CCI के 12% से अधिक नमी वाली कपास खरीदने से इनकार करने के कारण तेलंगाना के कई जिलों के किसान अपनी उपज निजी व्यापारियों को MSP से कम दाम पर बेचने को मजबूर हैं. लगातार तीसरे साल घाटे से जूझ रहे किसान मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
इंटरक्रॉपिंग कनीक को अपनाकर किसान न सिर्फ अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं बल्कि एक साथ कई फसलों की खेती भी कर रहे हैं. इंटरक्रॉपिंग का मतलब है एक ही खेत में एक साथ दो या दो से अधिक फसल उगाने की तकनीक.
मछली पालकों के लिए तालाब में चारा डालना और दवा छिड़कना एक बड़ी चुनौती थी. इसमें चारा बर्बाद होता था और पानी गंदा होने से मछलियाँ बीमार पड़ती थीं. इस समस्या को हल करने के लिए, एक किसान ने 'देसी जुगाड़' से एक सस्ती 'पैडल नाव' बनाई है. यह नाव कबाड़ में पड़ी प्लास्टिक की कैन, लोहे के फ्रेम और साइकिल के हिस्सों से बनी है.
UP News: उत्तर प्रदेश ही वह राज्य है जहां भारत का पहला एआई-अग्मेंटेड बहुविषयक विश्वविद्यालय उन्नाव में स्थापित किया जा रहा है. यह संस्थान छात्रों को एआई, रोबोटिक्स, डेटा साइंस तथा साइबर सुरक्षा जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण देगा.
CNH ने पुणे में नया पार्ट्स डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर शुरू किया है, जिससे दक्षिण और पश्चिम भारत के किसानों को अब कृषि मशीनों के पार्ट्स तेज़ी से मिलेंगे. यह अत्याधुनिक केंद्र गन्ना और कॉम्बाइन हार्वेस्टर जैसी मशीनों की सेवा को और बेहतर बनाएगा.
तेलंगाना सरकार ने एक करोड़ किसानों के लिए जमीन का ‘आनंद सर्वेक्षण’ शुरू करने की तैयारी की. सर्वे के बाद जारी होगा ‘भू-धार कार्ड’, जो आधार की तरह किसानों की भूमि पहचान का डिजिटल दस्तावेज बनेगा.
कपास किसानों के लिए आधार-आधारित ‘कपास किसान’ ऐप के जरिए रजिस्ट्रेशन सिस्टम पंजाब में ठप पड़ा है. रजिस्ट्रेशन की ढील के बावजूद किसान ऐप से दूरी बना रहे हैं, जिससे मंडियों में CCI की MSP खरीद बेहद कम रही है.
एसोचैम की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को कृषि तकनीक के बिखरे ढांचे से बाहर निकलकर एकीकृत एग्री-टेक प्रणाली अपनानी होगी. रिपोर्ट के अनुसार, 86% किसान अभी तकनीक से वंचित हैं. इसके लिए राज्य-स्तरीय सैंडबॉक्स, डेटा कॉमन्स और नीति आयोग की निगरानी की सिफारिश की गई है.
भारत के नंबर 1 ट्रैक्टर ब्रांड सोनालीका ने बांग्लादेश में अपने डिस्ट्रीब्यूटर ए सी आई मोटर्स के साथ एक ही दिन में 350 ट्रैक्टरों की अब तक की सबसे बड़ी डिलीवरी करके गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज किया. जानिए कैसे सोनालीका किसानों के सपनों को सशक्त बना रहा है.
ओडिशा के किसान बिराजा प्रसाद पंडा ने एक जादुई रैक बनाया है, जो दो बड़ी समस्याओं को एक साथ हल करता है. पराली जलाना और शहरों में जगह की कमी. इस रैक की लागत बहुत कम है और इसे खास तौर पर बालकनी या छत जैसी छोटी जगहों के लिए डिजाइन किया गया है. इस रैक में बेकार समझी जाने वाली धान की पराली का इस्तेमाल करके आसानी से पौष्टिक मशरूम उगाए जा सकते हैं.
तेलंगाना के कपास किसान इन दिनों CCI (कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) के नए खरीद नियमों से परेशान हैं. डिजिटल रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया, कपास खरीद की घटाई गई सीमा (12 से 7 क्विंटल प्रति एकड़) और बारिश से बढ़ी नमी जैसी दिक्कतों ने फसल बेचने की प्रक्रिया को मुश्किल बना दिया है.
भारत में खेती अब तकनीक के सहारे बदल रही है. ड्रोन, एआई, रोबोट और ब्लॉकचेन से किसान बन रहे हैं स्मार्ट, लागत घटेगी और पैदावार बढ़ेगी.
