उत्तराखंड ड्राई फ्रूट्स के लिए बेहद मशहूर है, लेकिन पिछले कुछ सालों में यह इसका उत्पादन काफी घट गया है. इस बीच, नट्स एंड ड्राई फ्रूट काउंसिल ऑफ इंडिया NDFCI ने उत्तराखंड के चकराता में अखरोट की खेती की पहल शुरू की है. संगठन ने बीते महीने 28 और 29 तारीख को तीन गांवों में अखरोट के 300 ग्राफ्टेड पौधे लगाए हैं. भारत में पहली बार ग्राफ्टेड अखरोट की खेती की जा रही है. NDFCI इस पहल के माध्यम से देश में अखरोट का उत्पादन बढ़ाकर आयात पर निर्भरता को कम करना चाहती है. साथ ही उनका उद्येश्य स्थानीय किसानों के लिए आर्थिक अवसर पैदा करना भी है.
NDFCI का यह प्रोजेक्ट तीन साल चलेगा. शुरुआत में इसमें 70 किसान शामिल हुए हैं. तीन साल में 1000 से ज्यादा किसानों को इससे फायदा मिलेगा. प्रोजेक्ट के तहत चयनित किसानों को रोपण के साथ-साथ अखरोट के पौधों की देखभाल के लिए उन्नत तकनीकों की ट्रेनिंग भी शामिल है. चकराता में लगाए गए पौधे उच्च उपज देने में सक्षम हैं, जिन्हें तुर्की की बागवानी फर्म एग्रोनोम से मंगाया गया है. इन्हें भारत में कलासन नर्सरी ने इंपोर्ट किया है.
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NDFCI के कृषि और किसान संपर्क समिति के अध्यक्ष अचिन अग्रवाल ने प्रोजेक्ट के बारे में कहा कि हम अखरोट की बढ़ती लोकप्रियता और मांग को पूरा करने की उम्मीद करते हैं. जैसे-जैसे भारत और दुनिया एक स्वस्थ्य जीवनशैली की ओर बढ़ रही है, हमें उम्मीद है कि यह पहल अखरोट उत्पादन का विस्तार करने में मदद करेगी.
उत्पादन का विस्तार करने से ऊपर, यह पहल क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में मदद करेगी और हमें उम्मीद है कि आने वाले सालों में यह से अखरोट के निर्यात के लिए एक प्रमुख बन जाएगा. NDFCI अपने प्रोजेक्ट के माध्यम से विश्व स्तरीय अखरोट नर्सरी बनाने की कोशिश में है, ताकि किसानों को उच्च उपज वाले पौधे मिलने में आसानी हो.
NDFC(I) ने वॉलनट एंड अदर नट ग्रोवर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (WANGAI) के सहयोग से भारत को अखरोट के उत्पादन और निर्यात के लिए ग्लोबल हब बनाने का लक्ष्य रखा है. NDFC(I) फरवरी 2025 में MEWA के दूसरे संस्करण की तैयारी कर रहा है. यह एग्जीबिशन मुंबई में 12 से 14 फरवरी तक चलेगी, जो नट्स और ड्राई फ्रूट्स के लिए भारत की सबसे बड़ी बिजनेस टू बिजनेस (B2B) प्रदर्शनी है. इसमें 30 से ज़्यादा देशों के लोग शामिल होंगे. पिछले साल इस प्रदर्शनी में 130 से ज़्यादा प्रदर्शक और 6,000 से ज़्यादा प्रतिभागी शामिल हुए थे.
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