अच्छी नौकरी, खूब-रुपये पैसे कमाने और बेहतर लाइफस्टाइल की चाह में गांव के गांव खाली हो रहे हैं. गांवों को सबसे अधिक पलायन का दंश झेलना पड़ रहा है. हालांकि इसी में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कभी गांव छोड़कर शहर में जा बसे थे, लेकिन दोबारा गांव लौटे और एक नया सफर शुरू किया. इस सफर में उनकी अकेले की यात्रा नहीं है बल्कि साथ-साथ कई लोग चलते हैं, खुद रोजगार करते हैं और दूसरों को भी रास्ता दिखाते हैं. ऐसी ही एक कहानी उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल की है. यहां के दो भाइयों ने दोबारा गांव में लौटकर खेती-किसानी को अपना करियर बनाया. अब दोनों भाई अच्छी कमाई कर रहे हैं. दूसरों को भी रोजगार का रास्ता दिखा रहे हैं.
टिहरी के ये दोनों भाई दिल्ली में कमाने गए थे. नौकरी भी अच्छी-खासी कर रहे थे. लेकिन इनका दिल हमेशा अपने पहाड़ों में लगा रहता था. नौकरी चल तो रही थी, लेकिन खुद के दम पर कुछ कर गुजरने का जज्बा था. लिहाजा, दोनों भाई टिहरी वापस अपने पहाड़ों में लौट आए. रोजगार के लिए इन भाइयों ने खेती को अपनी किस्मत बनाई. इनके दिमाग में पहले से मशरूम की खेती बसी हुई थी. इसलिए, मशरूम को ही अपने रोजगार का आसरा बनाया और इसकी खेती में लग गए. नतीजा बेहद अच्छा रहा. दोनों भाइयों की मानें तो मशरूम की खेती (mushroom farming) से इन्हें 24 लाख रुपये की कमाई हो रही है.
हम यहां जिन दो भाइयों की बात कर रहे हैं, वे टिहरी गढ़वाल जिले के चंबा में डडूर गांव के रहने वाले हैं. इनका नाम है सुशांत उनियाल और प्रकाश उनियाल. दोनों की दिल्ली में अच्छी-खासी नौकरी थी. सुशांत मल्टीनेशनल कंपनी में सेल्स मैनेजर और उनके भाई प्रकाश उनियाल बैंक में नौकरी करते थे. दोनों भाइयों ने गांव लौटकर अपनी बंजर होती जमीन में मशरूम की खेती की और स्वरोजगार की नई मिसाल पेश की है. महज चार साल में अब उनकी बंजर जमीन एक बार फिर से सोना उगलने लगी है. नतीजा ये है कि इन दोनों युवाओं के पास गढ़वाल क्षेत्र का सबसे बड़ा मशरूम प्लांट भी है.
सुशांत और प्रकाश उनियाल 'किसान तक' से बातचीत में बताते हैं, दिल्ली में अच्छी नौकरी के बावजूद उन्हें गांव की खाली जमीन की चिंता सताती रहती थी. इसी वजह से दोनों भाइयों ने 2018 में दिल्ली से नौकरी छोड़कर गांव लौटने का फैसला किया. स्वरोजगार के तौर पर मशरूम की खेती शुरू की. उन्होंने 2019 में केंद्र सरकार की 'मिशन ऑफ इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हिल्स योजना' के तहत 28.65 लाख रुपये का लोन लिया और ढींगरी मशरूम (ऑयस्टर मशरूम) का प्लांट लगाया.
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इनकी मेहनत से मशरूम का प्लांट चल पड़ा और अच्छी कमाई आने लगी. दोनों भाइयों ने लॉकडाउन जैसे संकट में भी 10 लाख रुपये का व्यापार किया. वहीं अब उनके मशरूम नई टिहरी, चंबा, देहरादून, ऋषिकेश और दिल्ली तक जाते हैं.
सुशांत और प्रकाश उनियाल अपने मशरूम प्लांट से हर महीने एक हजार किलो ढींगरी मशरूम का उत्पादन करते हैं. स्थानीय बाजार में वे इस मशरूम को 150 से 180 रुपये किलो की दर पर बेचते हैं. इसके अलावा, वे मशरूम का आचार भी बेचते हैं. इससे उनका साल भर में 24 लाख का टर्नओवर आ जाता है. इसमें खर्च और मुनाफा दोनों शामिल है.
उनियाल बंधु ने 'किसान तक' को बताया कि वे अपने प्लांट में 15 से 20 युवाओं को रोजगार दे रहे हैं. आस-पास के कई किसान इन भाइयों से मशरूम की खेती सीखने भी आते हैं. यहां तक कि अगल-बगल के जिले और शहरों से बच्चे इंटर्नशिप करने आते हैं. उनियाल भाई उन युवाओं को मशरूम उगाने का प्रशिक्षण देते हैं.
इन दोनों युवाओं की सराहना 9 अगस्त 2021 को एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं. इस पर दोनों भाइयों ने अपनी कामयाबी का असली श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को दिया. इनका कहना है कि सरकार की योजना ऐसी न होती तो वे अपनी खेती और स्वरोजगार करने के बारे में शायद नहीं सोच पाते. आज इन दोनों भाइयों की चर्चा उत्तराखंड के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है.
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