Fake Fertilizer: अमेठी के एक इंटर कॉलेज में महीनों से नकली कीटनाशक और खाद का कारोबार चल रहा था. शिकायत के बाद कृषि विभाग ने जाल बिछाकर भंडाफोड़ किया. मौके से पैकिंग मशीन, नकली दवाएं और खाद जब्त की गई हैं, अब जांच आगे बढ़ रही है.
सरसों की खेती में खरपतवार और कीट नियंत्रण की आसान जानकारी. जानिए सही समय पर निराई-गुड़ाई, पौधों की दूरी और कीटों से बचाव के सरल उपाय, जिससे फसल अच्छी हो और पैदावार व तेल की मात्रा बढ़े.
अगर किसी भी जनपद में इस तरह की शिकायत पाई जाती है तो संबंधित कंपनी, थोक विक्रेता और खुदरा विक्रेता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी. साथ ही लाइसेंस कैंसिल करने की कार्रवाई भी की जाएगी. उन्होंने कहा कि यह बात सामने आई है कि कुछ जगहों पर किसानों को यूरिया तभी उपलब्ध कराया जा रहा है जब वो बाकी उर्वरक या उत्पाद खरीदने को मजबूर हों.
किसान राणाप्रताप का यह सस्ता 'खाद यंत्र' खेती की दुनिया में क्रांति ला रहा है, जिससे खेती में खाद का खर्च 50 फीसदी तक कम हो सकता है. यह देसी मशीन खाद को सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाती है, जिससे न तो खाद बर्बाद होती है और न ही ज्यादा मजदूरों की जरूरत पड़ती है. कम लागत में बना यह स्मार्ट जुगाड़ न केवल समय बचाता है बल्कि छोटे किसानों की मेहनत को भी बहुत आसान बना देता हैं. अपनी इसी खासियत की वजह से यह यंत्र आजकल किसानों के बीच खूब धूम मचा रहा है और कमाई बढ़ाने का बेहतरीन जरिया बन गया है.
फूलों में प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं. जब ये फूल सड़ते हैं तो जैविक रूप से टूटकर मिट्टी में मिल जाते हैं और पौधों को जरूरी पोषण देते हैं. यह खाद रासायनिक उर्वरकों के मुकाबले सस्ती, सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल होती है. फूलों से बनी कंपोस्ट या खाद से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है. इसके अलावा केंचुओं और गुड माइक्रो-बैक्टीरिया भी मिट्टी में बढ़ते हैं.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय बायो फर्टिलाइजर के उपयोग से टिकाऊ कृषि को बढ़ावा दे रही है. पीएयू के कुलपति सतबीर सिंह गोसल ने कहा कि आधुनिक कृषि को उत्पादकता बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण की दोहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में बायो फर्टिलाइजर एक लाभकारी समाधान है.
किसान आज कल पारंपरिक फसलों को छोड़ नकदी फसलों की खेती बड़े पैमाने पर करने लगे हैं. वहीं, मौजूदा समय में पूरे साल करेले की मांग बाजारों में बनी रहती है. इसलिए किसान बड़े स्तर पर इसकी खेती कर सकते हैं. ऐसे में किसानों की सुविधा के लिए ये संस्थान करेले की काशी प्रतिष्ठा किस्म के बीज बेच रहा है.
पूर्वी चंपारण जिले में उर्वरकों की कालाबाजारी एवं अवैध भंडारण को लेकर कृषि विभाग ने छापेमारी की. करीब 1900 के आसपास उर्वरक बैग को कृषि विभाग ने जब्त किया. विभाग के प्रधान सचिव ने कहा राज्य में उर्वरकों की कमी नहीं है.
भारतीय खेती में नीम का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है. आज जब रासायनिक खाद और कीटनाशकों के दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं, तब नीम का पाउडर किसानों के लिए एक सुरक्षित, सस्ता और भरोसेमंद विकल्प बनकर उभरा है. किसान अगर लंबे समय तक टिकाऊ और मुनाफे वाली खेती करना चाहते हैं, तो नीम पाउडर को अपनी खेती का हिस्सा जरूर बनाएं.
बिहार सरकार ने रबी 2025-26 में खाद की कमी के आरोपों को खारिज किया है. कृषि विभाग के अनुसार राज्य में यूरिया, डीएपी समेत सभी उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं. कालाबाजारी और तस्करी पर जीरो टॉलरेंस नीति के तहत 86 प्रतिष्ठानों पर FIR दर्ज की गई है, जबकि खाद को लेकर सियासत तेज हो गई है.
