अभी तक कश्मीर में उगाए जाने वाले फलों और फसलों में यहां के सेब, ड्राईफ्रूट और साथ ही यहां की सबजियां देश और दुनिया में मशूर हैं, लेकिन अब कश्मीर के किसान भी काफी स्मार्ट हो गए हैं और नई तकनीक के इस्तेमाल से उस तरह की फसले उगा रहे हैं जो कश्मीर में पहले उगती नहीं थी. दरअसल, तरबूज एक ऐसा फल है जिसकी खेती के लिए गर्म वातावरण और रेतीले मिट्टी की जरूरत होती है. यही वजह है कि तरबूज हमें गर्मी के दिनों में मैदानी इलाकों में खूब देखने को मिलता है. मगर अब इसी तरबूज को दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग में एक किसान ने अपने खेतों में उगाकर नया प्रयोग किया है.
बता दें कि ये प्रयोग दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग जिले में एक युवा किसान ने किया है, जहां उसने अपने खेतों में तरबूज उगाए और जो नतीजे सामने आये उससे ना सिर्फ उसकी आमदनी बढ़ गई, बल्कि साथ ही साथ अब वो कई किसानों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत बना हुआ है. कश्मीर में इस किसान की उपलब्धि को देखकर अब कई और किसान भी अपने खेतों में वाटर मेलन यानी तरबूज की खेती करने लगे हैं.
किसान तक से बातचीत में युवा किसान उमर मलिक ने बताया कि उन्होंने BSc. जूलॉजी की है और मेरा बड़ा भाई (रियाज मलिक) अभी BSc. मैथमेटिक्स कर रहा है. उमर का कहना है कि बंदा खुद अपने आप तो कुछ बड़ा प्रोजेक्ट स्टार्ट नहीं कर सकता है, उसके लिए जाहिर है कि घर वालों का सपोर्ट भी होना चाहिए, जो कि हमें बहुत मिला. घरवाले ही नहीं बल्कि आसपास के लोगों ने भी हमें भरपूर मदद की है. जैसे कश्मीर का सेब अपने स्वाद के लिए जाना जाता है, वैसे ही अब हमारा तरबूज टेस्ट के लिए जाना जाता है.
युवा किसान उमर मलिक ने आगे बताया कि इस साल हमने पहले तो 10 कनाल में स्टार्ट किया था. अब जब हमें अच्छा खासा मुनाफ़ा मिला तो हमने अब और 2 कनाल में भी फसल लगाई है. जो हमारे पिछले 10 कनाल थे उनमें हमें अच्छा खासा मुनाफ़ा मिला, जो कि 180 क्विंटल से उपर हमारी पैदावार रही. जितने भी लोग यहां आये, न सिर्फ छोटे बल्कि बड़ों ने भी यही कहा कि ऐसा तरबूज उन्होंने आज तक कभी खाया ही नहीं. जो इसमें टेस्ट था उनको ये पहली बार लगा कि ऐसा भी पर तरबूज होता है.
उमर मलिक का कहना है कि वह तरबूज की फसल अप्रैल के महीने में लगाना शुरू कर देते हैं और इसकी पहली हार्वेस्ट जुलाई के महीने में चालू हो जाती है. उन्होंने आगे बताया कि हमारे खेत में बहुत सारी सब्जियां भी उगती हैं. जैसे कि खीरा, लौकी, जुकनी. इसके अलावा भी बहुत सारी एग्जॉटिक सब्जियां जैसे- ब्रोकली, पत्ता गोभी, फूल गोभी भी हम अपने खेत में उगाते हैं. मलिक का कहना है कि मार्केट में दाम भी अच्छा खासा मिलता है.
किसान तक से उमर के बड़े भाई रियाज़ मलिक ने भी बातचीत की है. रियाज़ ने कहा कि मेरा भाई उमर पढ़ा लिखा है और उसने सरकारी नौकरी को इख्तियार नहीं किया, बल्कि अपने घर के रोजगार को तवज्जोह दी है. रियाज़ ने कहा कि उसने अपना भी रोजगार बनाया है और साथ ही हम 4 नौजवान भी उसके साथ चल रहे हैं. उन्होंने बताया कि उमर ने 10-12 कनाल पर ये प्रोजेक्ट खोला है. इनके साथ कम से कम 6-7 बंदे हैं. जो बेरोजगार थे वो भी अब इनके साथ इस काम में लग रहे हैं. रियाज़ मलिक ने कहा कि बाकी युवाओं से भी यही कहना है कि आप बेरोजगार मत रहो, सरकारी नौकरी के ही भरोसे मत बैठो.
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