ड्रोन के काम करने के तरीके को देखकर इकदिल क्षेत्र के ग्राम फुफई के निवासी किसान कोमल सिंह ने इस तकनीक को अच्छा बताया है. उन्होंने कहा कि यूरिया खाद की बचत होगी फायदा ज्यादा होगा लेबर का खर्चा बचेगा. लेकिन जब इसका प्रयोग करेंगे तब सच्चाई पता चलेगी कि कीमत इसकी कितनी ज्यादा है.
ड्रोन के काम करने के तरीके को देखकर इकदिल क्षेत्र के ग्राम फुफई के निवासी किसान कोमल सिंह ने इस तकनीक को अच्छा बताया है. उन्होंने कहा कि यूरिया खाद की बचत होगी फायदा ज्यादा होगा लेबर का खर्चा बचेगा. लेकिन जब इसका प्रयोग करेंगे तब सच्चाई पता चलेगी कि कीमत इसकी कितनी ज्यादा है.
यूपी के बाराबंकी जिले के देवाब्लॉक के दफेदार पुरवा में फूलों की खेती करने वाले किसान मोइनुद्दीन ने अपनी कुशलता से गांव को फूलों की खेती के लिए आदर्श बना दिया है. उन्होंने साल 2002 में वकालत छोड़कर फूलों की खेती करना शुरू किया और लाखों की आमदनी प्राप्त कर रहे हैं.
भारत में अब ई-सिम (e-sim) के इस्तेमाल को लेकर बहस तेज हो गई है. दिग्गज फोन निर्माता कंपनी एप्पल पहले ही ई-सिम की जोरदार वकालत कर चुकी है, जबकि एयरटेल ने भी ई-सिम को लेकर सकारात्मक नजरिया जाहिर किया है. फोन खोने या चोरी होने पर ई-सिम को निकाला नहीं जा सकता है और इसे ट्रेस करना आसान हो जाता है.
मछलीपालन और बत्तखपालन एक नया और लाभकारी विकल्प हो सकता है. बत्तख को मछलीपालन के साथ पालने से दोनों को एक दूसरे से सहयोग मिलता है और उत्पादन लागत में भी कमी आती है. बत्तखों को मछलीपालन के तालाब में रखने से तालाब की सफाई में भी मदद मिलती है, क्योंकि वे गंदगी को खाते हैं और तालाब का ऑक्सीजन लेवल बनाए रखते हैं, जिससे मछलियों को भी अच्छा वातावरण मिलता है.
हरियाण के करनाल की सीमा ने ऑस्ट्रेलिया की नौकरी छोड़कर भारत में आधुनिक तरीके से खेती को अपना विकल्प चुना. अब अनूठी किस्म की सब्जियों, फलों की खेती उन्हें ख्याति दिलाने के साथ अवॉर्ड भी दिला रही है. वह 3 लाख रुपये किलो कीमत में बिकने वाले अनूठे मशरूम को उगा रही हैं और महिलाओं को आधुनिक खेती की ट्रेनिंग भी दे रही हैं.
जब राज्य में लगातार दो बार सूखा पड़ा और धान की रोपाई ढंग से नहीं हो पाई तब विभाग का ध्यान इन योजनाओं की तरफ गया. इसके बाद जब फसल नुकसान का आकलन किया गया तब यह पता चला की कई जगहों पर रोग और कीट के कारण भी फसलों को काफी नुकसान हुआ है.
सत्ययुक्त एनालिटिक्स प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक और सीईओ सत कुमार तोमर ने कहा कि ग्रामवन कर्नाटक सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य किसानों को उनके गांव में ही सरकार से नागरिक (जी2सी) और बिजनेस टू कस्टमर (बी2सी) सेवाएं प्रदान करना है. उन्होंने कहा कि सत्ययुक्त ने पूरे कर्नाटक में ग्रामवन के माध्यम से अपनी सैट2फार्म बी2सी सेवाएं प्रदान करने में सफलता पाई है.
बताया जा रहा है कि कई चरणों में इस प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा तथा पहले चरण में मुख्यतः 15 गांवों में ड्रोन सर्वे को अंजाम दिया जाएगा. वहीं, ड्रोन सर्वे की इस सारी प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए 6 महीने की समय सीमा निर्धारित की गई है.
Potato farming : आलू की बीमारियों में सबसे खतरनाक रोग पछेती झुलसा है. यह बीमारी लगने से 60-90 फीसदी तक का नुकसान होता है. इसके अलावा, आलू में अगेती झुलसा रोग और भूरा सड़न रोग से आलू की फसल को काफी नुकसान होता है. इसके लिए सबसे ज़रूरी है कि बीमारी को पहचाना जाए, क्योंकि जब तक इसकी पहचान नहीं होगी, तब तक इसका प्रबंधन भी मुश्किल है. आइए जानते हैं इस रबीनामा सीरीज में आलू में लगने वाले रोगों की पहचान और रोकथाम के बारे में.
