खेती और पशुपालन से जुड़कर लोग अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं. अधिकांश लोग हैं जो लाखों में कमाते होंगे लेकिन इस खबर में एक ऐसे पशुपालक का जिक्र है जो देसी गायों की गौशाला से सालाना 10 करोड़ रुपये का रेवेन्यू जनरेट कर रहे हैं. इस खबर में जानिए गाजियाबाद के पशुपालक के सफलता की कहानी.
हरियाणा के करनाल जिले की ड्रोन दीदी गीता ने ड्रोन पायलट बनकर अपनी जिंदगी को एक नई पहचान दी है. उन्होंने बताया कि पहले वह सेलफल ग्रुप से जुड़ी हुई थी, उसके बाद कृषि विज्ञान केंद की और से उन्हें जानकारी प्राप्त हुई की महिलाओं को फ्री में ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग दी जा रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में मध्य प्रदेश की बालाघाट निवासी सुमन उइके की सफलता की कहानी साझा की. मशरूम खेती और पशुपालन से आत्मनिर्भर बनी सुमन आज कई महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं.
Drone Didi: करनाल के कतलेहड़ी गांव की रहने वाली सीता देवी जो एक ड्रोन दीदी हैं, वो अपने गांव और जिले की महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं. उन्होंने काफी परेशानियों को झेलकर ड्रोन दीदी बनने का फैसला लिया और आज वो एक सफल महिला हैं.
उदय प्रताप ने ग्रेजुएशन के बाद बीटेक किया. उन्होंने कहा कि मैं चाहता तो विदेश जाकर नौकरी कर सकता था, लेकिन मैंने सोचा कि नौकरी करने से बेहतर है कि लोगों को नौकरी दी जाए. मैंने अपने बाग का विस्तार किया और आज मेरे साथ करीब 16 लोग काम कर रहे हैं, जिन्हें रोजगार मिल रहा है.
Ghaziabad News: अब मंजू सिर्फ पानी पर ही नहीं, ज़मीन पर भी कमाल कर रही हैं. हाल ही में उन्होंने देसी नस्ल की एक हज़ार 'कैरी रेड' मुर्गियों का पालन शुरू किया है. उन्होंने बताया कि ये मुर्गियां नेचुरल खाना खा लेती हैं, बीमार कम पड़ती हैं और एक साल में 250 अंडे देती हैं. एक अंडा 30-35 रुपये में बिकता है.
धर्मशाला के प्रीतम चंद के पास कुछ बंजर जमीन थी. उसमें कुछ नहीं होता था. मगर मनरेगा स्कीम में उन्होंने सेब की खेती करने का फैसला किया. वह स्कीम उनके काम आई और आज वे सेब बेचकर अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं.
ओडिशा के किसान अरक्षित पोई ने छोटे तालाब में मछलीपालन का काम शुरू किया था. इसके लिए उन्होंने आईसीएआर-सीफा से वैज्ञानिक मछलीपालन की ट्रेनिंग ली. बाद में उनका यह काम 8 तालाबों तक फैल गया है. वे मछली के बीज बड़े पैमाने पर पैदा करते हैं और बेचते हैं.
Apple Farming: यूपी के सहारनपुर के किसान ने एक मिसाल कायम किया है. उन्होंने पारंपरिक खेती छोड़कर कुछ अलग करने की ठानी और यूट्यूब से प्रेरणा लेकर हिमालयी सेब की खेती कर दी.
कांकेर जिला छत्तीसगढ़ में मत्स्य पालन के क्षेत्र में अग्रणी बन चुका है. पखांजूर क्षेत्र की हैचरियों से उच्च गुणवत्ता वाला मत्स्य बीज देश के कई राज्यों में भेजा जा रहा है, जिससे रोजगार और आय के नए अवसर बन रहे हैं.
सहारनपुर की शुभावरी अभी महज 20 साल की हैं, लेकिन उन्होंने खेती में बड़ा नाम किया है. उन्होंने 15 एकड़ में आम की खेती की है और आम की सप्लाई विदेशों तक जा रही है. उनकी खेती पूरी तरह से ऑर्गेनिक है, इसलिए सेहत पर बुरा असर नहीं होता.
