जल जीवन मिशन के तहत अब उन फर्मों को नए प्रोजेक्ट नहीं दिए जाएंगे, जिनके काम की रफ्तार धीमी है. उन कंपनियों को जलदाय विभाग ने रेड लिस्ट में डाला है जिनकी जिनकी प्रो-राटा प्रोग्रेस काफी कम है. साथ ही प्रोजेक्ट का वक्त पूरा होने के बाद भी उनका अभी तक आधा काम भी पूरा नहीं हुआ है. ऐसी कंपनियों और फर्मों को जलदाय विभाग अपनी अगली परियोजनाओं में शामिल होने से डिबार करेगा.
पिछले दिनों जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने एक बड़ी मीटिंग में ये फैसला लिया है. बतौर अग्रवाल प्रोजेक्ट्स में देरी के ठोस एवं सही कारण होने पर फर्मों को और मौका दिया जाएगा, लेकिन जिन फर्मों ने बिना किन्हीं ठोस कारणों के लापरवाही से काम पूरा नहीं किया है, उन फर्मों को नए प्रोजेक्ट्स नहीं दिए जाएंगे.
अच्छी प्रोग्रेस दिखाते हुए रेड लिस्ट से बाहर आने पर ही इन फर्मों को नए प्रोजेक्ट्स मिल सकेंगे. उन्होंने 50 प्रतिशत से कम प्रो-राटा प्रोग्रेस वाली परियोजनाओं में फर्मों की ओर से अलग-अलग समय में की गई भौतिक प्रगति एवं लक्ष्य के मुकाबले किए गए खर्च की समीक्षा की. डॉ. अग्रवाल ने संबंधित इंजीनियर्स को प्रोजेक्ट्स की प्रगति के बारे में जानकारी भिजवाने के निर्देश भी दिए.
फर्मों की ओर से काम में देरी के कारण जल जीवन जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं में लोगों को इन योजनाओं का फायदा नहीं मिल पा रहा है. एसीएस पीएचईडी ने लघु पेयजल परियोजनाओं की टारगेट के मुकाबले प्रोगरेस की जानकारी ली. सबसे कम प्रगति वाली फर्मों के प्रतिनिधियों से काम समय पर नहीं करने की वजह पूछी और विभिन्न स्पान पूरे करने में फर्मों की ओर से लिए गए समय के बारे में जानकारी ली.
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काम में देरी होने पर उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे नहीं होने से लोगों को जल कनेक्शन नहीं मिल पा रहे हैं. इन फर्मों ने ओटीएमपी के तहत बड़े जलाशय बनाने एवं पाइप लाइन डालने जैसे कामों में देरी की है जिससे एफएचटीसी की गति धीमी है.
अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. अग्रवाल ने कहा कि विभाग की ओर से योजनाओं में बजट की कोई कमी नहीं है. इसीलिए विभिन्न परियोजनाओं की धीमी प्रगति की जांच के आधार पर सबसे निचले पायदान पर रहने वाली फर्में आगे आने वाली परियोजनाओं टेण्डर प्रक्रिया में भागीदारी नहीं कर पाएंगी.
प्रदेश में अभी तक 42.35 लाख ग्रामीण परिवारों तक नल के माध्यम से पानी पहुंच रहा है. जब राजस्थान में जल जीवन मिशन की शुरूआत हुई थी तब प्रदेश में महज 10 प्रतिशत जल कनेक्शन ही उपलब्ध थे. दिसम्बर 2019 में प्रदेश में हर घर जल कनेक्शन वाले परिवारों की संख्या 11 लाख 74 हजार 131 थी, जो अब बढ़कर 42 लाख 35 हजार हो गई है.
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2019 से लेकर अभी तक देखें तो राजस्थान में 30, 61,236 नए जल कनेक्शन दिए जा चुके हैं. राजस्थान के 1.08 करोड़ परिवारों में से 39.21 प्रतिशत परिवारों में नल कनेक्शन हो चुके हैं. कुल कनेक्शन के आधार पर राजस्थान अभी देश में 12वें स्थान पर है. राजस्थान जैसे विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले हमारे राज्य के लिए यह अपने आप में एक उपलब्धि है.
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