेवाल ने कहा, "हमें बेसहारा छोड़ दिया गया है. मैं कुछ नहीं कह सकता, लेकिन हमारी मांगें एक जैसी हैं. नुकसान बहुत बड़ा है, क्योंकि 400 किसान घायल हुए. 45 किसान दम घुटने से मर गए, कुछ की आंखों की रोशनी चली गई और एक की मौत हो गई. ऐसा लगता है कि हम बहिष्कृत हैं और पंजाब देश का हिस्सा नहीं है." किसान नेता ने कहा कि भजन लाल सरकार के बाद यह दूसरी बार है, जब किसानों को उनकी जायज मांगों को उठाने के लिए प्रताड़ित किया गया. राजेवाल ने कहा, "किसानों ने नहीं, बल्कि हरियाणा सरकार ने हाइवे को बंद किया. अगर हमने यातायात रोका होता, तो हम पर राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 के तहत मामला दर्ज किया जाता, लेकिन दो प्रमुख हाईवे को बंद करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई."

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उधर बीजेपी नेताओं ने किसान यूनियन नेताओं के दोहरे मानदंडों पर सवाल उठाया है. बीजेपी कहना है कि किसानों का रास्ता रोकने का आरोप लगाते हैं, लेकिन आसानी से नई दिल्ली पहुंच जाते हैं और संसद में राहुल गांधी से मिलते हैं. दोहरे मापदंड पर सवाल उठाते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने परोक्ष रूप से सरवन सिंह पंढेर और जगजीत सिंह दल्लेवाल पर इंडिया गठबंधन के साथ सांठगांठ करने का आरोप लगाया.

बीजेपी ने लगाया आरोप

बीजेपी नेता रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा, "किसान नेताओं को शंभू और खनौरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को बताना चाहिए कि जब हाईवे बंद हैं तो वे कैसे नई दिल्ली पहुंचे और राहुल गांधी से मिले. केंद्र सरकार बातचीत के लिए तैयार थी, लेकिन कुछ किसान यूनियन नेता अफवाह फैला रहे थे कि उन्हें नई दिल्ली में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा." बिट्टू ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि कोई भी सरकार उन किसानों को अनुमति नहीं देगी जो हथियार और तलवार लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं. 

इस पर राजेवाल ने कहा, रवनीत सिंह बिट्टू झूठ बोल रहे हैं. किसानों को बातचीत के लिए नहीं बुलाया गया था. राहुल गांधी ने किसानों को आमंत्रित किया था. उन्हें आंदोलन पर फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वे सिर्फ विपक्ष के नेता हैं. वे केवल संसद में इस मुद्दे को उठा सकते हैं, जो वे करते रहे हैं. राजेवाल ने उम्मीद जताई कि सरकार बातचीत शुरू करेगी. 

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राजेवाल ने कहा, "हमने प्रधानमंत्री और राज्यसभा और लोकसभा के नेताओं को पत्र लिखा है. हम चाहते हैं कि विपक्ष इस मुद्दे को उठाए, ताकि सरकार दबाव में रहे. अगर हमें आमंत्रित किया जाता है तो हम मांगों पर चर्चा करने जाएंगे." राजेवाल ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेता 2 अगस्त 2024 को राहुल गांधी से मुलाकात कर सकते हैं और जब भी मौका मिलेगा वे प्रधानमंत्री से भी मिलने के इच्छुक हैं.

पंढेर का बयान

एसकेएम (गैर-राजनीतिक) नेता सरवन सिंह पंधेर ने एक बयान जारी किया है कि शंभू और खनौरी बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठन गुरुवार को हाइवे की नाकाबंदी के विरोध में मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे और पीएम के पुतले जलाएंगे. यूनियनों ने 15 अगस्त को ट्रैक्टर मार्च की भी घोषणा की है.

अर्धसैनिक बलों की तैनाती बढ़ाई

इस बीच, हरियाणा सरकार ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर सीआरपीएफ की तैनाती 9 अगस्त तक बढ़ा दी है. राज्य सरकार ने सीआरपीएफ को 9 अगस्त तक शंभू और खनौरी बॉर्डर पर तैनात करने को कहा है. नौ कंपनियों वाले 600 सीआरपीएफ जवान वर्तमान में अंबाला-अमृतसर राजमार्ग और दिल्ली-पटियाला राष्ट्रीय राजमार्ग पर शंभू और खनौरी बॉर्डर के दोनों ओर तैनात हैं.

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