तकनीक के बढ़ते दौर में खेती का क्षेत्र में पीछे नहीं रहा है. आज खेतों की जुताई से लेकर कटाई और फसल प्रबंधन तक का काम कृषि यंत्रों और आधुनिक तकनीकों के माध्यम से होता है. कृषि यंत्र किसानों के सच्चे साथी हो गए हैं, जिसके बिना खेती की कल्पना भी मुश्किल होती है रही है. वहीं कुछ ऐसे भी किसान हैं जिनके लिए कृषि यंत्र खरीद पाना आसान नहीं है. सरकार की ओर से उन किसानों को भी लाभ देने के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर की व्यवस्था की गई है.
किसानों को खेती-बाड़ी में उपयोगी यंत्रों का लाभ दिलाने के लिए कस्टम हायरिंग सेंटरों की स्थापना की जाती है. इसके लिए किसानों को खेती में काम आने वाली जरूरी मशीनें जैसे ट्रैक्टर, थ्रेशर, रोटावेटर, रीपर, सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल जैसे उन्नत कृषि यंत्र किराए पर उपलब्ध कराए जाते हैं. किसान इनका उपयोग कर वापिस जमा कर सकते हैं. इससे किसानों को आधुनिक यंत्रों के लिए इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं है.
बिहार सरकार ने किसानों को आधुनिक कृषि यंत्रों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए राज्य में वर्ष 2025-26 में 267 कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना करेगी. इसके लिए बिहार सरकार ₹1078.750 लाख रुपये खर्च करेगी. आपको बता दें कि हर किसान को 10 लाख रुपये के प्रोजेक्ट पर 40 फीसदी (04 लाख रुपये) की सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है. इन कस्टम हायरिंग सेंटरों से किसान आधुनिक कृषि यंत्रों को किराए पर ले सकेंगे.
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फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि यांत्रीकरण योजना के अंतर्गत स्पेशल कस्टम हायरिंग सेंटर बनाने का भी प्लान है. इसके तहत बिहार के 15 जिलों जिसमें रोहतास, कैमूर, बक्सर, भोजपुर, नालंदा, पटना, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, औरंगाबाद, लखीसराय, शेखपुरा, अररिया, गया, नवादा और जहानाबाद के लिए 120 स्पेशल कस्टम हायरिंग सेंटर बनाए जाएंगे. सभी SCHC में फसल प्रबंधन के लिए कम से कम 3 मशीनें लगाना अनिवार्य होगा. इसके लिए फ्लेक्सी फंड से ₹1454.50 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे.
कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना करने के लिए आपको व्यवसाय का पूरा प्लान देना होगा, इसके बाद आधुनिक कृषि मशीनें खरीदनी होंगी. उन्हें कृषि विभाग या अन्य संबंधित सरकारी एजेंसियों से संपर्क करना होगा ताकि वे सब्सिडी और वित्तीय सहायता के लिए आवेदन कर सकें. इसके लिए आपको कृषि स्नातक प्रमाण पत्र, अधिवास प्रमाण पत्र, और जन्मतिथि प्रमाण पत्र जैसी बेसिक जानकारी देनी पड़ेंगी.
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