अक्सर आम के बाग पुराने होने पर फल देना कम कर देते हैं, जिससे किसानों की कमाई घट जाती है. इसको काट देते हैं, लेकिन अब पुराने पेड़ों को काटने के बजाय जीर्णोद्धार तकनीक अपनाकर उन्हें फिर से जवान बनाया जा सकता है. इस विधि में पेड़ों की सूखी और घनी टहनियों की वैज्ञानिक तरीके से छंटाई की जाती है, जिससे सूरज की रोशनी सीधे तने तक पहुंचती है और नई शाखाएं निकलती हैं.
देहरादून में गन्ना किसानों की प्रमुख नकदी फसल है. यहां इंटरक्रॉपिंग नहीं अपनाने से हो रहा था नुकसान. बाद में KVK ढाकरानी की रिसर्च से 163 हेक्टेयर में 227 किसानों के साथ बड़ा प्रयोग किया गया. इंटरक्रॉपिंग की मदद से गन्ना और पंत उड़द-35 उन्नत किस्म की हुई खेती जिसके शानदार नतीजे मिले.
सर्दियों की बारिश की कमी से बढ़े सूखे के बीच नौणी विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने सेब सहित बागवानी फसलों में नमी संरक्षण, सिंचाई और रोग प्रबंधन के लिए त्वरित उपाय सुझाए.
दिसंबर और जनवरी के दौरान सरसों की फसल पर माहू एफिड कीट का हमला सबसे अधिक होता है, जो रस चूसकर पैदावार को भारी नुकसान पहुंचाता है. इससे निपटने के लिए महंगे और जहरीले रसायनों के बजाय 'पीला स्टिकी ट्रैप' एक सस्ता और प्रभावी जैविक उपाय है.
मिट्टी को मिलाने के बाद तुरंत पौधा न लगाएं. इसे हल्का पानी देकर 4–5 दिन के लिए छोड़ दें. इससे खाद अच्छी तरह मिट्टी में घुल जाती है और लाभकारी सूक्ष्मजीव दोबारा सक्रिय हो जाते हैं. इस दौरान मिट्टी को ज्यादा गीला न रखें, बस हल्की नमी बनी रहे. कुछ दिनों बाद यह मिट्टी पौधों के लिए पूरी तरह तैयार हो जाती है.
पाले और कड़ाके की सर्दी से फसल को कैसे बचाएं? गेहूं, चना, मटर और सरसों की फसलों की सुरक्षा के लिए जानें हल्की सिंचाई, पराली, जूट बोरा, ग्रीन नेट और राख के आसान व असरदार उपाय.
उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड के साथ अब पाले का खतरा बढ़ गया है. जब रात का तापमान 0 डिग्री सेंटीग्रेट के करीब पहुंचता है, तो ओस की बूंदें बर्फ बन जाती हैं. यह जमा हुआ पानी पौधों की कोशिकाओं को फाड़ देता है, जिससे पत्तियां और फूल झुलस जाते हैं. इससे न केवल दाने छोटे रह जाते हैं, बल्कि पूरी फसल भी बर्बाद हो सकती है. विशेषकर आलू, टमाटर, मटर, सरसों और पपीते पर पाले का सीधा अटैक होता है. यहां तक कि गेहूं और गन्ना भी इसकी चपेट में आ सकते हैं.
आम की भरपूर पैदावार के लिए दिसंबर का महीना सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी समय 'मीली बग' यानी गुजिया कीट जमीन से निकलकर पेड़ों पर हमला करने की तैयारी करता है. विशेषज्ञ के अनुसार, इस खतरनाक कीट को रोकने का सबसे पक्का और सस्ता इलाज 'ट्री बैंडिंग' है, जिसमें पेड़ के तने पर प्लास्टिक की पट्टी लपेटकर ग्रीस लगाया जाता है.
चीया एक औषधीय और पोषण से भरपूर बीज है. इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. यही वजह है कि हेल्थ इंडस्ट्री, आयुर्वेद और फिटनेस सेक्टर में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. कम पानी, कम लागत और बढ़ती बाजार मांग के कारण चीया सीड्स की खेती किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बनती जा रही है.
पूसा, नई दिल्ली ने गेहूं, सरसों, आलू, सब्जियों और बागवानी फसलों के लिए सिंचाई, उर्वरक और कीट-रोग नियंत्रण को लेकर एडवाइजरी जारी की.
