छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में किसानों की लगातार शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन ने एक ट्रेडिंग कंपनी पर छापा मारा. जांच दौरान दुकान के बाहर "यूरिया नहीं है" पोस्टर लगा था, लेकिन जांच के दौरान अवैध तरीके से भंडारित यूरिया बरामद किया गया है. प्रशासनिक टीम ने मौके से 37 बोरा यूरिया जब्त किया.
ग्रामीण किसान गेंदा राम टोप्पो का कहना है कि सोसायटियों में यूरिया का अभाव होने पर कई बिचौलिए और दुकानदार किसानों को मजबूर कर 1500-2000 रुपये प्रति बोरा यूरिया ब्लैक मार्केट में बेच देते हैं, जिससे किसानों की फसल प्रभावित हो रही थी. लंबे समय से किसानों की ये गंभीर समस्याएं कलेक्टर के संज्ञान में थीं.
कलेक्टर के निर्देश पर खाद्य विभाग, राजस्व विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम ने कार्रवाई की. दुकान संचालक के खिलाफ नोटिस जारी कर जांच शुरू कर दी गई है. प्रशासन ने स्पष्ट किया है, किसानों की जरूरतों से खिलवाड़ स्वीकार्य नहीं है, और कालाबाजारी रोकने में कोई ढील नहीं दी जाएगी.
क्या कहना है प्रशासन का?
लंबे समय से यूरिया न मिलने की शिकायत मिल रही थी,” एक अधिकारी ने बताया. आज जांच में पाया कि बाहर बोर्ड लगा था ‘यूरिया नहीं है’ पर अंदर यूरिया उपलब्ध था. हमनें उसे जब्त कर कार्रवाई की है.”
यूरिया संकट के बीच की गई इस कार्रवाई ने प्रशासन की सक्रियता को जरूर दर्शाया है, लेकिन सवाल यह भी उठता है कि आखिर सोसाइटियों में नियमित रूप से पर्याप्त खाद क्यों नहीं पहुंच पा रहा है. किसानों को जहां समय पर यूरिया न मिलने से भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, वहीं कालाबाजारी करने वाले व्यापारी इसका भरपूर फायदा उठा रहे हैं.
प्रशासन ने साफ किया है कि किसानों की जरूरतों से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा. यह कार्रवाई ब्लैक मार्केटिंग पर नकेल कसने की दिशा में अहम कदम मानी जा रही है.(सुमित सिंह का इनपुट)
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