बागेश्वर जिले में बागवानी विभाग के हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी मिशन से जुड़कर किसान उगा रहे ‘महालक्ष्मी’ और ‘वरलक्ष्मी’ किस्म के हाइब्रिड गेंदा फूल. महिलाएं और युवा बन रहे हैं “फ्लोरल रेवोल्यूशन” के वाहक.
उत्तराखंड सरकार के बागवानी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (JICA) के साथ 17 जनवरी, 2025 को ‘उत्तराखंड एकीकृत बागवानी विकास संवर्धन परियोजना’ नाम की तकनीकी सहयोग परियोजना (टीसीपी) के लिए आधिकारिक समझौता दस्तावेज, रिकॉर्ड्स ऑफ डिस्कशन साइन किए हैं.
नट्स एंड ड्राई फ्रूट काउंसिल ऑफ इंडिया NDFCI देश में ड्राई फ्रूट को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग पहलों के माध्यम से काम कर रहा है. इस बीच, अखरोट की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए NDFCI ने उत्तराखंड के चकराता को इसके उत्पादन के लिए चुना है. यहां ग्राफ्टेड अखरोट के 300 पौधे लगाए गए हैं.
उत्तराखंड में पिछले सात सालों में फलों का उत्पादन क्षेत्र घटने से पैदावार 44 प्रतिशत तक कम हो गई है. जिसके चलते नाशपाती, खुबानी और आलूबुखारा जैसे फलों का उत्पादन 60% तक घट गया है. सरकार इस संकट से निपटने के लिए अगले 8 साल को लेकर रोडमैप बना रही है, जिसमें किसानों को सब्सिडी दी जाएगी.
भारत में इथेनॉल उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है, जिससे न केवल देश की विदेशी मुद्रा में 99 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है, बल्कि इससे किसानों और पर्यावरण को भी कई लाभ मिल रहे हैं. इथेनॉल, पेट्रोल में मिलाकर उपयोग किया जाने वाला जैव ईंधन है, जिसे मुख्यतः गन्ने और अन्य कृषि उपज से बनाया जाता है.
मक्के की इस खास ब्रीड को आईसीएआर ने उत्तराखंड की पहाड़ी इलाकों के लिए विकसित किया है. इसका नाम वीएल त्रिपोषी (FQPLH 20) रखा गया है. इसकी खेती से किसान मक्के के लंबे और चमकदार दाने पा सकते हैं. इससे उनकी के साथ कमाई भी बढ़ेगी.
फॉक्सटेल मिलेट यानी बाजरा की एक खास प्रकार की किस्म. इसका उत्पादन उत्तराखंड में सबसे ज्यादा होता है. राज्य में इसे काऊणी के नाम से भी जानते हैं. हालांकि राज्य से दूसरे राज्यों में होने वाले पलायन की वजह से इसके उत्पादन में गिरावट आई है. फॉक्सटेल मिलेट, दुनिया का सबसे पुराना मिलेट है.
फर्रुखाबाद जनपद में कृषि प्रधान जनपद माना जाता है. इस जनपद में बड़े पैमाने पर आलू की खेती की जाती है. क्षेत्र के किसानों की आर्थिक स्थिति भी आलू फसल पर निर्भर करती है. इसलिए अगर यदि किसान के खेतों में आलू की पैदावार अच्छी होती है तो किसान खुशहाल होता है और अगर आलू की पैदावार अगर कम होती है तो किसान को आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ता है.
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. पंकज नौटियाल बताते हैं कि पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर लाल चावल की रंगत और अनूठा स्वाद इसको आम चावलों की तुलना में खास और कीमती बनाता है. इसकी देश-विदेश में काफी मांग है. लाल धान की फसल तेज हवा या भारी बारिश के झोंकों में भी खड़ी रहती है.
