एक छोटे गांव से 11,000 करोड़ के बिजनेस का सफर, पढ़ें इंडिया के 'ब्रॉयलर किंग' की कहानी

एक छोटे गांव से 11,000 करोड़ के बिजनेस का सफर, पढ़ें इंडिया के 'ब्रॉयलर किंग' की कहानी

छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव से शुरू होकर, बहादुर अली ने मेहनत, जुनून और आत्मविश्वास के दम पर भारत की सबसे बड़ी पोल्ट्री कंपनियों में से एक IB ग्रुप खड़ा किया. यह कहानी है संघर्ष से सफलता तक के प्रेरणादायक सफर की.

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एक छोटे गांव से 11,000 करोड़ के बिजनेस का सफर, पढ़ें इंडिया के 'ब्रॉयलर किंग' की कहानीगाँव का बेटा बना इंडिया का ब्रॉयलर किंग

1980 का दशक था, छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव का एक छोटा सा कस्बा, जहां धूल भरी गलियों में मेहनतकश लोग रहते थे. यहीं से बहादुर अली का सफर शुरू हुआ. एक साधारण घर, मां का प्यार और दिल में बड़े सपनों की एक चिंगारी. पर किस्मत ने जल्दी ही कठिन परीक्षा ली-बहादुर के सिर से पिता का साया उठ गया. छोटे से बच्चे को बड़ा बनने पर मजबूर कर दिया गया. पिता के जाने के बाद बहादुर अली ने ठान लिया कि वे कुछ बड़ा करेंगे. जेब में 11 रुपये थे, लेकिन मन में एक जिद और सपना था. उन्होंने साइकिल पंचर से लेकर पोल्ट्री फार्मिंग तक हर काम किया. 1984-85 में उन्होंने 200 मुर्गियों से अपना पहला पोल्ट्री फार्म शुरू किया. सोच थी- “कुछ खाएंगे, कुछ बेचेंगे, कुछ बचाएंगे.”

छोटे कदम, बड़ा सपना

बहादुर अली ने नागपुर की गलियों से अपना काम बढ़ाना शुरू किया. वहां की एक दुकान से चिकन बेचने लगे. धीरे-धीरे मार्केटिंग समझ में आई, प्रोडक्शन बढ़ा और नेटवर्क फैलाया. 1996 में एक वर्ल्ड पोल्ट्री कांफ्रेंस में एक विदेशी एक्सपर्ट से मुलाकात ने उनके सोचने का तरीका बदल दिया. यहीं से उन्होंने अपने बिज़नेस को इंडस्ट्री का रूप देना शुरू किया.

IB Group की नींव और सफलता

बहादुर अली ने IB (Indian Broiler) Group की नींव रखी. आज यह कंपनी भारत की सबसे बड़ी ब्रॉयलर कंपनियों में से एक है, जिसका टर्नओवर 11,000 करोड़ रुपये से अधिक है. कंपनी न केवल पोल्ट्री, बल्कि प्रोटीन मैन्युफैक्चरिंग, कृषि, और हेल्थ सेक्टर में भी काम कर रही है.

गांव को बनाया हब

बहादुर अली ने कभी बड़े शहरों की तरफ नहीं देखा. उनका मानना था कि गांवों को ही शहर बनाना है. उन्होंने अपने गांव और आस-पास के इलाकों के लोगों को ट्रेनिंग दी, उन्हें रोजगार दिया और उन्हें आत्मनिर्भर बनाया. आज IB ग्रुप के 90% कर्मचारी छत्तीसगढ़ के ही हैं.

नई तकनीक और ट्रेनिंग

IB Group किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली नस्लें, प्रशिक्षण और स्वास्थ्य सुविधाएं देता है. उन्होंने इन ओवो वैक्सीनेशन जैसी आधुनिक तकनीक अपनाई है, जिसमें अंडे के अंदर ही वैक्सीन दी जाती है ताकि मुर्गियां स्वस्थ पैदा हों.

शिक्षा और समाज सेवा

बहादुर अली की बेटी रियाज़ी अली आज IB ग्रुप की डायरेक्टर हैं. उनका ध्यान शिक्षा और CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) पर है. उन्होंने गांवों में इंग्लिश स्कूल खोले, लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा दिया, और पोषण संबंधी योजनाएं शुरू कीं. एबिस ब्रांड के तहत पोषण पाउडर भी लॉन्च किया गया, जिसे यूनिसेफ ने भी सराहा.

टेक्नोलॉजी के साथ किसान हित में काम

IB ग्रुप ने ‘परिवर्तन’ नामक प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसमें किसानों को AC हाउस जैसी आधुनिक सुविधाएं दी जा रही हैं. कंपनी किसानों को इंटरेस्ट-फ्री लोन देकर तकनीकी सहायता प्रदान करती है ताकि वे अधिक लाभ कमा सकें.

पूरी तरह से ऑटोमेटेड प्लांट्स

IB ग्रुप के प्लांट्स 100% ऑटोमेटेड हैं. हर उत्पाद इंटरनेशनल क्वालिटी के अनुसार तैयार होता है. ये प्लांट एशिया के सबसे आधुनिक और उन्नत तकनीकों से लैस हैं.

बहादुर अली की जिंदगी सिर्फ एक व्यक्ति की सफलता की कहानी नहीं, बल्कि लाखों लोगों के लिए एक रोशनी है. उन्होंने दिखा दिया कि मेहनत, लगन और सही सोच के साथ कोई भी इंसान अपनी तकदीर खुद लिख सकता है. गाँव से उठकर वैश्विक स्तर तक पहुँचना किसी चमत्कार से कम नहीं, लेकिन यह चमत्कार उन्होंने मेहनत से रचा है.

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