झारखंड के हजारीबाग जिले के किसान अब एक खास तकनीक से टमाटर की खेती कर रहे हैं. इस तकनीक से टमाटर की खेती करने पर बारिश में भी पौधे खराब नहीं होते हैं. साथ ही बंपर उपज भी मिलती है.
बैटरी से चलने वाली गाड़ियों का जमाना आ चुका है. सड़कों पर ऐसी गाड़ियों का रेला दिख रहा है. इससे डीजल और पेट्रोल के खर्च में कमी आई है. अब ऐसा ही हाल ट्रैक्टरों में भी देखने को मिलेगा. महाराष्ट्र में ई-ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन हुआ है. इससे ट्रैक्टर पर आने वाला खर्च 70 परसेंट तक घट जाएगा.
बरसात के मौसम में ट्रैक्टर का रख-रखाव बेहद जरूरी है, क्योंकि नमी, कीचड़ और लगातार गीले वातावरण से मशीन जल्दी खराब हो सकती है. अगर ट्रैक्टर की सही देखभाल नहीं की गई तो किसान को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. अगर ट्रैक्टर की सही देखभाल नहीं की गई तो इंजन, ब्रेक, इलेक्ट्रिकल पार्ट्स और टायर जल्दी खराब हो सकते हैं.
UP News: इस संबंध में प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि किसान फसल उत्पादन लागत को कम करने के साथ ही जल संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएमकुसुम) योजना के अन्तर्गत आवेदन कर सकते हैं.
TAFE और AGCO के बीच एक बड़ा समझौता हुआ है जिसमें Massey Ferguson ब्रांड के अधिकार, व्यापारिक रिश्ते और शेयरों का पूरा समाधान शामिल है. जानिए इस समझौते से भारतीय ट्रैक्टर उद्योग और किसानों को क्या फायदा होगा.
खरीफ फसलों की बुवाई करने जा रहे हैं तो खेत की अच्छी तैयारी होनी चाहिए तभी आपको अच्छी पैदावार मिलेगी. खेत की बेहतर तैयारी के लिए आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल करें इस खबर में ऐसे ही खास कृषि यंत्र के बारे में बताया गया है.
जून 2025 में महिंद्रा की ट्रैक्टर बिक्री के आंकड़े भारतीय कृषि क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव की ओर इशारा करते हैं. अच्छी बारिश, सरकारी योजनाएं और बेहतर उत्पादन ने किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है, जिसका असर ट्रैक्टर की मांग में दिख रहा है. आने वाले महीनों में भी इसी तरह की ग्रोथ की उम्मीद की जा रही है.
दिल्ली में पहली बार कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) के जरिए वायु प्रदूषण से राहत दिलाने की कोशिश की जा रही है. इस प्रक्रिया को क्लाउड सीडिंग कहते हैं. जानिए क्लाउड सीडिंग क्या है, कैसे काम करती है और इसमें IIT कानपुर की क्या भूमिका है.
स्वराज डिवीजन को राजस्थान सरकार द्वारा भामाशाह अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. ग्रामीण शिक्षा, वर्षा जल संचयन और जल संकट समाधान में इसके योगदान ने हजारों लोगों की जिंदगी बदली है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने तकनीकी खेती के लिए किसानों को बड़ी सौगात दी है. अब किसान कृषि ड्रोन और मशीनरी पर सब्सिडी पा सकते हैं. जानिए कैसे करें आवेदन और क्या है पूरी प्रक्रिया.
ईसी टावर से प्राप्त डेटा से वैज्ञानिक सिंचाई, जल उपयोग, फसल उत्पादकता और जलवायु प्रभावों का सटीक आकलन कर सकेंगे, जिससे बिहार में टिकाऊ खेती और जलवायु-लचीली कृषि नीतियों को बढ़ावा मिलेगा.
धान जल प्रधान फसल है जिसमें पानी की बहुत जरूरत होती है. पानी के इस खर्च को देखते हुए नई तकनीकों का इजाद किया जा रहा है. इन तकनीकों की मदद से खेती की लागत, श्रम और पानी की बचत की जा रही है. ऐसी ही एक तकनीक है डीएसआर जिसके बारे में यहां जानने की कोशिश करेंगे.
Weed Control: खरपतवार नियंत्रण के लिए मिट्टी पलट जुताई, समय पर निराई, और गहरी जड़ों वाले खरपतवारों की बार-बार कटाई जैसे उपाय कारगर हैं. इन विधियों से फसल की पैदावार बढ़ाई जा सकती है.
Top 7 Tractor: भारत में बागवानी के लिए सबसे अच्छे 7 ट्रैक्टर मॉडल के बारे में जानें-कीमत, इंजन पावर और विशेषताएं. छोटे बागवानों और अंगूर के बागवानों के लिए सबसे हल्के और मजबूत ट्रैक्टर की जानकारी यहां पाएं.
ICRISAT ने एक नई तकनीक विकसित की है जो मिनटों में मिट्टी की सेहत की जांच करती है. जानिए कैसे यह विधि किसानों को बेहतर फसल पाने और लागत बचाने में मदद करती है.
UP Agriculture News: इस तकनीकी अभियान में महिलाएं भी पीछे नहीं हैं. राज्य के 15 जिलों की 26 महिला किसानों ने आधुनिक कृषि यंत्रों की कमान संभाल ली है. ये महिलाएं न केवल खेती कर रही हैं, बल्कि मशीनों के संचालन और प्रबंधन में भी कुशलता से काम कर रही हैं.
केंद्र सरकार अब गांव-गांव में ‘कृषि क्लीनिक’ खोलने जा रही है, जिससे क्लीनिक किसानों को कीट नियंत्रण, बीज चयन और खेती से जुड़ी समस्याओं का तुरंत समाधान मिल सकेगा. जानिए इस नई योजना के फायदे और इसका किसानों की ज़िंदगी पर क्या असर पड़ेगा.
UP News: इस योजना की निगरानी राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर की जाएगी. साथ ही IoT, SCADA, GIS और सैटेलाइट तकनीकों की मदद से पानी की आपूर्ति और उपयोग पर स्मार्ट नज़र रखी जाएगी. निगरानी राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर होगी. वहीं जल शक्ति मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में केंद्रीय समिति बनेगी.
खेती योग्य जमीन घटने के बावजूद, किसान अब हाई-डेंसिटी बागवानी से शानदार मुनाफा कमा सकते हैं. यह आधुनिक तकनीक कम जमीन में भी फलों की पैदावार कई गुना बढ़ा देती है. आम और अमरूद के शौकीनों के लिए यह एक बेहतरीन अवसर है. अमरूद में पारंपरिक तरीकों की तुलना में दो से आठ गुना ज्यादा उपज मिल सकती है. वहीं, आम में भी दो से तीन गुना अधिक पैदावार संभव है.
केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बिहार के खगड़िया में 50,000 मीट्रिक टन क्षमता वाले अत्याधुनिक साइलो गोदाम का उद्घाटन किया. इस गोदाम से अनाज का भंडारण बेहतर, सुरक्षित और कम जगह में संभव हो सकेगा, जिससे किसानों और देश की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी.
खेती की दुनिया में आधुनिक मशीनों ने क्रांति ला दी है. यह लेख ASPEE की टॉप 5 कृषि मशीनों पर केंद्रित है जो खेती को आसान, तेज़ और अधिक उत्पादक बनाती हैं. ट्रैक्टर, कंबाइन हार्वेस्टर, सीड ड्रिल, पावर टिलर और स्प्रेयर – ये सभी मशीनें किसानों की मेहनत को कम करते हुए उपज बढ़ाने में मदद करती हैं.
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