उधम सिंह नगर में लगभग पिछले तीन महीने के किसान भूमि बचाओ आंदोलन के तहत धरने पर बैठे हुए हैं. उन किसानों के राज्य सरकार को रावण की उपाधि देते हुए रावण के पुतले का दहन किया साथ ही प्रदर्शनकारी किसानों ने जल्द दी उनके भूमि अधिकार को बापस करने की मांग की है.
आज विजयादशमी है. इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई है. दुनिया इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के त्योहार के तौर पर मनाती है. वहीं उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के किसानों ने विरोध करने का अनोखा तरीका अपनाया है. अपने अधिकारों की मांग कर रहे किसानों ने सरकार के विरोध के तौर पर रावण का पुतला जलाया. पुतला में सरकार के प्रतीक के तौर पर रावण को बनाया गया था.
सब्जियों की खेती के लिए उत्तराखंड प्रसिद्ध है. पहाड़ी इलाका होने के कारण यहां पर विभिन्न प्रकार की सब्जियां पायी जाती है जो खाने में बेहद स्वादिष्ट होती है साथ ही सेहद के लिए भी काफी लाभ होता है. बागेश्वर जिले में ऊपजने वाली पिनालू औऱ गडेरी भी उत्तराखंड की प्रसिद्ध सब्जियों में से एक हैं. पूरे उत्तराखंड के लोग इन दोनो की सब्जियों को खूब पसंद करते हैं, खास कर सर्दियों में इसका सेवन खूब किया जाता है. इसे खाने के कई फायदे हैं.
उत्तराखंड में पीनालू औऱ गडेरी को अन्य सब्जियां जैसे भिंडी और तोरई के साथ मिलाकर बनाया जाता है. जो काफी स्वादिष्ट होता है. पहाड़ में सर्दियों में गडेरी काफी तादाद में इस्तेमाल होती है. हालांकि एक जैसी और एक स्वाद वाली ये दोनों सब्जियों में बहुत अंतर है.
QPM Hybrid Maize Farming: उत्तराखंड स्थित विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताबिक क्यूपीएम और गैर-क्यूपीएम यानी सामान्य मक्का फसल की बुवाई अलग-अलग जरूरी है. वरना क्यूपीएम के दानों में ट्रिप्टोफैन व लाइसीन की मात्रा में कमी आ जाएगी.
अल्मोड़ा स्थित विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने मक्के एक ऐसी किस्म तैयार की है, जिसमें इंसान के लिए बेहद जरूरी माने जाने वाले ट्रिप्टोफैन और लाइसीन की मात्रा सामान्य से लगभग डबल है. इसका नाम वीएल क्यूपीएम हाइब्रिड-59 है.
पिछले कुछ दिनों से हो रही बेमौसम बारिश किसानों के लिए आफत बन रही है. उत्तराखंड के बागेश्वर जनपद में भी तेज हवा और ओले गिरने से आम की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है. इससे इस साल आम का उत्पादन घटने की आशंका जताई जाने लगी है.
उत्तराखंड में लगभग 86 हजार हेक्टेयर में मंडुए की खेती की जाती है. इसमें 1.27 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन होता है. राज्य के गठन के बाद से प्रदेश में मंडुए की खेती का रकबा थोड़ा कम हुआ है. वर्ष 2000 हजार में राज्य में मंडुए का क्षेत्र 1.32 लाख हेक्टेयर था जो अब वर्ष 2021-22 तक 86 हजार हेक्टेयर हो गया है.
हम यहां जिन दो भाइयों की बात कर रहे हैं, वे टिहरी गढ़वाल जिले के चंबा में डडूर गांव के रहने वाले हैं. इनका नाम है सुशांत उनियाल और प्रकाश उनियाल. दोनों की दिल्ली में अच्छी-खासी नौकरी थी. सुशांत मल्टीनेशनल कंपनी में सेल्स मैनेजर और उनके भाई प्रकाश उनियाल बैंक में नौकरी करते थे. लेकिन बाद में इन्होंने खेती में करियर बनाया.
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