देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक प्रदेश महाराष्ट्र में प्याज किसानों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. यहां की सोलापुर मंडी में 23 जनवरी को प्याज का न्यूनतम भाव 100 रुपये प्रति क्विंटल तक के निचले स्तर तक पहुंच गया. यानी सोलापुर मंडी में 1 रुपये किलो प्याज की खरीदी किसानों से हुई है. वहीं धुले मंडी में 1.5 रुपये, मंगलवेधा और येवला में न्यूनतम भाव 2 रुपये किलो रहा. असल में महाराष्ट्र के प्याज किसान बीते साल से ही कम दाम मिलने को लेकर परेशान थे. किसानों को उम्मीद थी कि 2023 में दाम कुछ सुधरेगा. लेकिन, ऐसा होता नहीं दिखाई दे रहा है.
मंडियों में प्याज के मिल रहे कम दामों से किसान परेशान हैं. आलम ये है कि किसान अपनी लागत तक नहीं निकाल पा रहे हैं. महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन ने सरकार से प्याज के घटते दाम की समस्या से किसानों को निजात दिलाने की मांग की है. वहीं किसानों का कहना है कि पिछले एक साल से प्याज का उचित दाम नही मिल रहा है. किसानों को अभी भी लागत से कम भाव मिल रहा है. महाराष्ट्र के नासिक जिले में सबसे ज्यादा प्याज़ की खेती होती है. जबकि, देश में सबसे ज्यादा प्याज की सप्लाई महाराष्ट्र से ही होती है. लेकिन, यहां के किसान प्याज़ की गिरती कीमतों से परेशान हैं. संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले ने प्याज को न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लाने की मांग की है.
वहीं नासिक जिले के मालेगांव में रहने वाले किसान सावंत सुरेश मंडल ने 'किसान तक' से बात करते हुए कहा कि इस समय राज्य में लाल प्याज़ की खेती की जा रही है. इस साल भी नए लाल प्याज़ की कीमतों में कमी है. सावंत का कहना है कि अभी भी प्याज़ का दाम औसतन 300 से लेकर 900 रुपए प्रति क्विंटल तक ही मिल रहा है. सावंत कहते हैं कि इस दाम से मुनाफा तो छोड़िए लागत भी ठीक से नहीं निकल पा रही है. एक साल से प्याज़ उत्पादकों को घाटा ही हुआ है.
प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि लगातार हो रहे घाटे से परेशान किसान अब प्याज़ की खेती से ज्यादा दूसरी फसलों पर ज़ोर देने लगे हैं. हालांकि राज्य के कई जिलों में किसान पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं. ऐसे में किसानों के लिए प्याज की खेती के अलावा दूसरा कोई अच्छा विकल्प नहीं दिखता. अगर किसानों को दूसरी फसल का कोई अच्छा विकल्प मिला तो प्याज की खेती तुरंत छोड़ देंगे. इसके बाद प्याज को लेकर देश की निर्भरता दूसरे देशों पर बढ़ जाएगी.
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दिघोले का दावा है कि प्रति किलो प्याज़ की लागत 20 रुपये तक आ रही है. सरकार अपनी किसी भी एजेंसी से इसकी जांच करवा ले कि महंगाई के इस जमाने में कितनी लागत आती है. न्यूनतम दाम 1 से लेकर 5 रुपये तक है. जबकि औसत भाव 10 से 15 रुपये किलो तक है. इन्हीं दो कैटेगरी में सबसे ज्यादा खरीद होती है.अधिकतम दाम बहुत कम किसानों को मिलता है. ऐसे में किसानों को दिक्कत ही दिक्कत है. नेता लोग किसानों की यह समस्या नहीं उठा रहे हैं.
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