गर्मी के मौसम में आम के पेड़ के लिए ऐसा उर्वरक या खाद सबसे अच्छी होती है जिससे फल अच्छी तरह से बढ़े और मिट्टी में नमी भी बरकरार रहे. साथ ही साथ पेड़ भी मजबूत रहे. इस मौसम में पेड़ को अतिरिक्त पोषण और पानी की जरूरत होती है खासकर जब फल आ रहे हों.
ऑर्गेनिक आम की खेती कैसे करें? जानिए प्राकृतिक खाद, कीट नियंत्रण, सिंचाई और देखभाल के आसान जैविक तरीके. कम लागत में ज़्यादा मुनाफा कमाने की पूरी गाइड.
वर्मी कंपोस्ट यूनिट स्कीम के तहत किसानों को 50 हजार रुपये तक की सब्सिडी मिलती है. जैविक खाद के लिए यूनिट तैयार करने के लिए किसानों को आर्थिक मदद मिलती है. इस योजना के तहत वर्मी कंपोस्ट यूनिट तैयार होने पर एक कमेटी की तरफ से उसकी जांच की जाती है. वैरीफिकेशन पूरा होने के बाद सब्सिडी की रकम सीधे किसान के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है.
अगर आपके पौधे सही से ग्रो नहीं कर रहे हैं तो यह खाद बड़े काम की है. केले के छिलके पोषक तत्व प्रदान करते हैं. केले के छिलके का पानी मिट्टी में नमी बरकरार रखता है. इससे गर्मी के मौसम में पौधों को ठंडक मिलती है. पौधे की सही ग्रोथ के अलावा उस पर ज्यादा से ज्यादा फूल भी आएंगे. इस खाद का प्रयोग हफ्ते में दो बार किया जा सकता है.
केंद्र सरकार अल्फाल्फा बीज के अनुवांशिक रूप से सुधारी गए बीज यानी जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) बीज की भारत में एंट्री रोकने की तैयारी में है. एक सूत्र ने कहा कि जीएम वैरायटी का भारत में प्रवेश रोकने के लिए पहचान के लिए वैज्ञानिकों को एक सरल टेस्टिंग किट बनानी पड़ सकती है.
ढेंकनाल से आने वाला पाला बैंगन मुख्य तौर पर ढेंकनाल-कामाख्या रास्ते के पास ब्राह्मणी नदी के किनारे उगाया जाता है. कामगरा और कनापाला जैसे गांवों में इनकी खेती खासतौर पर होती है. इन इलाकों के किसान सदियों से इस फसल की खेती करते आ रहे हैं. ओडिशा टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक पीढ़ियों से बैंगन की खेती की जाती है.
भारतीय किसान देश में बड़े स्तर पर बासमती धान की खेती करते आ रहे हैं, जिसमे बड़ा योगदान भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा विकसित बासमती धान की प्रजातियों का रहा है, जो कि अधिक उपज के साथ ही प्रमुख रोग और कीट के प्रति सहनशील है.
कोलकाता के बांगुर एवेन्यू के रहने वाले 51 साल के जसमीत एक इंड्रस्टीयलिस्ट से पर्यावरणविद् बने हैं. उन्होंने अब ने पश्चिम बंगाल में खेती की सूरत बदलने का मिशन शुरू किया है. वेबसाइट टेलीग्राफ के माय कोलकाता की रिपोर्ट के अनुसार जसमीत आम के बेकार बीजों को इकट्ठा करते हैं, उन्हें अंकुरित करके पौधे बनाते हैं, उन्हें स्थानीय किस्मों के साथ जोड़ते हैं.
उत्तर प्रदेश में गन्ना की खेती करने वाले किसानों के हित में सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. समितियों के जरिये से मिलने वाली दवा पर सरकार की तरफ से 50 फीसदी की सब्सिडी भी किसानों को दी जाएगी. कम दरों पर दवायें मिलने से गन्ना किसान समय के अनुसार उत्पादों का अपने खेतों में छिड़काव कर कम लागत में ज्यादा से ज्यादा पैदावार हासिल कर सकेंगे.
विशेषज्ञों ने किसानों के लिए पराली से निपटने को वेस्ट डी कंपोजर का एक आसान विकल्प सुझाया है. यह विकल्प एक ऑर्गेनिक कैप्सूल के तौर पर मिलता है जिससे पराली तेजी से खाद में बदल जाती है. इस प्रक्रिया में शामिल बैक्टीरिया और फंगस पराली को गला देते हैं और फिर यह एक ऐसी ऑर्गेनिक खाद में बदल जाता है जो कई मायनों में फायदेमंद हो सकता है.
