खाद की किल्लत को लेकर लगातार आ रही खबरों के बीच रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने कहा कि चालू खरीफ 2025 सीजन के दौरान भारतीय राज्यों में उर्वरकों की उपलब्धता संतोषजनक बनी हुई है. मंत्रालय के अनुसार, 143 लाख मीट्रिक टन यूरिया की आनुपातिक आवश्यकता के मुकाबले कुल उपलब्धता 183 लाख मीट्रिक टन रही. इसमें से 155 लाख मीट्रिक टन पहले ही बेचा जा चुका है.
डीएपी के मामले में, 45 लाख मीट्रिक टन की जरूरत के मुकाबले उपलब्धता 49 लाख मीट्रिक टन रही, जिसमें से अब तक 33 लाख मीट्रिक टन की बिक्री हो चुकी है. एनपीके के लिए, 58 लाख मीट्रिक टन की आनुपातिक आवश्यकता के मुकाबले 97 लाख मीट्रिक टन की उपलब्धता सुनिश्चित की गई, जबकि 64.5 लाख मीट्रिक टन की बिक्री हो चुकी है. रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने आगे बताया किया कि सप्लाई चेन में वैश्विक व्यवधानों के बावजूद "चालू सीजन के दौरान अब तक उर्वरकों की उपलब्धता संतोषजनक बनी हुई है."
मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि अकेले यूरिया की बिक्री पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 13 लाख मीट्रिक टन से अधिक बढ़ी है, लेकिन घरेलू उत्पादन को अधिकतम करके और वैश्विक टेंडर्स के माध्यम से खरीद करके निरंतर सप्लाई बनाए रखी गई है. किसानों को ऊंची अंतरराष्ट्रीय कीमतों से बचाने के लिए, सरकार ने कहा कि उसने सब्सिडी जारी रखी है.
बयान में कहा गया है कि यूरिया किसानों को 242 रुपये प्रति 45 किलोग्राम बैग (नीम कोटिंग और लागू करों को छोड़कर) के वैधानिक रूप से अधिसूचित एमआरपी पर उपलब्ध कराया जा रहा है. इसी प्रकार, डीएपी 1,350 रुपये प्रति बैग की दर से उपलब्ध कराया जा रहा है, जिसमें सरकार अतिरिक्त लागत, जीएसटी और अंतर्राष्ट्रीय मूल्य वृद्धि की प्रतिपूर्ति सहित विशेष सहायता पैकेज प्रदान कर रही है.
मंत्रालय ने वितरण प्रणाली में गड़बड़ी को रोकने के लिए प्रवर्तन प्रयासों पर भी प्रकाश डाला. अप्रैल 2025 से, अधिकारियों ने लगभग 2 लाख निरीक्षण और छापे मारे हैं, 7,900 से अधिक कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं, 3,623 लाइसेंस रद्द या निलंबित किए हैं और आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत 311 एफआईआर दर्ज की हैं. लाल सागर संकट और रूस, यूक्रेन, इजरायल और ईरान में भू-राजनीतिक तनाव जैसी चुनौतियों के बावजूद, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो रही है, सरकार ने कहा कि उसने अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के साथ दीर्घकालिक व्यवस्था सुनिश्चित कर ली है. इनमें मोरक्को के साथ 25 लाख मीट्रिक टन आपूर्ति समझौता और सऊदी अरब के साथ 2025-26 से सालाना 31 लाख मीट्रिक टन डीएपी की आपूर्ति के लिए पांच साल का समझौता शामिल है.
यूरिया उत्पादन में 2013-14 में 227.15 लाख मीट्रिक टन से 2024-25 में 306.67 लाख मीट्रिक टन तक की मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो 35 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि को दर्शाता है. इसी अवधि के दौरान डीएपी और एनपीकेएस उर्वरकों का संयुक्त उत्पादन 110.09 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 158.78 लाख मीट्रिक टन हो गया है - जो 44 प्रतिशत की वृद्धि है, जो उर्वरक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ाने के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों को दर्शाता है.
(सोर्स- ANI)
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