क्रॉपलाइफ इंडिया के महासचिव दुर्गेश चंद्र ने मंत्रालय के नए कदम का स्वागत करते हुए कहा कि इससे कृषि रसायन बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने में काफी मदद मिलेगी. खास कर विशेष रूप से ड्रोन दीदी योजना को बढ़ावा मिलेगा.
शाहजहांपुर के विकासखंड क्षेत्र खुदागंज के रहने वाले किसान लाल बहादुर जो पिछले कई सालों से बागवानी करते हैं. लाल बहादुर ने किसान तक से बातचीत में बताया कि वह नीलगाय की वजह से बेहद परेशान थे.
ऐसे वक्त में जब किसान खेती की लागत घटाने और अधिक से अधिक श्रम और समय बचाने की कोशिश में हैं, जीरो टिलेज खेती एक दम सही तकनीक है. फार्मिंग की इस पद्धति में खेती भी किफायती होती है और मिट्टी भी सेहतमंद रहती है. आइये जानते हैं बिना जुताई की खेती से जुड़ी हर जरूरी बात.
मॉस स्टिक पौधों के लिए एक प्रकार का सहारा है जो उन्हें ऊपर बढ़ने में मदद करता है. इसमें काई से ढका एक लंबा खंभा होता है, जो पौधों की जड़ों को चिपकने और पानी और पोषक तत्वों को अवशोषित करने के लिए एक नम वातावरण प्रदान करता है.
मूंग की खेती कर रहे किसानों के लिए यह तकनीक किसी चमत्कार से कम नहीं है. पारंपरिक विधि से अगर आप मूंग की बुवाई करते हैं तो उससे एक ही जगह पर एक साथ कई मूंग के पौधे निकल आते हैं जिससे ना सिर्फ उत्पादन बल्कि गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है. ऐसे में रेज्ड बेड विधि मूंग की बुवाई करने में बेहद कारगर है.
अनुकूल मौसम और ज्यादा उपज देने वाली गेहूं की किस्म पीबीडब्ल्यू 826 की प्रभावशीलता की वजह से पंजाब को इस साल 172 लाख मीट्रिक टन की बंपर फसल की उम्मीद है. बताया जा रहा है कि करीब सभी जिलों में प्रति एकड़ 22 क्विंटल उत्पादन ज्यादा हुआ हुआ है. पंजाब के अधिकारियों की तरफ से भी इस बात की पुष्टि की गई है. माना जा रहा है कि प्रति एकड़ फसल बढ़ने से किसानों को भी काफी अच्छा फायदा होने वाला है.
एग्री सेक्टर में फसल सुरक्षा पर काम करने वाली चेन्नई स्थित कंपनी ट्रॉपिकल एग्रोसिस्टम जून से शुरू होने वाले खरीफ फसल सीजन के दौरान बीज उपचार से लेकर फसल के बाद की देखभाल तक 16 नए कृषि समाधान पेश करेगी, जो उपज पैदावार बढ़ाने के साथ ही किसानों की लागत घटाने में मदद मिलेगी.
किसान दिलीप कुमार ने बताया कि इसकी खेती करना बहुत ही आसान है. खीरे की खेती हम ड्रिप विधि से करते हैं. पहले हम खेत की जुताई करते हैं. उसके बाद पूरे खेत में बेड बनाते हैं.
देश के किसान अब कम लागत वाली सौर ऊर्जा से चलने वाली मशीन की मदद से आयस्टर मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं. इस मशीन का उपयोग ग्रामीण और शहरी दोनों स्तरों पर हो सकती है. इस मशीन की मदद से मशरूम उगाने में कम जगह की जरुरत होती है.
पीएम किसान सम्मान निधि योजना के सलाहकार मनोज गुप्ता ने किसानों से कहा कि योजना का लाभ लेने के लिए किसान अपने स्मार्टफोन के गूगल प्लेस्टोर पर जाएं और वहां से पीएम किसान एआई चैटबॉट (किसान ई-मित्र) मोबाइल एप्लीकेशन को डाउनलोड कर लें.
