हर साल कोई न चक्रवाती तूफान आता है, जिससे भारी तबाही की आशंका बनी रहती है. अब बंगाल की खाड़ी में 23 अक्टूबर यानी कल 'डाना' नामक चक्रवाती तूफान उठने जा रहा है. इस तूफान को लेकर एजेंसियां हाई अलर्ट पर है और नुकसान को कम करने का प्रयास कर रही हैं.
रबी सीजन में फसलों की बुवाई करते समय किसानों को उन्नत किस्म के बीजों को चुनने की सलाह दी गई है. बंपर उपज के लिए बुवाई से पहले बीजों का उपचार करना बेहतर तरीका साबित हो सकता है. खरीफ फसलों की कटाई के बाद जो खेत खाली हुए हैं पहले उनकी ठीक से सफाई करें. उसके बाद जुताई करके खेत को अच्छे से तैयार कर लें.
पराली को सड़ाकर खाद बनाने वाले किसानों या लोगों को मशीनरी लागत में 80 फीसदी तक का अनुदान देने की घोषणा की है. इसके तहत कृषि यंत्र जैसे सुपर सीडर, स्ट्रा रीपर, मल्चर, पैडी स्ट्रा चापर आदि मशीनों की खरीद या यूनिट बनाने के लिए अनुदान दिया जाएगा.
लोगों में अब त्वचा की देखभाल और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स के उपयोग का चलन तेजी से बढ़ा है. यह इंडस्ट्री भी तेजी से ग्रोथ कर रही है. अब एक स्टडी में यह पाया गया है कि बांस से बना चारकोल (बैंबू चारकोल) त्वचा और चेहरे के लिए काफी फायदेमंद है. यह शरीर को इंफ्रारेड किरणों से भी बचाता है.
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक़ बंगाल कांग्रेस की ओर से नामों की एक लिस्ट दिल्ली भेज दी गई है. ऐसे में इस बार 13 नवंबर को विधानसभा की छह सीटों पर होने वाले उपचुनाव में पश्चिम बंगाल में चौतरफ़ा मुक़ाबला होने जा रहा है जहां तृणमूल कांग्रेस BJP कांग्रेस और वाम मोर्चा अलग-अलग आज़माइश पर हैं.
इन दिनों किसान खेत में लगी धान की फसल काटने की तैयारी में हैं, लेकिन पन्ना जिले के रैपुरा में सैकड़ों किसानों के लिए यह सीजन बुरा साबित हुआ. इन किसानों का कहना है कि उनकी फसल पीली पड़कर सूख रही है और तेजी से फैलने वाली बीमारी के चलते उनकी 70 से 80 प्रतिशत फसल को नुकसान पहुंचा है, जिसे लेकर आज उन्होंने प्रदर्शन किया.
बारामुला जिले के हीवन नरवाव निवासी 27 वर्षीय मुदस्सिर अहमद भट ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए पहली बार अपने पैतृक क्षेत्र में केसर की खेती सफलतापूर्वक की है. इसकी खेती में अच्छे नतीजे मिलने के बाद, वह अपनी केसर की खेती का रकबा बढ़ाने की योजना बना रहे हैं. नरवाव में एकमात्र केसर किसान के रूप में उन्होंने ऐसे काम में कदम रखा है जिसके बारे में यहां के लोग पहले बहुत कम जानते थे.
ISMA के अनुसार इस बार दक्षिण-पश्चिमी मानसून के दौरान प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में कुल बारिश सामान्य से 26 फीसदी अधिक रही है. हालांकि, कुछ जिलों में लगभग 40 फीसदी से भी ज्यादा बारिश दर्ज की गई है. दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में बारिश ज्यादा दर्ज की गई है, जिससे गन्ना फसल की ग्रोथ में कमी आने की आशंका जताई गई है.
देश में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इसी क्रम में सरकार की हर घर जल पहल एक बड़ा सामाजिक बदलाव ला रही है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं अब खेती-किसानी और इससे जुड़े क्षेत्रों में पहल करने लगी हैं. वे इन क्षेत्रों में अब वर्कफोर्स का हिस्सा बन गई हैं.
पंजाब के स्पेशल डीजीपी ने कहा कि पराली जलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है. पुलिस टीमों ने 874 मामलों में एफआईआर दर्ज की हैं, जबकि 471 स्थानों पर पराली जलाने का कोई मामला नहीं पाया गया. हालांकि, संबंधित पुलिस स्टेशनों पर 471 मामलों की डेली डायरी रिपोर्ट (डीडीआर) दर्ज की गई.
हाल ही में 39वें भारतीय पोल्ट्री विज्ञान संघ सम्मेलन (IPSACON-2024) और “स्थायी विकास के लिए इंडियन पोल्ट्री सेक्टर को आकार देना” विषय पर समारोह का आयोजन किया गया था. इसका आयोजन नागपुर पशु चिकित्सा महाविद्यालय, महाराष्ट्र और पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय नागपुर में भारतीय पोल्ट्री विज्ञान संघ, बरेली के सहयोग से किया था.
