सावन के महीने में जब वातावरण में नमी, उमस और अचानक ठंडी हवाओं का असर देखने को मिलता है, तो ऐसे मौसम में शरीर की इम्यूनिटी थोड़ी कमजोर हो जाती है और पाचन तंत्र भी सुस्त पड़ जाता है. यही वजह है कि कई लोगों को इस दौरान थकान, सुस्ती, आलस्य और एनर्जी की कमी महसूस होती है. सावन में कई लोग व्रत भी रखते हैं, जिसमें सामान्य भोजन की बजाय फलाहार या सीमित आहार लिया जाता है.
मॉनसून में गन्ने को 3 बेधक कीट भारी नुकसान पहुंचाते हैं. रासायनिक दवाओं का छिड़काव मुश्किल और कम प्रभावी होता है. इसका सस्ता और असरदार समाधान है ट्राइकोकार्ड. मात्र 100 रुपये में दो कार्ड इस्तेमाल कर सकते हैं. ये परजीवी कीट दुश्मनों के अंडे खाकर उन्हें खत्म कर देते हैं. इससे फसल की लागत घटती है और उपज बढ़ती है जिसके बारे में एक्सपर्ट ने खास जानकारी दी है.
Monsoon Tips: बरसात के मौसम में नमी और गंदगी के कारण इस मौसम में बैक्टीरिया और वायरस तेजी से फैलते हैं, जिसके कारण सर्दी, खांसी, बुखार, त्वचा संबंधी समस्याएं और पेट से जुड़ी समस्याएं बहुत बढ़ जाती हैं. आइए जानते हैं इस दौरान खुद का ख्याल कैसे रखें?
सहारनपुर के रामपुर मनिहारान में नकली पनीर बनाने वाली फैक्ट्रियों पर छापेमारी में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया. एक फैक्ट्री से 11 कुंतल नकली पनीर बरामद हुआ, लेकिन अफसरों की आंखों के सामने से 10 कुंतल गायब हो गया. मौके पर फैक्ट्री में गंदगी और घटिया सामग्री भी मिली. मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की गई है.
भारत में तालाबों की परंपरा प्राचीन काल से ही रही है. ये तालाब न केवल जल संचयन का साधन रहे हैं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन का भी अभिन्न अंग रहे हैं. आज जब जल संकट दिन-प्रतिदिन गहराता जा रहा है, तो इन पुराने तालाबों का महत्व और भी बढ़ गया है. भारत जैसे कृषि प्रधान देश में तालाबों की भूमिका सदियों से महत्वपूर्ण रही है.
शतावर एक सुपर मेडिसिनल फसल है जो किसानों के लिए कमाई बढ़ाने का शानदार अवसर प्रदान करती है. इसकी खेती कम लागत में शुरू की जा सकती है और इससे लाखों का मुनाफा कमाया जा सकता है. शतावर की जड़ों का उपयोग आयुर्वेदिक औषधियों में बड़े पैमाने पर होता है, जिससे इसकी बाजार में हमेशा उच्च मांग बनी रहती है. यह फसल एक बार लगाने पर कई सालों तक उपज देती है.
Paddy Farming: इस तकनीक के तहत खेत में पानी भरने की जरूरत नहीं होती. बीज सीधे सूखी मिट्टी में बो दिए जाते हैं. इससे किसानों को बारिश का इंतजार नहीं करना पड़ता और वो बुवाई का काम शुरू कर सकते हैं. अगर मिट्टी की तैयारी और खाद का प्रबंधन पहले से कर लिया गया हो तो यह विधि कम खर्च में बेहतर उत्पादन देने में सक्षम है.
आंवला तीसरे साल से ही फल देना शुरू कर देता है. 10-12 साल पुराने पेड़ों से 150-200 किलोग्राम तक फल मिल सकते हैं. आंवले के पेड़ एक बार लग जाने के बाद कम से कम 30-40 साल तक फल देते रहते हैं. इसलिए, चुनी गई किस्मों के ग्राफ्टेड पौधे ही लेना चाहिए. आंवले में स्व-निषेचन की कमी के कारण बड़ी संख्या में फूल होने के बावजूद फल नहीं लगते हैं. इसलिए, बाग में कम से कम दो-तीन प्रकार की किस्में जरूर लगाएं ताकि बेहतर परागण और फलत हो सके.
नीरा हनी, नारियल के फूलों से बना एक प्राकृतिक मीठा रस, अब हेल्दी स्नैक्स को और भी पौष्टिक बना रहा है. जानिए कैसे चावल और मक्के के आटे के साथ मिलकर यह नया स्नैक सेहत और स्वाद का बेहतरीन मेल बनाता है.
Tomato Farming Tips: बरसात के मौसम में टमाटर की खेती या बागवानी में कई समस्याएं आती हैं, जिससे किसान परेशान रहते हैं. ऐसे में आप इन तीन आसान काम को करके बंपर पैदावार ले सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे.
