Success Story: किसान ने उगाया साल भर फल देने वाला ये विदेशी आम, रोज होती है 10000 रुपये की कमाई

Success Story: किसान ने उगाया साल भर फल देने वाला ये विदेशी आम, रोज होती है 10000 रुपये की कमाई

Success Story: कग्गोद गांव में अपनी जमीन के लिए यूकेपी सिंचाई प्रोजेक्‍ट के पानी का इस्तेमाल करते हुए, नवीन मंगनावर उर्फ नूरंदा ने तीन साल पहले थाईलैंड से इंपोर्टेट 3,000 आम के पौधे सात एकड़ जमीन पर लगाए थे. आज वह पूरे साल इस आम की बिक्री से रोजाना 10,000 रुपये से ज्‍यादा कमा रहे हैं. यही नहीं इन आमों की वजह से उनका खेत इस क्षेत्र के खेती के शौकीनों के लिए एक आकर्षण का केंद्र भी बन गया है. 

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किसान ने उगाया साल भर फल देने वाला ये विदेशी आम, रोज होती है 10000 रुपये की कमाईthai mango: मंगनवार के खेतों के आम जाते हैं दूर-दूर तक

कर्नाटक का हुबली कृषि में विविधता के लिए जाना जाता है. आज हम आपको यहां के एक ऐसे कपल की सक्‍सेस के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे जानने के बाद आप भी इनका लोहा मान जाएंगे. हुबली के विजयपुरा तालुका और जिले के शिवनगी गांव के 45 वर्षीय साल के किसान नवीन मंगनावर उर्फ नूरंदा ने साबित कर दिया है कि आम सिर्फ गर्मियों के लिए ही नहीं होते, बल्कि वह साल भर इसे उगा सकते हैं. 

पहले परिवार ने नहीं दी मंजूरी 

कग्गोद गांव में अपनी जमीन के लिए यूकेपी सिंचाई प्रोजेक्‍ट के पानी का इस्तेमाल करते हुए, उन्होंने तीन साल पहले थाईलैंड से इंपोर्टेट 3,000 आम के पौधे सात एकड़ जमीन पर लगाए थे. आज वह पूरे साल इस आम की बिक्री से रोजाना 10,000 रुपये से ज्‍यादा कमा रहे हैं. यही नहीं इन आमों की वजह से उनका खेत इस क्षेत्र के खेती के शौकीनों के लिए एक आकर्षण का केंद्र भी बन गया है. 

अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने मंगनावर हवाले से लिखा कि वह एक बीमा कंपनी में पार्टटाइम जॉब करते थे और साल 2011 में थाईलैंड गए थे. तब से ही उनके दिमाग में यह आइडिया जोर मार रहा था कि क्‍यों न इसकी खेती की जाए. उन्‍होंने बताया 'जब मैंने अपने पिता और तीन भाइयों से इस बारे में बात की तो उनका कहना था कि इसमें रिस्‍क है. हालांकि, इस पर मेरी रिसर्च और डेवलपमेंट मेरे दूसरे रूटीन के साथ जारी रहा. उनका कहना था कि चूंकि परिवार की जमीन में कुछ पत्थर हैं इसलिए प्याज और बाकी फसलों पर ध्‍यान लगाया गया.  मंगनावर की मानें तो इससे कोई ज्‍यादा फायदा नहीं हुआ. 

साल 2021 से करने लगे खेती 

आखिरकार उनके परिवार ने उन्‍हें साल 2021 में थाईलैंड के आमों की खेती शुरू करने की मंजूरी दे दी. फिर उन्‍होंने 5,000 पौधे मंगवाए. तीन साल के दौरान, 2,000 पौधे असफल रहे और 3,000 पौधों ने साल 2024 से फल देना शुरू कर दिया. उन्होंने आगे बताया कि जब आम के पौधे लगाने का फैसला किया तब तक उनके यहां के निर्वाचित प्रतिनिधि, एमबी पाटिल, लिफ्ट सिंचाई प्रोजेक्‍ट के जरिये से कृष्णा नदी का पानी लाने में सफल रहे थे. नहर की बदौलत बोरवेल में भरपूर पानी भर गया था. अब उन्‍हें रोजाना 15-20 दर्जन आम मिल रहे हैं और उनकी न्यूनतम आय 10,000 रुपये प्रतिदिन है. परिवार के 7-8 सदस्य खेत पर काम करते हैं और वीकएंड पर यह संख्या बढ़ जाती है.

आमों की खूशबू से महक रहा विजयपुरा 

मंगनावर के अनुसार उन्‍होंने मांग के अनुसार आम की पेटियां भेजने के लिए एक निजी कूरियर से कॉन्‍ट्रैक्ट किया है. फिलहाल उनके पास बेंगलुरु, कलबुर्गी और विजयपुरा के खुदरा ग्राहक हैं. वह फलों को केमिकल फ्री बनाने के लिए जीवामृत और वर्मीकंपोस्‍ट का प्रयोग करते हैं. उनका कहना है कि चूंकि ये पेड़ पर ही पक जाते हैं, इसलिए केमिकल का प्रयोग करके पकाने की की जरूरत नहीं है. बागवानी के शौकीन महंतेश बिरादर ने बताया कि थाईलैंड के आमों की एक अलग लेकिन अनोखी खुशबू होती है और अब विजयपुरा के लोग साल भर इनका आनंद ले रहे हैं. 

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