जब इंसान कुछ करने की ठान ले तो प्रकृति भी उसका साथ देने के लिए आबोहवा तैयार कर देती है. कुछ ऐसी ही कहानी है बिहार के भागलपुर जिले के कहलगांव की महिलाओं की. दरअसल, कहलगांव की कुछ महिलाएं जो आर्थिक तंगी झेलते हुए भी अपनी सफलता की कहानी लिखी. अपनी जीविका चलाती हुए महिलाओं ने नए अवसर की तलाश की और आत्मा योजना की मदद से एक स्वयं सहायता समूह गठित की और मशरूम का उत्पादन शुरू किया. इस सफल कदम के बाद आज इस समूह की महिलाएं इलाके के लिए मिसाल साबित हो ही है. वसुंधरा खाद्य सुरक्षा समूह बनाकर कलगीगंज निवासी प्रिया देवी मशरूम उत्पादन के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में प्रेरक साबित हुई हैं. वहीं, महिलाओं की आत्मनिर्भरता और सामूहिक प्रगति की दिशा में आज प्रिया देवी मिसाल बन गयी हैं.
प्रिया देवी ने बताया कि साल 2020 में उनके गांव में किसान चौपाल का आयोजन हुआ था. इसमें उन्हें आत्मा योजना के बारे में जानकारी मिली. कुछ समय बाद आत्मा, भागलपुर के द्वारा उन्हें राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा समस्तीपुर में पांच दिवसीय प्रशिक्षण में भेजा गया. प्रशिक्षण लेने के बाद उन्होंने 07 बैग ऑयस्टर और बटन मशरूम लगाया, वर्तमान में अब उनके पास 500 ऑयस्टर मशरूम का बैग है. उन्होंने बताया कि अब वो पूरे साल मिल्की, ऑयस्टर और बटन मशरूम का उत्पादन करती हैं, जिससे वो प्रतिदिन 500-1000 रुपये की आमदनी घर बैठे करती हैं.
प्रिया देवी ने बताया कि समूह गठन के बाद आत्मा, भागलपुर द्वारा उनके समूह में बटन मशरूम उत्पादन और विपणन विषय पर किसान पाठशाला का संचालन किया गया, जिसमे बटन मशरूम के कंपोस्ट बनाने का तरीका और बैगिंग संबंधित सभी तरह की जानकारी दी गई, आत्मा के सहायक तकनीकी प्रबंधक प्रीतम कुमार राय की प्रेरणा से महिलाओं ने मशरूम उत्पादन शुरू किया, प्रिया ने बताया कि अभी उनके समूह की 25 महिलाओं के साथ कुल 80 महिलाएं इस व्यवसाय को अपना कर आर्थिक तंगी से छुटकारा पा रही हैं.
आत्मा योजना के प्रयासों और महिला स्वयं सहायता समूह की मेहनत से प्रखंड के रामपुर पंचायत की महिलाएं अपने पैरो पर खड़ी हो रही हैं. 20 सदस्यों द्वारा मशरूम उत्पादन के लिए मिल्की मशरूम के 50 बैग लगाए गए हैं. इसमें कुछ ही समय में उत्पादन होना शुरू हो जाएगा, इसके साथ ही 500 और बैग लगाने की तैयारी की जा रही है. इन समूहों द्वारा उत्पादित मशरूम की मार्केट में अच्छी मांग है.
बता दें कि मशरूम खेती में लागत न्यूनतम है. इसलिए ग्रामीण महिलाओं में इससे लेकर रुचि जताई. कच्चे मशरूम के साथ-साथ इसे सुखाकर भी बेचा जा रहा है. यहां पर ताजा मशरूम 250 से 300 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिक रहा है, जबकि, सूखा मशरूम 1000 से 1400 रुपये प्रति किलो की दर से बिकता है.
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