Farmer Success Story: ताइवान का गुलाबी अमरूद उगाकर पलटी अपनी किस्मत, लाखों कमा रहा हरियाणा का यह किसान

Farmer Success Story: ताइवान का गुलाबी अमरूद उगाकर पलटी अपनी किस्मत, लाखों कमा रहा हरियाणा का यह किसान

सुरेंद्र का बाग वहां काम करने वाली कई महिलाओं के लिए भी फायदेमंद साबित हुआ है. करीब 10-12 महिलाएं बाग में निराई, खुदाई और फल तोड़ने का काम करती हैं. वे पैकिंग भी करती हैं और अच्छी कमाई करती हैं.

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ताइवान का गुलाबी अमरूद उगाकर लाखों कैसे कमा रहा हरियाणा का यह किसान?Representational Image: AI

हरियाणा को अब तक भारत में धान या गेहूं के प्याले के तौर पर पहचाना गया है, लेकिन जल्द ही यह गुलाबी अमरूद के बाग़ के तौर पर भी पहचाना जा सकता है. इस राज्य के कई किसान धीरे-धीरे ज्यादा मुनाफे की खोज में गुलाबी अमरूद की खेती का रुख कर रहे हैं. यह फल मूल रूप से ताइवान का है और इसे भारत में उगाना भी आसान नहीं. लेकिन जिन किसानों ने इसे उगाने का तरीका ढूंढ निकाला है वे लाखों में कमाई भी कर रहे हैं.

हरियाणा के किसानों ने नई तकनीकों और फसलों को अपनाकर अपनी कमाई को लगातार बढ़ाया है. इन्हीं में से एक हैं कुरुक्षेत्र के हथीरा गांव के रहने वाले सुरेंद्र सिंह ढिल्लों, जिन्होंने गुलाबी अमरूद (Pink Guava) उगाकर सालाना लाखों कमाने का तरीका ढूंढ लिया है. यह पौधा लगाने के छह महीने के अंदर ही फल देने लगता है और एक पौधे पर कई फल भी आते हैं. ईटीवी भारत की एक रिपोर्ट सुरेंद्र के हवाले से उनके सफर के बारे में बताती है.

सुरेंद्र कहते हैं, "मैंने सबसे पहले यूट्यूब पर इस अमरूद को उगाने से जुड़ी एक वीडियो देखी थी. मैं तभी इसे उगाने का फैसला किया. अमरूद का बाग उगाने के इरादे से मैंने आंध्र प्रदेश से ताइवान पिंक गुआवा मंगवाया. सबसे पहले मैंने एक एकड़ पर यह फसल उगाई." 

पहले ही साल में होने लगी कमाई

सुरेंद्र बताते हैं कि उन्होंने 2019 में इस अमरूद की खेती शुरू की और एक एकड़ में करीब 2000 पौधे लगाए थे. सफेद अमरूद के पौधे पर फसल के लिए जहां तीन से चार साल तक रुकना पड़ता है, वहीं गुलाबी अमरूद कुछ ही महीनों में उग आता है. इसे उगाने वाला किसान पहले ही साल से मुनाफा कमा सकता है.

रिपोर्ट के अनुसार, सुरेंद्र खुद भी हर साल एक पौधे से 50 किलो फल तोड़ते हैं. बाज़ार में यह फल आमतौर पर 50 रुपए किलो बिकता है. ऐसे में वह एक एकड़ से सालाना आठ से 10 लाख रुपए तक की कमाई कर रहे हैं. 

देश के सभी हिस्सों से अमरूद की इस किस्म की मांग बहुत ज़्यादा है. ताइवान पिंक अमरूद साल में दो बार फल देता है. एक बार जुलाई में और दूसरी बार नवंबर में. मौसम के अनुसार, मार्च और अप्रैल तक फल लगते रहते हैं. सुरेंद्र कहते हैं, "आमतौर पर तापमान 40 डिग्री से ज़्यादा या बहुत कम नहीं होना चाहिए क्योंकि इसका फल लगने पर असर पड़ता है. पीक सीज़न में, इसे दिल्ली भेजा जाता है. वहां से खेप अलग-अलग राज्यों में भेजी जाती है." 

प्राकृतिक तरीके से होती है खेती

सुरेंद्र के बागों की सबसे अच्छी बात यह है कि यहां कीटनाशकों का इस्तेमाल वर्जित है. गोबर की खाद से उन्हें अच्छी उपज मिलती है. मक्खियों जैसी समस्याओं के लिए उन्होंने एक फ्लाइट ट्रैप लगाया है, जो बहुत कारगर है. 

वह बताते हैं, "जब मैंने 2019 में ताइवान पिंक अमरूद लगाया था तो मुझे कृषि विभाग से 9000 रुपये प्रति एकड़ की सहायता मिली थी. लेकिन आज यह बढ़कर 43,000 रुपये प्रति एकड़ हो गई है. इसके अलावा, उन्हें मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत 75,000 रुपये भी मिलते हैं. मैं दूसरे किसानों को भी सुझाव दूंगा कि वे पारंपरिक खेती छोड़कर दूसरी फसलों के साथ प्रयोग करें. लेकिन, उचित रिसर्च करें और एक्सपर्ट की सलाह लें." 

सुरेंद्र का बाग वहां काम करने वाली कई महिलाओं के लिए भी फायदेमंद साबित हुआ है. वे बताते हैं, "करीब 10-12 महिलाएं बाग में निराई, खुदाई और फल तोड़ने का काम करती हैं. वे पैकिंग भी करती हैं और अच्छी कमाई करती हैं." 

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