मौसम विभाग का अलर्ट किसानों के लिए चेतावनी और अवसर दोनों है. ठंड के मौसम में फसलें जितनी तेजी से बढ़ती हैं, उतना ही खतरा भी रहता है पाले और नमी के असंतुलन का. इसलिए किसानों को चाहिए कि वे स्थानीय मौसम पूर्वानुमान पर नजर रखें और अपनी खेती की योजना उसी के अनुसार बनाएं.
धान खरीदी सीजन 2025–26 में किसानों को मंडी की लंबी कतारों से राहत देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने ‘टोकन तुहर हाथ’ मोबाइल ऐप लॉन्च किया है, जिससे किसान अब घर बैठे ऑनलाइन टोकन हासिल कर सकेंगे.
विशेषज्ञों की मानें तो अगर किसान इन सभी सुझावों का पालन करें जैसे सही बीज, मिट्टी की तैयारी, संतुलित खाद, समय पर सिंचाई और रोग नियंत्रण तो निश्चित तौर पर वो अपनी गेहूं की उपज को इस सीजन में दोगुना कर सकते हैं. उनका मानना है कि आधुनिक कृषि तकनीकें न सिर्फ पैदावार बढ़ाती हैं, बल्कि मिट्टी और पर्यावरण दोनों को स्वस्थ रखने में मदद करती हैं.
पचौली की कीमत बाजार में बाकी सुगंधित फसलों जैसे लेमनग्रास या मिंट की तुलना में कहीं अधिक है. एक हेक्टेयर में किसान औसतन 80 से 120 किलोग्राम तक तेल निकाल सकते हैं, जिसकी कीमत बाजार में प्रति लीटर 4,000 से 6,000 रुपये तक होती है. छत्तीसगढ़ की जलवायु पचौली की खेती के लिए बेहद अनुकूल मानी जाती है.
क्या बचे हुए चावल को दोबारा गर्म करके खाना सेहत के लिए सही है? जानिए एक्सपर्ट्स की राय, चावल स्टोर करने का सही तरीका और रीहीट करते समय बरतने वाली सावधानियां.
शरदकालीन यानी रबी सीजन में गन्ने की बेहतर पैदावार के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है. इसके लिए सही समय पर बुवाई, उचित किस्में और तमाम जरूरी कदम उठाने पड़ते हैं. कृषि वैज्ञानिकों से जानिए जरूरी टिप्स...
बाजार में इस समय नकली लहसुन की भारी मात्रा मौजूद है. ये लहसुन आपको देखने में तो एकदम असली सा लगेगा लेकिन यह प्लास्टिक से बना होता है. ऐसे में आप अगर यह नकली लहसुन खरीद कर घर लाते हैं और इसका सेवन करते हैं तो यह आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है.
धान की कटाई से पहले इन 10 जरूरी सावधानियों को जानना बेहद जरूरी है. सही नमी, समय और प्रोसेसिंग अपनाकर आप बासमती धान की क्वालिटी बनाए रख सकते हैं और बाजार में अच्छा दाम पा सकते हैं.
चक्रवाती बारिश से बढ़ी नमी और तापमान ने बनाया अनुकूल माहौल. बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर ने किसानों को जारी की सतर्कता सलाह. कहा खेतों में जलजमाव रोकें और बालियों पर दिखें लक्षण तो करें फफूंदनाशी छिड़काव.
चावल के पानी में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम जैसे आवश्यक पोषक तत्वों के साथ-साथ विटामिन और खनिज भी पाए जाते हैं. इसमें मौजूद स्टार्च मिट्टी की सेहत को सुधारता है और उसमें नमी बनाए रखने में मदद करता है. हालांकि, इसे सही तरीके से डाइल्यूट करना बहुत जरूरी है, ताकि फंगस या बैक्टीरिया न पनपे. साथ ही, ध्यान रखें कि चावल का पानी नियमित खाद का विकल्प नहीं है.
