UPCAR ने चेताया—अगले हफ्ते तक शुष्क मौसम के साथ घना कोहरा रहेगा. देर से गेहूं बुवाई के लिए 25 दिसंबर तक का समय उपयुक्त, चना में कटुआ कीट और सरसों में सुरंगक कीट से बचाव के लिए वैज्ञानिक उपाय अपनाने की सलाह.
मटर, बीन्स और क्लोवर जैसी सर्दियों की फलियों वाली फसलें किसानों के लिए सबसे असरदार नैचुरल फर्टिलाइजर में से हैं. उनकी जड़ों की गांठों में नाइट्रोजन-फिक्सिंग बैक्टीरिया होते हैं जो हवा में मौजूद नाइट्रोजन को ऐसे रूप में बदलते हैं जिसे पौधे आसानी से सोख सकें. सर्दियों में इन फसलों को उगाकर मिट्टी को बायोलॉजिकली प्रोड्यूस्ड नाइट्रोजन की रेगुलर सप्लाई मिलती है.
सरसों की फसल पर कीट और रोगों का भयंकर प्रकोप बढ़ते जा रहा है. इससे कहीं ना कहीं सरसों की फसल की पैदावार को लेकर किसान चिंतित नजर आ रहे हैं क्योंकि इन कीटों से उपज में काफी कमी आ सकती है और किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं लक्षण और बचाव के उपाय.
ICAR–IIVR वाराणसी द्वारा विकसित स्मार्ट IPDM पैकेज से बैंगन की फसल में कीट-रोग नियंत्रण अब होगा ज्यादा प्रभावी और पर्यावरण-अनुकूल. फेरोमोन ट्रैप, जैविक उपाय और जरूरत-आधारित स्प्रे से किसानों को मिलेगा अधिक लाभ और सुरक्षित उत्पादन.
ICAR–ATARI उमियम ने कहा—TS 38, TS 36, TS 67, NRCHB-101 और पूसा 25/26/28 जैसी हाई-यील्ड किस्मों के साथ जीरो-टिलेज, बीज उपचार, IPM और मधुमक्खी बक्सों का उपयोग पूर्वोत्तर राज्यों में सरसों उत्पादन को नई ऊंचाई देगा.
देश में नकदी फसल के रूप में आलू की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. लेकिन दिसंबर का महीना आते ही किसानों को आलू की फसल में लगने वाले कीट और रोग का खतरा मंडराने लगा है. आइए जानते हैं इस रोगों से बचाव के उपाय.
उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में बंदरों के बढ़ते आतंक से परेशान किसानों ने फसलों को बचाने का अनोखा तरीका खोज निकाला है. बता दें कि ये तरीका किसानों ने बंदरों का आतंक को कम करने के लिए किया है.
ब्लूबेरी का सबसे बड़ा राज इसकी मिट्टी में छिपा है. इसे एसिडिक मिट्टी पसंद होती है. इसका पौधा हल्की अम्लीय मिट्टी में सबसे अच्छा बढ़ता है. मिट्टी का pH वैल्यू 4.5 से 5.5 होनी चाहिए. अगर आपकी मिट्टी सामान्य है तो आप आसानी से इसे एसिडिक बना सकते हैं. इसके लिए पीट मॉस, कोकोपीट और थोड़ी-सी रेत मिलाकर मिक्स तैयार करें.
पंक्तिवार बुआई से लेकर ट्रैप फसल, पक्षी स्टैंड, हाथ से कीट नियंत्रण और प्राकृतिक अर्क—कम लागत वाले इन उपायों से किसान बिना ज्यादा खर्च किए अपनी फसल को कीटों के भारी नुकसान से बचा सकते हैं.
रबी मक्का को ठंड, पाला और तेज हवाओं से बचाने के लिए कृषि विशेषज्ञों ने 10 प्रमुख उपाय सुझाए हैं, जिनमें नियमित सिंचाई, पोटाश और सल्फर का उपयोग, मल्चिंग, हवा बाधक लगाना और कीट–रोग नियंत्रण शामिल हैं. यह उपाय अपनाकर किसान अपनी फसल को नुकसान से बचाते हुए बेहतर उपज पा सकते हैं.
ठंड की लहर में रबी मक्का पर कम तापमान का असर बढ़ रहा है, जिससे पौधे पीले या बैंगनी पड़ रहे हैं. कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को सिंचाई, स्प्रे, मल्चिंग और धुआं तकनीक जैसे उपाय अपनाने की सलाह दी है ताकि उपज पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े.
