विशेषज्ञों के अनुसार कार्डबोर्ड नेचर के फिल्टर के तौर पर काम करता है. यह एक ऐसी लेयर को तैयार करता है जो पानी को अंदर जाने देता है और 95 फीसदी तक खरपतवारों को सूरज की रोशनी तक पहुंचने से रोकता है. कार्डबोर्ड जमीन पर होने वाली प्रक्रिया के समान ही प्रक्रिया करता है. केंचुए जैसे फायदेमंद जीव भी कार्डबोर्ड की तरफ आकर्षित होते हैं. ये इसे तोड़ते हैं और मिट्टी को हवादार बनाते हैं.
गर्मी के मौसम में लतर वाली गरमा सब्जियों जैसे नेनुआ, करेला, लौकी और खीरा की फसलों पर मक्खी कीट का प्रकोप अधिक होता है. यह भूरे रंग की कीट घरेलू मक्खी जैसी दिखती है. इनका मादा कीट फलों की त्वचा के अंदर अंडे देती है और उनसे निकले पिल्लू फल के अंदर के भाग को खा जाते हैं, जिससे फल सड़कर नष्ट हो जाते हैं. इसका प्रकोप दिखते ही 1 किलोग्राम छोआ, 2 लीटर मैथालियान 50 ईसी को 1000 लीटर पानी में घोलकर 15 दिनों के अंतराल पर दो बार छिड़काव करना चाहिए.
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में यह ट्रेनिंग दी जा रही है. ट्रेनिंग में राज्य सरकार और केंद्र सरकार की चलाई जाने वाली अलग-अलग योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी जाएगी ताकि युवाओं का कौशल विकास किया जा सके. ट्रेनिंग लेने के इच्छुक युवक और युवतियां रजिस्ट्रेशन के लिए संस्थान में ट्रेनिंग के पहले दिन सुबह 7:30 बजे पहुंच कर अपना रजिस्ट्रेशन करवा कर प्रशिक्षण में भाग ले सकते हैं.
गर्मी के मौसम में आम के पेड़ के लिए ऐसा उर्वरक या खाद सबसे अच्छी होती है जिससे फल अच्छी तरह से बढ़े और मिट्टी में नमी भी बरकरार रहे. साथ ही साथ पेड़ भी मजबूत रहे. इस मौसम में पेड़ को अतिरिक्त पोषण और पानी की जरूरत होती है खासकर जब फल आ रहे हों.
औषधीय पौधे ना केवल आपके घर की खूबसूरती बढ़ाते हैं, बल्कि प्राकृतिक दवाओं के रूप में भी काम आते हैं.
नीलगायों के आंतक से किसानों की फसलों तो भारी नुकसान हो रहा है क्योंकि नीलगाय फसलों को चरने से ज्यादा फसलों को रौंद देती हैं. नीलगाय के आतंक से परेशान किसान कुछ देसी उपाय को अपनाकर अपनी फसलों को बर्बाद होने से बचा सकते हैं. आइए जानते हैं क्या हैं ये देसी और अचूक उपाय.
अगर आपके पौधे सही से ग्रो नहीं कर रहे हैं तो यह खाद बड़े काम की है. केले के छिलके पोषक तत्व प्रदान करते हैं. केले के छिलके का पानी मिट्टी में नमी बरकरार रखता है. इससे गर्मी के मौसम में पौधों को ठंडक मिलती है. पौधे की सही ग्रोथ के अलावा उस पर ज्यादा से ज्यादा फूल भी आएंगे. इस खाद का प्रयोग हफ्ते में दो बार किया जा सकता है.
क्या आप जानते हैं कि कुछ पौधे आपके पालतू जानवरों के लिए खतरे का कारण बन सकते हैं?
तरबूज के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी सही मानी गई है. वहीं फलों को पकने के लिए उन्हें रोजाना आठ से 10 घंटे की धूप की जरूरत होती है. फल अच्छे से बढ़े और उसका साइज भी अच्छा हो इसके लिए का pH 6.0 और 7.0 के बीच होना चाहिए. बीज की बुवाई से पहले उर्वरता और जल निकासी में सुधार के लिए मिट्टी को खाद या पुरानी खाद से पोषण प्रदान करें.
विशेषज्ञों ने किसानों के लिए पराली से निपटने को वेस्ट डी कंपोजर का एक आसान विकल्प सुझाया है. यह विकल्प एक ऑर्गेनिक कैप्सूल के तौर पर मिलता है जिससे पराली तेजी से खाद में बदल जाती है. इस प्रक्रिया में शामिल बैक्टीरिया और फंगस पराली को गला देते हैं और फिर यह एक ऐसी ऑर्गेनिक खाद में बदल जाता है जो कई मायनों में फायदेमंद हो सकता है.
