उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में एक किसान ने केले की खेती छोड़कर जब मछली पालन शुरू किया तो देखते ही देखती लाखों की कमाई करने लगा. इस किसान ने 2018 में 27,000 वर्ग फुट जमीन पर 3 तालाबों के साथ मछली पालन शुरू किया था. अब ये किसान 350 से अधिक मछली पालकों के लिए मछली बीज का सप्लायर बन गया है. इनके पास अब 24 तालाब हैं और कम से कम 10 लोगों को रोजगार दे रहे हैं. आज हम आपको उत्तर प्रदेश के इसी किसान की सफलता की कहानी बता रहे हैं.
दरअसल, बाराबंकी जिले के बकरापुर गांव के रहने वाले 40 वर्षीय असलम खान और उनके जैसे कई अन्य किसान मछलीपालन को बढ़ावा देने की सरकारी योजना के ध्वजवाहक बन गए हैं. उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग के निदेशक एन एस रहमानी ने एक बयान में कहा कि मछली पालन के माध्यम से, युवा पुरुष और महिलाएं सफलता की नई कहानियां लिख रहे हैं. ये केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की असली ताकत को दर्शाती हैं. ये कहानियां साबित करती हैं कि जमीनी स्तर पर बदलाव हो रहा है.
असलम खान वर्तमान में 8 एकड़ जमीन पर 24 तालाबों और दो नर्सरियों के साथ मछली पालन करते हैं. इस साल उन्होंने 3 लाख पंगेसियस मछली के बीज जमा किए, जिनमें से 2.20 लाख बीजों से अब तक 162 टन मछलियां बिक चुकी हैं. असलम के फार्म में 40,000 मछलियां हैं, जिनमें से हर एक का वजन 400-500 ग्राम है, जो दिसंबर में बिक्री के लिए तैयार हैं. जनवरी 2019 से वह बाराबंकी, लखनऊ, सीतापुर, उन्नाव, अयोध्या, बहराईच और गोंडा में 350 से अधिक किसानों को सप्लाई कर रहे हैं. अपनी सफलता का श्रेय राज्य मत्स्य विभाग से मिले सहयोग को देते हुए असलम ने कहा कि विभाग द्वारा किया गया सहयोग सराहनीय रहा है.
2018 से अपनी यात्रा साझा करते हुए, असलम ने बताया कि मछली पालन में उनकी दिलचस्पी पहली बार तब पैदा हुई जब उन्होंने गंगवारा गांव में मोहम्मद आसिफ सिद्दीकी द्वारा संचालित एक मछली फार्म का दौरा किया. केले की खेती में लगातार घाटे का सामना करने के बाद, उन्होंने मछली पालन सीखना शुरू किया और 27,000 वर्ग फुट ज़मीन पर तीन तालाब बनाकर पंगेसियस मछली पालन शुरू किया. शुरुआत में, असलम को खराब मछली के बीज और जानकारी की कमी के कारण नुकसान हुआ. मगर हिम्मत न हारते हुए, उन्होंने अपने तालाबों में 35,000 पंगेसियस मछली के बच्चे फिर से भर दिए और छह महीने के अंदर 21 टन मछलियां पैदा कर लीं. प्रत्येक मछली का वज़न लगभग 700 ग्राम था. उनके फार्म से पहली बार 8,40,000 रुपये की आय हुई थी.
इसके अपनी उपलब्धि से उत्साहित होकर, 2018 में असलम ने एक एकड़ ज़मीन पर एक और तालाब बनवाया, जिसमें उन्होंने पंगेसियस के साथ-साथ भारतीय मेजर कार्प मछली भी पाली. असलम ने अपने खेत में एक पुनर्चक्रण जलीय कृषि प्रणाली (RAS) भी स्थापित की है. ये RAS इकाई सर्दियों के दौरान पंगेसियस के बीज उगाने में उनकी मदद करेगी, ताकि फरवरी और मार्च तक अन्य किसानों को मछली के बीज उपलब्ध कराए जा सकें. किसानों को और अधिक लाभ पहुंचाने के लिए, असलम एक किसान उत्पादक संगठन (FPO) पंजीकृत कराने का भी लक्ष्य लेकर चल रहे हैं.
2017 से निंदूरा ब्लॉक (बाराबंकी में) में लगभग 25 हेक्टेयर में पंगेसियस की खेती की जा रही है, जबकि असलम जैसे प्रत्येक किसान कम से कम दस लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान कर रहे हैं. रहमानी ने कहा कि राज्य सरकार के नेतृत्व में हर योजना का लाभ समुदायों और हर घर तक पहुंच रहा है. मछली पालन जैसे अवसरों को अपनाकर लोग न केवल 'आत्मनिर्भर' बन रहे हैं, बल्कि पूरे राज्य की आर्थिक वृद्धि को भी गति दे रहे हैं.
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