महाराष्ट्र के अकोला, बालापुर और नांदगांव खंडेश्वर में नेफेड की ओर से सोयाबीन खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू होते ही किसानों की भीड़ उमड़ पड़ी. तकनीकी दिक्कतों के चलते प्रशासन ने ऑफलाइन आवेदन स्वीकार करने का फैसला लिया है. विधायक नितिन देशमुख ने प्रक्रिया को सरल बनाने की मांग की है.
Chickpea Farming Tips: उत्तर भारत में चने की बुआई का समय शुरू हो गया है. कृषि वैज्ञानिकों ने इसकी बुवाई के सही समय और किस्मों व खाद से जुड़ी जरूरी जानकारी साझा की है. ऐसे में जानिए कि किन टिप्स को फॉलो कर किसान चने का अच्छा उत्पादन ले सकते हैं.
पंजाब में लंबे समय से धान-गेहूं की दोहरी फसल प्रणाली अपनाई जाती रही है, जिससे मिट्टी की उर्वरता घट रही थी और भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा था. ऐसे में राज्य के कृषि विभाग और कई प्रगतिशील किसानों ने वैकल्पिक फसलों की ओर रुख किया. इनमें से चुकंदर सबसे प्रमुख बनकर उभरी है.
धान कटने के बाद खाली खेतों में खेसारी की उतेरा विधि से खेती कर साल में दो फसलें उगाएँ और अपनी आमदनी बढ़ाएँ. जानिए नई किस्में, बुवाई का सही समय, खाद-उर्वरक और आसान खेती के टिप्स.
बेहतर पैदावार पाने के लिए किसानों को गेहूं की बुवाई का सही समय, इसमें बीज की कितनी उचित मात्रा लगेगी और गेहूं का बीजोपचार कैसे किया जाए. इसमें सबसे जरूरी है कि रबी सीजन में गेहूं की बुवाई कितनी समय से की जाए.
टमाटर की खेती करने वाले किसानों को फसल की बेहतर पैदावार के लिए कुछ उपाय करने होंगे तो वहीं कुछ बेसिक गलतियों से भी बचना होगा. आपको बता दें कि टमाटर के खेत से गुणवत्तापूर्वक फसल के लिए क्या करना चाहिए.
राजस्थान कृषि विभाग ने सरसों की फसल को प्रभावित करने वाले प्रमुख कीटों और रोगों — जैसे बेमौसमी कीट, एफिड्स, पत्तों के झुलसे और सफेद फफूंदी — से निपटने के लिए विस्तार से दिशा-निर्देश जारी किए हैं. किसानों से कहा गया है कि वे समय पर दवा छिड़काव और फसल निगरानी करें ताकि उत्पादन में गिरावट से बचा जा सके.
एक स्वस्थ आंवला का पेड़ तीसरे साल से फल देना शुरू करता है और प्रति पेड़ औसतन 40-50 किलो तक फल देता है. बाजार में आंवले की कीमत 25-40 रुपये प्रति किलो तक रहती है. एक हेक्टेयर क्षेत्र से किसान लगभग 5 से 6 लाख रुपये सालाना शुद्ध लाभ कमा सकते हैं.
मौसम के अनुसार पौधों का ध्यान रखना जरूरी है. इस खबर में आपको सर्दी के दिनों में पौधों की देखभाल का तरीका बताने जा रहे हैं.
रबी मक्का की अच्छी पैदावार के लिए दोमट मिट्टी, सही समय पर बुवाई और संतुलित उर्वरक जरूरी हैं. मक्का की खेती में बीज उपचार, समय पर निराई-गुड़ाई करके अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है. एक्सपर्ट्स से जानिए जरूरी टिप्स...
साइक्लोन ‘मोंथा’ से भारी बारिश और जलभराव की आशंका के बीच आचार्य एन.जी. रंगा कृषि विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. आर. सरदा जयलक्ष्मी देवी ने किसानों से फसलवार सावधानियां बरतने की अपील की और कहा, “समय पर पानी की निकासी और रोग नियंत्रण ही फसल बचाने की कुंजी.”
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