Mastitis disease: बरसात में गाय-भैंस का दूध निकालते वक्त बरतें सावधानी, नहीं होगी थनैला बीमारी 

Mastitis disease: बरसात में गाय-भैंस का दूध निकालते वक्त बरतें सावधानी, नहीं होगी थनैला बीमारी 

Mastitis disease in Animal एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि थनैला बीमारी की सबसे बड़ी वजह डेयरी मैनेजमेंट है. जब मैनेजमेंट के दौरान पशुओं की देखभाल में कुछ बातों की अनदेखी की जाती है तो दूध देने वाला पशु थनैला बीमारी का शि‍कार हो जाता है. इसलिए जरूरी है कि पशु का दूध दुहाने से पहले और बाद में साफ-सफाई से जुड़ी कुछ बातों का ख्याल रखा जाए.

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Mastitis disease: बरसात में गाय-भैंस का दूध निकालते वक्त बरतें सावधानी, नहीं होगी थनैला बीमारी दूध निकालते हुए पशुपालक.

Mastitis disease in Animal गाय-भैंस के थनों में सूजन आ जाती है. कई बार तो जख्म भी हो जाते हैं. दूध उत्पादन भी कम हो जाता है. और ये सब होता है गाय-भैंस में थनैला बीमारी होने पर. थनैला बीमारी को डेयरी में होने वाला सबसे बड़ा नुकसान माना जाता है. केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआईआरबी), हिसार के रिटायर्ड प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. सज्जन सिंह ने किसान तक को बताया कि साफ-सफाई का ध्यान न रखते हुए लापरवाही के साथ दूध निकालने के चलते पशुओं में थनैला बीमारी होती है. लेकिन कुछ उपाय हैं जिन्हें अपनाया जाए तो गाय-भैंस को थनैला बीमारी नहीं होगी.  

गाय-भैंस में थनैला बीमारी कैसे होती है

  • दूध निकालने से पहले थनों की सफाई ना करना. 
  • दूध निकालने वाले के कपड़े और हाथों के गंदा होने पर. 
  • दूध निकालने वाला अगर बीमार है. 
  • जिस बर्तन में दूध निकाला जा रहा उसका साफ ना होना. 
  • गंदी जगह पर बैठकर पशु का दूध निकालना. 
  • गाय-भैंस के बच्चे को दूध पिलाने के बाद थनों को ना धोना. 
  • पशु के पेट, थन और पूंछ पर चिपकी गंदगी से.

थनैला बीमारी के बारे में डेयरी एक्सपर्ट 

  • दूध दुहते समय पानी, बर्तन और फर्श की गुणवत्ता को लेकर अलर्ट रहें. 
  • डेयरी में काम करने वाली लेबर के गंदा रहने और उनके गंदे कपड़े बीमारी को बढ़ा देते हैं. 
  • खराब खान-पान और तनाव पशुओं में थनैला से लड़ने की क्षमता को कमजोर करते हैं.
  • लुवास के वाइस चांसलर (वीसी) के मुताबिक थनैला बीमारी की पहचान दूध से की जा सकती है. 
  • दूध में मौजूद अल्फा1 ग्लाइको प्रोटीन की जांच से थनैला के बारे में वक्त रहते पता लग जाएगा. 
  • इसके लिए दूध के नमूने को स्फेक्ट्रो फोटो मीटर की मदद से जांचा जाता है. 
  • अगर पशु थनैला बीमारी से पीडि़त है तो दूध में मौजूद अल्फा1 ग्लाइको प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाएगी. 

निष्कर्ष- 

सुबह-शाम गाय-भैंस से मिलने वाले दूध को बड़े-बड़े डेयरी प्लांट या लोकल बाजार में बेचा जाता है. लेकिन गाय-भैंस को होने वाली एक बीमारी पूरे डेयरी सिस्टम को बिगाड़ देती है. पशुपालक को भी मुनाफे की जगह नुकसान होने लगता है. इसलिए जरूरी है कि डेयरी फार्म में साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखा जाए. 

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