एडवाइजरी के मुताबिक, अधिक तापमान से टमाटर, मिर्च और बैंगन की फसलों को बचाने के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि 2% Nephthalene acetic acid (NAA) का घोल खड़ी फसलों फर छिड़काव करें ताकि फलों का विकास बंद न हो. मूंग की फसल की बुवाई के लिए किसान उन्नत बीजों की बुवाई करें.
कीटों को टमाटर से दूर रखने के लिए बहुत से लोग कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं. लेकिन इसकी बजाय सही जैविक तरीके अपनाए जा सकते हैं.
अप्रैल का महीना लगभग खत्म होने वाला है. ऐसे में किसान अब खरीफ फसलों की खेती से पहले मिट्टी की जांच करवा सकते हैं. दरअसल, गेहूं की फसल काटने के बाद मिट्टी की जांच करना बेहद जरूरी होता है. ऐसे में आइए जानते हैं मिट्टी का नमूना लेने का तरीका.
धान की फसल को भूमिजनित कीटों और रोगों से बचाना एक बड़ी चुनौती होती है. इस समस्या से निपटने और बंपर पैदावार लेने के लिए प्रचंड गर्मी के समय खास तकनीक अपनाने की सलाह दी जाती है. यह तकनीक न केवल धान के पौधों को हानिकारक कीटों और विभिन्न रोगों से सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि उनकी बढ़वार और पैदावार में भी सहायक होती है.
Ginger Farming: अदरक की अच्छी पैदावार के लिए यह जानना जरूरी है कि किस प्रकार से बीज की बुवाई करने पर अधिक उत्पादन होगा. अदरक की बुवाई के लिए प्रमुख रूप से तीन विधियों का इस्तेमाल किया जाता है. आइए जानते हैं कौन सी है वो तीन विधि.
पिपरमेंट एक तरह की जड़ी-बूटी है जिससे तेल निकाला जाता है. इसका तेल बहुत महंगा बिकता है और दवाओं, ब्युटि प्रोडक्ट और खुशबूदार चीजों में काम आता है. एमपी के कुछ किसान पिछले 10 सालों से पिपरमेंट की खेती कर रहे हैं और उन्होंने इससे अच्छा मुनाफा कमाया है.
कई बार परिस्थितियों के कारण किसानों को गन्ने की पछेती बुवाई (लेट प्लांटिंग) करनी पड़ती है. बहुत से किसान गेहूं की कटाई के बाद गन्ना बोते हैं, गेहूं कटाई के बाद गन्ने की पिछेती बुवाई करते समय सही किस्म का चुनाव के साथ कुछ खास बातों का ध्यान रखकर बंपर पैदावार प्राप्त की जा सकती है. इसके बारे में जानकारी दी गई है.
गर्मियों गुलाब के पौधों को पनपने के लिए, लगातार नमी, पर्याप्त धूप और नियमित तौर पर खाद देना जरूरी है. पौधों की समय-समय पर छंटाई से यह हेल्दी रहेगा और साथ ही नए फूल भी आएंगे. कई लोगों को गुलाब उगाना बहुत मुश्किल लगता है क्योंकि इस पौधे को सही देखभाल की जरूरत होती है. समय पर की गई सही देखभाल और इनका ध्यान रखनें से इसे उगाना भी आसान लगने लगेगा.
उत्तर प्रदेश में गन्ने की फसल पर दो खतरनाक कीटों- पायरिला और टॉप बोरर कीट हमला कर रहे हैं, जिससे लाखों गन्ना किसानों की चिंता बढ़ गई है. एक ओर पायरिला कीट तेजी से फैल रहा है, जिससे गन्ने की पत्तियां पीली पड़ रही हैं. वहीं, टॉप बोरर कीट गन्ने के ऊपरी हिस्से को खाकर सड़न पैदा कर रहा है जिससे फसल को भारी नुकसान होने की आशंका है.
किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 20वीं किस्त का इंतजार है. इसकी आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है, लेकिन पुराने पैटर्न और तारीखों को देखते हुए 20वीं किस्त जून महीने में आ सकती है. उससे पहले किसानों को पीएम किसान स्टेटस 2025 और लाभार्थी लिस्ट को देख लेना चाहिए.
हर किसान चाहता है कि उसकी सरसों से अधिक से अधिक तेल निकले. इसके लिए सरसों की उन्नत किस्मों की खेती के अलावा कुछ अन्य बातों पर ध्यान देना होता है. उन्नत किस्में अधिक तेल देती हैं. जानिए किन उपायों से सरसों से ज्यादा तेल हासिल किया जा सकता है.
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