आज से करीब 10 साल पहले जब बोहर सिंह गिल के अधिकतर साथी विदेश जाकर डॉलर कमाने के सपने देख रहे थे, तब उन्होंने अपने गांव और खेती से जुड़ने का फैसला किया. पंजाब के फरीदकोट जिले के सईदके गांव के रहने वाले बोहर सिंह, जिन्हें अब यदवीर सिंह गिल के नाम से जाना जाता है, ने पारिवारिक खेती को अपनाया और आज 34 साल की उम्र में वे उतना ही कमा रहे हैं जितना उनके दोस्त विदेश में.
बोहर सिंह ने अपनी पुश्तैनी 37 एकड़ जमीन से शुरुआत की. समय के साथ उन्होंने 200 एकड़ जमीन पट्टे पर लेकर खेती का विस्तार किया. उन्होंने पारंपरिक फसलें जैसे गेहूं और धान से शुरुआत की, लेकिन फिर आलू की खेती की ओर रुख किया. आज वे डायमंड और एलआर जैसी शुगर-फ्री आलू की किस्में उगाते हैं जिनकी बाजार में भारी मांग है.
बोहर सिंह ने बताया, "मैंने पहले गेहूं और धान बोए, फिर दो एकड़ में आलू लगाया. नतीजा अच्छा रहा तो मैंने गेहूं छोड़ आलू पर ध्यान दिया." अब वे 250 एकड़ में आलू की खेती कर रहे हैं और मांग इतनी अधिक है कि पूरी नहीं हो पाती.
पानी की कमी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने दो साल पहले स्प्रिंकलर सिस्टम लगवाया. इससे आलू की खेती में 50% तक पानी की बचत हुई और उत्पादन भी बढ़ा. उन्होंने बताया कि नाइट्रोजन भी मिट्टी में आ जाता है जिससे यूरिया की खपत 40% तक कम हो गई. आज 150 एकड़ में स्प्रिंकलर सिस्टम लगा है और जल्द ही वे इसे पूरे खेतों में लागू करेंगे.
स्प्रिंकलर सिस्टम से वे एक दिन में 100 एकड़ तक की सिंचाई कर लेते हैं, जबकि पारंपरिक तरीकों से केवल 15-20 एकड़ ही संभव होता था. इस विधि से मिट्टी नरम रहती है और कीड़े भी कम लगते हैं क्योंकि वे पानी से बह जाते हैं.
सरकार की तरफ से स्प्रिंकलर सिस्टम पर पुरुष किसानों को 80% और महिला किसानों को 90% तक सब्सिडी मिलती है. सब्सिडी के बाद खर्च मात्र ₹15,000 प्रति एकड़ आता है. बोहर सिंह ने अन्य किसानों को भी इसका लाभ उठाने की सलाह दी.
बोहर सिंह हर एकड़ से 1 लाख का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं. 250 एकड़ से उनकी सालाना आमदनी ₹2.5 करोड़ है. उनका कहना है कि यह आय उनके विदेश में बसे दोस्तों से कम नहीं है.
हर साल 250 लोगों को 3-4 महीने के लिए और करीब 20 लोगों को स्थायी रोजगार देते हैं. उनका फार्म एक मॉडल फार्म बन चुका है.
बोहर सिंह का कहना है, “अभी मेरी यात्रा खत्म नहीं हुई. खेती में अपार संभावनाएं हैं. मेहनत, ईमानदारी और जुनून से कुछ भी संभव है.”
बोहर सिंह गिल की कहानी बताती है कि अगर सही सोच और आधुनिक तकनीक के साथ खेती की जाए, तो यह व्यवसाय भी करोड़ों की कमाई का जरिया बन सकता है. उनकी सफलता देश के लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है.
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