गेंदा की खेतीपहाड़ों में खिले सुनहरे गेंदा फूल न सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता बढ़ा रहे हैं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा भी दे रहे हैं. इस दिवाली बागेश्वर जिले के किसानों के चेहरों पर मुस्कान खिली, क्योंकि गेंदा फूलों की भारी मांग ने उन्हें अच्छा मुनाफा दिलाया. पहले जो किसान रोजगार की तलाश में मैदानों की ओर पलायन करते थे, अब वही अपनी भूमि पर समृद्धि की फसल उगा रहे हैं.
बागवानी विभाग के हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी मिशन के तहत ‘महालक्ष्मी’ और ‘वरलक्ष्मी’ किस्म के हाइब्रिड गेंदा फूलों की खेती ने मनकोट, गोगीना, कौसानी, अनर्सा और अमसकरोट जैसे गांवों को “फूल समृद्धि” के केंद्र में बदल दिया है.
'टाइम्स ऑफ इंडिया' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब पांच हेक्टेयर क्षेत्र में फैली गेंदा खेती से इस वर्ष 10 लाख रुपये से अधिक की बिक्री हुई. किसान अब 1.5 से 3 लाख रुपये तक वार्षिक आय कमा रहे हैं. पहले जहां बागेश्वर को हल्द्वानी, रामनगर और बरेली से फूल मंगाने पड़ते थे, वहीं अब क्षेत्र पूरी तरह आत्मनिर्भर हो गया है.
मनकोट गांव में दो हेक्टेयर भूमि पर करीब 50 क्विंटल गेंदा फूल की पैदावार हुई. किसान राजेश चौबे ने बताया, “इस दिवाली हमारे सारे फूल स्थानीय बाजार में बिक गए. अब सालाना दो लाख रुपये कमाना सपना नहीं, हकीकत है. इन फूलों ने हमारे घर-आंगन ही नहीं, हमारी जिंदगी भी रोशन कर दी.”
गोगीना, अनर्सा, शामा और अमसकरोट की महिलाएं भी इस “फूल क्रांति” में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. अनर्सा की किसान लीला देवी ने कहा, “इस बार खेतों की कमाई ने हमारे घर के दीये और दिल दोनों रोशन कर दिए. पचास हजार की आमदनी ने आत्मविश्वास बढ़ाया है.”
कृषि सहायक अधिकारी कुलदीप जोशी के अनुसार, “यह सिद्ध हो चुका है कि फूलों की खेती पहाड़ी क्षेत्रों में एक मजबूत आर्थिक विकल्प बन सकती है. विभाग बीज, तकनीकी प्रशिक्षण, खाद और मार्केटिंग तक हर संभव सहायता दे रहा है.”
किसान बलम सिंह मिरोला ने करीब 70 हजार रुपये की कमाई की. वहीं युवा किसान भारतेंदु और हरीश पांडे के लिए गेंदा खेती अब स्थायी आय का साधन बन गई है, जिससे उन्हें शहरों की ओर पलायन नहीं करना पड़ता.
बागवानी विभाग अब इस पहल को कपकोट, कंडा, कौसानी और शामा जैसे क्षेत्रों में भी विस्तार देने जा रहा है. पिछले सीजन में विभाग ने किसानों को मुफ्त में हाइब्रिड बीज बांटे और मई-जून में बुवाई और अक्टूबर में कटाई की तकनीक सिखाई.
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