कम पानी में ज्यादा फसल, जानिए छोटे किसानों की सफलता की कहानी

कम पानी में ज्यादा फसल, जानिए छोटे किसानों की सफलता की कहानी

मुनि स्वामी राव एक छोटे किसान हैं जिनकी आजीविका का मुख्य साधन कृषि है. वे अपने परिवार के साथ तीन एकड़ ज़मीन पर टमाटर, मिर्च, गोभी, सेम जैसी सब्ज़ियों की खेती करते हैं. पहले वे पारंपरिक सिंचाई पद्धति का उपयोग करते थे जिससे पानी की काफी बर्बादी होती थी और पैदावार भी कम होती थी. संसाधनों की कमी के कारण वे आधुनिक तकनीक नहीं अपना पा रहे थे.

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कम पानी में ज्यादा फसल, जानिए छोटे किसानों की सफलता की कहानीपानी बचाने की सिंचाई विधि

मुनि स्वामी राव के जीवन का मुख्य साधन कृषि है. वह अपने परिवार के साथ तीन एकड़ ज़मीन पर टमाटर, मिर्च, गोभी, सेम और अन्य सब्ज़ियां उगाते हैं. वे अपनी ज़मीन की सिंचाई के लिए बोरवेल के पानी का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन आधुनिक सिंचाई प्रणालियां महंगी होने के कारण, वे पहले इसे नहीं अपना पाए.

पारंपरिक सिंचाई से होती थी पानी की बर्बादी

मुनि स्वामी राव पारंपरिक सतही सिंचाई का उपयोग करते थे, जिससे बहुत सारा पानी बेकार चला जाता था और फसल की पैदावार भी कम होती थी. सीमित संसाधनों के कारण वे बेहतर तकनीक का उपयोग नहीं कर पाते थे.

ड्रिप इरिगेशन से हुआ कमाल

एस एम सहगल फाउंडेशन और First American (India) की मदद से मुनि स्वामी राव को ड्रिप इरिगेशन प्रणाली दी गई. उन्होंने एक एकड़ ज़मीन पर इस प्रणाली को लगाया. इसके तहत उन्होंने आधे एकड़ पर सेम की खेती की. ड्रिप इरिगेशन से पौधों की जड़ों तक सीधे पानी पहुंचा, जिससे फसल की सेहत बेहतर हुई.

परिणामस्वरूप, उनकी फसल की पैदावार बढ़कर 21 टन हो गई, जबकि पहले यह 17.5 टन थी. मुनि स्वामी राव कहते हैं, “मैं ड्रिप इरिगेशन खुद नहीं खरीद पाता था, लेकिन अब देख रहा हूँ कि इससे कितना फायदा होता है. पानी बचता है, खर्च कम होता है और फसल भी अच्छी होती है.”

पोषक तत्व प्रबंधन से बढ़ी रमेश की फसल

रमेश भी एक समर्पित किसान हैं, जिनके पास चार एकड़ ज़मीन है. वे टमाटर और अन्य सब्जियां उगाते हैं. वे भी बोरवेल के पानी पर निर्भर हैं. लेकिन नई तकनीकों और संसाधनों की कमी के कारण उनकी फसल का उत्पादन सीमित था.

पोषक तत्व प्रबंधन पैकेज

फाउंडेशन ने रमेश को पोषक तत्व प्रबंधन (Integrated Nutrient Management) का प्रशिक्षण और ज़रूरी सामग्री जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व, कीटनाशक, कवकनाशक और जैविक खाद उपलब्ध कराई. साथ ही, खेती के हर चरण में तकनीकी मदद भी दी गई.

नई तकनीक से बेहतर पैदावार

रमेश ने इस पैकेज को अपनी टमाटर की फसल में लागू किया. पहले उनकी पैदावार 14.5 टन प्रति एकड़ थी, जो बढ़कर 19 टन हो गई. इस सफलता ने उनकी आय में भी बढ़ोतरी की. रमेश कहते हैं, “मुझे इस तकनीक से बहुत फायदा हुआ है. टीम की मदद ने बहुत फर्क डाला है. मैं आगे भी इसे अपनाऊंगा और दूसरे किसानों को भी बताऊंगा.”

मुनि स्वामी राव और रमेश जैसे छोटे किसान सही तकनीक और सहायता मिलने पर अपनी खेती में बड़ा सुधार कर सकते हैं. ड्रिप इरिगेशन और पोषक तत्व प्रबंधन जैसी आधुनिक तकनीकों से पानी की बचत होती है, फसल की पैदावार बढ़ती है और किसान की आमदनी में सुधार आता है. ऐसे प्रोजेक्ट्स किसानों के लिए नई उम्मीद लेकर आते हैं और उनकी ज़िंदगी बेहतर बनाते हैं.

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