ठंड में पौधे पर धूल और नमी जम जाती है जिससे फंगस का खतरा बढ़ जाता है. हर सप्ताह थोड़े पानी से पत्तियों को हल्के हाथों से साफ कर दें. इससे पौधा ताजा और स्वस्थ रहता है. मुरझाई पत्तियों और सूखे तनों को काटते रहें और जो पत्तियां पीली या सूखी हों, उन्हें तुरंत हटा दें. सूखे तनों को ऊपर से थोड़ा काटने पर नए और हरे-भरे पत्तों की ग्रोथ फिर से शुरू हो जाती है.
खेती-किसानी में दिसंबर के महीने में किसानों को क्या करना चाहिए, इस बात का भी ध्यान रखना काफी जरूरी होता है. ऐसे में बिहार कृषि विभाग की ओर से इस महीने किन फसलों में क्या करना है उसकी जानकारी दी गई है. आइए जानते हैं कि किसान अपनी खेतों में क्या करें.
बैंगन के पौधों को फल बनाने के लिए पोटैशियम की बहुत जरूरत होती है. केला और उसके छिलके पोटैशियम के प्राकृतिक स्रोत हैं, जो पौधे में फूल बनने में मदद करता है, फल गिरने से रोकते हैं, फल का आकार बढ़ाते हैं और पौधे की जड़ें मजबूत करता है. इसी तरह ये कैल्शियम और मैग्नीशियम भी भरपूर मात्रा में होता है.
जीवामृत क्या है और यह कैसे बनता है? गाय के गोबर, गोमूत्र, गुड़ और मिट्टी से बने इस देसी ऑर्गेनिक घोल के फायदे, इस्तेमाल और आसान तरीका जानें. जीवामृत से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाएं और फसल की कुदरती ग्रोथ पाएं.
जानें क्यों आपकी पीस लिली में फूल नहीं आ रहे और उन्हें वापस लाने के महत्वपूर्ण टिप्स. पौधे की उम्र, रोशनी, खाद और मिट्टी जैसी जरूरतों को समझकर अपनी पीस लिली को फिर से खिलने में मदद करें.
ICAR ने चेतावनी दी है कि मक्के की फसल में तेजी से फैल रहा इचग्रास आम हर्बिसाइड से काबू में नहीं आता, लेकिन शुरुआती स्टेज में इसका नियंत्रण कर लिया जाए तो किसान लागत बचा सकते हैं और पैदावार बढ़ा सकते हैं.
किचन गार्डनिंग के शौकीनों के बीच इस समय पीवीसी पाइप की तरकीब काफी पॉपुलर हो रही है. पीवीसी पाइप सिर्फ 4–6 इंच चौड़ा होता है, जो दीवार, बालकनी, छत या छोटे गार्डन में आसानी से लगाया जा सकता है. पारंपरिक खेती की तुलना में इसमें काफी कम पानी लगता है क्योंकि पाइप में नमी लंबे समय तक बनी रहती है.
इस फोटो गैलरी में सर्दियों में गुड़हल के पौधों की सही देखभाल के बारे में बताया गया है. इसमें बताया गया है कि ठंड में पौधा सुस्त क्यों हो जाता है, पत्तियां पीली क्यों हो जाती हैं, उन्हें कितनी धूप और पानी देना चाहिए, और सरसों के केक से बना खास न्यूट्रिएंट वॉटर पौधे को फिर से खिलने में कैसे मदद कर सकता है.
किचन गार्डन में बादाम उगाने के लिए सबसे जरूरी है कि आप कच्चे और अनरोस्टेड बादाम ही चुनें. बाजार में उपलब्ध भुने या नमकीन बादाम उग नहीं सकते. बेहतर होगा कि आप ऑर्गेनिक स्टोर या नर्सरी से रॉ बादाम विद शेल यानी छिलके वाले कच्चे बादाम लें. ऐसे बादाम में अंकुरण की संभावना अधिक रहती है.
रबी सीजन में फेलेरिस माइनर का बढ़ता प्रकोप. पंजाब, हरियाणा, यूपी और बिहार के खेतों में गेहूं का पोषण चुराकर कर रहा भारी नुकसान—वैज्ञानिकों ने दी समेकित प्रबंधन की सलाह.
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