लाल धान की खेती के ल‍िए उत्तरकाशी जिले को म‍िला अवार्ड, जान‍िए क्या है इस धान की खास‍ियत   

लाल धान की खेती के ल‍िए उत्तरकाशी जिले को म‍िला अवार्ड, जान‍िए क्या है इस धान की खास‍ियत   

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. पंकज नौटियाल बताते हैं कि पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर लाल चावल की रंगत और अनूठा स्वाद इसको आम चावलों की तुलना में खास और कीमती बनाता है. इसकी देश-विदेश में काफी मांग है. लाल धान की फसल तेज हवा या भारी बारिश के झोंकों में भी खड़ी रहती है.  

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लाल धान की खेती के ल‍िए उत्तरकाशी जिले को म‍िला अवार्ड, जान‍िए क्या है इस धान की खास‍ियत   Uttarkashi district got award for red paddy cultivation

 उत्तराखंड का उत्तरकाशी जिला लाल धान के लिए प्रसिद्ध है. जहां यमुना घाटी के पुरोला में हर साल लाखों के लाल धान का कारोबार होता है. वहीं अब जिले की गंगा घाटी में लाल धान की खेती को बढ़ावा देने का प्रयास फलीभूत हो रहे हैं. इस मुहिम को शुरू करने के लिए जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने खुद खेतों में उतर कर ग्रामीणों के साथ जुताई और रोपाई की थी. वहीं रुहेला द्वारा लाल धान की खेती को लेकर किए गए इस प्रयास से नई दिल्ली में आयोजित नेशनल वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) अवार्ड में उत्तरकाशी जिले को दूसरा पुरस्कार मिला है. देशभर के लगभग पांच सौ जिलों के बीच उत्तरकाशी को कृषि की श्रेणी में यह सम्मान मिला है. 

जिले की यमुना घाटी के रामा सिराई और कमल सिराई में परंपरागत रूप से बड़े पैमाने पर लाल धान की खेती की जाती है. रवांईं क्षेत्र में पुरोला ब्लॉक की कमल सिरांई और रामा सिरांई में लाल धान का सर्वाधिक उत्पादन होता है. इसके साथ नौगांव और मोरी ब्लॉक के निचले इलाकों में भी लाल धान उगाया जाता है. इन इलाकों में लाल धान की सालाना उपज करीब 3000 टन है.  

लाल धान की विशेषता 

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. पंकज नौटियाल बताते हैं कि पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर लाल चावल की रंगत और अनूठा स्वाद इसको आम चावलों की तुलना में खास और कीमती बनाता है. इसकी देश-विदेश में काफी मांग है. लाल धान की फसल तेज हवा या भारी बारिश के झोंकों में भी खड़ी रहती है. साथ ही इसकी पुआल पशुओं के चारे के लिए अपेक्षाकृत बेहतर मानी जा रही है. लाल चावल एक पोषण संबंधी पावरहाउस है, जो प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, मोनो-अनसेचुरेटेड फैटी एसिड, विटामिन और जिंक, आयरन जैसे खनिज और वैनिलिक एसिड, फेरुलिक एसिड आदि जैसे पॉलीफेनोल्स की अच्छाइयों से भरपूर है.

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लाल धान की खेती बढ़ाने की मुह‍िम 

किसानों की बेहतरी की व्यापक संभावना को देखते हुए जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला की पहल पर कृषि विभाग ने पहली बार जिले की गंगा घाटी में भी लाल धान पैदा करने की योजना तैयार की थी. शुरुआती दौर में चिन्यालीसौड, डुंडा और भटवाड़ी ब्लॉक के पैंतीस गांवों के लगभग 450 किसानों को इस प्रायोगिक मुहिम से जोड़ा गया. साठ क्विंटल बीज की नर्सरी तैयार कर लगभग दो सौ हेक्टेयर क्षेत्रफल में लाल धान की रोपाई की गई थी.

कितना मिलता है भाव 

इस क्षेत्र में धान की औसत पैदावार प्रति हेक्टेयर 40 क्विंटल से भी अधिक आंकी गई है. सामान्य धान की बाजार कीमत 25 से 30 रुपये प्रति किलो मिलता है जबकि लाल धान 80 से 100 रुपये प्रति किलाग्राम आसानी से बिक रहा है. लिहाजा लाल धान से किसान को अच्छा फायदा होना तय है.

उत्तरकाशी जिले को मिला द्वितीय पुरस्कार 

नई दिल्ली स्थित प्रगति मैदान के भारत मंडपम में केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में आत्मनिर्भर भारत उत्सव का आयोजन हुआ. इस दौरान देशभर के जिलों के बीच कृषि की श्रेणी में उत्तरकाशी जिले ने लाल धान की खेती को लेकर दूसरा स्थान हासिल किया है. केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के हाथों जिलाधिकारी उत्तरकाशी अभिषेक रूहेला ने जिलों की श्रेणी में प्रथम रनर अप का नेशनल ओडीओपी पुरस्कार ग्रहण किया. इधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय स्तर पर मिले सम्मान की सराहना की.  
उत्तराखंड

ऐसा हुआ ओडोओपी पुरस्कार हेतु चयन

वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट के तहत उत्तरकाशी जिले से लाल धान को पूर्व नामित किया गया था. जिला प्रशासन, कृषि विभाग एवं उद्योग विभाग ने राष्ट्रीय पुरस्कार हेतु के लिए अगस्त माह में भारत सरकार को आवेदन किया था. जिसके बाद भारत सरकार के दल ने बीते अक्टूबर और नवंबर माह में जिले का दौरा कर जिले के दावे की पड़ताल की और तय मानकों पर जिले के दावे को उपयुक्त पाया. नेशनल वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) अवार्ड में लाल धान और उत्तरकाशी जिला देश भर से दावेदार लगभग 500 जिलों के बीच सराहना और सम्मान का पात्र बना. ( रिपोर्ट/ ओंकार बहुगुणा) 

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