देशभर में कृषि क्षेत्र में अब तक पुरुषों का वर्चस्व माना जाता रहा है. लेकिन समय के साथ आधुनिक युग में महिलाएं भी खेती में कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही हैं. अगर बिहार की बात करें तो बीते कुछ वर्षों में करीब 38 लाख महिला किसान आधुनिक तरीकों से खेती का प्रशिक्षण हासिल कर चुकी हैं. आज राज्य की महिलाएं ट्रैक्टर, सीड ड्रिल, थ्रेशर और पावर टिलर जैसी आधुनिक कृषि मशीनों का उपयोग खेती में कर रही हैं. अब वे केवल घर तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि खेत-खलिहान और उद्यमिता के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बना रही हैं.
मुजफ्फरपुर की राजकुमारी देवी, जिन्हें किसान चाची के नाम से जाना जाता है, या समस्तीपुर की अंजू कुमारी, जिन्हें हाल ही में तिलहन के क्षेत्र में जैविक खेती के लिए स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित किया गया. इनके जैसी कई महिलाएं आज बिहार में खेती और कृषि उद्यमिता के क्षेत्र में सफलता की गाथा लिख रही हैं. वहीं, सरकारी आंकड़ों की बात करें तो राज्य में महिलाओं द्वारा संचालित 61 किसान उत्पादक कंपनियां (FPCs) सक्रिय हैं. ये कंपनियां खेत से उपज खरीदती हैं, उसका प्रोसेसिंग और पैकेजिंग करती हैं और फिर बाजार में बेचती भी हैं. इससे महिला उद्यमियों को अपने उत्पाद का सही मूल्य मिल रहा है और समाज में उन्हें सम्मान भी प्राप्त हो रहा है.
बिहार की लगभग 38 लाख महिलाएं आधुनिक खेती के गुर सीखकर कृषि को एकीकृत (इंटीग्रेटेड) तरीके से आय का बेहतर स्रोत बना रही हैं. वे केवल खेती ही नहीं, बल्कि नकदी कारोबार के रूप में पशुपालन और नीरा उत्पादन में भी सक्रिय हैं. आज ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं बकरी पालन, दुग्ध उत्पादन और छोटे डेयरी व्यवसाय के जरिए भी आमदनी कर रही हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 10 लाख से अधिक परिवार पशुपालन से जुड़े हैं. वहीं, बीते वर्ष महिला स्वयं सहायता समूहों ने 1.9 करोड़ लीटर नीरा का उत्पादन और बिक्री की. वहीं, अररिया जिले में सीमांचल बकरी उत्पादक कंपनी के तहत लगभग 20 हजार परिवार जुड़े हुए हैं. इन सभी सफलताओं में महिलाओं का योगदान हैं.
बिहार शहद उत्पादन के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है. वर्तमान में राज्य की 11,855 महिलाएं मधुमक्खी पालन कर रही हैं और अब तक 3,550 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन कर चुकी हैं. इसके साथ ही सरकार की ‘ड्रोन दीदी योजना’ के तहत महिलाएं ड्रोन तकनीक भी सीख रही हैं. यह न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहा है, बल्कि समाज में महिलाओं की भूमिका को लेकर सोच भी बदल रहा है.
आज महिलाएं जैविक खेती, बीज संरक्षण, फल-सब्जी प्रसंस्करण और कृषि उत्पादों में विविधता लाने जैसे क्षेत्रों में भी अपनी बराबर की भागीदारी निभा रही हैं. अब उनकी दुनिया घर की चौखट तक सीमित नहीं है, बल्कि वे राज्य के विकास की सशक्त भागीदार बन चुकी हैं.
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