PMFBY: न फसल घर आई और न ही बीमा का पैसा, भूख हड़ताल पर उतरे किसान

PMFBY: न फसल घर आई और न ही बीमा का पैसा, भूख हड़ताल पर उतरे किसान

पिछले साल हिंगोली में भारी बारिश हुई थी जिससे सोयाबीन, तुर, कपास की फसलों का भारी नुकसान हुआ था. जिले के तीन लाख 88 हजार किसानों ने बड़े भरोसे के साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा (pradhan mantri fasal bima yojana) करवाया था. मगर जब बीमा क्लेम देने की बारी आई तो कंपनी क्लेम देने से मुकर गई.

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PMFBY: न फसल घर आई और न ही बीमा का पैसा, भूख हड़ताल पर उतरे किसानफसल बीमा के मुआवजे के लिए धरना देते किसान

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) किसानों की राहत के लिए सबसे बड़ी स्कीम मानी जाती है. मगर महाराष्ट्र के किसानों को इस योजना का अलग ही अनुभव मिला है. योजना के तहत राहत कम और मायूसी ज्यादा मिलती दिख रही है. यहां के परेशान किसान बीमा का उचित पैसा नहीं मिलने पर अनशन और आंदोलन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं. बार-बार ऐसी खबरें आ रही हैं कि फलां किसान को फसल बीमा के नाम पर कुछ रुपये थमा दिए गए. यहां तक कि प्रीमियम की लागत भी क्लेम से नहीं निकल पा रही है. इस तरह की घटनाओं को लेकर किसान लगातार विरोध कर रहे हैं.  

ऐसा ही मामला महाराष्ट्र के हिंगोली में सामने आया है. यहां के एक किसान फसल बीमा (pradhan mantri fasal bima yojana) का मुआवजा सही तरीके से नहीं मिलने पर भूख हड़ताल और आंदोलन कर रहे हैं. इस घटना की वजह जानने के लिए 'आजतक' की एक टीम हिंगोली पहुंची. वहां टीम को फसल बीमा योजना का कागज हाथ में लिए खड़े गोरेगांव के किसान शिवाजी खिल्लारी मिले. शिवाजी खिल्लारी ने पिछले साल यानी 2022 में अपनी मां के नाम एक हेक्टेयर सोयाबीन की फसल का बीमा कराया था. उन्होंने प्रीमियम के तौर 1055 रुपये भरे ताकि फसल का नुकसान होने पर मुआवजा मिले. मगर न फसल घर आई और न ही बीमा का पैसा.

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इसी तरह की शिकायत माजूड गांव के किसान सुभाष वैद की भी है. सुभाष ने अपनी पौने दो एकड़ की सोयाबीन की फसल का बीमा कराया था. प्रीमियम भी सही टाइम पर जमा किया था. बीमा कंपनी की सभी शर्तों का पालन किया. मगर जब बीमा कंपनी (PMFBY) की ओर से सुभाष के अकाउंट में पैसे जमा होने का मोबाइल पर मैसेज मिला तो वे वे हिल गए. कंपनी ने उनके खाते में क्लेम के तौर पर 199 रुपये जमा किए थे जबकि उन्हें शर्त के मुताबिक 37226 रुपये मिलने थे. उसके बाद किसान सुभाष कृषि कार्यालय पहुंचे और कृषि अधिकारी को ज्ञापन देकर सही मुआवजे की मांग की. लेकिन अभी अब तक सुभाष की फरियाद नहीं सुनी गई है.

पिछले साल हिंगोली में भारी बारिश हुई थी जिससे सोयाबीन, तुर, कपास की फसलों का भारी नुकसान हुआ था. जिले के तीन लाख 88 हजार किसानों ने बड़े भरोसे के साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा (pradhan mantri fasal bima yojana) करवाया था. मगर जब बीमा क्लेम देने की बारी आई तो कंपनी क्लेम देने से मुकर गई. किसान कृषि विभाग के दफ्तर के चक्कर काटते रह गए पर कुछ नहीं मिला. जिले के सात हजार से अधिक किसानों ने मिलकर कृषि विभाग, तहसीलदार और कलेक्टर के पास शिकायत की. लेकिन स्थिति ये है कि अब तक न पैसे मिले और न ही बीमा कंपनी के खिलाफ कार्रवाई हुई.

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अपनी स्थिति बयां करते हुए किसान शिवाजी खिल्लारी कहते हैं, पिछले साल मैंने एक हेक्टेयर फसल का बीमा (pradhan mantri fasal bima yojana) भरा था. लेकिन नुकसान होने के बाद किसी अधिकारी ने आकर नहीं देखा, अब तक मुझे मुआवजा भी नहीं मिला. ऐसी ही बात किसान सुभाष बताते हैं. वे कहते हैं, मेरे पास पौने दो एकड़ खेती है. पिछले साल सोयाबीन की फसल लगाई थी. बारिश सें फसल बर्बाद हो गई. हमने फसल का बीमा करवाया था. मगर मुझे क्लेम के तौर पर 199 रुपये मिले. सुभाष कहते हैं, इस बारे में मैंने शिकायत भी की, मगर उसका फायदा नहीं हुआ.

किसान गजानन कावरखे ने कहा, फसल बीमा कंपनी ने किसानों को ठगा है. किसानों को अब तक बीमा की राशि नहीं मिली. इसी बात के विरोध में हम आंदोलन कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि क्लेम के पूरे पैसे किसानों के खाते में जमा कराए जाएं.(ध्यानेश्वर उंडल की रिपोर्ट)

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