Farmer Success Story: छत्तीसगढ़ स्थित जांजगीर चांपा जिले के कई किसान धान की खेती करते थे. इसमें मेहनत और लागत ज्यादा लगने के बावजूद अच्छी कमाई नहीं हो रही थी. किसानों ने उड़द फसल लगाने का फैसला लिया है और आज बंपर कमाई कर रहे हैं. आइए जानते हैं वे कैसे इस फसल की इतनी पैदवार कर रहे हैं.
खेती के नए तरीकों से किसान नारायण सरकार को 50,000 से 60,000 रुपये की इनकम हर महीने हो रही है. साथ ही उनकी सफलता ऑर्गेनिक खेती की सफलता में एक बड़ा उदाहरण है. राज्य के कृषि मंत्री ने त्रिपुरा के बाकी किसानों को भी इनकम बढ़ाने के लिए इसी तरह के पर्यावरण-अनुकूल खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया.
हरियाणा के फरीदाबाद में किसान धर्मवीर सैनी 3 बीघा में गोभी की खेती कर रहे हैं. धर्मवीर ने इस बार 15-22 वैरायटी लगाई है. हालांकि हर बार वो अलग-अलग वैरायटी आजमाते हैं. धर्मवीर सैनी पिछले 25 से 30 साल से गोभी की खेती कर रहे हैं. इसके अलावा वो खीरा और करेला की खेती भी करते हैं.
झारखंड के चाकुलिया के रहने वाले किसान मानिक महतो पिछले 2 साल से गेंदा फूल की खेती कर रहे हैं. इस साल उन्होंने 10 कट्ठा में गेंदा फूल की खेती की है. पिछले साल उन्होंने 10 कट्ठा में गेंदा फूल की खेती में 8 हजार रुपये खर्च किए थे. जबकि 90 दिनों के भीतर उन्होंने 25 से 30 हजार रुपये की कमाई की थी.
एक दिन उन्होंने चुपचाप ठेला लगाया और पूरे दिन काम करके 3,000 रुपये की कमाई की. जब उन्होंने यह पैसे अपने परिवार को दिखाए तो सब चौंक गए.
किसान हरदीप और साहिल ने बताया कि उनके पास 20 एकड़ पैतृक जमीन है, जिसमें वो लेमन ग्रास की खेती करते हैं. उन्होंने बताया कि उनके चाचा दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं, उन्हीं की प्रेरणा से उन्होंने लेमन ग्रास की खेती शुरू की थी.
हिमाचल के कुल्लू के रहने वाले देवेंद्र ठाकुर ने पहाड़ी मधुमक्खी पालन को अपना रोजगार बनाया और और उसमें सफल भी हुए हैं. पहाड़ी मधुमक्खी की तरफ से तैयार शहद से देवेंद्र ठाकुर को लाखों रुपए की आय हो रही है. देवेंद्र ठाकुर ने पांच साल पहले मधुमक्खी पालन की तरफ अपना कदम बढ़ाया था. सिर्फ दो बक्से से उन्होंने इसकी शुरुआत की थी.
सत्यजीत और आंजिक्य ने साल 2012 में टू ब्रदर्स ऑर्गेनिक फार्म्स (TBOF) की शुरुआत की थी. आज उनकी यह फर्म अपने ऑर्गेनिक प्रॉडक्ट्स के लिए मशहूर है. अब उनकी यह फर्म अपने बेचे जाने वाले हर उत्पाद की कहानी बताने के लिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर रही है. रिटेल स्टोर से लेकर ईकॉमर्स और क्विक कॉमर्स सर्विसेज के जरिए इसके बारे में कंज्यूमर्स को बताया जा रहा है.
कोलकाता के बांगुर एवेन्यू के रहने वाले 51 साल के जसमीत एक इंड्रस्टीयलिस्ट से पर्यावरणविद् बने हैं. उन्होंने अब ने पश्चिम बंगाल में खेती की सूरत बदलने का मिशन शुरू किया है. वेबसाइट टेलीग्राफ के माय कोलकाता की रिपोर्ट के अनुसार जसमीत आम के बेकार बीजों को इकट्ठा करते हैं, उन्हें अंकुरित करके पौधे बनाते हैं, उन्हें स्थानीय किस्मों के साथ जोड़ते हैं.
'यूपीएससी' अधिकारी बिरदेव डोणे द्वारा ली गई भेड़-बकरी की फोटो और उनके रिश्तेदारों द्वारा उन्हें सम्मानित किए जाने की फोटो सोशल मीडिया के जरिए वायरल हो गई है. इस फोटो की हर तरफ चर्चा हो रही है.
महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के माढा तालुका के अरन गांव के किसान दत्तात्रेय घाडगे ने अपने बगीचे में आम के पेड़ों कई तरह के प्रयोग किए. इन प्रयोगों के बाद उन्हें तीन किलो आम उगाने में सफलता हासिल हुई है. उन्होंने इस आम का नाम शरद आम रखा है. किसान दत्तात्रेय ने इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस आम का वजन तीन किलो है.
खेती किसानी करके भी अच्छे पैसे कमाए जा सकते हैं. अब पढ़े लिखे युवा भी इस क्षेत्र में अपना करियर बना रहे हैं. बाराबंकी क्षेत्र में मछली पालन के क्षेत्र में ऐसे ही एक युवा मोहम्मद आसिफ सिद्दीकी हैं जिन्होंने पहले केले की खेती में हाथ आजमाया लेकिन सफलता नहीं मिली. फिर उन्होंने मछली पालन की ट्रेनिंग ली.
बिहार के गया के रहने वाले किसान धर्मेंद्र कुमार 3 एकड़ में तरबूज की खेती कर रहे हैं. इसकी खेती से उनको हर एकड़ में 3 लाख रुपए तक की कमाई होती है. धर्मेंद्र कुमार एक एकड़ में 70 से 80 हजार रुपए खर्च करते हैं. हर चौथे दिन 4 टन तरबूज का उत्पादन हो रहा है.
नवादा के रहने वाले रविराज ने यूपीएससी में 182 वीं रैंक हासिल की है. इससे पहले 69वीं बीपीएससी में उनका 490 वां रैंक आया था. उनको रेवेन्यू ऑफिसर का पद मिला था. लेकिन रविराज ने पढ़ाई जारी रखी. आंखों की रोशनी चली जाने के बाद रविराज को पढ़ने-लिखने में दिक्कत होती थी.लेकिन रवि को उनकी मां का पूरा समर्थन मिला.
लॉकडाउन के दौरान कोलकाता से भोजपुर लौटे जितेंद्र सिंह ने खेती के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है. आज वे अमेरिका तक सहजन के सूखे पत्ते भेज रहे हैं. वे न केवल खुद मुनाफा कमा रहे हैं, बल्कि अन्य किसानों को भी लाभ दिला रहे हैं. इसके साथ ही वे सरकार को ड्रायर मशीन की सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर सुझाव भी दे रहे हैं.
Lemon Farming: महाराष्ट्र के सोलापुर जिले स्थित संगदरी गांव के किसान महादेव कलप्पा चेंडके परंपारगत खेती छोड़ नींबू का उत्पादन कर लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं. अन्य किसान भाई भी नींबू की खेती कर कम लागत में अच्छा-खासा मुनाफा कमा सकते हैं.
कोरोना में नौकरी छोड़ी, बाढ़-संकट झेले, अब विदेशी फसल की खेती से मुजफ्फरपुर जिले का किसान लिख रहा सफलता की कहानी. किसान उमा शंकर सिंह 10 एकड़ जमीन में बेबी और स्वीट कॉर्न, केला सहित हल्दी की खेती से कर रहे अच्छी कमाई.
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के आकाश यादव सब्जियों की खेती से लाखों की कमाई कर रहे हैं. आकाश ने एक बीघे में शिमला मिर्च और डेढ़ बीघा में बैंगन लगाया है. इससे उनको डेढ़ लाख रुपए तक की कमाई होती है. बैंगन की खेती 5-6 हजार रुपए खर्च हुए. जबकि शिमला मिर्च की खेती में 15 से 20 हजार रुपए खर्च हुए.
Dragon Fruit Farming: हम आपको बिहार के एक ऐसे किसान की सफलता की कहानी बता रहे हैं, जिन्होंने आत्मनिर्भर भारत के संदेश से प्रेरित होकर मोटी सैलरी वाली इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी. आज यह किसान एक विदेशी फल की खेती कर न सिर्फ लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं बल्कि कई लोगों को रोजगार भी दे रखा है. आइए जानते हैं इस किसान की प्रेरक कहानी.
अमेठी जिले के अंकुर त्रिपाठी ने अपने चौथे प्रयास में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम में 50वीं रैंक हासिल की है. इसके पहले भी अंकुर अपने तीसरे प्रयास में आईपीएस में चयनित होकर हैदराबाद में ट्रेनिंग कर रहे हैं. अंकुर के पिता ने गांव में खेती-किसानी का काम करते हुए अपने बेटे को पढ़ाया-लिखाया. आज अंकुर का आईएएस के लिए चयन होने से इलाके में खुशी की लहर है.
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के अनुसार ये हाइब्रिड को आने वाले समय में खाद्य सुरक्षा और कृषि स्थिरता सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण तत्व के तौर पर देखा जा रहा है. ये किस्में उपज, अनुकूलनशीलता और पर्यावरणीय चुनौतियों के लिए अनुकूल हैं और ऐसे में किसानों को काफी फायदा हो सकता है.
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