रासायनिक खादों के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता लगातार खराब हो रही है. ऐसे में इसकी जांच के लिए कृषि वैज्ञानिक सॉइल टेस्टिंग मशीन तैयार कर रहे हैं. इसकी मदद से किसान यह जान सकेंगे कि उनकी मिट्टी का स्तर क्या है और उसमें कितने सुधार की जरूरत है. आपको बता दें कि पतंजलि योगपीठ 1 लाख किसानों को जैविक खेती से जोड़कर धरती और पर्यावरण को स्वस्थ रखने का काम कर रही है. इसी कड़ी में पतंजलि ने किसानों के लिए सॉइल टेस्टिंग मशीन लॉन्च की है.
पेप्सिको इंडिया ने आलू की खेती करने वाले किसानों की राह आसान करने के लिए एक खास कदम उठाया है. आलू की फसल की देखभाल और समय से पहले इसमें लगने वाले रोग की जानकारी देने के लिए एक खास मोबाइल ऐप है तैयार किया है.
बारिश के अलावा की कमी को दूर करने के लिए किसान फसलों में सिंचाई करते हैं. सिंचाई अलग-अलग तरीकों से भी की जाती है. किसान अपनी सुविधा के अनुसार सिंचाई विधि को अपनाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं किन किन सिंचाई विधि का इस्तेमाल किया जाता है.
हाल ही में 24-25 मार्च को पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (PAU), लुधियाना में किसान मेले का आयोजन किया गया था. मेले में रिमोट से चलने वाली धान रोपाई की मशीन का प्रदर्शन भी किया गया था. रोपाई के लिए किसान को अब खेत में नहीं उतरना पड़ेगा.इस मशीन को देखने के लिए दो दिन तक खासी भीड़ उमड़ती रही.
गिर गाय की क्लोनिंग पर वैज्ञानिकों की टीम पिछले दो साल से काम कर रही थी. इस टीम में डॉ. नरेश सेलोकर, मनोज कुमार सिंह, अजय असवाल, एस.एस. लठवाल, सुभाष कुमार, रंजीत वर्मा, कार्तिकेय पटेल और एमएस चौहान शामिल रहे. टीम के सभी वैज्ञानिक और डॉक्टर क्लोन गायों के उत्पादन के लिए स्वदेशी विधि विकसित करने के लिए काम करते रहे हैं.
ड्रिप इरीगेशन सिस्टम (Drip Irrigation System) से सिंचाई में पानी की 75 से 90 फीसदी तक बचत होती है. बुंदेलखंड जैसे कम पानी की उपलब्धता वाले इलाकों के लिए सिंचाई की यह सुविधा किसानों के लिए लाभप्रद साबित हो रही है. ललितपुर जिले में किसानों के खेत पर प्रधानमंत्री कृषि योजना के तहत 80 से 90 फीसदी अनुदान पर ड्रिप स्प्रिंकलर सिस्टम लगवाया जा रहा है.
देश की बहुसंख्यक आबादी आज भी कृषि के ऊपर निर्भर है. देश की जीडीपी में कृषि का योगदान लगातार बढ़ रहा है. वहीं इस सेक्टर में रोजगार के भी खूब ज्यादा अवसर हैं. तो सरकार भी किसानों की आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है.
यूपी में खेती को अत्याधुनिक तकनीक से जोड़ने के क्रम में सरकार किसानों को फसलों पर ड्रोन से दवा का छिड़काव करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. प्रदेश में बुंदेलखंड सहित अन्य इलाकों में ड्रोन तकनीक के खेती में इस्तेमाल के सफल प्रयोग के बाद सरकार ने अब किसानों को सब्सिडी पर ड्रोन मुहैया कराने का फैसला किया है. इस काम को चरणबद्ध तरीके से अंजाम दिया जाएगा.
वर्धा के एक युवा किसान ने छोटे किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए जुगाड़ से बनाया पावर विडर, पावर टिलर और छोटा ट्रैक्टर. क्षेत्र के किसान हुए मुरीद. अब तक डेढ़ सौ मशीनें बेचीं. किसानों का पैसा और समय दोनों की बचत करने का दावा किसान ने किया. जानिए युवा किसान की कहानी.
मोटे अनाज को अब श्री अन्न का दर्जा दिया गया है. देश के कई राज्यों में श्री अन्न यानी मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है, लेकिन कृषि वैज्ञानिक इसको लेकर चिंतित हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि श्री अन्न का रकबा बढ़ने का मतलब देश में दलहनी फसलों का उत्पादन कम होने से है.
