मछली पालन में पानी को साफ रखना जरूरी है ताकि मछलियों को बराबर मात्रा में ऑक्सीजन मिल सके. अगर आप मछली पालन कर रहे हैं या करने का मन बना रहें हैं तो रोहू, कतला, मृगल, ग्रास कार्प, कॉमन कार्प, सिल्वर कार्प जैसी मछलियां पाल सकते हैं.
बागवानी क्षेत्र में काम करने वाले कृषि वैज्ञानिक समय-समय पर लगने वाले आम के रोगों के नियंत्रण के लिए एडवाइजरी जारी करते रहते हैं. उन पर ध्यान रखें. कृषि वैज्ञानिक अनुसार आम में पहला छिड़काव मंजर निकलने के पहले किसी एक अनुशंसित कीटनाशक का करें. पहला छिड़काव इस तरह से किया जाता है कि कीटनाशक पेड़ के छाल के दरारों में छिपे मधुआ कीट तक पहुंचे. मंजर के समय बूंदाबादी हो जाने पर घुलनशील सल्फर या कार्बेन्डाजिम या हेक्साकोनालोज का स्प्रे करने की सलाह दी गई है.
पशुपालन विभाग सलाह दे रहा है कि पशुपालकों को अपने पशुओं को चरने के लिए तेज धूप में नहीं छोड़ना चाहिए. खूंटियों में पशुओं को कस कर बांधने से बचें. मृत पशुओं का निपटान चरागाह क्षेत्रों में न करें साथ ही पशुओं को ठंडी जगह पर रखें. इससे पशु की सेहत ठीक रहेगी और वो दूध देना कम नहीं करेंगे.
मुख्यमंत्री बुधवार की सुबह लगभग 7 बजे हल्द्वानी में अनुसूचित जाति मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष जीवन चंद्र आर्या जी के घर पहुंच गए. बिना किसी पूर्व सूचना और तामझाम के मुख्यमंत्री ने आर्या के घर अचानक आमद दर्ज कराई. एक क्षण के लिए आर्या को भी विश्वास नहीं हुआ कि सूबे के मुखिया उनके घर पधारे हैं. आनन-फानन में उन्होंने मुख्यमंत्री का स्वागत किया और अपने परिजनों को इसकी सूचना दी.
खजूर की खेती में किसान एक एकड़ में 70 पौधे लगा सकते हैं. खजूर के 20 पेड़ से किसान प्रतिवर्ष 10 लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं. जानकार किसान बताते हैं कि एक पेड़ से किसान एक साल में 50 हजार रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. इस तरह से किसान खजूर की खेती में बंपर कमाई कर सकते हैं.
मक्का की अफ्रीकन टॉल चारे की किस्म के अलावा किसान पशुओं को बरसीम, नेपियर घास, पैरा घास, गिनी घास व रिजका घास को भी हरे चारे के रूप में खिला सकते हैं. यह घास भी पशुओं के दूध की मात्रा बढ़ाने में सहायक होती है.
बेर भारत का प्राचीन और लोकप्रिय फल है. भारत में सबसे अधिक बेर का उत्पादन मध्य प्रदेश में होता है. यानी बेर उत्पादन के मामले में ये राज्य अव्वल है. वहीं बेर के ताजे फलों को खाया जाता है. इसके अलावा पके हुए फलों को सुखाकर छुआरा, कैंडी और शीतल पेय के रूप में भी उपयोग किया जाता है.
जम्मू-कश्मीर में अभी भी सर्दियां खत्म नहीं हुई हैं. इस मौमम में पशुओं को पेट संबंधी बीमारियां हो सकती हैं. इसलिए पशुओं को उचित आहार दिए जाने की सलाह दी दी गई. खाने में संतुलित मात्रा में खनिज दें क्योंकि इस दौरान पशुओं को संतुलित आहार नहीं देने से मिल्क फीवर और हाइपोमैग्नेसीमिया हो सकता है. इससे बचाव के लिए पशुओं को खाने में मैग्नीशियम और कैल्शियम की खुराक दें.
होली को रंग और गुलाल से खेलने के साथ-साथ दान-पुण्य के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है. लेकिन इस दौरान कुछ ऐसी चीजें भी होती हैं जिनका दान करना शुभ नहीं माना जाता है.
