प्याज की खुदरा कीमतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. तमाम सरकारी कोशिशों के बावजूद प्याज का रुतबा टाइट बना हुआ है. इधर ग्राहक परेशान हैं क्योंकि उन्हें 60-70 रुपये से कम भाव पर प्याज नहीं मिल रहा है. मंडियों में बंपर आवक के बावजूद प्याज के भाव में कोई गिरावट नहीं देखी जा रही है.
देश में हर साल बड़े पैमाने पर खाद्य तेल आयात किया जाता है. वहीं, अंतराराष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमतें भी अधिक चल रहीं हैं. इस बीच इस साल भारत में अच्छी बारिश होने के साथ ही तिलहन फसलों- सोयाबीन, मूंगफली और बिनोला का बंपर उत्पादन हुआ है, जो पाम ऑयल के दाम को टक्कर दे रहे हैं.
बात करें प्याज की कीमतों के कम होने की तो, अनुमान लगाया जा रहा है कि दिसंबर के तीसरे हफ्ते से प्याज की कीमतों में थोड़ी गिरावट आएगी. ऐसा इसलिए, क्योंकि इस समय तक मंडियों में खरीफ प्याज की आवक आने लगेगी, जिससे प्याज के भाव थोड़े नरम होंगे.
कपास उत्पादन एवं उपभोग समिति (CCPC) और कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) ने कपास उत्पादन अनुमान में गिरावट बताई है. जबकि, विपरीत मौसम ने भी फसल को नुकसान पहुंचाया है. महाराष्ट्र में हर तरह के कपास खरीद के निर्देश दिए गए हैं. ऐसे में जानकारों ने कपास की कीमत एमएसपी के पार जाने की संभावना जताई है.
उत्तर प्रदेश में लहसुन के थोक भाव में रिकॉर्ड बढ़ोतरी जारी है. यहां लहसुन का थोक दाम 22000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचने वाला है. आवक कम होने के कारण दाम लगातार बढ़ रहा है. इसी कड़ी में आइए जानते हैं देश की अलग-अलग मंडियों में क्या है प्याज का भाव.
देशभर के राज्यों में लोग प्याज की बढ़ी हुई कीमत से परेशान हैं. ऐसे में लोग आस लगाए हैं कि कब प्याज की कीमतें कम हों और उनकी जेब पर पड़ रहा बोझ हल्का हो. आइए जानते हैं कब मिलेगी लोगों को बढ़े हुए दाम से राहत.
केंद्र सरकार ने पिछली बार जो कृषि कानून बनाए थे, उनमें से एक में प्राइवेट मंडी सिस्टम को लेकर भी जिक्र था, ताकि मुक्त व्यापार हो किसानों को बेची गई उपज से ज्यादा लाभ हासिल हो, लेकिन विरोध के बाद सरकार ने कानून वापस ले लिए थे. अब सरकार नए सिरे से प्राइवेट मंडियों को लाने पर विचार कर रही है. जानिए पूरा मामला...
देश में दलहन की खरीफ फसल तुअर की कटाई शुरू हो गई है. इसी के साथ कई मंडियों में इसकी आवक भी होने लगी है. 2024-25 सीजन में महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में नई तुअर आने लगी है. ऐसे में आइए जानते हैं इन 3 राज्यों में क्या चल रहा है रेट
पश्चिम बंगाल के महादीपुर बंदरगाह पर 6 हजार मीट्रिक टन आलू और प्याज सड़ने की कगार पर पहुंच गया है. एक्सपोर्ट्स का कहना है कि यह स्थिति राज्य सरकार की ओर से निर्यात पर अचानक रोक लगाने से पैदा हुई है. इसके चलते बांग्लादेश को भेजने के लिए प्याज और आलू लेकर पहुंचे 220 से अधिक ट्रक फंस गए हैं.
देशभर में लोग इंतजार में हैं कि कब प्याज की कीमतें कम हों और उनकी जेब पर पड़ रहा बोझ हल्का हो. ऐसे में किसान तक ने प्याज के दाम में गिरावट कब आएगी, इसे लेकर एक्सपर्ट से बातचीत की है. इसके साथ ही आज हम उत्तर प्रदेश की मंडियाें में चल रहे प्याज के भाव आपके सामने लाए हैं.