ओडिशा में कोरापुट जिले के रहने वाले जगन्नाथ चिनारी भी बना रहे हैं. उनके स्टार्टअप का नाम कोरापुट है. चिनारी रागी से चाय, मिक्चर नमकीन, कुकीज, शुगर फ्री कुकीज, फिंगर स्टिक, नमकपारा, मीठे नमकपारा,रागी के साथ अजवाइन कुरकुरे और लिटिल मिलेट यानी कुटकी बना रहे हैं. चिनारी कहते हैं कि रागी अनाज से चाय हमारा सबसे स्पेशल प्रोडक्ट है. चूंकि ओडिशा में रागी बड़ी मात्रा में पैदा होती है.
यूपी की योगी सरकार प्रदेश में लगातार जैविक खेती का दायरा बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. इसके लिए राज्य में चलाई जा रही तमाम योजनाओं के हवाले से राज्य सरकार का दावा है कि यूपी में जैविक खेती के दायरे में 13 गुना तक का इजाफा हुआ है.
यूपी में बुंदेलखंड के ललितपुर जिले में एक प्रगतिशील किसान ने सरकार की मदद से खेती के आधुनिक तरीकों को अपना कर 17 एकड़ के फार्म को बहुफसली खेती के 'मल्टी क्रॉप मॉडल' के रूप में विकसित किया है.
तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने कोयंबटूर जिले के वेलिंगाडू गांव में हल्दी की फसल पर स्टडी की है. स्टडी में पाया गया कि इस फसल में दो दिन में दो घंटे सिंचाई की गई, लेकिन जब सॉफ्टवेयर की मदद ली गई तो एक दिन में 30 से 45 मिनट तक पानी देने की जरूरत पड़ी. इस तरह फसल में लगभग 50 फीसद तक पानी की बचत देखी गई.
अगर कोई मूंगफली के दूध से बने प्रोडक्ट का छोटे लेवल पर कारोबार करना चाहता है तो सीफेट ने 20 लीटर दूध की क्षमता वाला प्लांट तैयार किया है. इसकी कीमत करीब साढ़े तीन लाख रुपये हैं.
महिंद्रा ट्रैक्टर ने हाल ही में एक नया ट्रैक्टर लॉन्च किया है जो किसानों द्वारा काफी पसंद भी किया जा रहा है. किसानों के मुताबिक यह कंपनी उनकी जरूरत और बजट के हिसाब से ट्रैक्टर बनाती है. यही वजह है कि किसान महिंद्रा ट्रैक्टर खरीदने से मना नहीं कर सकते.
ट्रैक्टर हो या कोई भी कृषि यंत्र आज किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इन मशीनों की सहायता से किसान अपना कृषि कार्य आसानी से पूरा कर पाते हैं. ऐसे में ज्यादातर किसान ट्रैक्टर का इस्तेमाल करते हैं.
मोनो क्रॉप, अर्थात एक खेत में साल दर साल, एक ही फसल उपजाने वाले बड़ी जोत के किसानों का रुझान अब अपने खेत में बहुफसली यानि मल्टी क्रॉप मॉडल पर उपज लेने की ओर तेजी से बढ़ रहा है. 'मोनो क्रॉप से मल्टी क्रॉप मॉडल' पर शिफ्ट होने का रुख, ऐसे साधन संपन्न किसानों में ज्यादा दिख रहा है, जो 5 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल वाले खेत में अब तक गेहूं और धान जैसी पारंपरिक फसलें करते आ रहे थे.
क्या आप जानते हैं कि खैनी के बीज आसान तरीके से तैयार किए जा सकते हैं. बता दें कि 1 एकड़ खेत में 20-25 ग्राम बीज की जरूरत होती है. किसान घर पर भी खैनी के बीज तैयार कर सकते हैं.
झारखंड के केदार स्नातक कर रहे थे, लेकिन इस दौरान उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी. फिर उन्होंने अपनी मेहनत से कमाए हुए पैसे से नया प्रयोग शुरू किया. आज इनके प्रयोग का ही नतीजा है की गांव के मंदिर और मस्जिद समेत अन्य सामूहिक स्थल 24 घंटे जगमगा रहे हैं.
ऐसे बहुत सारे किसान हैं जो खेती के साथ-साथ मुर्गी, बत्तख और बटेर पालन करके शानदार मुनाफा कमा रहे हैं. वहीं कुछ किसान ऐसे भी हैं जो इन पक्षियों के मीट का व्यवसाय करने के साथ-साथ अंडा से चूजा भी तैयार करने का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं. अगर आप भी उन किसानों में से एक हैं तो आपके लिए खुशखबरी है.
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