नागौर में वृहद किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “विकसित भारत-जी राम जी” योजना से गांव गरीबीमुक्त और आत्मनिर्भर बनेंगे. एमएसपी, डीबीटी सहायता, सड़क, आवास और रोजगार योजनाओं से किसानों और मजदूरों को सीधा लाभ मिलेगा.
Fish Care गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनीमल साइंस यूनिवर्सिटी (Gadvasu), लुधियाना के कॉलेज ऑफ फिशरीज की एडवाइजरी में कहा गया है कि सर्दी के मौसम में मछलियों के खानपान और उनके तालाब में भी बदलाव करना चाहिए. तालाब की साफ-सफाई भी बहुत जरूरी है.
भारत में अधिकतर किसानों के पास ट्रैक्टर पुराने ही होते हैं. मगर जरूरी नहीं है कि आपका ट्रैक्टर पुराना दिख रहा है तो चलेगा भी पुराने की तरह. अगर आप अपने पुराने ट्रैक्टर के साथ कुछ देसी उपाय अपनाएंगे और रखरखाव में कुछ अहम चीजों का ध्यान रखेंगे तो पुराने ट्रैक्टर की लाइफ भी कई सालों के लिए बढ़ सकती है. बूढ़े ट्रैक्टर को जवान बनाने के लिए हम आपको कुछ ऐसी ही देसी जुगाड़ बता रहे हैं.
भिलाई में 'रन फॉर फार्मर्स' इवेंट के साथ राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया गया. इस दौड़ में सभी उम्र के लोगों ने हिस्सा लिया, जिसमें एथलीट, पुलिस अधिकारी, भारतीय सेना के जवान और सीनियर सिटीजन शामिल थे. धवला फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस इवेंट का मकसद किसानों के योगदान का सम्मान करना और समाज में जागरूकता फैलाना था.
देहरादून में गन्ना किसानों की प्रमुख नकदी फसल है. यहां इंटरक्रॉपिंग नहीं अपनाने से हो रहा था नुकसान. बाद में KVK ढाकरानी की रिसर्च से 163 हेक्टेयर में 227 किसानों के साथ बड़ा प्रयोग किया गया. इंटरक्रॉपिंग की मदद से गन्ना और पंत उड़द-35 उन्नत किस्म की हुई खेती जिसके शानदार नतीजे मिले.
UP News: सीएम योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अपनी मेहनत से किसानों ने प्रगति की है. 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर संभाली, तब पहली बार किसान भी सरकार के एजेंडे का हिस्सा बना. धरती हमारी मां और हम सभी इसके पुत्र हैं, इसलिए पुत्र का दायित्व है कि जब मां बीमार या संकट में हो तो पुत्र उसे संकट से उबारने में योगदान देता है.
किसान दिवस पर यूपी राजभवन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मोती पालन परियोजना शुरू की. उन्होंने इसे किसानों की आय बढ़ाने वाला नवाचार बताया. परियोजना से रोजगार के नए अवसर बनेंगे और मोती पालन पर किसानों को 50 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ भी मिल सकता है.
नागौर के मेड़ता सिटी में आयोजित राज्य स्तरीय किसान सम्मेलन में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शिरकत की. कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 2 हजार करोड़ रुपये से अधिक की स्वीकृति दी गई और किसानों को 1,200 करोड़ रुपये का सीधा हस्तांतरण किया गया.
पलवल में धानुका एग्रीटेक रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी सेंटर में किसान दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया गया. इस कार्यक्रम के दौरान किसानों को खेती की नई तकनीकों, वैज्ञानिक फसल प्रबंधन और टिकाऊ कृषि पद्धतियों के बारे में जानकारी दी गई. डॉ. पी.के. सिंह, डॉ. हरीश वशिष्ठ और डॉ. आर.जी. अग्रवाल ने किसानों के लिए शिक्षा, इनोवेशन और टिकाऊ कृषि समाधानों के महत्व पर जोर दिया.
Wheat Price: मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की मंडियों में गेहूं के दाम MSP से ऊपर बने हुए हैं. कई बाजारों में भाव ₹2600 से ₹2900 प्रति क्विंटल तक पहुंचे हैं. जानिए दोनों राज्यों की प्रमुख मंडियों में गेहूं के ताजा भाव...
FSSAI ने साफ किया कि अंडों में कैंसर पैदा करने वाले पदार्थ नहीं, भारत का एग सेक्टर सुरक्षित और तेजी से बढ़ रहा है. भारत में अंडा बाजार का आकार बढ़ रहा है, और सरकार ने अफवाहों के बावजूद लोगों को भरोसा दिलाया.
Goat Milk साल के 12 महीने बाजार में डिमांड के मुताबिक बकरी का दूध मिल जाए. इमरजेंसी के दौरान जरूरतमंद को भी दूध के ज्यादा दाम न चुकाने पड़ें, इसके लिए केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा ने एक पहल शुरू की है. सीआईआरजी ने बकरी के दूध का पाउडर बनाने वाला प्लांट लगाया है. दूध से पाउडर कैसे बनाया जाए इसकी ट्रेनिंग भी सीआईआरजी दे रहा है.
