सेहत की तरफ बढ़ते रुझान को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा लोग ऑर्गेनिक खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. ऐसा ही एक प्रयास हरियाणा के करनाल के किसान रमन का है. रमन ने दो एकड़ जमीन पर एक प्रयोग किया है, जिसमें उन्होंने रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के बिना कश्मीरी एपल बेर की ऑर्गेनिक खेती करके 4 लाख रुपये की कमाई की है. साथ ही दूसरे किसानों को सलाह दे रहे हैं कि रासायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती से भी ऐसे फलों की पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. किसान रमन के इस सफल प्रयास को देखने के लिए केवल देश नहीं बल्कि विदेशी लोगों का भी तांता लगा हुआ है.
रमन बताते हैं कि अपने एक मित्र की सलाह से उन्होंने 2020 में 2 एकड़ जमीन पर कश्मीरी एपल बेर के लगभग 200 पौधे लगाकर इस खेती की शुरुआत की. इन पौधों में ज्यादा खाद पानी की जरूरत नहीं है. रमन बताते हैं कि इस किस्म के पेड़ की ग्रोथ बहुत ही जल्दी होती है और फल भी जल्दी आ जाता है. 2020 जून के महीने में उन्होंने पौधरोपण किया और 2021 फरवरी के महीने में फल लेना शुरू कर दिया था. उन्होंने बताया कि पौधे पर पहले लाल रंग आता है फिर वो पीले रंग का हो जाता है. यह फल बहुत मीठा होता है.
रमन बताते हैं कि ज्यादातर इस किस्म के पौधों की विशेष देखभाल की जरूरत नहीं होती है. आमतौर पर इसमें बारिश के पानी से ही काम चल जाता है. फरवरी से अप्रैल महीने तक इसके फलों को तोड़ने के बाद पेड़ों की कटिंग की जाती है. सितंबर के महीने में जैसे ही पेड़ों पर फूल आने शुरू होते हैं, तब पेड़ो की जड़ के आसपास पानी को एकत्रित नहीं होने देना चाहिए. बस इन्ही बातों का ध्यान रखने से इन पेड़ों से अच्छा फल प्राप्त कर सकते हैं.
रमण बताते हैं कि इस कश्मीरी एपल बेर का स्वाद मिठास और क्वालिटी में अद्भुत है. पौधों में बीमारी को लेकर रमन ने बताया कि वैसे तो बीमारियां हर पौधे में लगती हैं, लेकिन अब तक उन्के अनुभव के अनुसार उनकों कोई भी बीमारी का सामना नहीं करना पड़ा है. इसको बीमारी मुक्त पौधा भी कह सकते हैं.
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किसान रमन बताते हैं कि अनुमानित एक पौधे से 200 से 250 किलो फल की पैदावार हो जाती है, जिसकी मंडी में कीमत 80 से 120 रुपये किलो तक मिल जाती है. ऑर्गेनिक तरीके से खेती करने की विधि को रमन ने बहुत ही बढ़िया बताया. उन्होंने कहा कि इससे किसान जहरीले स्प्रे करने से बच जाते हैं. आंकड़े बताते हैं कि हर वर्ष बहुत से किसानों की इन रासायनिक जहरीले पेस्टिसाइड का स्प्रे करते समय मौत हो जाती है. रमन ने बताया कि रासायनिक खेती से खुद भी बचो और दूसरों को भी बचाओ. शुद्ध खेती करके आप स्वयं, अपने परिवार और समाज सहित पूरे देश के लोगो को बड़ी से बड़ी घातक कैंसर जैसी बीमारियों से बचा सकते हैं.
रमन ने बताया कि देश-विदेश में बहुत से लोग इस खेती से प्रभावित हैं. वो इस खेती की जानकारी लेने के लिए आते हैं. विदेशी लोग ऑर्गेनिक खेती की ओर काफी आकर्षित हो रहे हैं, जितनी भी उन्हें इस खेती के बारे में जानकारी है. वो लोगों को बताने का प्रयास करते हैं.
थाइलैंड से मंगवाई प्रजाति का कश्मीरी एपल बेर प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित हो रही है. दरअसल, विदेशी प्रजाति के बेर की खेती महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बंगाल, केरल आदि राज्यों में होती है. रमन ने इसकी सफल खेती करके प्रदेश के अन्य किसानों को इसकी खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया है.
इस प्रजाति का एपल बेर रंग और आकार में हूबहू सेब की तरह दिखता है. खास बात यह है कि इसमें सेब और बेर दोनों का स्वाद आता है. इस फल का स्वाद, मिठास और गुणवत्ता में अद्भुत है. एक वर्ष से भी कम समय में तैयार होने वाले इस एपल बेर की बागवानी कम ऊंचाई वाले पहाड़ (जहां न्यूनतम तापमान माइनस में जाता है) और मैदानी भागों में की जा सकती है.
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