Sitapur News: सीतापुर के महोली ब्लॉक निवासी किसान इंद्रजीत मौर्य बताते हैं कि हम अपने एक एकड़ खेत में हर वो मौसमी सब्जियों को उगाते है, जिसकी डिमांड मार्केट में बनी रहती है. उन्होंने बताया कि अभी करेला, देसी परवल और देसी खीरा को उगाया है. जिसकी पैदावार अच्छी हुई है.
करनाल में मजदूरी करने वाला बना किसान. मात्र 200 गज के प्लॉट में किचन गार्डन में 3 वैरायटी की हल्दी, तोरी, बैंगन, शिमला मिर्च लगाकर अपनी मेहनत से सबको किया हैरान. घर का गुजर बसर भी अब पहले से बेहतर. मजदूरी करने के साथ कुरुक्षेत्र, एनडीआरआई और घरौंडा स्थित सब्जी उत्कृष्ट केंद्र से ट्रेनिग लेकर पिछले दो सालों से कर रहे प्राकृतिक तरीके से किचन गार्डनिंग. किसान का अब सपना ठेके पर जमीन लेकर बड़े स्तर पर करेगा खेती.
Maize cultivation in UP: प्रदेश की राजधानी से सटे बाराबंकी जिले के किसान खासे प्रगतिशील हैं. रामशरण वर्मा जैसे किसान तो पूरे देश के लिए नजीर हैं. इसके लिए इनको 2019 में पद्मश्री पुरस्कार भी मिल चुका है. बाराबंकी की पहचान मेंथा की खेती के लिए रही है.
Saharanpur news: सहारनपुर के एक किसान ने अपने बच्चों की जिद के बाद मौसंबी की खेती शुरू कर की. बच्चे बार-बार मौसंबी के जूस की मांग कर रहे थे. किसान पिता जब भी जूस खरीदने जाते तो 50 रुपये खर्च होते. इस खर्च को देखते हुए पिता ने मौसंबी की खेती शुरू कर दी.
Garlic farming: कश्मीर के कुलगाम जिले में किसानों को लहसुन से जबर्दस्त कमाई हो रही है. किसानों ने लहसुन की खेती से 15 करोड़ रुपये की कमाई की है. इसमें सरकारी मदद और सब्सिडी बहुत काम आई है. कृषि विभाग से भी किसानों को बहुत मदद मिली है.
Kishan Know AI Tool for Crop: ओडिशा के 21 वर्षीय ऋषिकेश नायक ने केवल ₹85 प्रति एकड़ की लागत वाला AI आधारित "Kishan Know" टूल विकसित किया है, जो किसानों को फसल बीमारियों और कीट हमलों की पहचान कर समय पर अलर्ट भेजता है. उनका यह नवाचार भारतीय कृषि को सुलभ तकनीक से जोड़ने में मदद कर रहा है.
Success story: सेना से कर्नल पद से रिटायर सोमेंद्र पांडेय 14 एकड़ में ऑर्गेनिक खेती करते हैं. देश सेवा के बाद अब धरती को रसायन मुक्त बनाने की ओर हैं अग्रसर. वह कहते हैं कि अब उनके जैसे अन्य लोगों को गांव लौटकर खेती में नए प्रयोग करने की जरूरत है.
Maize cultivation: किसान शिवशंकर सिंह ने बताया कि मक्का ऐसी फसल मिली है, जिसने किसानों की आय को डेढ़ गुना कर दिया है. पहले एक एकड़ में 20-25 कुंतल मक्का का उत्पादन करते थे, आज प्रति एकड़ 35-40 कुंतल पैदा करते हैं.
Success story: गुना जिले के लाखन सिंह लोधा ने पथरीली जमीन को उपजाऊ बना दिया. किसी ने सोचा नहीं था कि ऐसी कंकड़ वाली जमीन में भी खेती हो सकती है. लेकिन लाखन सिंह ने कृषि विभाग की मदद से इसमें नींबू की खेती की और सफलता हासिल की.
Shimla Mirch Ki Kheti: झारखंड के गोहला गांव में दो युवाओं, दिनेश शर्मा और अनु कुमार दास ने शिमला मिर्च की खेती से नई उम्मीद जगाई है. कोरोना काल में नौकरी गंवाने के बाद उन्होंने खेती का रुख किया और 900 स्क्वायर फीट नेटहाउस में करीब 2500-3000 पौधों से अच्छी उपज हासिल कर रहे हैं. इससे उन्हें अच्छी कमाई हो रही है.
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