बार्ट्रॉनिक्स इंडिया ने महाराष्ट्र में अपना पैन-इंडिया एग्रीटेक पहल शुरू किया है. कंपनी किसानों को डिजिटल प्लेटफॉर्म, बाज़ार, स्टोरेज सुविधाओं और लॉजिस्टिक्स सेवाओं से जोड़ने का काम कर रही है. अब इस पहल को उत्तर प्रदेश तक बढ़ाया जाएगा. इस कार्यक्रम से टेक्नोलॉजी के ज़रिए लाखों किसानों को सीधा फायदा होगा.
साल 1987 में उनके निधन के बाद भी उनका प्रभाव खत्म नहीं हुआ. उत्तर भारत की राजनीति में उनके उत्तराधिकारी और समर्थक आज भी उनकी विरासत का दावा करते हैं. चाहे मंडल राजनीति हो या किसान आंदोलनों की धारा, चरण सिंह की सोच की झलक आज भी दिखाई देती है. कुल मिलाकर, चौधरी चरण सिंह भारतीय राजनीति में एक पूरे दौर का प्रतिनिधित्व करते हैं.
अगर किसान 10 से 15 एकड़ जमीन में वैज्ञानिक तरीके से यूकेलिप्टस की खेती करते हैं, तो 4 से 5 साल में पेड़ कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. एक एकड़ में औसतन 400 से 450 पेड़ लगाए जा सकते हैं. बाजार में एक पेड़ की कीमत उसकी मोटाई और लंबाई के हिसाब से 800 से 3000 रुपये तक मिल जाती है. इस हिसाब से बड़े स्तर पर खेती करने पर कुल आमदनी 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है.
राजस्थान का जिक्र हो तो रेगिस्तान की तस्वीर ही जेहन में आती है. रेतीली हवा, ऊंटों का झुंड़ और कांटीली झाड़ियों के बीच अगर पानी की गुंजाइश ढूंढे तो बावड़ी ही एक सहारा थी. इससे पीने के अलावा खेतों की सिंचाई भी होती थी. आइए बावड़ी के बारे में सारी बातें जान लेते हैं.
Tips for Animal Care हर तरह का मौसम पशुओं पर विपरीत असर डालता है. और फिर गाय-भैंस हो या भेड़-बकरी, विपरीत मौसम के चलते ये तनाव (स्ट्रेस) में आ जाते हैं. सर्दियों का मौसम भी छोटे-बड़े सभी तरह के पशुओं पर विपरीत असर डालता है. जिसका नुकसान पशुपालक को कम उत्पादन के रूप में उठाना पड़ता है.
इस सीजन में काम की तेज रफ्तार यह बताने के लिए काफी है कि प्रमुख चीनी उत्पादक क्षेत्रों में पेराई गतिविधि में कितना सुधार हुआ है. चीनी रिकवरी दर में भी सुधार हुआ है. इस सीजन में, औसत चीनी निकालने का प्रतिशत 8.52 प्रतिशत है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 8.20 प्रतिशत था. यह आंकड़ा बताता है कि गन्ने की प्रोसेसिंग और बेहतर हुई है.
सिक्किम दुनिया का पहला 100% ऑर्गेनिक राज्य है, जहां खेती बिना केमिकल खाद और ज़हरीले कीटनाशकों के की जाती है. यहां के किसानों ने ऑर्गेनिक खाद से मिट्टी को मजबूत बनाया है और शानदार पैदावार हासिल की है. सिक्किम की खेती के तरीके स्वास्थ्य, पर्यावरण और किसानों की भलाई के लिए एक मॉडल हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसान सम्मान दिवस पर किसानों को ट्रैक्टर की चाबियां सौंपी और चौधरी चरण सिंह की जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की. उन्होंने चौधरी चरण सिंह बीज पार्क का उद्घाटन भी किया और किसानों की कड़ी मेहनत, नई टेक्नोलॉजी, समय पर बीज और खाद की उपलब्धता, और विभिन्न सरकारी योजनाओं के ज़रिए उत्तर प्रदेश में किसानों की समृद्धि को बढ़ावा देने का संदेश दिया.
इफको नैनोवेंशंस ने नैनो-बेस्ड फर्टिलाइजर जैसे नैनो यूरिया और नैनो DAP बनाए हैं. इनका प्रयोग अब पूरे भारत में किसान कर रहे हैं. इन प्रोडक्ट्स से फसलें पोषक तत्वों को आसानी से सोख लेती हैं. किसानों को कम खाद की जरूरत होती है. फिर भी उन्हें बेहतर फसल मिलती है, जबकि मिट्टी और पानी भी स्वस्थ रहते हैं.
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