होली का त्योहार बहुत खास होता है. होली में लोग एक-दूसरे के साथ जश्न मनाते हैं और खुशियां बांटते हैं. होली रंगों का त्योहार है, लेकिन होली से ठीक एक दिन पहले होलिका दहन मनाया जाता है. इस साल होलिका दहन 24 मार्च को है. लेकिन होलिका दहन के दौरान आपकी एक गलती आपको रातों-रात कंगाल बना सकती है.
पशु विशेषज्ञों का कहना है कि लोबिया घास भी दूधारू मवेशियों के लिए फायदेमंद होता है. इसे खिलाने से गाय-भैसें ज्यादा दूध देने लगती हैं. कहा जाता है कि लोबिया घास औषधीय गुणों से परिपूर्ण है. इसमें प्रोटीन और फाइबर बहुत अधिक मात्रा में होता है.
भारत में सबसे अधिक सुगंधित और औषधीय पौधे का उत्पादन राजस्थान में होता है. यानी सुगंधित और औषधीय पौधे उत्पादन के मामले में राजस्थान राज्य अव्वल है. यहां के किसान हर साल बंपर मात्रा में इन पौधों की खेती करते हैं.
हिमांशु त्यागी ने इंडिया टुडे को बताया कि वह मौसम के हिसाब से बीज रहित खीरा और रंगीन शिमला मिर्च उगाते हैं. उन्होंने अप्रैल माह में खीरे और जून के अंत में रंगीन शिमला मिर्च लगाई. हिमांशु त्यागी ने यह भी कहा कि फूलों की खेती साल भर में 12 महीने होती रहती है. उन्होंने 1.5 करोड़ रुपये का निवेश करके 17 बीघे जमीन पर अपना पॉली-फार्म स्थापित किया और सरकार ने भी 50% सब्सिडी दी.
अपने टमाटर के पौधों में खाद डालने से पहले, मिट्टी परीक्षण जरूर करें. यह काम आप केवीके या व्यावसायिक मृदा परीक्षण सेवा के माध्यम से मिट्टी परीक्षण करवा सकते हैं. जिसके बाद आप यह तय कर सकते हैं कि आपके पौधों को खाद कि जरूरत है या नहीं. अगर है तो कौन से खाद कि जरूरत है.
मखाना रोपाई के अवसर पर डीएम ने बताया कि जब वे देवरिया जनपद में स्थानांतरित होकर आए, तो उन्होंने यहां की भौगोलिक स्थिति के बारे में जाना तो पता चला कि इस जनपद में 30 हज़ार हेक्टेयर भूमि लो लैंड और जलमग्न है.
शाही शहद की मांग देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है. किसान दशरथ बताते हैं कि मार्च माह में लीची के बगीचे में मधुमक्खी बक्से रखे जाते हैं. फिर वे लीची के पेड़ के रस से रस इकट्ठा करते हैं और इसे मधुमक्खी के बक्से में बने छत्ते में जमा करते हैं. इसके बाद शहद को निकालकर पैक कर दिया जाता है.
आम का उत्पादन भारत के लगभग सभी राज्यों में होता है. लेकिन, आम उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश भारत के सभी राज्यों में सबसे आगे है, जबकि यूपी सहित पांच राज्य ऐसे हैं, जहां भारत का कुल 65 प्रतिशत आम का उत्पादन किया जाता है.
बाजार से बादाम खरीदते समय आम लोग यह फर्क नहीं कर पाते कि शरीर को पोषण देने वाली जो चीज वे खरीदकर घर ले जा रहे हैं वह असली है या नहीं. इन चीजों में मिलावट इस तरह से की जाती है कि ये बिल्कुल असली जैसी दिखती हैं. लेकिन कुछ टिप्स अपनाकर आप असली और नकली बादाम में फर्क कर सकते हैं.
कमलेश मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2022 मार्च में इस पॉलीहाउस स्ट्रक्चर को लगाया गया था, जिसमें 43 लाख रुपये खर्च आया था. इसमें 20 लाख रुपये उत्तर प्रदेश सरकार से सब्सिडी मिली थी. फिलहाल इस वर्ष उन्हें 5 लाख रुपये लगाने पर 30 लाख रुपये की आमदनी हुई है.
किसानों को दिल्ली में गुरुद्वारा बंगला साहिब जाने से रोके जाने पर पुलिस प्रशासन के रवैये पर नाराजगी जताई तो दिल्ली आ रहे किसानों को रेलवे स्टेशनों पर रोके जाने पर राकेश टिकैत नाराज हो गए.
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