रेड फ्लोर बीटल अनाज भंडारण का खतरनाक कीट है. ICAR-IARI के वैज्ञानिकों ने एक नया डीएनए टेस्ट विकसित किया है जो फॉस्फीन रेसिस्टेंट बीटल की तेजी से पहचान करता है. यह तकनीक अनाज की सुरक्षा और रसायनों के समझदारी से उपयोग में मददगार है.
बरसात आते ही सब्जियों की फसलों की कई प्रकार की समस्याएं दिखने लगती हैं. दरअसल, खेतों में पानी के ठहराव से पौधे पीले पड़ने लगते हैं, जिससे किसानों का नुकसान होता है. ऐसे में आइए जानते हैं इससे बचाव का उपाय क्या है.
बरसात का मौसम आते ही कई फसलों और फलों में कीट लगने की समस्या बढ़ जाती है. ऐसा ही एक रिपोर्ट आया है जिसमें सेब और गुठलीदार फलों में कीट लगने से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. ऐसे में बचाव के लिए किसान इन उपायों को अपना सकते हैं.
अगर किसान देसी बीजों का सही तरीके से चयन करें, घरेलू विधियों से बीजों की जांच करें और उन्हें बीज अमृत से उपचारित करें, तो कम लागत में अधिक उत्पादन लेना संभव है. इस पारंपरिक ज्ञान को अपनाकर किसान फिर से खेती को फायदे का व्यवसाय बना सकते हैं.
बरसात का मौसम पोल्ट्री फार्म के लिए कई बीमारियों का खतरा लेकर आता है. इस दौरान रानीखेत, कॉक्सीडियोसिस, ई. कोलाई और पुराना जुकाम (CRD) जैसी बीमारियां तेजी से फैल सकती हैं, जिससे चूजों में उच्च मृत्यु दर और अंडा उत्पादन में कमी आ सकती है. बचाव के लिए ये उपाय अपनाना जरूरी है.
जुलाई का महीना धान की फसल के लिए बेहद अहम होता है. इस फसल को जुलाई के महीने में खास देखभाल की ज़रूरत होती है, क्योंकि इस दौरान फसल तेजी से विकास कर रही होती है और उसकी नाजुक पत्तियां कीटों, रोगों और खरपतवारों के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं. यही वजह है कि इस अवस्था में कीट, रोग और खरपतवार फसल को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं क्योंकि इस समय खरपतवारों और कीटों का प्रकोप बढ़ने की आशंका रहती है.
अब आप चाहें तो घर बैठे पूरे सीजन आम का मजा ले सकते हैं. जी हां. शहरों में बढ़ते गार्डनिंग के चलन के बीच अब लोग अपने घरों पर आम के पेड़ लगा रहे हैं. ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसी किस्मों के बारे में बताएंगे जिसे आप गमले में आसानी से उगा सकते हैं.
यह सीजन खरीफ की खेती के लिए उपयुक्त है. किसानों ने खरीफ फसलों की बुवाई शुरू भी कर दी है. धान की नर्सरियां तैयार हो रही हैं कुछ दिनों में रोपाई शुरू हो जाएगी. इसी तरह मक्के की खेती का भी सीजन है. तो आइए इन फसलों के बारे में वैज्ञानिकों की दी गई एडवाइजरी पढ़ लेते हैं.
आमतौर पर पानी फसलों के लिए अच्छा माना जाता है. कुछ फसलें ऐसी होती हैं जिनके लिए अधिक पानी काल बन जाता है, और पपीता उनमें से एक है. अगर किसान समय रहते सावधानी नहीं बरतते, तो पपीते के पौधों में जलभराव से जड़ सड़न और अन्य बीमारियां लग सकती हैं, जिससे भारी नुकसान होता है और लाखों की लागत डूब सकती है.
Maize Farming: बरसात आते ही किसान मक्के की खेती में जुट गए हैं. इस दौरान किसान अधिक उपज लेने के लिए कई अलग-अलग तकनीक को अपनाते हैं. ऐसे में अगर आप भी इस सीजन इस खास विधि को अपनाकर अच्छी उपज ले सकते हैं.
अगर आप आम का बाग लगाने की सोच रहे हैं, तो यह आपके लिए सबसे अच्छा मौका है. सही किस्मों का चुनाव और वैज्ञानिक तरीके से लगाया गया आम का बाग दशकों तक भरपूर फल देता है. लेकिन याद रखें, शुरुआती चरणों में की गई कोई भी गलती भविष्य में बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है. इसलिए, आम का बाग लगाने की वैज्ञानिक पद्धति और उन जरूरी सावधानियों को जानना आपके लिए बेहद फायदेमंद होगा.
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