महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों से पहले राज्य सरकार ने किसानों के लिए बड़ी राहत की खबर दी है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार ने कृषि सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कपास और सोयाबीन के किसानों के लिए आर्थिक मदद का ऐलान किया है. ये वो किसान हैं जो लगातार गिरती कीमतों की वजह से मुश्किलों में हैं. इन नुकसानों के गलत नतीजों को कम करने के लिए, सरकार ने खरीफ खरीद सीजन 2023-24 के लिए इस पैकेज को मंजूरी दी है.
सरकार की तरफ से कपास और सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों की मदद के लिए इस वित्तीय राहत पैकेज की मांग काफी समय से की जा रही थी. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार इस राहत पैकेज में प्रति हेक्टेयर 5,000 रुपये की सब्सिडी शामिल है, जिसमें प्रति किसान दो हेक्टेयर की सीमा है. सरकार की तरफ से दो स्तरों पर यह आर्थिक किसानों को दी जाएगी. इसमें से पहली है 0.2 हेक्टेयर से कम क्षेत्र के लिए 1,000 रुपये प्रति हेक्टेयर और 0.2 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र के लिए 5,000 रुपये प्रति हेक्टेयर, अधिकतम दो हेक्टेयर तक पर यह मदद मिलेगी.
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अधिकारियों ने बताया कि चूंकि जीआर 29 जुलाई को जारी किया गया था, इसलिए विदर्भ के किसानों के लिए खर्च की गई सटीक रकम का पता नहीं चल पाया है. अधिकारियों के अनुसार फिर भी, विदर्भ के दोनों डिविजन में जिला स्तर पर प्रक्रिया शुरू हो गई है. इसे फिर से शुरू करना होगा जिसमें बाकी कामों के अलावा पात्र किसानों की लिस्ट तैयार करना भी शामिल है. सरकार ने इस आर्थिक मदद योजना को प्रभावी बनाने के लिए कुल 4,194.68 करोड़ रुपये का खर्च तय किया है. इसमें से 1,548.34 करोड़ रुपये कपास किसानों के लिए और 2,646.34 करोड़ रुपये सोयाबीन किसानों के लिए हैं.
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यह रकम 5 जुलाई को पेश किए गए अतिरिक्त बजट के दौरान लगाई जाएगी. माना जा रहा है कि यह आर्थिक सहायता कपास, सोयाबीन और बाकी तिलहन फसलों की उत्पादकता और कीमतों को बढ़ाने के लिए तैयार की गई विशेष कार्य योजना के तहत है. इस आर्थिक मदद की योग्यता को भी सरकार की तरफ से स्पष्ट तौर पर परिभाषित किया गया है. साल 2023 खरीफ सीजन के दौरान अपनी फसल उगाने वाले कपास और सोयाबीन के किसान 0.2 हेक्टेयर से कम क्षेत्र के लिए 1,000 रुपये प्रति हेक्टेयर और 0.2 हेक्टेयर तक के क्षेत्र के लिए 5,000 रुपये प्रति हेक्टेयर पाने के हकदार हैं. इस योजना से कृषि क्षेत्र के विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को बल मिलेगा.
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