वित्त वर्ष 2024-25 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) में किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) खातों की संख्या में 1.8% की कमी देखी गई है. अब यह संख्या घटकर 2.25 करोड़ रह गई है. हालांकि, इसी अवधि में बकाया लोन राशि में हल्की बढ़ोतरी दर्ज की गई है और यह 7 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई है.
सरकारी अधिकारियों ने बताया कि KCC खातों की संख्या में गिरावट के पीछे कई कारण हैं. कई किसान अब खेती छोड़कर अन्य क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, जिससे उनकी KCC की जरूरत कम हो गई है. इसके अलावा, कई किसान अब KCC के बजाय रूपे डेबिट कार्ड या अन्य डिजिटल पेमेंट विकल्पों को प्राथमिकता दे रहे हैं.
2000 के दशक में बड़े पैमाने पर खोले गए KCC खातों में से कई निष्क्रिय हो चुके थे. इन खातों को अब बंद कर दिया गया है ताकि बैंक पोर्टफोलियो को बेहतर बनाया जा सके और अनावश्यक खर्च को कम किया जा सके. आरबीआई और वित्त मंत्रालय के निर्देश पर यह कदम उठाया गया है.
एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी ने बताया कि अब खातों की जांच पहले से ज्यादा सख्त की गई है. डुप्लीकेट और अपात्र खातों को हटाया गया है. इससे कुल खातों की संख्या में कमी आई है लेकिन पारदर्शिता और प्रभावशीलता में वृद्धि हुई है.
कुछ किसान अब पीएम-किसान योजना या एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड जैसी योजनाओं से लोन ले रहे हैं, जिससे KCC की मांग कम हुई है. वहीं तकनीकी कारण जैसे डिजिटल दस्तावेजों की अपूर्णता, पोर्टल मिसमैच और शाखाओं में देरी की वजह से भी KCC खातों के नवीनीकरण में रुकावटें आई हैं.
कई छोटे और पुरानी डिफॉल्ट लोन खातों को एकमुश्त सुलह (one-time settlement) के ज़रिए बंद कर दिया गया है. इससे भी KCC खातों की कुल संख्या में गिरावट देखी गई है.
किसान क्रेडिट कार्ड एक सरकारी योजना है जो किसानों, मत्स्यपालन या पशुपालकों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करती है. इस ऋण राशि का उपयोग कृषि संबंधी सामान खरीदने के लिए किया जा सकता है. इस योजना का उद्देश्य असंगठित क्षेत्र के किसानों को साहूकारों जैसे ऋणदाताओं द्वारा ली जाने वाली ऊंची ब्याज दरों से बचाना है.
केसीसी योजना के तहत किसानों को ब्याज दरों में 2% तक की छूट भी मिलती है. इसके अलावा, किसान फसल की कटाई या बिक्री के बाद भी ऋण चुका सकते हैं, यह सुविधा इस योजना को और खास बनाती है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today