कम समय और कम लागत में आप आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके गेहूं की बुवाई कर सकते हैं. साथ ही खाद का छिड़काव भी करवा सकते हैं. खास बात है कि ये मशीन आपको किराए पर भी मिल जाएगी और सरकार इस मशीन को खरीदने पर सब्सिडी भी देती है.
सीएम रेखा गुप्ता ने यह भी बताया कि मौसम विभाग ने 28 से 30 अक्टूबर के बीच बादलों की संभावना जताई है. उनकी पोस्ट में लिखा था, 'अगर मौसम अनुकूल रहा तो दिल्ली 29 अक्टूबर को अपनी पहली कृत्रिम बारिश का अनुभव कर सकती है.' सीएम रेखा गुप्ता ने इसे तकनीकी तौर पर एक 'ऐतिहासिक पहल' बताया और कहा कि यह प्रोजेक्ट दिल्ली के हर साल होने वाले प्रदूषण संकट से निपटने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रतीक है.
मध्यप्रदेश में पहली बार बोमा तकनीक से काले हिरण और नीलगायों को ट्रैंक्युलाइज किए बिना सुरक्षित स्थानांतरित किया जा रहा है. शाजापुर जिले से अब तक 34 हिरणों को गांधी सागर अभयारण्य में छोड़ा गया. इससे किसानों की फसलों का बचाव हो रहा है.
Parali Management: अंबाला के किसान पराली प्रबंधन में इन-सीटू तकनीक को प्राथमिकता दे रहे हैं. करीब 2.46 लाख एकड़ धान में से 80% कटाई पूरी हो चुकी है. वहीं, 37,000 से अधिक किसानों ने इन-सिटू और एक्स-सिटू प्रबंधन के तहत सब्सिडी के लिए आवेदन किया है.
UP News: कृषि निदेशक डॉ. पंकज कुमार त्रिपाठी के मुताबिक, इस योजना का उद्देश्य किसानों को आधुनिक उपकरणों से जोड़ना है. यह योजना 15 से 29 अक्टूबर 2025 तक लागू रहेगी. वहीं योगी सरकार द्वारा कृषि यंत्रों पर 50% तक की सब्सिडी दी जा रही है.
करनाल के किसान अब पराली जलाने की जगह मशीनों से उसका प्रबंधन कर रहे हैं. किसान बक्शी लाल ने बताया कि सरकार की 50% सब्सिडी से मिले सुपर सीडर और एसएमएस मशीनों से पराली खेत में मिलाने से मिट्टी उपजाऊ होती है और पर्यावरण प्रदूषण घटता है.
हिमाचल प्रदेश के सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज के छात्रों के एक समूह ने इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) आधारित एक उपकरण विकसित किया है जो हिमाचल प्रदेश में किसानों को जंगली जानवरों और पक्षियों से अपनी फसलों की रक्षा करने में मदद कर सकता है.
AI टेक्नोलॉजी पर आधारित सटीक खेती से किसान फसल मैनेजमेंट के बारे में सोच-समझकर फैसले ले पा रहे हैं. AI ऑपरेटेड टूल ड्रोन, सेंसर और सैटेलाइट इमेजरी से मिले डेटा को एनालाइज करके सिंचाई, फर्टिलाइजेशन और पेस्ट कंट्रोल को बेहतर बनाया जा सकता है. उदाहरण के लिए, एडवांस्ड कंप्यूटर विजन से लैस ड्रोन से एरियल सर्विलांस, फसल की सेहत से जुड़ी समस्याओं का रियल-टाइम पता लगाने में मदद करता है.
किसानों के लिए सबसे जरूरी है फसलों के लिए अनुकूल मौसम. बिना अनुकूल मौसम के किसानों को अपनी फसलों का बेहतर उत्पादन लेना मुश्किल काम होता है. लेकिन अब आधुनिक तकनीक के जमाने में मौसम की सटीक जानकारी लेना आसान हो गया है.
