तेईपुर गांव के रहने वाले किसान गुरमुख सिंह और जतिंदर सिंह भी ऐसे ही किसान हैं. दोनों ही किसान भाई हैं. उनके पास 10 एकड़ की जमीन है. उन दोनों ही भाईयों ने पिछले 9 सालों के दौरान भी पराली नहीं जलाई है.
ICAR-IARI ने सबसे कम समय में तैयार होने वाली गेहूं की उन्नत किस्म पूसा-HD3406 पेश की है. इस किस्म की बुवाई की सलाह पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के किसानों को दी गई है. यह किस्म गेहूं में होने वाले कई रोगों से लड़ने भी सक्षम होने के चलते बंपर पैदावार देती है.
विश्व बैंक ऑर्गनाइजेशन और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने 77 कृषि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम को विश्व मानकों के अनुरूप ढाला है. 5,14,000 से अधिक छात्रों को मॉडर्न लैब्स में ट्रेनिंग दी जा रही है. जहां, उन्हें GPS, ड्रोन, रिमोट सेंसिंग तकनीक, डेटा एनालिटिक्स, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करना सिखाया जा रहा है. ताकि, खेती-किसानी का तेज विकास किया जा सके.
देश में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है. अब यह व्यवसाय लाभदायक साबित हो रहा है. किसान भी अब मधुमक्खी पालन के व्यवसाय में रुचि ले रहे हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने इस क्षेत्र में महारत हासिल कर ली है और तगड़ा मुनाफा कमा रहे हैं.
गेहूं की बुवाई की तैयारी कर रहे किसानों के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पूसा ने किसानों के लिए 6 उत्तम किस्म के गेहूं के बीज पेश किए हैं. PUSA में गेंहू बीज की बिक्री 3 अक्तूबर से शुरू की जा चुकी है, जो 9 अक्तूबर तक जारी रहेगी. यह बीज सभी राज्यों के किसानों के लिए उपलब्ध हैं. यह किस्में 130 दिन में तैयार हो जाती हैं और 76 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देने में सक्षम हैं.
देश के करोड़ों किसानों के खातों में पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 18वीं किस्त के 2000 रुपये भेजे जा चुके हैं. इस बीच कई किसान ऐसे भी हैं, जिनके खातों में पैसे नहीं आए. ऐसे में आप योजना से जुड़े सवालों के जवाब एआई चैटबॉट से पूछ सकते हैं.
Kanpur IIT ने एक ऐसा आविष्कार किया है जिसके जरिए मिट्टी की गुणवत्ता को बहुत आसानी से परखा जा सकता है. इससे मिट्टी की गुणवत्ता को हर पैरामीटर पर परखा जा सकता है. Kanpur IIT ने ऐसा डिवाइस बनाया है जो 90 सेकेंड में 12 पोषक तत्वों की जांच करेगा. 2025 में यह उपकरण बाजार में आएगा.
UP News: इसी तरह, आईएफसी ने उत्तर प्रदेश में कृषि तकनीक (एगटेक) के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाओं में योगदान दिया है. इसके अंतर्गत आईएफसी की भारत कृषि तकनीक सलाहकार परियोजना (आईएएपी) 30,000 से अधिक किसानों को लाभ पहुंचा रही है.
अगर आप भी अपने टैलेंट से कुछ बनाना चाहते हैं तो अपने देसी जुगाड़ के जरिए खेत में पौधा रोपाई करने की मशीन बना सकते हैं. रोपाई मशीन बनाने के लिए घर की बेकार पड़ी वस्तुओं का इस्तेमाल किया जा सकता है. आपको बता दें कि इस मशीन के काफी फायदे भी हैं.
केंद्र सरकार लगातार पशुधन और दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करने पर जोर दे रही है. इसी क्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के वाशिम से पशुधन नस्ल सुधार के लिए दो प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण किया है. इनसे गाय-भैंस पालने वाले किसानों और पशुपालकों को फायदा होेगा.
Crop Survey: सीएम योगी के निर्देश पर प्रदेश के 84,159 गांवों में सर्वे का काम शुरू किया गया. इसके सापेक्ष 2 अक्टूबर तक 47,098 राजस्व गांवों में सर्वे का काम पूरा हो चुका है, जो 52 प्रतिशत है.