UP News: शाही ने बताया कि इसी लापरवाही और प्रशासनिक विफलता को देखते हुए यह दंडात्मक कार्यवाही की गई है. उन्होंने आगे कहा कि विभाग के सभी अधिकारियों को सचेत किया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में उर्वरकों की सुचारू उपलब्धता सुनिश्चित करें और अवैध गतिविधियों में लिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाएं.
राज्य में उर्वरक की उपलब्धता को लेकर कृषि विभाग हुआ सक्रिय. इस साल के रबी सीजन में अब तक 31 उर्वरक प्रतिष्ठानों पर प्राथमिकी दर्ज, 83 के प्राधिकार पत्र हुआ रद्द. कृषि विभाग के प्रधान सचिव ने कहा राज्य में उर्वरकों की नहीं है कमी.
घने कोहरे के दौरान हवा में नमी बहुत ज्यादा होती है. ऐसे में जब दवा का छिड़काव किया जाता है तो दवा की बूंदें पत्तियों पर ठीक से चिपक नहीं पातीं. दवा या तो बह जाती है या फिर जरूरत से ज्यादा देर तक गीली रहती है, जिससे फसल को नुकसान हो सकता है. कोहरे में तापमान भी कम होता है. कम तापमान में कई कीटनाशक और फफूंदनाशक दवाएं सही तरीके से काम नहीं कर पातीं.
किसान आज कल नकदी फसलों की खेती बड़े पैमाने पर करने लगे हैं. वहीं, गर्मी आते ही तोरई की मांग बाजारों में बढ़ जाती है. इसलिए किसान बड़े स्तर पर इसकी खेती कर सकते हैं. ऐसे में किसानों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम ऑनलाइन तोरई की खास किस्म संपन्न का बीज बेच रहा है.
पायलट प्रोजेक्ट में 5 जिलों के करीब 20 हजार किसानों ने ऐप के जरिए 60 हजार से ज्यादा यूरिया बैग खरीदे, अब पूरे राज्य में लागू करने की तैयारी.
100 साल पूरे कर रहा CCRI जलवायु परिवर्तन, मजदूरी लागत और घटती पैदावार से निपटने के लिए नई कॉफी किस्में विकसित कर रहा है. जर्मप्लाज्म, बायोटेक्नोलॉजी और मशीनरी के जरिए किसानों को बेहतर उपज और गुणवत्ता देने की तैयारी है. बालेहोन्नूर स्थित CCRI ने कॉफी किसानों की बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए दो नई अरेबिका किस्में पेश की हैं.
सीड ट्रीटमेंट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बुआई से पहले बीजों को फफूंदनाशक, कीटनाशक, ऑर्गेनिक एजेंट या पोषक तत्वों से उपचारित किया जाता है. इसका उद्देश्य बीज और शुरुआती पौधों को मिट्टी व बीज जनित रोगों, कीटों और प्रतिकूल मौसम से बचाना होता है. सर्दियों के मौसम में तापमान कम होने के कारण बीजों का अंकुरण धीमा हो जाता है.
महाराष्ट्र सरकार ने नेचुरल खेती को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की कि अगले दो सालों में 2.5 मिलियन हेक्टेयर ज़मीन को नेचुरल खेती के तहत लाया जाएगा. इस पहल से किसानों का खर्च कम होगा, मिट्टी की सेहत बेहतर होगी और खेती जलवायु परिवर्तन के प्रति ज़्यादा मज़बूत बनेगी.
इफको नैनोवेंशंस ने नैनो-बेस्ड फर्टिलाइजर जैसे नैनो यूरिया और नैनो DAP बनाए हैं. इनका प्रयोग अब पूरे भारत में किसान कर रहे हैं. इन प्रोडक्ट्स से फसलें पोषक तत्वों को आसानी से सोख लेती हैं. किसानों को कम खाद की जरूरत होती है. फिर भी उन्हें बेहतर फसल मिलती है, जबकि मिट्टी और पानी भी स्वस्थ रहते हैं.
किसानों और पशुपालकों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम ऑनलाइन ज्वार के चारे की बीज बेच रहा है. इस चारे को आप ओएनडीसी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं. यहां किसानों को कई अन्य प्रकार की फसलों के बीज पौधे और चारे वाली फसलें आसानी से मिल जाएंगी.
किसानों का कहना है कि दिनभर इंतजार के बाद भी खाली हाथ लौटना पड़ता है और अगले दिन फिर लाइन लगानी पड़ती है. किसानों ने कहा कि वो लोग गेहूं की फसल के लिए जिस महीन खाद की मांग कर रहे हैं.
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