Ayodhya Deepotsav 2025: ग्राम पंचायत हरदी की सीता प्रेरणा स्वयं सहायता समूह से जुड़ी फूलमती ने कहा कि रामनगरी के दीपोत्सव के लिए दीये तैयार करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है. इससे जहां एक ओर सांस्कृतिक परंपराएं पुनर्जीवित हुई हैं
हरियाणा के करनाल में किसान धीरे-धीरे पराली प्रबंधन को अपनाने लगे हैं. पराली प्रबंधन को देखते हुए किसान खासे उत्साहित भी हैं. वहीं, किसान एक दूसरे से अपील कर रहे है कि पराली में आग लगाने की बजाए फसल अवशेष प्रबंधन के तरीकों को अपनाए, जो किसानों के हित में है.
अगर आप बुवाई से पहले सीड ड्रिल को टिप-टॉप कर लें तो ना तो बुवाई में कोई दिक्कत आएगी और ना ही बीज की बरबादी होगी. इतना ही नहीं सीड ड्रिल सही रहेगा तो बीज सही तरीके से, सही लाइनों में और सही गहराई पर खेत में जाएगा.
न्यू हॉलैंड ने लॉन्च किया Workmaster 105 HVAC केबिन ट्रैक्टर, जो 106 HP की ताकत और हर मौसम में आरामदायक केबिन के साथ आता है. जानिए इसकी खासियतें, कीमत और खेती में मिलने वाले फायदे.
कुबोटा ने ओसाका में आयोजित वर्ल्ड एक्सपो 2025 में पहला हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलने वाला ट्रैक्टर पेश किया है. कुबोटा ने यह ट्रैक्टर पिछले साल शोकेस किए गए उसके पहले के फ्यूल सेल ट्रैक्टर प्रोटोटाइप पर आधारित है. हाइड्रोजन ईंधन सेल, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के संयोजन से बिजली उत्पन्न करती है. इस प्रक्रिया में केवल पानी और हीट उत्सर्जित होती है.
3,556 मीटर की ऊंचाई पर सफल उच्च घनत्व सेब बागवानी. प्राकृतिक खेती, जलवायु-अनुकूल तकनीक और नवाचारों का प्रदर्शन. प्रगतिशील किसानों और छात्रों ने साझा किए अनुभव. 100 से अधिक प्रतिभागियों की भागीदारी. सेब दिवस 2.0 में दिखा हिमालयी बागवानी का नया चेहरा.
हर दिन खेत में हार्वेस्टर चलाने से पहले करें उसका इंस्पेक्शन, फ्लूइड लेवल चेक, टायर, बैटरी और सुरक्षा उपकरणों की जांच जरूर करनी चाहिए, ताकि काम हो सुरक्षित, कुशल और बिना रुकावट के.
बहुत से किसान ट्रैक्टर खरीदते वक्त EMI यानी मासिक किस्त का गलत अनुमान लगा लेते हैं और फिर बाद में उनपर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है. इसलिए सही EMI तय करने के लिए हम आपको एक बढ़िया फॉर्मूला बता रहे हैं. इससे किसान को अपनी वार्षिक आय, खेती का रकबा, और खर्चों का पूरा हिसाब ध्यान में बनाए रखने में मदद मिलेगी.
ट्रैक्टरों पर जीएसटी की दर में भारी कटौती और त्यौहारी डिमांड के कारण सितंबर में मासिक बिक्री सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई. सितंबर में हुई बिक्री में तेजी ने इस सेगमेंट की सालाना वृद्धि को भी बढ़ावा दिया है. एक्सपर्ट अनुमान लगा रहे हैं कि इसकी वार्षिक बिक्री पहली बार दस लाख यूनिट के आंकड़े को पार कर सकती है.
बैल-हल के दौर से निकलकर अब किसान ट्रैक्टर चालित यंत्रों जैसे रोटावेटर, एम.बी. प्लाऊ, कल्टीवेटर और रिजर यंत्र की मदद से खेत की जुताई कर रहे हैं, जिससे समय, श्रम और लागत की बचत के साथ फसल की गुणवत्ता भी सुधरी है.
मध्यप्रदेश सरकार की कृषि यंत्र अनुदान योजना 2025 के तहत गन्ना किसानों को रिजर, शुगरकेन रेटून मैनेजर और कटर प्लांटर पर भारी सब्सिडी मिलेगी. 13 अक्टूबर तक ऑनलाइन आवेदन करें और खेती में आधुनिक यंत्रों का लाभ उठाएं.
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