मिट्टी की क्वालिटी जांचने के लिए आईआईटी कानपुर ने बनाया ऐप. किसानों को होगा फायदा. 2 मिनट में 12 पोषक तत्वों की जांच करेगा, अगले साल तक बाजार में उतारने की तैयारी.
पंजाब में कपूरथला की बात करें तो यहां 500 सोसायटी या लोगों को पराली मशीन के लिए मंजूरी मिल गई है. ये मशीनें सब्सिडी रेट पर दी जाएंगी. हालांकि आगामी 15 अक्टूबर को होने वाले पंचायत चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता के कारण मशीन वितरण की प्रक्रिया रुकी हुई है.
गुरु अंगद देव वेटरनरी और एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना के साइंटिस्ट ने एक मशीन बनाई है. ये मशीन पशुओं की खरीद-फरोख्त में होने वाली धोखाधड़ी को रोकेगी.
UP News: केंद्र की तरफ से कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) के व्यावसायिक गतिविधियों को गति देते हुए फसल विशेष को बढ़ावा दिया जाएगा. इसका उद्देश्य संगठन को भी आर्थिक रूप से समृद्ध करना है.
वैज्ञानिक सूअरों में फैलने वाली कई तरह की बीमारियों की रोकथाम का तरीका खोजेंगे. भ्रूण मृत्यु और बांझपन की समस्या दूर करने के लिए वैज्ञानिक एडवांस डाइग्नोस्टिक डिवाइस बनाने के प्रोजेक्ट को भारत सरकार के के जैव प्रौद्योगिकी विभाग से मंजूरी मिल गई है.
खेती में आधुनिक तकनीकें न केवल फसल की पैदावार बढ़ाती हैं, बल्कि किसानों की श्रम लागत को भी कम करती हैं. गन्ने की बुवाई में उन्नत तकनीकों को अपनाकर न सिर्फ उत्पादन बढ़ाया जा सकता है, बल्कि बुवाई की लागत में भी 90 फीसदी तक की कमी की जा सकती है. इसके बारे में विस्तार से आइए जानें.
पटना के रहने वाले अनिल सोनी खेती को आसान सरल करने के उद्देश्य इनके द्वारा फसलों की सिंचाई और रक्षा के लिए सफल मॉडल पेश किया गया है. यह कहते है कि एक मोबाइल के बटन की मदद से किसान आसानी से खेत की सिंचाई कहीं भी बैठे कर सकता है.
सूरत के क़तारगाम इलाक़े में श्री राम ऑटो गैरेज है जिसका संचालन पिछले कई वर्षों से पुरुषोत्तम पिपलिया करते आ रहे हैं. पुरुषोत्तम पिपलिया की आज उम्र 65 साल है. कुछ वर्ष पहले उन्होंने पानी से चलने वाली कार का आविष्कार किया था और इस आविष्कार को उन्होंने अपनी ही कार में प्रयोग किया था. वर्षों बाद उन्होंने एक बार फिर से नया आविष्कार किया है और इस खोज के ज़रिये उन्होंने बिन बादल बरसात करवाने का दावा किया है.
गन्ने की खेती भारतीय किसानों के लिए मुख्य नकदी फसल मानी जाती है. चीनी, गुड़ और अन्य उत्पादों के उत्पादन में गन्ने का प्रमुख योगदान होता है लेकिन गन्ना किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि उन्हें अपनी उपज का भुगतान प्राप्त करने के लिए 12 महीने तक इंतजार करना पड़ता है. इससे किसानों को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. इस समस्या के हल के लिए इंटर क्रॉपिग तकनीक अपना सकते हैं और इससे ज्यादा और जल्दी कमाई कर सकते हैं. इससे पैसे कमाने का लंबा इंतजार भी खत्म होगा.
रांची के रहने वाले विमलेश यादव बाल से अमीनो एसिड उर्वरक तैयार करते हैं. वहीं यह इस क्षेत्र में पिछले करीब दो साल से कार्य कर रहे हैं.यह कहते हैं कि icar से एमयू करने के बाद वह शुद्ध बाल से बने उर्वरक को तैयार करेंगे .अभी भी कार्य कर रहे है लेकिन इसके साथ अभी अन्य प्रॉडक्ट भी मिलाते हैं लेकिन आने वाले दिनों में शुद्ध बाल से ऑर्गेनिक उर्वरक तैयार करेंगे.
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