छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की एक महिला किसान खेती से मुनाफा कमाकर इलाके में अपनी अलग पहचान गढ़ रही हैं. आमटी गांव की केतकी बाई पटेल ने एक एकड़ खेत में सब्जियां उगाना शुरू किया और अब वह इनकी बिक्री से न सिर्फ इलाके में पहचान बना रही हैं, बल्कि ‘लखपति दीदी’ के नाम से जानी जाती हैं. कुछ साल पहले तक उनके पास संसाधन नहीं थे और जेब खाली थी, लेकिन मन में कुछ करने की इच्छा थी. वह खेती-किसानी के काम में हाथ बंटाने वाली एक आम ग्रामीण महिला थीं, जो राज्य सरकार की बिहान योजना और महिला स्व-सहायता समूह से जुड़ीं और धीरे-धीरे अपने लिए एक मुकाम तैयार किया.
जब उन्हें बिहान योजना की जानकारी मिली तो उन्होंने गांव की महिलाओं को जुटाया और स्व सहायता समूह बनाया. धीरे-धीरे उनका समूह आगे बढ़ा और उन्हें कम ब्याज पर लोन जैसी सुविधाएं मिलना शुरू हो गईं. समूह शुरू होने पर केतकी बाई ने बैंक से 30 हजार रुपये का लोन लिया और सब्जियों की खेती शुरू की.
इसके बाद सामुदायिक निवेश कोष से 20 हजार रुपये का और लोन हासिल किया और अपने खेत में मचान पद्धति से खेती शुरू की, ताकि पैदावार बेहतर हो और बहुफसली खेती कर सकें. धीरे-धीरे उनका खेत भिंडी, बैगन, मक्का, करेला और बरबटी जैसी सब्जियों से भरने लगा और बढ़िया उत्पादन मिलने लगा. वर्तमान में केतकी हफ्ते में चार दिन बाजार जाती हैं और आसपास भी सब्जियां बेचती हैं.
दो दिन वह निकुम और दो दिन आलबरस में सब्जी बेचने जाती हैं. बाजार वाले दिन वह करीब 3500 रुपये की सब्जी बेचकर कमाती हैं. वहीं, महीने भर में उनकी कमाई 30 से 32 हजार रुपये पहुंच जाती है और सालाना आय करीब 3.5 लाख रुपये तक हो रही है. इस आमदनी से केतकी बाई ने पक्का मकान बनवाया है और पावर टिलर भी खरीदा है. साथ ही अब पांच एकड़ जमीन भी खरीद ली है, जिसमें वह धान की खेती कर रही हैं.
केतकी बाई की यह सफलता एक तरफ महिलाओं की बदलती भूमिका को दिखाती है, वहीं यह भी बताती है कि छोटी शुरुआत और लगातार मेहनत से किस तरह ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक नया मोड़ लाया जा सकता है. जब किसान को थोड़ी पूंजी और भरोसे का साथ मिल जाए तो वह अपने दम पर गांव की तस्वीर बदल सकता है.
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