खजूर के रस एक तरह का ताड़ी होता है और इसे पीने का सबसे ज्यादा प्रचलन बिहार में है. झारखण्ड और बिहार में अगर इस खजूर के रस का उपयोग सही ढंग से किया जाए तो लोग इसको पी कर नशा नहीं करेंगे. सरकार इस पर ध्यान दे तो एक बड़े कुटीर उद्योग की स्थापना इसी रस से की जा सकती है.
उत्तर प्रदेश में मखाना विकास योजना (Makhana Development Scheme) शुरू की जा रही है, जो किसानों को नए मौके देगी. ₹158 लाख की मंज़ूर रकम से तालाब बनाने, ट्रेनिंग, प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया जाएगा. पूर्वांचल के ज़िलों को मखाना की खेती के लिए सबसे सही माना गया है, जिससे किसानों की इनकम में काफ़ी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है.
मौजूदा वक्त में किसानों को खेती में मार्गदर्शन करने के लिए एग्रीकल्चर मोबाइल ऐप सबसे सुविधाजनक और उपयोगी माध्यम है. इसमें किसी भी फसल या सब्जियों की खेती, बुवाई या कटाई के उचित वैज्ञानिक तरीके और कीट या कीट के हमलों से फसलों को कैसे बचाएं, ये जानकारी भी आसानी से मिल जाती है.
कृषि मंत्रालय की नई रबी बुआई रिपोर्ट के अनुसार 5 दिसंबर तक गेहूं की बुआई में 24% की जबरदस्त बढ़त दर्ज हुई है. तिलहन और दलहन में मामूली बढ़त, जबकि कुल रबी बुआई रकबा 479 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है. जानें, कौन-सी फसलों में कितनी प्रगति हुई.
पश्चिम मिदनापुर के पासांग गांव में गाय के दूध से प्रसाद खाने के बाद गाय की मौत से हड़कंप मच गया. रेबीज की आशंका में 222 लोगों ने वैक्सीन लगवाई. हेल्थ विभाग ने कहा, दूध से रेबीज फैलने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं.
बैंगन के पौधों को फल बनाने के लिए पोटैशियम की बहुत जरूरत होती है. केला और उसके छिलके पोटैशियम के प्राकृतिक स्रोत हैं, जो पौधे में फूल बनने में मदद करता है, फल गिरने से रोकते हैं, फल का आकार बढ़ाते हैं और पौधे की जड़ें मजबूत करता है. इसी तरह ये कैल्शियम और मैग्नीशियम भी भरपूर मात्रा में होता है.
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कार्यक्र में वंदे मातरम का जिक्र किया. साथ ही कहा कि किसान देश की आत्मा हैं और मोदी सरकार के प्रयासों से कृषि क्षेत्र में खासा इजाफा हुआ है. कृषि मंत्री ने कहा कि साल 2014 से अब तक गन्ना उत्पादन में 44 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. साथ ही देश में 3,300 जलवायु–अनुकूल बीज विकसित किए जा चुके हैं.
हरियाणा में सामने आया धान खरीद का घोटाला जिसने सरकारी प्रोक्योरमेंट सिस्टम की कमियों को सामने ला दिया है. मंडियों, राइस मिलों और सरकारी पोर्टल के ज़रिए धान और बाजरे की कागजी खरीद को धोखे से दिखाकर हज़ारों करोड़ रुपये का स्कैम किया गया. SKM ने राज्य और केंद्र सरकारों पर गंभीर आरोप लगाए हैं और न्यायिक जांच की मांग की है.
फसलों में पोषक तत्वों की कमी और बीमारियों की पहचान करना किसानों के लिए बेहद जरूरी है. आयरन, सल्फर, जिंक, तांबा, कैल्सियम जैसे तत्वों की सही मात्रा रखकर इल्ली, फंगस, वायरस और कीटों से आसानी से बचाव किया जा सकता है. जानें, किस पोषक तत्व की कमी से कौन-से लक्षण दिखते हैं और फसल का नुकसान कैसे रोका जाए.
डिप्टी सीएम डी के शिवकुमार ने सोमवार को राज्य में मक्का किसानों को होने वाली दिक्कतों के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया. डिप्टी CM ने इस मामले पर कुछ न बोलने के लिए हावेरी के सांसद और पूर्व CM बसवराज बोम्मई पर भी निशाना साधा.
Milk Scheme in Maharashtra विदर्भ और मराठवाड़ा के किसानों को ध्यान में रखते हुए 2016 में एक पहल शुरू की गई थी. महाराष्ट्र सरकार और नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (NDDB) ने मिलकर ये योजना शुरू की थी. मकसद बस यही था कि दूध का उत्पादन बढ़े, पशुपालकों का दूध वक्त से बिक जाए और उन्हें दूध का सही दाम मिल जाए. जिससे उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में सुधार आ सके.
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