इन दिनों रबी सीजन के फसलों की बुवाई चल रही है. आप भी रबी सीजन में खेती करना चाहते हैं तो खास तीन फसलों के बारे में जान लीजिए जिनकी खेती कर ना सिर्फ अच्छी कमाई होगी बल्कि मिट्टी की उर्वराशक्ति भी बढ़ेगी. आइए उन फसलों के नाम और उगाने का तरीका समझते हैं.
डिजिटल सर्वे में धान बुवाई का रकबा 65 लाख हेक्टेयर बढ़ा है पर मैनुअल सर्वे में रकबा बढ़ोत्तरी के आंकड़े काफी कम हैं. बुवाई क्षेत्रफल के लिए सर्वे में भिन्न आंकड़ों के चलते पहला उत्पादन अनुमान जारी होने में देरी हो रही है.
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले रुक नहीं रहे हैं. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इन घटनाओं को नहीं रोक पाने और नियमों का उल्लंघन करने वाले किसानों पर कार्रवाई में ढिलाई बरतने पर हरियाणा और पंजाब के राज्य सचिवों को तलब किया था, जिसके बाद अब कैथल में प्रशासन की बड़ी कार्रवाई देखने को मिली है. यहां 18 किसानों को सोमवार को गिरफ्तार किया गया, जिन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया है.
शाह ने कहा कि अमूल में मिलावट क्यों नहीं होती क्योंकि उसका कोई मालिक नहीं है. मालिक होता है तब लोभ होता है कि दूध में मिलावट करेंगे तो मुनाफा होगा. यहां अमूल का मालिक किसान है, इसका दूसरा कोई मालिक नहीं है. इससे पवित्रता के साथ व्यापार चलता है और पवित्रता के साथ मुनाफा भी होता है. इससे अच्छा कोई काम नहीं हो सकता.
पशु खरीद के मामले में एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि जब तक बहुत ज्यादा जरूरी ना हो तो बाहर से पशु ना खरीदें. अगर आप पहले से एक डेयरी फार्म चला रहे हैं तो अपने पशुओं से ही पशुओं की संख्या बढ़ाने की कोशिश करें.
मौसम पूर्वानुमानों के अनुसार 23 अक्टूबर 2024 तक बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर एरिया एक चक्रवाती तूफान में तब्दील हो सकता है. इस तूफान के 24 अक्टूबर की सुबह तक एक गंभीर चक्रवाती तूफान में बदलने का अनुमान है, क्योंकि यह बंगाल की खाड़ी के उत्तरी भाग में उत्तरपश्चिम की ओर बढ़ रहा है.
पंजाब में धान खरीदी में धीमी गति को लेकर राज्य सरकार पर काफी दबाव है. यही वजह है कि सरकार अब राइस मिलर्स को मनाने में जुटी है और उन्हें छूट भी दे रही है. 2000 मिलर्स समझौता कर चुके हैं. हालांकि, अभी अधिकांश मिलर्स नहीं माने हैं. मालूम हो SKM ने खरीदी की धीमी गति को लेकर सरकार को 24 अक्टूबर तक का अल्टीमेटम दे रखा है.
किसान राजेश यादव बताते हैं कि अभी वे एक एकड़ में पपीते की खेती करते हैं. बाकी खेतों में धान और गेहूं की खेती करते हैं. वे कहते हैं कि अगर 10 एकड़ में भी कोई अन्य खेती करें तो पपीते की बराबरी नहीं कर पाएगा. बाकी फसलों को बेचने के लिए किसान को व्यापारी को ढूंढना पड़ता है, लेकिन पपीते के लिए व्यापारी ही किसान को ढूंढते हैं.
अनाज स्टोरेज के लिए साइलो की जरूरत को देखते हुए युवाओं, कामकाजी और कारोबारी वर्ग के लिए यह करियर और बिजनेस का अच्छा मॉडल बनकर उभरा है. साइलो निर्माण के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से अनुदान भी दिया जाता है. साइलो की बढ़ती संभावनाओं को देखते हुए गुरुग्राम स्थित फूड ग्रेन स्टोरेज और सर्विस फर्म लोटस हार्वेस्टेक ने चावल मिलिंग, थोक स्टोरेज टेक्नोलॉजी के लिए ऑनलाइन एजूकेशन प्लेटफॉर्म को लॉन्च किया है.
कई किसानों ने दावा किया कि सरकारी एजेंसियों द्वारा धान की खरीद नहीं किए जाने और उठान नहीं होने के कारण उन्होंने अपनी धान की उपज निजी व्यापारियों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम पर बेची है. सुल्तानपुर लोधी के स्वाल गांव के कुलवंत सिंह ने कहा, "मैं अपनी उपज 2,320 रुपये प्रति क्विंटल के MSP पर नहीं बेच सका. वास्तव में, मुझे इसे MSP से काफी कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा."
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