खेती-किसानी में मिट्टी का अपना एक अलग ही महत्व है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि घर पर आप बिना मिट्टी के भी धनिया उगा सकते हैं. इसके लिए आपको सिर्फ पानी की जरूरत पड़ेगी. वहीं, धनिया उगाते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना होगा.
गठिया एक ऑटो इम्यून बीमारी है जिसका मतलब है कि आपका सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा तंत्र आपके जोड़ों को मजबूत रखने वाले ऊतकों पर हमला करना शुरू कर देता है. इससे जोड़ों में सूजन, अकड़न और दर्द होता है. अगर आपके परिवार में पहले किसी को गठिया हुआ है, तो आपको यह बीमारी होने का खतरा और बढ़ जाता है.
मॉनसून के दौरान शारीरिक फिटनेस बनाए रखने और प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने के लिए इनडोर व्यायाम या योग के साथ सक्रिय रहें. मॉनसून के दौरान शारीरिक फिटनेस बनाए रखने और इम्यून को बढ़ावा देने के लिए व्यायाम या योग करना बेहद जरूरी है. यह न सिर्फ फिटनेस लेवेल को बढ़ाता है बल्कि आपको बीमारियों से लड़ने में भी मदद करता है.
मध्य प्रदेश की सरकार ने उन किसानों को एक बड़ी राहत की खबर दी है जो पारंपरिक खेती से जुड़े हुए हैं. पर्यावरण में बदलाव केचलते किसानों को पारंपरिक फसलों के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. नई किस्मों को विकसित करने में लगने वाला समय बदलते पर्यावरण और जलवायु में मांग को पूरा करने के लिए कम पड़ रहा है. ऐसे में मध्य प्रदेश में अब स्पीड ब्रीडिंग केंद्रों की मदद इन मुश्किलों को दूर करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.
बरसात का मौमम आते ही किसान बागवानी फसलों की खेती शूरू कर देते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि बरसात में बागवानी फसलों की खेती करना बेहतर माना जाता है. इस सीजन में पौधे लगाने पर पौधों को पानी और पोषण दोनों मिलता है जिससे पौधे जल्दी ग्रोथ करते हैं.
दूसरे देशों में लोग खुशी-खुशी पैसे खर्च कर इस थेरेपी को आजमा रहे हैं और लोगों का दावा है कि यह वाकई फायदेमंद है. न्यूयॉर्क स्थित माउंटेन फार्म हाउस में इस तरह की सुविधा दी गई है. पिछले नौ सालों से इस जगह पर वेलनेस सेशन आयोजित किए जा रहे हैं.
डेटा से पता चला है कि साल 2021-22 में सब्सिडी कार्यक्रम के तहत अर्बन बेंगलुरु में सिर्फ 5.2 हेक्टेयर भूमि ही इसके लिए प्रयोग की गई थी. जबकि साल 2023-24 तक यह बढ़कर 18.96 हेक्टेयर तक हो गई है. इससे पता चलता है कि इस तरह की कृषि पद्धतियों के लिए किसानों की रुचि बढ़ती जा रही है. इन ग्रीनहाउस में सिर्फ कुछ ही तरह की फसलें उगाई जा सकती हैं,.
राज्य में अब तक इस बार रुक-रुक कर ही बारिश हो रही है इससे किसानों ने सब्जी की खेती की है. सब्जी की खेती को लेकर जारी किए सलाह में मौसम विभाग ने कहा है कि भारी बारिश होने के कारण सब्जियों की नर्सरी में जलभराव हो सकता है इससे सब्जियों में सड़न की समस्या हो सकती है.
हर कीट किसी खास रंग की ओर आकर्षित होता है. अब अगर उसी रंग की चादर पर कोई चिपचिपा पदार्थ लगाकर उसे फसल की ऊंचाई से करीब एक फुट ऊपर लटका दिया जाए तो कीट उस रंग की ओर आकर्षित होकर चादर से चिपक जाता है. फिर वह फसल को नुकसान नहीं पहुंचा पाता.
पिछले करीब चार सालों से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कपास की खेती करने वाले किसान गुलाबी सुंडी से परेशान हैं. गुलाबी सुंडी जिसे पिंक बॉलवॉर्म के तौर पर ज्यादातर लोग जानते हैं, इन उत्तरी राज्यों में खतरनाक तरीके से कपास की फसलों को तबाह कर दिया है. जुलाई के पहले सप्ताह तक इन राज्यों में कपास की खेती पिछले साल के करीब 16 लाख हेक्टेयर से घटकर इस साल सिर्फ 10 लाख हेक्टेयर रह गई है.