शीट जैसी साधारण कृषि तकनीक ने खरपतवार नियंत्रण में क्रांति ला दी है, जिससे किसानों को उत्पादन बढ़ाने और निराई-गुड़ाई के कठिन काम को कम करने में मदद मिली है. ये वीड मैट शीट बेहतर क्वालिटी वाली प्लास्टिक से बनी होती है. यह खरपतवारों को सूर्य के प्रकाश की आपूर्ति रोककर बढ़ने से रोकने में मदद करती है.
इस साल पिछले 10-15 साल में सबसे ज्यादा गर्मी हो सकती है. इसके असर से एसी-फ्रिज से लेकर कूलर तक की बिक्री में तेज उछाल आने लगा है. इस बार नए खरीदारों में 90 फीसदी ग्राहक छोटे शहरों और कस्बों से हैं.
स्वराज ट्रैक्टर्स ने मोहाली स्थित अपने पहले मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट के पचास साल पूरे होने पर समारोह का आयोजन किया. इसमें कई खूबियों से लैस लिमिटेड एडीशन ट्रैक्टर पेश किया है, जो 5 वैरिएंट में ग्राहकों के लिए उपलब्ध होगा.
छोटी जोत वाले किसान और अनुसूचित जाति के कमजोर वर्ग के किसानों के उत्थान के लिए उनकी खेती में तकनीक की समझ को विकसित किया जाएगा. इसके लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में किसानों को ट्रेनिंग दी जाएगी. ट्रेनिंग के लिए डिजिटल लैब की स्थापना की जा रही है.
सुहानी ने पोर्टेबल उपकरणों के साथ सौर ऊर्जा से चलने वाला एक एग्रो व्हीकल एसओ-एपीटी विकसित किया है. इससे किसान खेतों की जुताई, बीज की बुवाई, दवा का छिड़काव और सिंचाई कर सकते हैं. देश में लगभग 85 प्रतिशत किसान आर्थिक रूप से कमजोर हैं और यह एग्रो व्हीकल उनकी उपज बढ़ाने और उत्पादन लागत को कम करने में सहायक होगा.
केंद्र सरकार फसलों के लिए अलग-अलग क्लस्टर बनाने की योजना पर काम कर रही है. किसानों को क्लस्टर बेस्ड फसलों के उत्पादन के लिए सरकार से प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी. क्लस्टर बेस्ड फसल उत्पादन के जरिए से सरकार को देश में नई फसल योजना शुरू करने में भी मदद मिलेगी.
Wheat cutting machine: अब किसानों को गेहूं काटने के लिए महंगी मजदूरी से मिल जाएगी छुट्टी, बेहद कम समय में खेतों की कटाई करने वाली कंबाइन हार्वेस्टर से सिर्फ 700 रुपए में पूरा एक बीघा खेत कट जाता है. जानिए एक एकड़ में कंबाइन हार्वेस्टर से गेहूं काटने में किसान को कितने रुपए बचते हैं.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने आज 22 अप्रैल को अर्थ डे के मौके पर अपील करते हुए मिट्टी की पोषकता बढ़ाने पर जोर दिया है. मंत्रालय ने कहा कि इस अर्थ डे पर प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में शामिल हों और किसानों की मदद के लिए प्लास्टिक का यूज बंद करें.
पेरू के अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) आलू और शकरकंद के विकास पर ध्यान केंद्रित करने वाला प्रमुख अनुसंधान संगठन है. इसका एक क्षेत्रीय केंद्र भारत के उत्तर प्रदेश में बनेगा. यह केंद्र न केवल भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे आलू-बेल्ट राज्यों में बल्कि अन्य दक्षिण एशियाई देशों में भी किसानों को लाभ पहुंचाएगा.
प्रगतिशील किसान धर्मेंद्र बताते हैं कि रासायनिक उत्पादों का इस्तेमाल करने के बजाय प्राकृतिक उत्पादों का सहारा लेकर फसलों की ऐसे किस्म तैयार की है जो उनकी कमाई का बड़ा जरिया बन रही है और लोगों के आकर्षण का केंद्र भी.
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