बिहार के किसानों के लिए बड़ी खबर आई है. आपको बता दें कि बिहार के किसान अगले साल फरवरी तक अपना धान बेच सकते हैं. इस बार PACS और व्यापार मंडल किसानों से साधारण धान 2,369 रुपये प्रति क्विंटल और ग्रेड-A धान 2,389 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद रहे हैं. अब तक 3,165 किसानों से कुल 22,284 मीट्रिक टन धान खरीदा जा चुका है.
Uttar Pradesh Paddy Procurment: यूपी में धान और बाजरा खरीद सत्र तेज है. अब तक 70 हजार से अधिक किसानों से 4.12 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया है. वहीं, भुगतान की गति पिछले वर्ष से बेहतर दिख रही है.
Onion Mandi Rate: महाराष्ट्र की कई मंडियों में प्याज 100 रुपये/क्विंटल तक बिक रहा है, जबकि औसत कीमत 800 से 1100 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है. किसानों को 1000 रुपये/क्विंटल मिलना मुश्किल हो गया है. जानिए कीमतों का हाल बुरा क्यों बना हुआ है.
मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले में प्याज़ के भाव पचास पैसे तक गिर जाने से किसान बेहद परेशान हैं. लागत भी न निकल पाने के कारण किसान प्याज़ को खेतों में छोड़ रहे हैं या सड़क पर फेंकने को मजबूर हैं. यह संकट किसानों की आर्थिक स्थिति पर बड़ा असर डाल रहा है.
देशभर की मंडियों में आज के ताजा फसल भाव की जानकारी. सिरसा मंडी में नरमा, कपास और धान के दाम स्थिर रहे, जबकि कुछ मंडियों में हल्का उतार-चढ़ाव देखा गया. किसानों के लिए हर फसल के सही रेट जानने का आसान तरीका.
Soyabean Procurment: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज भावांतर योजना के तहत मध्यप्रदेश के 1.33 लाख सोयाबीन किसानों के खातों में अंतर की राशि ट्रांसफर की. उन्होंने कहा कि सरकार ने योजना शुरू होने के 15 दिन में ही वादा पूरा किया. योजना से किसानों को एमएसपी के साथ पारदर्शी भुगतान की गारंटी मिली है.
Onion Price Crisis: नासिक से सांसद राजाभाऊ ने जुलाई में ही प्याज के दाम और गिरने की आशंका जताते हुए केंद्र से किसानों को राहत देने की मांग की थी. जिस पर लंबे समय बाद केंद्रीय मंत्रियों ने जवाब दिया. सरकार के लेटर वाले खेल के चलते किसान कई महीनों से नुकसान उठा रहे हैं और अब तक कोई ठोस एक्शन नहीं हुआ है. पढ़ें सांसद ने क्या मांग की थी और मंत्रियों की ओर से क्या जवाब आया...
क्या आपने कभी सोचा है कि मंडियों में रोज फसलों के दाम कैसे तय होते हैं? कौन तय करता है कि गेहूं या प्याज का आज का भाव क्या होगा? इस एक्सप्लेनर में समझिए आपूर्ति, मांग, क्वालिटी, बोली प्रणाली और सरकारी नीतियों के आधार पर कैसे तय होता है "मंडी भाव".
मध्य प्रदेश के मंदसौर, रतलाम और खंडवा मंडियों में प्याज के भाव 2-3 रुपये किलो तक गिरे. किसानों को लागत वसूलने में भी मुश्किल, सरकार से प्याज और लहसुन पर MSP लागू करने की मांग तेज.
राजस्थान के अलवर जिले में किसानों को प्याज के सही दाम नहीं मिलने से नाराज होकर उन्होंने नदी में प्याज फेंक दी. कटाई और ढुलाई में लागत अधिक होने के बावजूद मंडी में कीमत बेहद कम है. किसानों ने सरकार से 10-12 रुपये किलो दर से खरीद की मांग की है, अन्यथा प्याज फेंकने की चेतावनी दी.
देश के अलग-अलग राज्यों में मूंग और मक्के जैसी खरीफ फसलों के दामों में हजारों रुपये का फर्क देखने को मिला है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि लोकल फैक्टर, डेटा रिपोर्टिंग की खामियां और फार्मगेट कीमतों की निगरानी की कमी इसकी मुख्य वजह हैं.
आंध्र प्रदेश सरकार ने प्याज किसानों की बढ़ती मुश्किलों को देखते हुए ऐतिहासिक कदम उठाया. गिरती कीमतों से नुकसान झेल रहे किसानों को प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये का मुआवज़ा और सीधे आर्थिक मदद दी जा रही है.
एक वरिष्ठ खरीद अधिकारी का कहना है कि यह रुझान जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाता. अधिकारी ने कहा कि कटाई में देरी और कई इलाकों से कम पैदावार की खबरों के बावजूद, राज्य के खरीद केंद्रों पर पिछले सीज़न की तुलना में काफी ज़्यादा आवक दर्ज की गई है.
सरकारी आंकड़ों पर अगर यकीन करें तो ज्यादातर प्रमुख खरीफ और रबी फसलों की थोक कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी से से नीचे लुढ़क चुकी हैं. स्थिति यह है कि किसानों को अब अपनी उपज पर मुनाफा भी नहीं मिल रहा है और एमएसपी तक भी हासिल नहीं हो पा रही है. 24 अक्टूबर 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार, मक्का, सोयाबीन, सूरजमुखी और मूंग जैसी प्रमुख फसलों के भाव नीचे चल रहे हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today