इस मौसम में आलू की खेती कर रहे किसानों के लिए एक्सपर्ट्स ने ‘माउंडिंग अप’ यानी अर्थिंग तकनीक अपनाने की सलाह दी है. पौधों के बेस पर मिट्टी या कंपोस्ट चढ़ाने से ग्रोथ बढ़ती है, देर से पड़ने वाले पाले से बचाव होता है और जहरीले हरे कंद बनने का खतरा भी कम हो जाता है.
सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हुआ उसने एक बार फिर खाने में मिलावट के डर को सामने ला दिया है. इस बार यह रोजाना के एक पॉपुलर स्नैक, रोस्टेड चना से जुड़ा है. इस क्लिप को कंटेंट क्रिएटर @experimentalbhaiya ने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है और अब तक इसे 20 मिलियन से ज्यादा बार देखा जा चुका है. इसमें आरोप लगाया गया है कि कुछ बेचने वाले गैर-कानूनी तरीके से चने में एक इंडस्ट्रियल पीली डाई मिला रहे हैं .
Rabi Sowing: रबी सीजन 2025-26 में बुवाई तेजी से जारी है और इसमें पिछले साल के मुकाबले 33.53 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसमें मुख्य रूप से गेहूं में सबसे ज्यादा बढ़त दर्ज हुई है. इसके अलावा दालों और तिलहन में भी सकारात्मक रुझान है.
देश में कपास के दाम लगातार गिर रहे हैं और किसानों को MSP से 700–800 रुपये कम कीमत मिल रही है. जीरो इंपोर्ट ड्यूटी से जहां कपड़ा उद्योग को बड़ा फायदा हो रहा है, वहीं बढ़ते आयात और कमजोर मांग की वजह से किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा, जिससे वे कपास छोड़कर दूसरी फसलों की ओर जा रहे हैं.
बीजेपी नेता आर. अशोक ने कांग्रेस सरकार को किसान-विरोधी बताते हुए कहा कि सत्ता संघर्ष के कारण प्रशासन किसानों की समस्याएं नजरअंदाज कर रहा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी किसान मोर्चा सिंचाई, मुआवजा और खरीद में देरी के खिलाफ राज्यव्यापी प्रदर्शन करेगा.
सोनालीका ने एग्रोविजन 2025 में अपना पहला CNG/CBG ट्रैक्टर लॉन्च किया, जो कम कीमत पर ज़्यादा पावर और इको-फ्रेंडली खेती के लिए एक बेहतर ऑप्शन देता है. यह ट्रैक्टर सरकारी ग्रीन एनर्जी स्कीम के हिसाब से है और किसानों को सस्ते ट्रांसपोर्टेशन, कम फ्यूल की खपत और बेहतर परफॉर्मेंस के लिए एक नया सॉल्यूशन देता है.
जैसे-जैसे कपास की आवक बढ़ रही है, कीमतें MSP से नीचे रहने के कारण CCI ने खरीद तेज कर दी है और दैनिक खरीद एक लाख बेल पार कर रही है. इस सीजन में अब तक 8 लाख बेल खरीदी जा चुकी है, लेकिन बेमौसम बारिश और फसल की खराब क्वालिटी उद्योग के लिए बड़ी चुनौती बन गई है.
अगस्त की भारी बारिश से कंधवाला अमरकोट गांव के किसानों की फसलें बुरी तरह नष्ट हो गईं, लेकिन मुआवज़ा न मिलने से वे नाराज़ हैं. किसानों का आरोप है कि पहली सर्वे सही नहीं हुई, जिससे कई प्रभावित किसान राहत से वंचित रह गए. अब वे निष्पक्ष और नई सर्वे की मांग कर रहे हैं.
Lucknow News: प्रदेश में खादी ग्रामोद्योग, हस्तशिल्प और पारंपरिक कला को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं लागू की गई हैं. वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना पीएम एफएमई योजना और राज्य की सूक्ष्म उद्योग नीतियों के माध्यम से हजारों युवाओं को रोजगार मिला है.
पिछले साल हुए बंपर उत्पादन और गिरते दामों के कारण पश्चिम बंगाल में इस साल आलू की खेती का कुल रकबा स्थिर या थोड़ा घट सकता है. हुगली जैसे बड़े उत्पादक जिलों में बाढ़ से खेत जलमग्न होने के कारण बुवाई प्रभावित हुई है, जबकि नॉर्थ बंगाल में रकबे में बढ़ोतरी देखी जा रही है.
National Milk Day इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है कि ज्यादा दूध उत्पादन और कम लागत के लिए ऐसे चारे की जरूरत है जो कम खिलाया जाए और उत्पादन ज्यादा हो. मतलब ऐसा चारा जिससे प्रति किलोग्राम चारे में दूध का उत्पादन बढ़ सके. क्योंकि पशुपालक दूध की लागत कम होने और मुनाफा बढ़ने की लगातार उम्मीद लगाए हुए हैं.
कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि भारत में वर्तमान में लगभग 35,000 एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) हैं. इनमें से 10,000 सरकारी योजनाओं के तहत स्थापित किए गए हैं. मंत्रालय एक वेब-बेस्ड प्लेटफॉर्म शुरू करने की योजना बना रहा है. इसके जरिये से एफपीओ अपने सरप्लस प्रॉडक्ट्स को रजिस्टर कर सकेंगे ताकि व्यवसाय, होटल और रेस्तरां उन्हें सीधे खरीद सकें.
Crop Compensation: किसानों को जंगली जानवरों, विशेषकर जंगली सूअर, जंगली हिरण और नील गाय से भारी नुकसान के बाद यह नुकसान फसल बीमा के दायरे में नहीं आने के कारण किसानों को किसी प्रकार की सहायता नहीं मिल पाती थी.
जिला कृषि अधिकारी यूजे पटेल ने बाकी सभी किसानों से 28 नवंबर की आखिरी डेडलाइन से पहले आवेदन जमा करने की अपील की है और चेतावनी दी है कि अगर वे इस तारीख को फॉर्म नहीं भरते हैं तो उन्हें जरूरी आर्थिक मदद नहीं मिल पाएगी. इससे पहले, गुजरात सरकार ने उन किसानों के लिए 10,000 करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की थी
Goat Farming कई बार बकरी का डेटा रखने के बाद भी उसके हीट में आने का सही-सही पता नहीं चल पाता है. क्योंकि कोई बकरी सुबह हीट में आती है तो कोई देर शाम में. लेकिन बकरी पालन के दौरान गोट एक्सपर्ट के बताए कुछ उपायों का पालन करते हुए बकरियों की निगरानी की जाए तो वक्त रहते बकरियों के हीट में आने का पता लगाया जा सकता है.
उत्तर भारत में सर्दियों की दस्तक के साथ ही मौसम पूरी तरह से बदल चुका है और बदल चुका है किसानों के लिए बुआई का सीजन. पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी और मैदानी इलाकों में शीतलहर के साथ ही किसान भी रबी की फसलों की बुआई में जुट गए हैं. मौसम विभाग (IMD) ने इस बार कड़ाके की ठंड को लेकर अलर्ट जारी किया है और किसानों को तैयार रहने की सलाह दी है. वहीं दूसरी ओर कर्नाटक और तमिलनाडु समेत दक्षिणी राज्यों में बारिश का सिलसिला जारी है. देश में रबी का सीजन की फसलों की बुआई जोर-शोर से जारी है तो खरीफ फसलों की खरीद का काम भी एक तरफ चल रहा है. आपको खाद-बीज से लेकर, खेती और गार्डनिंग के टिप्स और किसानों के लिए जरूरी सरकारी योजनाओं की जानकारियां और देशभर में हो रहे बड़े घटनाक्रमों की हर अपडेट भी इस लाइव और लगातार अपडेट के साथ मिलती रहेगी.
अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने CRISPR तकनीक से ऐसा गेहूं विकसित किया है, जिसकी जड़ें मिट्टी में नाइट्रोजन फिक्स करने वाले बैक्टीरिया को सक्रिय कर खुद खाद तैयार कर सकती हैं. इससे प्रदूषण घटेगा, फर्टिलाइजर पर खर्च कम होगा और भारत जैसे देशों में किसानों को बड़ा फायदा मिल सकता है.
मौसम विभाग की ओर से तमिलनाडु, अंडमान-निकोबार, केरल, लक्षद्वीप और आंध्र प्रदेश में अगले दिनों भारी से बहुत भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है. बंगाल की खाड़ी में बन रहे दो लो-प्रेशर सिस्टम के कारण मौसम बिगड़ सकता है. उत्तर भारत में तापमान गिरने से शीतलहर और कोहरे की संभावना बढ़ी रहेगी.
आयुर्वेद में सोया बड़ी को पौष्टिक आहार की श्रेणी में रखा गया है. आयुर्वेद में सोया बड़ी को भारी, कम तेलीय और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाला कहा गया है. ये शरीर में वात को बैलेंस करता है, लेकिन अगर ज्यादा मात्रा में इसका सेवन किया जाए तो ये शरीर में पित्त की प्रवृत्ति को बढ़ा देता है.
डॉ राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा में 20 दिवसीय दीक्षारंभ कार्यक्रम शुरू हुआ. मुख्य अतिथि डॉ संजय कुमार सिंह ने डिजिटल एग्रीकल्चर और प्राकृतिक खेती जैसे नए कोर्सों की जानकारी दी. कुलपति ने कहा कि छात्र हित में बदलाव किए गए हैं और विश्वविद्यालय में लगभग 100% प्लेसमेंट होता है.
पूसा चना 4037 (अश्विनी) एक नई ज़्यादा पैदावार वाली, ज़्यादा प्रोटीन वाली और मशीन से काटी जा सकने वाली चने की किस्म है. यह फ्यूजेरियम विल्ट समेत कई बीमारियों के लिए रेसिस्टेंट है और उत्तर-पश्चिमी भारत के लिए सही है. डॉ. अश्विनी की याद में IARI ने इसे डेवलप किया है.
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