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (ICAR-CISH), लखनऊ के वैज्ञानिकों ने बताया है कि आम की खेती में सही समय पर सही देखभाल ही अच्छी कमाई का राज है. संस्थान द्वारा जारी मौसम आधारित नई सलाह को मानकर किसान अपने पुराने बागों को फिर से उपजाऊ और नया जैसा बना सकते हैं.
बढ़ती ठंड में आलू में तेजी से फैलता है पिछात और अगात झुलसा रोग. वैज्ञानिकों के मुताबिक, समय पर फफूंदनाशी छिड़काव से बचा सकते हैं किसान अपनी फसल.
सर्दियों के महीनों में आंवले का मुरब्बा खाने से कई स्वास्थ्य फायदे होते हैं. इसमें विटामिन C भरपूर मात्रा में होता है और यह इम्यूनिटी बढ़ाता है. यह पेट, बालों, त्वचा, आंखों और दिल के लिए भी फायदेमंद है. रोज़ाना थोड़ी मात्रा में यह मुरब्बा खाने से शरीर मज़बूत और स्वस्थ रहता है.
पीलीभीत जिले के किसानों ने अपनी फसल और खतरनाक पशुओं से अपनी जान बचाने के लिए एक अनोखा तरीका निकाला है. वन विभाग के अधिकारियों ने इस पहल को एक "देसी जुगाड़" बताया है. आइए जानते हैं.
खेती में महंगी रसायनिक दवाओं के खर्च और नुकसान से बचने के लिए कृषि विशेषज्ञ डॉ. एस.के. सिंह ने एक शानदार देसी उपाय बताया है. यह है-'बेसन और छाछ' का स्प्रे. यह नुस्खा बनाना बेहद आसान और सस्ता है, जिसे कोई भी किसान घर पर तैयार कर सकता है. यह स्प्रे 'एक तीर से दो निशाने' लगाता है. बेसन की चिपचिपाहट से फसलो के एफिड और सफेद मक्खी जैसे कीड़े चिपक कर मर जाते हैं, वहीं छाछ पौधों को फफूंद के रोगों से बचाती है.
जलवायु परिवर्तन और पारंपरिक खेती के कारण बिहार में सर्दियों के मक्के की पूरी क्षमता नहीं मिल पा रही है, लेकिन ICAR द्वारा सुझाई गई बुवाई तिथि, ऊंची क्यारियां, बीज उपचार और संतुलित पोषण से किसान पैदावार और आमदनी दोनों बढ़ा सकते हैं.
सर्दियों में गेंदे के पौधे में भरपूर फूल पाने के आसान टिप्स. सही मिट्टी, धूप, पानी और खाद की मदद से ठंड में भी गेंदे का फूल लगातार खिलता रहेगा.
UPCAR ने चेताया—अगले हफ्ते तक शुष्क मौसम के साथ घना कोहरा रहेगा. देर से गेहूं बुवाई के लिए 25 दिसंबर तक का समय उपयुक्त, चना में कटुआ कीट और सरसों में सुरंगक कीट से बचाव के लिए वैज्ञानिक उपाय अपनाने की सलाह.
मटर, बीन्स और क्लोवर जैसी सर्दियों की फलियों वाली फसलें किसानों के लिए सबसे असरदार नैचुरल फर्टिलाइजर में से हैं. उनकी जड़ों की गांठों में नाइट्रोजन-फिक्सिंग बैक्टीरिया होते हैं जो हवा में मौजूद नाइट्रोजन को ऐसे रूप में बदलते हैं जिसे पौधे आसानी से सोख सकें. सर्दियों में इन फसलों को उगाकर मिट्टी को बायोलॉजिकली प्रोड्यूस्ड नाइट्रोजन की रेगुलर सप्लाई मिलती है.
सरसों की फसल पर कीट और रोगों का भयंकर प्रकोप बढ़ते जा रहा है. इससे कहीं ना कहीं सरसों की फसल की पैदावार को लेकर किसान चिंतित नजर आ रहे हैं क्योंकि इन कीटों से उपज में काफी कमी आ सकती है और किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं लक्षण और बचाव के उपाय.
ICAR–IIVR वाराणसी द्वारा विकसित स्मार्ट IPDM पैकेज से बैंगन की फसल में कीट-रोग नियंत्रण अब होगा ज्यादा प्रभावी और पर्यावरण-अनुकूल. फेरोमोन ट्रैप, जैविक उपाय और जरूरत-आधारित स्प्रे से किसानों को मिलेगा अधिक लाभ और सुरक्षित उत्पादन.
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