भिंडी की खेती के लिए खेत की तैयारी अच्छे तरीके से करनी चाहिए. इसकी खेती के लिए गर्म और नम वातावरण सही माना गया है. इसके बीज के अंकुरण के लिए 27-30 डिग्री सेल्सियस का तापमान उचित माना गया है. 17 डिग्री से कम तापमान में भिंडी के बीज अंकुरित नहीं होते हैं.
सोयाबीन की पैदावार इसके फूलों की मात्रा पर निर्भर करती है. इसलिए यह कोशिश करना चाहिए कि पौधों से फूल नहीं झड़ें और पैदावार अच्छी हो. इसके लिए दवाओं का स्प्रे किया जाता है. फूल बढ़ाने के लिए और पैदावार बढ़ाने के लिए किसान इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) विधि से बुवाई नई तकनीक पर आधारित खेती का तरीका है. इसमें पारंपरिक तरीके से नर्सरी के बाद पौधों की रोपाई की बजाय खेत में सीधे बीज की बुवाई की जाती है. परंपरागत विधि में DSR विधि की तुलना में दोगुनी लागत खर्च होती है और समय भी अधिक लगता है.
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में मधुमक्खी पालन और संरक्षित खेती को लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. यहां वैज्ञानिक किसानों को मधुमक्खी पालन और संरक्षित खेती के लिए फ्री में ट्रेनिंग देंगे. इस ट्रेनिंग में भाग लेकर किसान बेहतर कमाई का जरिया बना सकते हैं.
स्ट्रॉबेरी में विटामिन सी, विटामिन ए और के भरपूर मात्रा में होते हैं. यह चेहरे की झुर्रियों और फाइन लाइन्स को कम करने में मदद करता है. वहीं, बाजार में ये अच्छी खासी कीमत पर बिकती है.
गुड़ खाना लोगों को खूब पसंद होता है. गुड़ का इस्तेमाल भी लोग बड़ी मात्रा में करते हैं. लेकिन कई बार लोग बाजार से ऐसा गुड़ खरीद कर लाते हैं जो मिलावट वाला होता है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि कैसे आप पानी से पता लगा सकते हैं कि गुड़ नकली है या असली.
जुलाई का महीना आते ही किसान अपने खेतों में उतर आते हैं. इस महीने में कई फसलों की बुवाई की जाती है. जिसके लिए बिहार सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की है. इसमें बताया गया है कि जुलाई महीने में खेती से जुड़े कौन से काम करने हैं.
मक्का की खेती के लिए उत्तम जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है. सिंचित क्षेत्रों में मक्का की बुवाई मॉनसून आने के 10-15 दिनों पहले कर देनी चाहिए. वहीं, वर्षा आधारित क्षेत्रों में बारिश के आने पर ही मक्का की बुवाई की जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं बलुई मिट्टी में मक्के की बुवाई से पहले कौन सी खाद डालना चाहिए.
खीरे की खेती पूरे भारत में बड़ी मात्रा में की जाती है. गर्मी के दिनों में बाजारों में खीरे की खूब डिमांड भी रहती है. लेकिन कई बार खीरे के लिए जीवाणु विल्ट बेहद खतरनाक हो जाता है. इस रोग के लगने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में आइए जानते हैं कैसे करें इस रोग से खीरे की फसल का बचाव.
कपास की खेती देश में बड़े पैमाने पर की जाती है. लेकिन किसानों को कई बार कपास के पौधे में मैग्नीशियम की कमी देखने को मिलती है. जिससे उसकी पत्तियां कप जैसी बन जाती हैं और पौधों का विकास रूक जाता है. ऐसे में हम आपको मैग्नीशियम की कमी से बचाव के उपाय बताएंगे.
डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) विधि अपनाने पर जोर है. इस विधि के तहत सीधे बीज की बुवाई खेत में की जाती है, जिससे बुवाई में लगने वाला समय घट जाता है. इस विधि से खेती करने पर 30 फीसदी पानी का खर्च बचता है और किसान 15000 रुपये प्रति एकड़ लागत को बचा सकता है.
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