तेलंगाना के एक किसान, श् रिपल्ले शनमुखा राव, ने 'देसी जुगाड़' से एक कमाल की मशीन बनाई है। खेती में निराई-गुड़ाई एक बड़ी समस्या थी। मजदूरों से काम महंगा पड़ता था और पुरानी मशीनें थका देती थीं व फसल को नुकसान पहुंचाती थीं।इस परेशानी को हल करने के लिए, शनमुखा ने कबाड़ के सामान का इस्तेमाल क एक ऐसी बना दी। इसमें दो की जगह सिर्फ एक पहिया है, एक पहिया वाली मशीन किसान बैठे-बैठे सब काम कर सकता है इससे पैसे की बचत के साथ किसान को कई काम बेहद आसान हो जाएगी किसान आराम हो जाएगा.
भाकृअनुप (ICAR) की लो टनल तकनीक से ठंड के मौसम में भी सब्जियों की खेती करें. कम लागत में पाएं फसल 30-40 दिन पहले और ऑफ-सीजन में अधिक मुनाफा. जानें विधि, फायदे और उपयुक्त फसलें.
मध्य प्रदेश के धार ज़िले के किसान सीताराम निगवाल ने 30 वर्षों के अनुभव से खेती का एक क्रांतिकारी मॉडल, विकसित किया है. एक ही खेत में, एक ही समय पर कई लेयर पर फसलें उगाते हैं और जमीन के हर इंच का पूरा उपयोग करते हुए इसी 'स्मार्ट' खेती से वह प्रति वर्ष लाखों का भारी मुनाफा कमा रहे हैं, जो पारंपरिक खेती से कई गुना अधिक है.
धान खरीदी सीजन 2025–26 में किसानों को मंडी की लंबी कतारों से राहत देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने ‘टोकन तुहर हाथ’ मोबाइल ऐप लॉन्च किया है, जिससे किसान अब घर बैठे ऑनलाइन टोकन हासिल कर सकेंगे.
कोटा, राजस्थान के एम.कॉम पास किसान मनोज खंडेलवाल ने अमरूद की खेती में कमाल कर दिया है. खेती में सात साल का अनुभव लेने के बाद मनोज जी समझ गए कि बंपर मुनाफे के लिए पारंपरिक खेती छोड़कर कुछ नया करना होगा. इसी सोच के साथ उन्होंने 6 हेक्टेयर जमीन पर पारंपरिक खेती छोड़ नई 'स्मार्ट' तकनीक अपनाई.
खेती में कम जगह होना एक बड़ी चुनौती है. लेकिन, 'इनोवेटिव फार्मर' इसका भी हल निकाल रहे हैं. ऐसा ही एक 'सीक्रेट' है 'स्टोली सिस्टम. यह खेती करने का एक बहुत ही खास और नया तरीका है. इस सिस्टम या तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि किसान बहुत कम जमीन पर भी बंपर पैदावार ले सकते हैं. यह सिस्टम उन किसानों के लिए एक वरदान है क्योकि नई तकनीक अपनाकर कम लागत और कम जगह में भी खेती से बंपर पैदावार लेकर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है.
University of Sydney और Australian National University की टीम ने एंजाइम Rubisco को संकुचित स्थान में रखने वाले ‘ऑफिस’-साइज नैनो-स्ट्रक्चर बनाए हैं. यह काम अभी प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट है, लेकिन सफल हुआ तो फसलों की पैदावार बढ़ने के साथ संसाधनों का इस्तेमाल कम होगा.
Agriculture News: बाराबंकी के दौलतपुर गांव निवासी पद्मश्री किसान रामशरण वर्मा ने आगे बताया कि पहले हम लोग हाथ से आलू की बुवाई करते थे जिससे समय और मजदूरी दोनों ज्यादा लगती थी. लेकिन अब आलू रोपण ट्रैक्टर की मदद से खेत में आसानी से बुवाई कर रहे है.
हरियाणा के हिसार निवासी किसान राजेंदर पुनिया ने खेती की लागत और मजदूरों की कमी जैसी समस्याओं का शानदार हल निकाला है. उन्होंने अपने 'देसी जुगाड़' से कई मशीनें बनाई हैं. इसमें धान की सीधी बिजाई कर, पारंपरिक रोपाई का झंझट खत्म करती है, जिससे 95-100% अंकुरण मिलता है और पैदावार 5-6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर बढ़ती है. इसके अलावा, उन्होंने 'टारज़न' नाम की एक बहु-उपयोगी, बिना ट्रैक्टर के चलने वाली मशीन बनाई है, जो लेवा, खरपतवार नियंत्रण, खाद डालने और स्प्रे करने जैसे कई काम करती है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today