अब पटवारी नहीं, गांव के लोग ही करेंगे फसलों की गिरदावरी, एक खेत के सर्वे पर मिलेंगे 10 रुपये

अब पटवारी नहीं, गांव के लोग ही करेंगे फसलों की गिरदावरी, एक खेत के सर्वे पर मिलेंगे 10 रुपये

गांव के लोग ही फसल नुकसान का सर्वे करेंगे न कि पटवारी. गांव के लोग मोबाइल ऐप की मदद से गिरदावरी का काम पूरा करेंगे. सर्वेयर को एक खेत का सर्वे करने पर आठ  से 10 रुपये प्रति सर्वे दिया जा सकता है.

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अब पटवारी नहीं, गांव के लोग ही करेंगे फसलों की गिरदावरी, एक खेत के सर्वे पर मिलेंगे 10 रुपयेअब पटवारी नहीं, गांव के लोग ही करेंगे फसलों की गिरदावरी

मध्य प्रदेश अभी काफी चर्चा में है. दरअसल इस वर्ष होने वाले चुनाव से लेकर पटवारी परीक्षा में हुए घोटाले ने मध्य प्रदेश को सुर्खियों में ला दिया है. वहीं मध्य प्रदेश के किसानों का मानना है कि पटवारियों द्वारा बिना सर्वे किए ही गिरदावरी की जा रही है. किसानों का कहना है कि अगर सरकार ऐसा कोई प्लान ला रही है कि किसानों के खेतों में होने वाली फसल का वास्तविक रिकॉर्ड सारा ऐप में दर्ज होगा तो इससे किसी भी तहर की गड़बड़ी की आशंका नहीं रहेगी. वहीं इससे कोई भी किसान फर्जी फसल बताकर प्राकृतिक आपदा पर राहत राशि या फिर फसल बीमा का लाभ नहीं ले पाएगा. इसके अलावा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लिए फर्जी जानकारी देने से भी कतराएंगे. अब तैयारी इस बात की है कि गांव के लोग ही फसल नुकसान का सर्वे करेंगे न कि पटवारी. गांव के लोग मोबाइल ऐप की मदद से गिरदावरी का काम पूरा करेंगे.

दरअसल, केंद्र सरकार का प्लान है कि फसल का गिरदावरी (हर खेत का फसल रिकॉर्ड) करने के लिए गांव के ही जानकार व्यक्ति को अस्थाई तौर पर सर्वेयर यानी सर्वे करने वाला बनाया जाए. सर्वेयर को एक खेत का सर्वे करने पर आठ  से 10 रुपये प्रति सर्वे दिया जा सकता है.

पायलट प्रोजेक्ट पर काम शुरू

फिलहाल इस काम को नीमच और सिवनी जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शामिल किया गया है. नीमच और सिवनी में पायलट प्रोजेक्ट सफल होने पर प्रदेश के अन्य जिलों को भी शामिल किया जाएगा. वहीं इस प्रोजेक्ट के तहत सभी 52 जिलों के 53 हजार गांवों के करीब 80 लाख किसानों के खेतों में होने वाली फसलों का रिकॉर्ड ऑनलाइन होगा. इसको लेकर आयुक्त भू-अभिलेख ने सभी जिलों के कलेक्टरों के साथ बातचीत भी की है.

जानें क्या है गिरदावरी

किसानों को सरकार की योजनाओं से जोड़ने के लिए उसके खेत का रकबा और होने वाली फसल को आधार बनाया जाता है. इसके लिए हर खेत की गिरदावरी होती है. यानि देखा जाता है कि किस खेत में कौन सी फसल लगाई गई है. रबी, खरीफ और अन्य सीजन में क्या फसल ली गई है इन सभी चीजों को देखने को गिरावदारी कहा जाता है.

साल में 3 बार होगा आकलन

सरकार द्वारा संचालित की गई इस कार्य से फसल की गिरदावरी साल में तीन बार सारा ऐप के माध्यम से की जाएगी. इसका उपयोग फसल के पैदावार, फसल बीमा और अन्य योजनाओं में किया जाएगा. अब सर्वेयर खेत के बीचों बीच खड़े होकर फसल की फोटो लेकर पटवारी को बताएगा.

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जांचकर्ता की होगी नियुक्ति

सर्वे करने वाले द्वारा अपलोड जानकारी की जांच के लिए हर साल मौसम के अनुसार 20 प्रतिशत गांवों का चयन सिस्टम द्वारा किया जाएगा. इस प्रकार प्रत्येक वर्ष मौसम के अनुसार गावों का चयन करते हुए आगामी पांच वर्षों में शत-प्रतिशत गांवो का जांच कार्य पूरा किया जाएगा. वहीं इसके लिए जांचकर्ता की नियुक्ति भी होगी.

गांव के लोगों को मिलेगा रोजगार

सरकार द्वारा हर गांव में सर्वे करने वाला नियुक्त करने से अनुमान के अनुसार प्रदेश के 53 हजार गांवों में स्थानीय लोगों को एक निश्चित अवधि के लिए रोजगार मिलेगा. वहीं प्रदेश में 19 हजार से अधिक पटवारी हैं जो सर्वे करने वाले के कामकाज की मॉनिटरिंग करेंगे.

गिरदावरी ऑनलाइन होने से पारदर्शिता रहेगी

भू-अभिलेख, आयुक्त, संजय गोयल ने बताया कि केंद्र सरकार के इस प्लान के अनुसार सिवनी और नीमच जिले को गिरदावरी के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना गया है. इसके बाद और जिले शामिल किए जाएंगे. वहीं इससे गांव का ही व्यक्ति सर्वे करने वाला होगा जिससे गांव के स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा. वहीं यह सारी जानकारी सारा ऐप में पलोड होने से किसी गड़बड़ी की संभावना नहीं रहेगी. 

 

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