उर्वरक प्रमुख इफको ने ड्रोन निर्माता कंपनी पारस एयरोस्पेस को 42.2 करोड़ रुपये की लागत के 400 एग्रीकल्चर ड्रोन की आपूर्ति करने का ऑर्डर दिया है. उम्मीद की जा रही है कि दिसंबर के मध्य तक ड्रोन डिलीवरी की शुरुआत हो जाएगी. यह ड्रोन फसलों के रखरखाव और छिड़काव लागत और समय को घटा देंगे.
VST New launch tractor: हाल में जर्मनी (Germany) के शहर हेनोवर में एग्रीकल्चर से जुड़ा एक्सपो एग्रीटेक्निका (Agritechnica) का आयोजन किया गया जिसमें वीएसटी टिलर्स एंड ट्रैक्टर्स ने 3 नए ट्रैक्टर लॉन्च किए जिसमें से एक इलेक्ट्रिक है. जानिए क्या खास फीचर्स हैं इन ट्रैक्टर्स में
BharatRohan Agritech startup: एग्रीकल्चर में तेजी से उभरता स्टार्टअप भारतरोहण अब एक्सपोर्ट बिजनेस में भी अपने पंख फैला रहा है. भारतरोहण किसानों को ड्रोन की मदद से प्रिसिजन फार्मिंग करने की सर्विस देते हैं और अब ये कंपनी मसालों के एक्सपोर्ट में भी आगे बढ़ रही है.
बांस ने साबित किया है कि यह किसी भी परिस्थिति में अपना विकास करने में सक्षम है, क्योंकि यह अपनी जलवायु विविधता के अनुरूप बदलाव लाने की क्षमता के कारण संजीवनी पौधा है. चाहे बाढ़ हो या सुखाड़, रेगिस्तान, या पहाड़ी इलाका हो, बांस आसानी से उग जाता है. यह उपजाऊ या बंजर जमीन में भी सफलता से उग सकता है.
भारत दूध का सबसे बड़ा प्रोड्यूसर है. लेकिन, ग्रामीण क्षेत्रों में माइक्रोऑर्गनिज्म गतिविधि और परिवहन सुविधाओं की कमी के कारण दूध का एक बड़ा हिस्सा खराब हो जाता है. मिल्क डेयरी में दूध बेचकर आमदनी और पशु के खर्च का इंतजाम करने वाले छोटे किसानों का अकसर कच्चा दूध ज्यादा देर तक रखने से उसकी क्वालिटी गिर जाती है, जो डेयरी पर दूध की कीमत को कम कर देती है. इससे निजात दिलाने के लिए कम खर्च वाली कूलिंग यूनिट विकसित की गई है.
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के 'myAadhaar' पोर्टल पर, जाकर कोई व्यक्ति यह जांच सकता है कि उसका कौन सा बैंक खाता उसके आधार नंबर से जुड़ा हुआ है. अगर आपका अकाउंट आधार से लिंक नहीं है, तो आप किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं उठा पाएंगे. आपके खाते में योजना की राशि जारी नहीं की जाएगी.
राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश, बिहार और गुजरात में सरसों, तोरिया, राई की खेती कर रहे किसानों ने बड़े पैमाने पर की है, लेकिन इन फसलों की उपज को कम करने में सबसे बड़ी चुनौती हानिकारक कीटों से है, इसलिए सजग रहना अत्यंत जरूरी है, अन्यथा ये कीट भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं. इस रबीनामा सीरीज में जानेंगे कि सरसों, तोरिया, राई में लगने वाली हानिकारक कीटों के खिलाफ कैसे रोकथाम की जा सकती है.
Fuel efficient tractors: ट्रैक्टर खरीदते वक्त किसान कीमत को ध्यान में रखने के अलावा फ्यूल एफिशिएंसी के फैक्टर को भी देखते हैं. जानिए 40HP वाली रेंज में कौन से ट्रैक्टर हैं जो अच्छा माइलेज देते हैं.
रबी फसलों की बुवाई का काम तेजी से चल रहा है. कई फसलों के रोग बीज जनित होते हैं. ये रोगज़नक़ बीज बोने के बाद अनुकूल परिस्थितियों में अपनी रोगजनक उग्रता बढ़ा देते हैं और फसलों में बीमारी उत्पन्न कर देते हैं. इससे बोई गई फसल को काफी नुकसान होता है. आज के रबीनामा सीरीज में जानेंगे कि रबी फसलों में फंगस रोग रोकने के क्या करें उपाय?
धान की कटाई के बाद उसे पुआल से अलग करने कि प्रक्रिया के लिए थ्रेसिंह की जाती है. पारंपरिक थ्रेसिंग हाथ, बैल या ट्रैक्टर से की जाती है. पारपंरिक थ्रेशिंग प्रक्रिया में काफी वक्त और मेहनत लगता है साथ ही इसमें धान की बर्बादी भी होती है. पर अब धान की थ्रेसिंग के लिए थ्रेसर मशीनों का इस्तेमाल होता है.
Best 5 Mini tractors: महिंद्रा, स्वराज, सोनालीका और मैसी के अलावा बाकी ट्रैक्टर कंपनी ने भी मिनी ट्रैक्टर की रेंज मार्केट में उतार दी है. ये ट्रैक्टर खेती के साथ साथ बागवानी के लिए बेस्ट हैं और कीमत 3 लाख रुपये से भी कम है.
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