यूपी में मौसम का मिजाज बिगड़ने का इस महीने लगातार दूसरा दौर देखने को मिला. बीते 10 दिनों में आज दूसरी बार प्रदेश में ओलावृष्टि और तूफानी हवाओं का सिलसिला शुरू हुआ. इससे किसानों की मुसीबत बढ़ गई है.
यूपी और राजस्थान के अलावा महाराष्ट्र के कई इलाकों में बारिश हुई है. बारिश के साथ तेज हवा और ओलावृष्टि ने फसलों को तबाह कर दिया है. गेहूं के अलावा चने और सरसों की फसल को सबसे अधिक नुकसान है. किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
फसल नुकसान का दर्द झेलने वाले किसानों की मदद करने के लिए राज्य सरकारें और केंद्र सरकार की ओर से मुआवजा देने का प्रावधान है. जहां प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में शामिल किसानों को इस योजना के जरिए लाभ मिलेगा वहीं कुछ राज्य सरकार अपनी ओर से भी किसानों को मदद दे रही हैं.
कपिल बताते हैं कि उन्होंने अपने बाग में आठ किस्मों के अमरूद उगा रखे हैं. यहां होने वाले अमरूदों की क्वालिटी की काफी अच्छी है. इसका एक कारण ये भी है कि इन्हें जैविक तरीके उगाया जा रहा है. जैविक अमरूद होने की वजह से मार्केट में इसकी डिमांड भी बहुत है.
पूजा शर्मा बताती हैं कि वो और उनके पति नौकरी के लिए शहर की ओर रुख नहीं करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने अपने पति की मदद करने की ठानी और कुछ ग्रामीण महिलाओं के साथ मिलकर ही खुद का काम करने का मन बनाया. आज उनका काम सफल कारोबार में तब्दील हो चुका है.
जिस कैटेगरी के सांड होते हैं. उसी हिसाब से उनसे पत्थर बांधा जाता है. दो सांडों की जोड़ी के साथ सात लोगों की टीम दौड़ती है. इसके लिए 300 फीट का कोर्ट बनाया जाता है जिसमें प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले सांड पत्थरों को खींचते हुए दौड़ते हैं. जीतने पर सांडों की जोड़ी को बड़े-बड़े इनाम मिलते हैं.
यूपी में 01 अप्रैल से गेहूं सहित रबी की अन्य फसलों की सरकारी खरीद शुरू हो रही है. राज्य की योगी सरकार ने पिछले साल की तरह इस साल भी चना, मसूर और सरसों की उपज को एमएसपी पर किसानों से खरीदने का फैसला किया है. सरकार ने इसके लिए एमएसपी और कुल खरीद के लक्ष्य का भी निर्धारण कर लिया हैै.
किसान सूरजमल नैन ने साल 2017 जुलाई में खरीफ की फसल कपास लगाई थी. लेकिन भारी बारिश के चलते फसल पूरी तरह से खराब हो गई. किसान की लागत भी जाती रही. बीमा कंपनी और विभाग ने बीमा देने से मना कर दिया. छह साल की लड़ाई के बाद अब कोर्ट ने बीमा की रकम देने के आदेश दिए हैं. तीन एकड़ जमीन पर फसल खराब हो गई थी. जबकि बीमा आठ एकड़ जमीन का हुआ था.
अमृत सरोवर के लिये 54088 उपयोगकर्ता-समूहों का गठन किया जा चुका है. ये उपयोगकर्ता-समूह अमृत सरोवर के विकास की पूरी प्रक्रिया के दौरान हर तरह से संलग्न रहेंगे.
किपल जैन चार साल से लगातार गुलाब की खेती कर रहे हैं और गुलाब जल तैयार कर रहे हैं. उनका सालाना टर्नओवर 15 लाख रुपये का है. कोरोना के संकट में भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उसके बाद गुलाब की पत्तियों को सुखाने के लिए ड्रायर लगवाया. इसके साथ ही सूखी पत्तियों का काम भी शुरू किया.
केन्द्र सरकार ने 31 मार्च 2023 को खाद्य तेलों के आयात शुल्क को 20 प्रतिशत कर दिया है. पहले यह शून्य था. किसानों को अब उम्मीद है कि स्थानीय बाजार में अब तेल की मांग पूरी करने के लिए सरसों की खरीद बढ़ेगी.
केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के सचिव राजेश कुमार सिंह के मुताबिक पशुओं की बीमारी एफएमडी फ्री घोषित होने पर हमारे देश से मीट और डेयरी प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट बढ़ जाएगा. कई बड़े विकसित देश हमारे नए ग्राहक बन जाएंगे.
मार्च का महिला लगभग खत्म हो गया है लेकिन लगातार हो रही बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही है. बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की फसलों को भारी नुकसान देखने को मिला. खासकर अगर गेहूं की फसल (Wheat Crop) की बात की जाएं तो गेहूं की फसल को भारी नुकसान हुआ.
2023 में 50,000 हेक्टेयर क्षेत्र में कपास के पौधे लगाए जाने की योजना है. यह पूरी योजना उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए है जहां रबर की खेती बड़े पैमाने पर शुरू हो चुकी है. इसी तरह दक्षिण गुजरात के इलाके में रबर को बढ़ावा देने के लिए नवसारी एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी और रबर बोर्ड के बीच एक करार हुआ है.
उतर भारत राज्य मे कपास में हानिकारक कीटों की रोकथाम और बेहतर उत्पादन के लिए रणनीत बनाने के चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में प्री-सीजन रिव्यू मीटिंग का आयोजन किया गया,विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.बी.आर.काम्बोज ने कृषि वैज्ञानिको से कहा कि समय-समय पर कपास पर आधारित संयुक्त एडवाइजरी जारी करते रहे.
मार्च के महीने में मौसम लगातार बदला है. महीने में छह पश्चिमी विक्षोभ एक्टिव हुए हैं. शुक्रवार सुबह धूप खिली, लेकिन दोपहर होते-होते आसमान में काले बादल मंडराने लगे हैं. हल्की ठंडी हवा चल रही हैं. मौसम केन्द्र का कहना है कि शुक्रवार को भी पश्चिमी विक्षोभ का असर प्रदेशभर में रहेगा. इसीलिए किसान इसकी तैयारी कर के रखें.
साल 1994 में गुजरात में चार एकड़ से झींगा की शुरुआत हुई थी. आज गुजरात में करीब चार हजार एकड़ जमीन पर झींगा पालन हो रहा है. वो भी उस जमीन पर जो खारे पानी के चलते किसी भी तरह की खेती लायक नहीं बची थी. गुजरात, आंध्रा प्रदेश के अलावा उत्तर भारत में पंजाब और हरियाणा में झींगा का पालन खूब हो रहा है अब तो राजस्थान के चुरू तक में पंजाब के किसान झींगा पालन कर रहे हैं.
यूपी सरकार किसानों को जायद और खरीफ सीजन की फसलों के बीज अनुदान पर वितरित कर रही है. इनमें मोटे अनाजों में शामिल मक्का, ज्वार और बाजरा भी है. सरकार कुछ फसलों के बीज मुफ्त में भी वितरित कर रही है. सरकार ने ऐसी अन्य योजनाओं की शेष व्यय राशि को मंजूरी दे दी है.
भारत में यूरिया की खपत, जो वर्ष 2021-22 के दौरान पांच वर्षों में पहली बार गिरी है, जो 2022-23 के अप्रैल-फरवरी के दौरान 341.18 लाख टन थी, वहीं वह पूरे 2021-22 वित्तीय वर्ष में 338.64 टन से अधिक थी.
राजस्थान में कृषि विभाग ने बीज और उर्वरक बेचान में शिकायतें मिलने पर छह उर्वरक एवं बीज विक्रेता फर्मों के लाइसेंस सस्पेंड कर दिए हैं. कृषि विभाग के अधिकारियों ने जांच कर 15 दिन के लिए लाइसेंस सस्पेंड करने के साथ-साथ स्पष्टीकरण भी मांगा है.
पेप्सिको इंडिया ने आलू की खेती करने वाले किसानों की राह आसान करने के लिए एक खास कदम उठाया है. आलू की फसल की देखभाल और समय से पहले इसमें लगने वाले रोग की जानकारी देने के लिए एक खास मोबाइल ऐप है तैयार किया है.
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