आपको सुनकर ताज्जुब होगा कि कोई व्यक्ति आखिर क्यों इंग्लैंड छोड़कर हरियाणा के अपने छोटे से गांव में लौटेगा. अगर लौटेगा भी तो खेती-किसानी क्यों करेगा. लेकिन ऐसा कर दिखाया है कि हरियाणा के शहाबाद मरकंडा के किसान हरबीर सिंह ने. हरबीर सिंह पूरे परिवार के साथ इंग्लैंड में रहते थे. लेकिन उन्हें अपने देश और समाज की माटी अच्छी लगी और वे हरियाणा लौट आए. यहां आकर उन्होंने खेती शुरू की. खेती में भी धान और गेहूं जैसी पारंपरिक खेती नहीं बल्कि नर्सरी लगाने का काम शुरू किया. आज स्थिति ये है कि हरबीर सिंह हर साल लगभग 10 करोड़ नर्सरी या पौधे बेचते हैं. इन पौधों की कीमत 70 पैसे से लेकर 15 रुपये तक है. इस हिसाब से हरबीर सिंह की कमाई का अंदाजा लगाना आसान है.
हरबीर सिंह ने नर्सरी का काम क्यों शुरू किया, इसका भी किस्सा दिलचस्प है. हरबीर सिंह हरियाणा के ही एक नर्सरी प्लांट में मिर्च का पौधा खरीदने गए थे. यह प्लांट पेप्सी का था. वहां खरीदारों को पहले बुकिंग करानी होती थी, तभी पौधा बेचा जाता था. हरबीर सिंह की बुकिंग नहीं थी, इसलिए प्लांट वालों ने मिर्च का पौधा देने से इनकार कर दिया. हरबीर सिंह 250 किलोमीटर चलकर उस प्लांट में गए थे, लेकिन प्लांट ने मिर्च की नर्सरी देने से मना कर दिया. उसी वक्त हरबीर सिंह को अपनी खुद की नर्सरी शुरू करने का खयाल आया.
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आज हरबीर सिंह 16 एकड़ में नर्सरी चलाते हैं देश के कई राज्यों में पौधा बेचते हैं. पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश में पौधा बेजा जाता है. हरबीर सिंह ने 15 रुपये की लागत से एक करोड़ पौधों का जर्मिनेशन चैंबर तैयार किया था जो आज बढ़कर 10 करोड़ पौधों का प्लांट बन गया है. किसान बताते हैं कि जो भी पौध वे यहां से खरीदते हैं, उससे उनकी फसल दोगुनी होती है और इनकम भी तेजी से बढ़ती है.
हरबीर सिंह पौधों को उगाने के लिए पूरी तरह से आर्गेनिक चीजों का इस्तेमाल करते हैं. इसके लिए वे पराली की राख, मरकंडा नदी की पीली रेत और गोबर गैस की स्लरी का इस्तेमाल करते हैं. हरबीर सिंह बताते हैं कि वे देश के लगभग 10 हजार किसानों को पौधे देते हैं. हरबीर सिंह आधा एकड़ के पॉलीहाउस में लगभग 30 लाख पौधे तैयार करते हैं. इस तरह उनके पास 16 एकड़ में पौधों की नर्सरी है जिससे वे लाखों रुपये की कमाई करते हैं.
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हरबीर सिंह बताते हैं कि जब वे इंग्लैंड छोड़कर हरियाणा में अपनी जड़ें जमा सकते हैं, तो बाकी युवा ऐसा क्यों नहीं कर सकते. हरबीर सिंह का प्रयास यही है कि युवाओं को ऐसे प्रेरित किया जाए कि विदेश में पलायन रुके और देश में ही रोजगार के साधन विकसित हों. आज हरबीर सिंह ने कई यूनिवर्सिटी और कॉलेजों से एमओयू साइन किया है जहां से छात्र खेती के गुर सिखने आते हैं. हरबीर सिंह ने किसानी के अलावा इस बात पर फोकस किया है कि कैसे कम खर्च में खेती से अधिक फायदा कमाया जा सकता है. हरबीर सिंह 'संसद टीवी' को बताते हैं कि अगला लक्ष्य शहाबाद में एक आलू का टिश्यू कल्चर लैब खोलने का है क्योंकि यह पूरा इलाका आलू का बेल्ट है. इस इलाके में गन्ने की भी बड़े पैमाने पर खेती होती है. इसलिए गन्ने की पौध पर भी बड़े स्तर पर काम होगा.
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