बारिश का मौसम अपने साथ हरियाली और ठंडक तो ले आता है, लेकिन ये मौसम पशुपालकों के लिए चिंता का सबब बन जाता है. दरअसल, बारिश के बाद खेत-खलिहानों में चारों तरफ हरी-हरी घास उग आती हैं, जिसे किसान काटकर अपने मवेशियों को चारे के तौर पर खिलाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बरसात के दिनों में उगी हर घास जानवरों के लिए फायदेमंद नहीं होती?
बकरी पालन में एक बड़ा मुनाफा उसका बच्चा भी होता है, तो इसलिए बच्चे का हेल्दी होना बेहद जरूरी है. क्योंकि बच्चा और दूध देने वाली बकरियों को दूसरी बकरियों के मुकाबले ज्यादा चारे और दाने की जरूरत होती है. ऐसे में बकरियों को क्या खुराक दें ये जान लीजिए.
एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो बरसाती बीमारियों की रोकथाम के लिए सबसे बढि़या उपाय है टीकाकरण. बकरियों के मामले में भी इसे अपनाया जा सकता है. क्योंकि अगर वक्त से बकरियों की जांच हो जाए, तय वक्त पर टीका लग जाए और बीमार होने पर सही इलाज करा दिया जाए तो मुनाफे को बढ़ाया जा सकता है.
खेती-किसानी में जुलाई के महीने में किसानों को क्या करना चाहिए, इस बात का भी ध्यान रखना काफी जरूरी होता है. ऐसे में बिहार कृषि विभाग की ओर से इस महीने किन फसलों में क्या करना है उसकी जानकारी दी गई है.
मॉनसून में गन्ने को 3 बेधक कीट भारी नुकसान पहुंचाते हैं. रासायनिक दवाओं का छिड़काव मुश्किल और कम प्रभावी होता है. इसका सस्ता और असरदार समाधान है ट्राइकोकार्ड. मात्र 100 रुपये में दो कार्ड इस्तेमाल कर सकते हैं. ये परजीवी कीट दुश्मनों के अंडे खाकर उन्हें खत्म कर देते हैं.
मथुरा के प्रगतिशील किसान सुधीर अग्रवाल ने बासमती चावल की खेती में एक खास तरीका अपनाया है, जिससे रासायनिक खाद की लागत मात्र 1000 रुपये प्रति एकड़ आती है और पैदावार बंपर होती है. चावल की सीधी बुवाई (DSR) करते समय, वह खेत में ढैंचा भी बोते हैं. 30-35 दिन बाद, ढैंचा को सड़ने दिया जाता है, जिससे यह प्राकृतिक खाद बन जाता है और चावल को नाइट्रोजन देता है. इससे जुताई, पानी और मेहनत की बचत होती है और चावल की बंपर पैदावार होती है.
बरसात के मौसम में नमी और गंदगी के कारण इस मौसम में बैक्टीरिया और वायरस तेजी से फैलते हैं, जिसके कारण सर्दी, खांसी, बुखार, त्वचा संबंधी समस्याएं और पेट से जुड़ी समस्याएं बहुत बढ़ जाती हैं. आइए जानते हैं इस दौरान खुद का ख्याल कैसे रखें?
Tomato Farming Tips: बरसात के मौसम में टमाटर की बागवानी में कई समस्याएं आती हैं, जिससे किसान परेशान रहते हैं. ऐसे में आप इन तीन आसान काम को करके बंपर पैदावार ले सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे.
खरीफ सीजन में मकई की खेती करने का फायदा यह होता है कि इसमें सिंचाई की जरूरत नहीं होती क्योंकि बरसाती पानी से ही खेत की नमी का काम चल जाता है. ऐसे में किसान कम लागत में अधिक पैदावार बढ़ा सकें और अपनी आमदनी बढ़ा सकें. इसके लिए कृषि एक्सपर्ट किसानों को विशेष सलाह देते हैं.
अपराजिता में एंटीमाइक्रोबियल, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और मानसिक शक्ति बढ़ाने वाले गुण भी होते हैं. अगर आप ऐसा पौधा चाहते हैं जो आपके बगीचे की खूबसूरती बढ़ाने के साथ-साथ आपकी सेहत का भी ख्याल रखे तो अपराजिता आपके लिए बिल्कुल सही विकल्प है.
सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों को कृषि एक्सपर्ट ने जरूरी सलाह दी है, जिन्हें फॉलो कर किसान अच्छे से फसल का ध्यान रख सकते हैं. वर्तमान में कज्यादातर जगहों पर मॉनसून तो पहुंच चुका है. लेकिन कई जगहों पर मिट्टी काे पर्याप्त नमी देने लायक बारिश नहीं हुई है.
लातूर के हाडोलती गांव में 75 वर्षीय किसान दंपति अंबादास और मुक्ताबाई पवार ने गरीबी के चलते खुद हल जोतकर खेत में बुआई की. बैल, मजदूर या मशीन का खर्च न उठा पाने के कारण वे खुद ही खेती करते हैं. वीडियो वायरल होने के बाद महाराष्ट्र विधानसभा में हंगामा हुआ, विपक्ष ने चर्चा की मांग की.
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