Kharif crops: कृषि मंत्री ने स्पष्ट किया कि अधिकारी जनपदों का नियमित रूप से भ्रमण करें तथा जनपदों में संचालित योजनाओं एवं प्रदर्शनों का सत्यापन कर जनपदीय फसलों के आच्छादन, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करने की रणनीति तैयार करें.
गार्डनिंग और सब्जियों की खेती की बढ़ती डिमांड को देखते हुए राष्ट्रीय बीज निगम किसानों की सुविधा के लिए ऑनलाइन गर्मी के दिनों में बोई जाने वाली पत्तेदार सब्जियों के बीज का किट बेच रहा है. इस बीज को आप ओएनडीसी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं.
कई बार परिस्थितियों के कारण किसानों को गन्ने की पछेती बुवाई (लेट प्लांटिंग) करनी पड़ती है. बहुत से किसान गेहूं की कटाई के बाद गन्ना बोते हैं, गेहूं कटाई के बाद गन्ने की पिछेती बुवाई करते समय सही किस्म का चुनाव के साथ कुछ खास बातों का ध्यान रखकर बंपर पैदावार प्राप्त की जा सकती है. इसके बारे में जानकारी दी गई है.
पिछली बार निरीक्षण दल की 16 टीमें बनाई गई थीं जिन्हें मई में ही तैनात कर दिया गया था. इस बार सीजन जून में शुरू होगा लेकिन अप्रैल से नकली बीज आने शुरू हो गए हैं. कृषि विभाग ने खरीफ सीजन की तैयारियां कर ली है लेकिन अभी तक इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है. इस वजह से फाइनल एक्शन प्लान के बारे में भी कोई ऐलान नहीं किया गया है.
खेत पर प्रदर्शन के दौरान, टमाटर, मिर्च और बैंगन की फसलों पर जैव नियंत्रण तकनीकें लागू की गईं. रासायनिक उर्वरकों को एजोटोबैक्टर (नाइट्रोजन के लिए), फॉस्फोरस और पोटाश-घुलनशील बैक्टीरिया और जिंक-घुलनशील बैक्टीरिया सहित जैव उर्वरकों से बदल दिया गया. सूक्ष्मजीव जो स्वाभाविक तौर पर मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाते हैं और सिंथेटिक इनपुट पर निर्भरता को कम करते हैं.
गाय के गोबर में भी कई ऐसे गुण मौजूद हैं जो इसे खेती के लिए बेहद उपयोगी बनाते हैं. किसान लंबे समय से गोबर का उपयोग जैविक खाद के रूप में करते आ रहे हैं.
वित्त वर्ष 2024-25 में उर्वरकों की कुल बिक्री 655.94 लाख टन रिकॉर्ड की गई, जो अब तक का सबसे उच्च स्तर है. डाइ-अमोनियन फॉस्फेट (DAP), म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) और कॉम्प्लेक्स जैसे खादों की सप्लाई के कारण खरीद में इतना उछाल देखने को मिला.
सहकारिता मंत्रालय के गठन के पश्चात, भारत सरकार के मंत्रिमंडल की स्वीकृति से स्थापित राष्ट्रीय स्तर की सहकारी समिति, भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड, नई दिल्ली का गठन 25 जनवरी 2023 को किया गया, जिसका उद्देश्य सहकारिता के माध्यम से किसानों को उन्नत और पारंपरिक बीजों के संरक्षण एवं विकास पर भी ध्यान केंद्रित करते हुए किसानों को सशक्त बनना है .
Pointed Guard Farming: इस सफल प्रयोग को लेकर भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि ‘काशी सूक्ष्म शक्ति’ को जल्द ही लाइसेंसिंग के माध्यम से कृषि उद्यमियों को व्यावसायिक रूप से उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि यह नवाचार देशभर के किसानों तक पहुंच सके.
वित्त वर्ष 25 में यूरिया के लिए सब्सिडी 1 प्रतिशत बढ़कर 1.24 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है, जो वित्त वर्ष 24 में 1.23 लाख करोड़ रुपये थी. इस बीच, फॉस्फेटिक और पोटाश खादों पर सब्सिडी 19 प्रतिशत घटकर 65,199.58 करोड़ रुपये से 52,810 करोड़ रुपये रह गई.
नैनो सल्फर बाकी केमिकल खादों से सुरक्षित है क्योंकि इसे पूरी तरह से जैविक तौर पर बनाया गया है. भारत जैसे देश के लिए नैनो सल्फर का प्रयोग सफल साबित हो सकता है क्योंकि यहां की मिट्टी में सल्फर की बेहद कमी है. देश की 45 परसेंट तक मिट्टी सल्फर की कमी से जूझ रही है. यही वजह है कि सरसों या अन्य तिलहन में देश बहुत पीछे है. यहां तक कि तिलहन में तेल की मात्रा भी कम है.
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