fake seeds and pesticides: नकली बीज और कीटनाशक बेचने वालों पर सरकार का बड़ा प्रहार, अब मोबाइल ऐप करेगा पर्दाफाश

fake seeds and pesticides: नकली बीज और कीटनाशक बेचने वालों पर सरकार का बड़ा प्रहार, अब मोबाइल ऐप करेगा पर्दाफाश

सरकार ने नकली बीज और कीटनाशक बेचने वाले जालसाजों के खिलाफ एक बड़ा अभियान छेड़ा है. भारत सरकार के कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने एक सरकारी चैनल पर बताया कि किसानों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए एक विशेष मोबाइल ऐप और एक नया निगरानी सिस्टम लॉन्च कर रहा है. इस तकनीक की मदद से किसान अब किसी भी उत्पाद के पैकेट पर दिए गए QR कोड को स्कैन करके उसकी असलियत का तुरंत पता लगा सकते हैं. यह ऐप उत्पादक, किस्म और प्रमाणिकता जैसी पूरी जानकारी तत्काल उपलब्ध कराएगा. सरकार का कहना है कि यह सिस्टम नकली बीज और कीटनाशक बेचने वालों के पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश करेगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.

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नकली बीज और कीटनाशक बेचने वालों पर सरकार का बड़ा प्रहार, अब मोबाइल ऐप करेगा पर्दाफाशमोबाइल ऐप करेगा नकली कीटनाशक का भंडाफोड़. (सांकेतिक फोटो)

भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र में किसानों की सबसे बड़ी चिंताओं में से एक, नकली बीज और कीटनाशकों की समस्या पर निर्णायक कार्रवाई करने की दिशा में अहम कदम उठाए हैं. भारत सरकार के कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने हाल ही में सरकारी चैनेल पर कि बताया कि सरकार किसानों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए एक दोहरी रणनीति पर काम कर रही है. इसके तहत, नकली बीजों की पहचान के लिए 'साथी' (SATHI) ऐप को प्रभावी ढंग से लागू किया जा रहा है और नकली कीटनाशकों पर नकेल कसने के लिए एक मजबूत पेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम विकसित किया जा रहा है. यह कदम उन लाखों किसानों के लिए राहत की खबर है, जिन्हें हर साल नकली कृषि उत्पादों के कारण भारी आर्थिक नुकसान और फसल की बर्बादी का सामना करना पड़ता है.

नकली बीज बेचा तो सजा भी और हर्जाना भी

कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने नकली बीज और पेस्टिसाइड बेचने वालों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा, "जो भी व्यक्ति नकली या मिलावटी कृषि उत्पाद, चाहे वे सब्सिडी वाले ही क्यों न हों, बेचते हुए पाया गया, उसके खिलाफ कठोरतम कानूनी कार्रवाई की जाएगी. हमारा प्रयास न केवल दोषियों को सजा दिलवाना है, बल्कि हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि उनसे किसानों को हुए हर नुकसान की पूरी भरपाई करवाई जाए.

कृषि उत्पादों में मिलावट करना और उन्हें नकली बनाकर बेचना हमारे अन्नदाता किसानों और पूरे देश के साथ एक बहुत बड़ा धोखा और एक गंभीर अपराध है. "किसानों को उत्तम गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने और नकली बीजों के कारोबार को पूरी तरह से खत्म करने के उद्देश्य से कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 'साथी' पोर्टल और मोबाइल ऐप लॉन्च किया था. इसका पूरा नाम 'सीड ट्रेसेबिलिटी, ऑथेंटिकेशन एंड होलिस्टिक इन्वेंटरी' (Seed Traceability, Authentication and Holistic Inventory - SATHI) है.

अब एक स्कैन में होगी असली-नकली बीज की पहचान

अब प्रमाणित बीज बनाने वाली हर कंपनी को अपने हर पैकेट पर एक विशिष्ट QR कोड लगाना अनिवार्य है. किसान बीज खरीदते समय अपने स्मार्टफोन में 'साथी' ऐप के माध्यम से इस QR कोड को स्कैन कर सकते हैं. स्कैन करते ही किसान को बीज की पूरी जन्मकुंडली मिल जाती है, जिसमें बीज की किस्म, उत्पादक कंपनी, प्रमाणीकरण की तारीख, वैधता और अन्य अहम जानकारियां शामिल होती हैं. कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी के अनुसार, यह प्रणाली बीज श्रृंखला में पारदर्शिता ला रही है और यह सुनिश्चित कर रही है कि किसान जिस बीज के लिए पैसा दे रहा है, उसकी गुणवत्ता और प्रामाणिकता की गारंटी हो. इससे न केवल किसानों का भरोसा बढ़ेगा, बल्कि अच्छी पैदावार के माध्यम से उनकी आय में भी वृद्धि होगी.

नकली कीटनाशकों के खिलाफ नया 'पेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम'

बीजों की तरह ही, नकली और घटिया कीटनाशक भी किसानों के लिए एक बड़ा सिरदर्द हैं. ये न केवल कीटों पर बेअसर साबित होते हैं, बल्कि फसल और जमीन की सेहत को भी भारी नुकसान पहुंचाते हैं. इस समस्या से निपटने के लिए सरकार 'साथी' की तर्ज पर ही एक नया और उन्नत पेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम विकसित कर रही है. कृषि सचिव चतुर्वेदी ने संकेत दिया कि इस सिस्टम का मुख्य उद्देश्य कीटनाशकों के उत्पादन से लेकर किसान तक पहुंचने की पूरी श्रृंखला को ट्रैक करना होगा. उम्मीद है कि इसमें भी QR कोड या इसी तरह की अन्य तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे किसान किसी भी कीटनाशक उत्पाद की असलियत को तुरंत परख सकेंगे. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी हाल ही में कीटनाशकों की पंजीकरण प्रक्रिया को मजबूत करने और नकली उत्पाद बेचने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. यह नया सिस्टम इसी दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है.

किसानों के लिए फायदे

सरकार के इन तकनीकी हस्तक्षेपों से किसानों को सीधे तौर पर कई फायदे होंगे. अब नकली बीज और कीटनाशक खरीदने से बच पाएंगे. सही और गुणवत्ता वाले उत्पादों के इस्तेमाल से फसल की पैदावार और स्वास्थ्य बेहतर होगा. फसल बर्बाद होने का खतरा कम होगा, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. तकनीक के माध्यम से किसान अब पहले से अधिक जागरूक और सशक्त बनेंगे, जिससे वे सही निर्णय ले सकेंगे.

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