प्याज के बढ़े हुए दाम ने लोगों की आंखों से आंसू निकाल दिए हैं. देश के कई राज्यों में प्याज 60 से 70 रुपये किलो तब बिक रहा है. ऐसे में लोगों का सवाल है कि आखिर कब तक प्याज के दाम कम होंगे. आइए एक्सपर्ट से जानते हैं इसका जवाब.
महाराष्ट्र में इन दिनों सोयाबीन किसानों की चिंता बढ़ी हुई है, क्योंकि कई जगहों पर मंडी में इसके दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे चल रही है. वहीं, अगर कहीं MSP से ऊपर भाव भी चल रहा है तो भी किसानों को ज्यादा फायदा नहीं हो रहा है. आइए जानते हैं आज का मंडी भाव.
उत्तर प्रदेश में लहसुन के थोक भाव ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. यहां लहसुन का थोक दाम 29000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचने वाला है. आवक कम होने के कारण दाम लगातार बढ़ रहा है. इसी कड़ी में आइए जानते हैं देश की अलग-अलग मंडियों में क्या है प्याज का भाव.
महाराष्ट्र में देश के कुल उत्पादन का मुश्किल से 2 फीसदी ही गेहूं पैदा होता है, इसलिए यहां पर रेट आमतौर पर ज्यादा रहता है, लेकिन, मुंबई में दाम इतना बढ़ जाएगा, इसकी किसी को भी उम्मीद नहीं थी.
महाराष्ट्र में पिछले तीन दिनों से थोक दाम में लगातार बढ़ोतरी जारी है. सोलापुर के मंडी में किसानों को प्याज का 7000 रुपये क्विंटल तक का भाव मिला हैं. इसी कड़ी में आइए जानते हैं देश की अलग-अलग मंडियों में क्या है प्याज का भाव.
देशभर में कपास का उत्पादन कम होने के बावजूद कपास की कीमतें बढ़ने का नाम नहीं ले रही हैं. महराष्ट्र की कई मंडियों में कपास की कीमतें एमएसपी से नीचे दर्ज की गईं. कपास की कम कीमत से किसान परेशान हैं. यही भाव मिलता रहा तो उनकी लागत निकलना भी मुश्किल हो जाएगी.
लोगों को प्याज की महंगाई से जल्द राहत मिलने की उम्मीद फिलहाल नजर नहीं आ रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि प्याज के थोक दाम में बढ़ोतरी जारी है. महाराष्ट्र के सोलापुर में प्याज के रेट रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच रहे हैं. बात करें कीमत कि तो यह 7400 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच गई है.
भारत में इन दिनों सोयाबीन किसानों की चिंता बढ़ी हुई है, क्योंकि कई जगहों पर मंडी में इसके दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे गिर चुके हैं. वहीं, अगर कहीं MSP से ऊपर भाव भी चल रहा है तो भी किसानों को ज्यादा फायदा नहीं हो रहा है.
देश के कुछ बाजारों में गेहूं का दाम एमएसपी से दोगुनी कीमत पर जा पहुंचा है. गोवा में सबसे महंगे दाम पर गेहूं बिक रहा है. ऐसे में आटा समेत अन्य गेहूं से बनने वाले उत्पादों की कीमतें भी प्रभावित हो सकती हैं.
आलू के दाम में भारी उछाल जारी है. रिटेल प्राइस की बात करें तो 50 रुपये किलो तक पहुंच गया है. ऐसे में आइए जानते हैं आलू के सबसे बड़े उत्पादक राज्य के मंडियों में कितना है आलू का मंडी भाव.
किसी भी कृषि उपज के दाम घटने या बढ़ने के लिए जितनी बड़ी भूमिका मांग और उत्पादन की होती है, इसके लिए उससे कहीं ज्यादा सरकारी नीतियां भी जिम्मेदार होती हैं. प्याज के मामले में ऐसा ही हुआ है. सरकारी नीतियों से पहले प्याज उत्पादक किसान परेशान थे और अब उपभोक्ता इसकी महंगाई की मार झेल रहे हैं. आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है?
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