मध्य प्रदेश के लहसुन किसान उपज का भाव गिरने से काफी निराश हैं, क्योंकि वर्तमान भाव पर फसल बेचने पर लागत भी नहीं निकल रही है. कुछ एक मंडी में ही कीमत इतनी है कि सिर्फ लागत निकल पा रही है. वहीं, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में भी कीमतों में ऐसा कोई खास उछाल देखने को नहीं मिल रहा है.
मंडी में प्याज 6200 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है, जो हाल के महीनों में सबसे ज्यादा है. इस उछाल से आम उपभोक्ता परेशान हैं, वहीं किसान और थोक व्यापारी भड़क गए हैं. मौसम में बदलाव, स्टॉक की कमी और आपूर्ति में की वजहों से कीमतों में यह उछाल आया है.
अप्रैल का महीना बीत गया है और इसी के साथ विभिन्न राज्यों में पेड़ों में आम पकना शुरू हो गया है. साथ ही थोक मंडियों में अच्छी आवक भी दर्ज की जा रही है. विभिन्न राज्यों की मंडियों में हापुस (अलफॉन्सो), सफेदा, केसर, लंगड़ा, बादामी समेत कई किस्मों के आम बिक रहे हैं. आज हम आपको दिल्ली, राजस्थान, महराष्ट्र, उत्तर प्रदेश की मंडियों में आम की थोक कीमतों की जानकारी देने जा रहे हैं.
मध्य प्रदेश के किसानों को गेहूं के लिए एमएसपी के ऊपर 175 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दिया जा रहा है, जिससे उन्हें 2600 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिल रहा है. वहीं, उत्तर प्रदेश में किसानों को एमएसपी के अलावा 20 रुपये प्रति क्विंटल अतिरिक्त दिए जा रहे हैं. ऐसे में जानिए दोनों प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों की मंडियों में उपज का क्या भाव मिल रहा है…
गुजरात में प्याज की कीमतें 300 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गई हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. जानिए 29 अप्रैल की ताज़ा रिपोर्ट और किसानों की मांगें.
पिछले कुछ महीनों से उड़द की मांग कमजोर बनी हुई है, जिसके चलते कीमतों में लगातार गिरावट जारी है. इस बीच, भारत में कई राज्यों में जायद सीजन में उड़द का बंपर उत्पादन होने और म्यांमार से फसल का ज्यादा आयात होने की उम्मीद जताई जा रही है. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि इसका उड़द की कीमतों पर काफी असर पड़ेगा.
28 अप्रैल को गुजरात की एक मंडी में प्याज की कीमत गिरकर सिर्फ़ 205 रुपये प्रति क्विंटल रह गई. यह इस महीने की सबसे कम कीमतों में से एक है. प्याज की कीमतों में यह गिरावट ज़्यादा आवक और कम मांग की वजह से आई है. इस गिरावट की वजह से किसानों को नुकसान हो रहा है क्योंकि वे अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. वहीं, आम उपभोक्ताओं के लिए यह अच्छी खबर है क्योंकि उन्हें सस्ते दामों पर प्याज मिल रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले दिनों में कीमतों में और गिरावट आ सकती है.
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) ने मांग की है कि सरकार को घरेलू प्रोसेसिंग इंडस्ट्री की रक्षा के लिए रिफाइंड पाम तेल पर आयात शुल्क मौजूदा 32.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत करना चाहिए. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष संजीव अस्थाना ने केंद्रीय खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी को पत्र लिखा है.
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर ने कहा कि भारत ने पांच महीने की मंदी के बाद पाम तेल की खरीद बढ़ानी शुरू कर दी है, क्योंकि इसकी कीमतों में गिरावट के कारण यह प्रतिद्वंद्वी सोया तेल के मुकाबले सस्ता हो गया है.
सरकार ने प्रति क्विंटल गेहूं खरीदने के लिए 2425 रुपये एमएसपी तय किया है. हालांकि, कुछ राज्य किसानों को बोनस तो कुछ अतिरिक्त राशि दे रहे हैं. मध्य प्रदेश में किसानों को 175 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दिया जा रहा है. उत्तर प्रदेश में 20 रुपये प्रति क्विंटल अतिरिक्त दिए जा रहे हैं. ऐसे में जानिए मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की मंडियों में किसानों को गेहूं का क्या भाव मिल रहा है.
मध्य प्रदेश के कई हिस्सों से टमाटर के गिरते दाम से परेशान किसानों की खबर आई है. किसान अपनी उपज की लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. ऐसी ही एक खबर रायसेन से आई थी. बड़ी मेहनत से किसानों द्वारा लगाई गई टमाटर की फसल को बाजार में वाजिब दाम न मिलने के कारण किसान इसे सड़क के किनारे फेंक कर जानवरों को खिलाने के लिए मजबूर हो रहे हैं.
