खेती ने बिहार की महिला किसान की बदली तकदीर, राष्ट्रपति भवन में चांदी की थाली में किया भोजन

खेती ने बिहार की महिला किसान की बदली तकदीर, राष्ट्रपति भवन में चांदी की थाली में किया भोजन

गरीबी में पली-बढ़ी अंजू कुमारी ने कभी सोचा भी नहीं था कि खेती उन्हें राष्ट्रपति भवन तक ले जाएगी. लेकिन जैविक तरीके से तिलहन उत्पादन में उनके अनोखे प्रयासों ने उन्हें स्वतंत्रता दिवस समारोह का खास निमंत्रण मिला. पहली बार उन्हें प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ चांदी की थाली और चम्मच में भोजन करने का अविस्मरणीय अनुभव भी मिला. पढ़ें पूरी कहानी.

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खेती ने बिहार की महिला किसान की बदली तकदीर, राष्ट्रपति भवन में चांदी की थाली में किया भोजनबिहर की किसान अंजू कुमारी

“जब राष्ट्रपति भवन में चांदी के बर्तनों में भोजन परोसा गया, तो कुछ क्षणों के लिए मुझे ऐसा लगा मानो मैं सपना देख रही हूं. यकीन ही नहीं हो रहा था कि खेती-बाड़ी करने वाली एक साधारण महिला किसान को इतना सम्मान मिल सकता है कि देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ बैठकर वे भोजन कर सकती हैं या उनसे मिल सकती हैं. ये बातें बिहार के समस्तीपुर की रहने वाली अंजू कुमारी ने 'किसान तक' से बातचीत में साझा कीं.

बीते दिनों स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए उन्हें राष्ट्रपति भवन से विशेष अतिथि के रूप में निमंत्रण मिला था. इस दौरान उन्हें न केवल समारोह में शामिल होने का अवसर मिला बल्कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ भोजन करने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ. बिहार लौटने के बाद उन्होंने अपने इन अनुभवों को 'किसान तक' के साथ साझा किया.

राष्ट्रपति भवन से आया निमंत्रण, पहले नहीं हुआ यकीन

अंजू कुमारी बताती हैं, “जब डाक के जरिए राष्ट्रपति भवन से स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होने का निमंत्रण आया तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ. उस समय मैं घर पर नहीं थी. मेरे बेटे ने फोन करके यह जानकारी दी. मैंने तुरंत उसे कहा कि किसी को कोई पैसा मत देना, क्योंकि आजकल बहुत से ठग नकली कार्ड दिखाकर लोगों से पैसे ऐंठते हैं. लेकिन जब मैं घर आई और अपने हाथों से कार्ड देखा, जिस पर भारत सरकार की मुहर लगी हुई थी, तब जाकर विश्वास हुआ कि खेतों में पसीना बहाने वाली महिला किसानों को भी राष्ट्रपति भवन से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर बुलाया जा सकता है. उस क्षण मुझे अपनी खेती और अपने किसान होने पर बेहद गर्व महसूस हुआ.

प्रधानमंत्री ने पूछा – “समस्तीपुर के हालात कैसे हैं?”

अंजू बताती हैं कि पहले हम प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति को केवल टीवी या मोबाइल पर देखा करते थे. लेकिन जब पहली बार उनसे आमने-सामने मिलने का अवसर मिला तो मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैं प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ बातचीत कर रही हूं. अपना परिचय देते हुए मैंने कहा कि मैं बिहार के समस्तीपुर जिले के दलसिंहसराय प्रखंड के ओरियामा गांव की रहने वाली हूं और मुझे तिलहन के क्षेत्र में जैविक खेती करने के लिए यहां आमंत्रित किया गया है. 

इसके बाद प्रधानमंत्री ने पूछा कि समस्तीपुर जिले में बाढ़ आई हुई है, वहां की स्थिति अभी कैसी है? उस समय मुझे यह महसूस हुआ कि प्रधानमंत्री दिल्ली में रहकर भी बिहार के विभिन्न जिलों की परिस्थितियों से पूरी तरह अवगत हैं और चिंतित हैं.

खेती की बदौलत मिला ऐसा सम्मान

अंजू कहती हैं कि जब से होश संभाला है, तब से जीवन गरीबी में ही गुज़रा है. चांदी की थाली और चम्मच से खाना खाने की तो बात ही छोड़ दीजिए, सही ढंग से जीवन यापन करना ही अपने आप में एक चुनौती था. लेकिन जब राष्ट्रपति भवन में चांदी की थाली और चम्मच के साथ भोजन किया, तो वह अनुभव एक अलग ही गर्व से भरा हुआ क्षण था. आज के समय में तो चांदी की थाली खरीदकर कोई भी उसमें भोजन कर सकता है, लेकिन राष्ट्रपति भवन में बैठकर चांदी की थाली में भोजन करना अपने आप में बेहद गर्व की बात है. 

अंजू कहती हैं, यह सब खेती की बदौलत ही संभव हो पाया. अब मेरा लक्ष्य है कि इस खेती को और आगे बढ़ाऊं और साथ ही अन्य महिलाओं को भी जैविक खेती के लिए जागरूक करूं, ताकि वे भी मेरी तरह कभी राष्ट्रपति भवन जाकर उस अनोखे अनुभव को महसूस कर सकें, जो मुझे मिला.

व्यंजन में शामिल लिट्टी-चोखा और चीना का अनरसा

अंजू कुमारी बताती हैं कि राष्ट्रपति भवन में कई तरह के व्यंजन परोसे गए, जिनमें बिहार का प्रसिद्ध लिट्टी-चोखा भी शामिल था. सबसे बड़ी खुशी की बात यह थी कि उनके अपने उत्पाद भी मेन्यू में रखे गए थे, जिनमें चीना का अनरसा और मिलेट्स की इडली खास तौर पर शामिल थे. उन्होंने बताया कि भले ही वे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ भोजन कर रही थीं, लेकिन मन खेत में खड़ी फसलों की चिंता से बार-बार विचलित हो रहा था.

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