देश में इस वक्त खरीफ फसल का सीजन चल रहा है. इस मौसम में किसान धान के अलावा मक्के की बड़े पैमाने पर खेती करते हैं. उत्तराखंड में भी खरीफ के सीजन में बड़े पैमाने पर मक्के की खेती की जाती है. किसानों को मक्के की अधिक उपज दिलाने के लिए और इसकी खेती के जरिए किसानों की आय बढ़ाने के लिए उत्तराखंड में मक्के की एक नई वेरायटी विकसित की गई है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट करके इस बात की जानकारी दी गई है. मक्के ही यह नई विकसित वेरायटी अच्छी क्वालिटी और अच्छी उपज के लिए जानी जाएगी.
मक्के की इस खास ब्रीड को आईसीएआर की तरफ से खास तौर पर उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों के लिए विकसित किया गया है. इसका नाम वीएल त्रिपोषी (FQPLH 20) रखा गया है. यह मक्के की एक ऐसी किस्म है जो लगाने के बाद जल्दी पककर तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. यह बॉयोफोर्टीफाइड मक्का है. इसके बीज में ट्राइप्टोफान 0.072 प्रतिशत, लाइजिन 0.297 प्रतिशत, प्रो विटामिन ए के साथ-साथ फाइटेट भी होता है. इसलिए इसका सेवन करना भी फायदेमंद माना गया है. मक्के की इस खास किस्म की खेती करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं.
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वीएल त्रिपोषी (FQPLH 20) मक्के का आकर लंबे सिलेंडर की तरह होता है. इसके ऊपरी हिस्से में पर्याप्त मात्रा में कवर भी होता है. इसके दाने का आकार मध्यम होता है. इसके एक हजार दानों का वजन लगभग 275 ग्राम तक हो सकता है. इसके साथ ही मक्के की यह किस्म कीट रोधी भी है. मक्के की यह किस्म टर्सियम लीफ ब्लाइट रोग की प्रतिरोधक क्षमता रखती है. इसकी पैदावार की बात करें तो सामान्य हालात में खेती करने पर इसकी औसत पैदावार साढ़े चार से पांच टन प्रति हेक्टेयर तक पा सकते हैं. यह अधिक उपज देने वाली किस्म है.
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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में कुल 27, 895 हेक्टेयर क्षेत्र में मक्के की खेती की जाती है. अकेले देहरादून में कुल 9,115 हेक्टेयर में मक्के की खेती की जाती है. इस तरह से राज्य में कुल 33 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि में मक्के की खेती की जाती है. इसमें लगभग 45 फीसदी क्षेत्रफल पहाड़ी क्षेत्र में पड़ता है. राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में मक्के की खेती को बढ़ावा देने और मक्का के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा में मक्के की कई हाइब्रीड किस्में विकसित की गई हैं.
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