इस गिरती कीमत से किसान काफी परेशान हैं क्योंकि मेहनत से उगाई गई फसल की उन्हें सही कीमत नहीं मिल रही. हर दिन मंडियों में प्याज के भाव और गिरते जा रहे हैं, जिससे किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही. अगर आप भी जानना चाहते हैं कि इस वक्त प्याज की क्या कीमत चल रही है और मंडियों में क्या हालात हैं.
मुख्यमंत्री मोहन यादव के मुताबिक, अब तक करीब 𝟓.𝟓𝟎 लाख से अधिक पंजीकृत किसानों से गेहूं उपार्जन किया जा चुका है. सरकार ने इस वर्ष 𝟔𝟎 लाख मीट्रिक टन गेहूं उपार्जन का लक्ष्य तय किया है. गेहूं उपार्जन की गति को देखते हुए, यह लक्ष्य जल्द ही (उपार्जन की अंतिम तिथि 𝟓 मई से पहले ही) पा लिया जाएगा
मुंबई में गेहूं की कीमतों ने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. यहां पर गेहूं की औसत कीमत 4500 रुपये प्रति क्विंटल है जिसमें 3000 प्रति क्विंटल न्यूनतम तो अधिकतम 6000 रुपये प्रति क्विंटल तक चल रही हैं. यहां के अकोला में गेहूं की औसत कीमत 3500 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि न्यूनतम 3000 रुपये तो अधिकतम 3650 रुपये प्रति क्विंटल है.
मध्य प्रदेश की ज्यादातर मंडियों में बुधवार 23 अप्रैल को मॉडल कीमतें 600 से 700 रुपये प्रति क्विंटल तो वहीं, महाराष्ट्र की मंडियों में मॉडल कीमतें 1000 से 1300 रुपये प्रति क्विंटल चल रही हैं. मॉडल कीमत वह कीमत है, जिसपर मंडियों में सबसे ज्यादा खरीद होती है. यह औसत कीमत से अलग होती है. जानिए दोनों राज्यों में प्याज की कीमतें क्या चल रही हैं…
मार्च में खुदरा खाद्य मुद्रास्फीति लगातार पांच महीनों तक कम होकर 2.69 फीसदी पर आ गई थी. ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि सर्दियों की फसल के बाजार में आने के साथ ही सब्जियों, दालों और मसालों की कीमतों में गिरावट आई थी. मार्च 2025 के लिए खाद्य मुद्रास्फीति दर नवंबर 2021 के बाद सबसे कम थी.
सरकार ने गेहूं की खरीद के लिए प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी 2425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जबकि पंजाब में व्यापारी सरकार के मुकाबले अच्छी कीमत दे रहे हैं. राज्य में केंद्रीय पूल के तहत खरीदे जाने वाले गेहूं खरीद का लक्ष्य 124 लाख मीट्रिक टन रखा है. ऐसे में खरीद का लक्ष्य अधूरा रह सकता है.
बिहार में 1736 किसानों को 1,695.64 लाख रुपये, गुजरात में 323 किसानों को 341 लाख रुपये, हरियाणा में 32,632 किसानों को 95,482.09 लाख रुपये, मध्य प्रदेश में 2,60,932 किसानों को 5,22,309.64 लाख रुपये, पंजाब में 29,354 किसानों को 1,04,588.76 लाख रुपये दिए गए हैं.
बाजार में गेहूं का भाव क्या है? क्या खरीद सरकारी रेट (MSP) पर हो रही है या बाजार में अलग भाव है? इसी कड़ी में हम आपको बताएंगे कि देश के अलग-अलग राज्यों की मंडियों में गेहूं के ताजा भाव क्या हैं और सरकारी खरीद से किसानों को कितना फायदा हो रहा है.
औरैया में गेहूं की कटाई के बाद किसानों की फसल तेजी से सरकारी खरीद केंद्रों पर पहुंच रही है. सरकारी खरीद को लेकर जिला प्रशासन की तरफ से सख्त निर्देश जारी किए गए हैं, ताकि किसानों को फसल की सही कीमत मिल सके.
रबी सीजन 2024-25 के लिए केंद्र सरकार ने चने के लिए 5650 रुपये एमएसपी तय की है तो वहीं सरसों की एमएसपी 5950 रुपये निर्धारित है. गुजरात में 3.36 लाख से अधिक किसानों ने एमएसपी पर चना बेचने के लिए सरकारी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया है. दूसरी ओर, एमएसपी पर सरसों बेचने के लिए 1.18 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है.
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