प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) किसानों के लिए केंद्र सरकार की ओर से चलाई जा रही सबसे बड़ी और हितकारी योजनाओं में से एक है. भारत सरकार ने इस योजना को 18 फरवरी, 2016 में शुरू किया था यानी इस साल PMFBY को 9 साल पूरे हो गए हैं. मगर इस योजना से लगभग एक दशक में अभी तक कितने किसानों को लाभ मिला है इसका आंकड़ा सामने आया है. राज्यसभा में कृषि एवं किसान राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने इसके आंकड़े पेश किए हैं. इसके मुताबिक, 2016 में शुरुआत के बाद से, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ने 30 जून, 2025 तक 78.41 करोड़ कृषि आवेदनों का बीमा किया है.
कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने 1 अगस्त को राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में विस्तार से बताया है. PMFBY के अंतर्गत 2016 से अभी तक, लगभग 22.67 करोड़ किसानों को 1.83 लाख करोड़ रुपये का मुआवजा मिला है. रामनाथ ठाकुर ने कहा कि ये आंकड़े फसल नुकसान के खिलाफ किसानों को समर्थन देने में इस योजना की व्यापक पहुंच और प्रभाव को दर्शाते हैं. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 18 फरवरी, 2025 को अपने शुभारंभ के नौ साल पूरे कर चुकी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में यह योजना शुरू की थी जो अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले फसल नुकसान के लिए किसानों को एक व्यापक सुरक्षा प्रदान करती है. यह सुरक्षा न केवल किसानों की आय को स्थिर करती है, बल्कि उन्हें खेती में नई प्रथाओं को अपनाने के लिए भी प्रोत्साहित करती है. फसल बीमा योजना किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए और जोखिम को कम से कम रखने का उपाय है. इसका मकसद ओलावृष्टि, सूखा, बाढ़, चक्रवात, भारी और बेमौसम बारिश, रोग और कीटों के हमले आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल में हुई हानि/क्षति से पीड़ित किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है.
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, राज्य मंत्री ने सदन को इस योजना के कार्यान्वयन को सुदृढ़ बनाने के लिए, सरकार ने क्या-क्या कदम उठाए गए, इसको लेकर भी अवगत कराया. रामनाथ ठाकुर ने बताया कि इस योजना के तहत किसानों को सब्सिडी भुगतान, समन्वय, पारदर्शिता, सूचना का प्रसार और किसानों के डायरेक्ट ऑनलाइन नामांकन सहित सेवाओं की डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए आंकड़ों के एकल स्रोत के रूप में राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) का विकास किया गया. इतना ही नहीं योजना की बेहतर निगरानी के लिए व्यक्तिगत बीमित किसानों के विवरण अपलोड या प्राप्त करना और व्यक्तिगत किसान के बैंक खाते में इलेक्ट्रॉनिक रूप से क्लेम की रकम ट्रांसफर सुनिश्चित करना भी शामिल है.
इतना ही नहीं फसल बीमा की दावा वितरण प्रक्रिया की कड़ी निगरानी के लिए, खरीफ 2022 से दावों के भुगतान हेतु 'डिजिक्लेम मॉड्यूल' नामक एक समर्पित मॉड्यूल चालू किया गया है. इसमें राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) को सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (PFMS) और बीमा कंपनियों के अकाउंटिंग सिस्टम के साथ एकीकृत किया गया है.
इसके अलावा प्रीमियम सब्सिडी में केंद्र सरकार के हिस्से को राज्य सरकारों के हिस्से से अलग करने की योजना लागू की गई है. इससे किसानों को केंद्र सरकार के हिस्से के समानुपातिक दावे मिल सकेंगे. योजना के प्रावधानों के अनुसार, संबंधित राज्य सरकारें अपने हिस्से का प्रीमियम अग्रिम रूप से जमा कर सकें, इसके लिए खरीफ 2025 सीजन से एस्क्रो (ESCROW) खाता खोलना अनिवार्य कर दिया गया है.
योजना के कार्यान्वयन में तकनीक का लाभ उठाने की दिशा में, किसानों के दावों के समय पर निपटान में सुधार के लिए सीसीई-एग्री ऐप के माध्यम से उपज डेटा या फसल कटाई प्रयोग (सीसीई) डेटा एकत्र करना और उसे NCIP पर अपलोड करना, बीमा कंपनियों को सीसीई के संचालन की निगरानी करने की अनुमति देना, NCIP के साथ राज्य भूमि रिकॉर्डों का एकीकरण आदि जैसे कई सारे कदम पहले ही उठाए जा चुके हैं.
इसके साथ ही बीमा कंपनी अगर दावों के भुगतान में देरी करती है तो 12 प्रतिशत जुर्माने का प्रावधान राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (एनसीआईपी) पर स्वतः गणना किया जाता है. संसद में राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने कहा कि किसानों, विशेष रूप से गैर-ऋणी किसानों, का कवरेज बढ़ाने और फसल बीमा क्षेत्र में अधिक प्रतिस्पर्धा लाने के लिए सार्वजनिक और निजी दोनों बीमा कंपनियों को शामिल किया गया है ताकि किसानों को प्रतिस्पर्धी दरों पर सर्वोत्तम सेवाएं प्रदान की जा सकें.
सरकार ने ये भी बताया कि बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण, बीमांकिक/बोली प्रीमियम दरों में भी कमी आई है. पूर्ववर्ती फसल बीमा योजनाओं की तुलना में, किसान आवेदनों का कवरेज 2014-15 में 371 लाख से बढ़कर 2024-25 में 1510 लाख हो गया है. राज्य मंत्री ठाकुर ने कहा कि गैर-ऋणी किसानों के आवेदनों की संख्या भी 2014-15 में 20 लाख से बढ़कर 2024-25 में 522 लाख हो गई है.
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