कर्नाटक के 10वीं पास गिरीश बद्रागोंड ने अपनी सूझबूझ से कमाल कर दिया है. उन्होंने चने की खेती के लिए एक अनोखा 'सोलर ट्रिमर' बनाया है, जो बिना पेट्रोल या बिजली के सिर्फ धूप से चलता है. जहां मजदूर दिन भर में मुश्किल से 1 एकड़ कटाई कर पाते थे, यह मशीन 4 एकड़ तक का काम चुटकियों में निपटा देती है.
केरल के किसान स्टेनली बेबी ने समस्या से भागने के बजाय उसका समाधान खोजा है. बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा को उन्होंने अपनी ताकत बना लिया है. बाढ़ के दौरान बत्तखों के घर अक्सर डूब जाते थे. इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने तैरता हुआ बत्तख घर का आविष्कार किया है.
सोया राज्य के नाम से मशहूर मध्य प्रदेश अब प्रीमियम क्वालिटी गेहूं के लिए पहचाना जा रहा है. मालवा के किसान योगेंद्र कौशिक ने KVK के मार्गदर्शन और HI-8663 (पोषण) वैरायटी की मदद से 95.32 क्विंटल/हेक्टेयर का रिकॉर्ड उत्पादन लिया है. जलवायु परिवर्तन के दौर में यह वैरायटी तेज गर्मी, स्ट्रेस और कम पानी वाले हालात में भी ज्यादा उपज देकर किसानों के लिए नया समाधान बन रही है.
Farmer Succuess Story: धौलपुर के किसान राकेश कुमार ने पारंपरिक खेती छोड़ पॉली हाउस में खीरे की खेती कर लाखों रुपये का मुनाफा कमाया. उद्यान विभाग से अनुदान लेकर आधुनिक तकनीक अपनाने से उन्होंने खेती को लाभकारी व्यवसाय बना लिया है. अब आसपास के किसान भी उनसे प्रेरित हो रहे हैं. पढ़ें सफलता की कहानी...
ओडिशा के किसान बिराजा प्रसाद पंडा ने एक जादुई रैक बनाया है, जो दो बड़ी समस्याओं को एक साथ हल करता है. पराली जलाना और शहरों में जगह की कमी. इस रैक की लागत बहुत कम है और इसे खास तौर पर बालकनी या छत जैसी छोटी जगहों के लिए डिजाइन किया गया है. इस रैक में बेकार समझी जाने वाली धान की पराली का इस्तेमाल करके आसानी से पौष्टिक मशरूम उगाए जा सकते हैं.
तेलंगाना के एक किसान, श् रिपल्ले शनमुखा राव, ने 'देसी जुगाड़' से एक कमाल की मशीन बनाई है। खेती में निराई-गुड़ाई एक बड़ी समस्या थी। मजदूरों से काम महंगा पड़ता था और पुरानी मशीनें थका देती थीं व फसल को नुकसान पहुंचाती थीं।इस परेशानी को हल करने के लिए, शनमुखा ने कबाड़ के सामान का इस्तेमाल क एक ऐसी बना दी। इसमें दो की जगह सिर्फ एक पहिया है, एक पहिया वाली मशीन किसान बैठे-बैठे सब काम कर सकता है इससे पैसे की बचत के साथ किसान को कई काम बेहद आसान हो जाएगी किसान आराम हो जाएगा.
मध्य प्रदेश के धार ज़िले के किसान सीताराम निगवाल ने 30 वर्षों के अनुभव से खेती का एक क्रांतिकारी मॉडल, विकसित किया है. एक ही खेत में, एक ही समय पर कई लेयर पर फसलें उगाते हैं और जमीन के हर इंच का पूरा उपयोग करते हुए इसी 'स्मार्ट' खेती से वह प्रति वर्ष लाखों का भारी मुनाफा कमा रहे हैं, जो पारंपरिक खेती से कई गुना अधिक है.
खेती में कम जगह होना एक बड़ी चुनौती है. लेकिन, 'इनोवेटिव फार्मर' इसका भी हल निकाल रहे हैं. ऐसा ही एक 'सीक्रेट' है 'स्टोली सिस्टम. यह खेती करने का एक बहुत ही खास और नया तरीका है. इस सिस्टम या तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि किसान बहुत कम जमीन पर भी बंपर पैदावार ले सकते हैं. यह सिस्टम उन किसानों के लिए एक वरदान है क्योकि नई तकनीक अपनाकर कम लागत और कम जगह में भी खेती से बंपर पैदावार लेकर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है.
हरियाणा के हिसार निवासी किसान राजेंदर पुनिया ने खेती की लागत और मजदूरों की कमी जैसी समस्याओं का शानदार हल निकाला है. उन्होंने अपने 'देसी जुगाड़' से कई मशीनें बनाई हैं. इसमें धान की सीधी बिजाई कर, पारंपरिक रोपाई का झंझट खत्म करती है, जिससे 95-100% अंकुरण मिलता है और पैदावार 5-6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर बढ़ती है. इसके अलावा, उन्होंने 'टारज़न' नाम की एक बहु-उपयोगी, बिना ट्रैक्टर के चलने वाली मशीन बनाई है, जो लेवा, खरपतवार नियंत्रण, खाद डालने और स्प्रे करने जैसे कई काम करती है.
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