कर्नाटक में 10 मई से विधानसभा चुनाव (karnataka election) है. यहां अभी चुनाव प्रचार तेज चल रहा है. चुनाव के मद्देनजर हर वर्ग की अपनी-अपनी मांगें और उम्मीदें हैं. इसी में एक वर्ग किसानों का भी है. किसानों की कई मांगें हैं जिनमें सबसे प्रमुख है नारियल से होने वाली आय और उसकी खेती. कर्नाटक में बड़े पैमाने पर नारियल की खेती होती है. लेकिन इन किसानों में घोर मायूसी है. उनका कहना है कि नारियल की खेती उन्हें रास नहीं आ रही क्योंकि बाजार भाव बहुत कम है. साथ ही नारियल में लगने वाली बीमारी स्टेम ब्लीडिंग भी तड़पा रही है. इन किसानों की मांग है कि अगली सरकार जिसकी भी बने, उसे इन मुद्दों पर गौर फरमाना चाहिए और राहत दी जानी चाहिए.
चुनावी तैयारी देखें तो सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस और जेडीएस ने अपने घोषणा पत्र में किसानों के मुद्दे को खास तवज्जो दी है. इसी में एक तुमकुरु जिला भी है जहां बड़े पैमाने पर नारियल की खेती होती है. नारियल से उससे जुड़ा व्यापार यहां के लोगों की लाइफलाइन है. किसानों के मुद्दे उठाने वाला संगठन कर्नाटक राज्य रायता संगम का कहना है कि केंद्र सरकार की पॉलिसियां किसानों के अनुकूल नहीं हैं. यहां तक कि नारियल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग की जा रही है, उसे भी दरकिनार किया जा रहा है.
तुमकुरु जिले में लगभग 1.50 लाख हेक्टेयर जमीन में किसान नारियल की खेती करते हैं और यहां की कुल आबादी के लगभग 50 प्रतिशत लोग नारियल से जुड़े बिजनेस में लगे हैं. कर्नाटक राज्य रायता संगम के जयचंद्र शर्मा ने PTI से कहा, कर्नाटक के नारियल किसान अभी जिस परेशानी को सबसे ज्यादा झेल रहे हैं, वो है कीमतों में लगातार गिरावट. एक क्विंटल नारियल उगाने का खर्च लगभग 17000 रुपये आता है. यानी प्रति किलो लगभग 170 रुपये जबकि सरकार की एमएसपी मात्र 117 रुपये है. इस तरह तुमकुरु के किसान एक किलो नारियल की खेती पर 50 रुपये का घाटा उठा रहे हैं.
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इस घाटे से उबारने के लिए किसानों की मांग है कि प्रति क्विंटल नारियल का दाम बढ़ाकर 25,000 रुपये किए जाएं. इसी तरह भाव प्रति किलो 250 रुपये किया जाए. जयचंद्र शर्मा ने आरोप लगाया, "हम सरकार से 20,000 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी और 5,000 रुपये समर्थन मूल्य की मांग कर रहे हैं. कर्नाटक सरकार के मन में किसानों के लिए कोई सम्मान नहीं है. उनकी नीतियां किसान समुदाय के लिए खतरा हैं. उन्होंने कई अजीबोगरीब फैसले लिए हैं."
तुमकुरु के किसानों का एक बड़ा मसला एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी यानी कि APMC से भी जुड़ा है. किसानों का आरोप है कि एपीएमसी एक्ट प्राइवेट कंपनियों को किसानों से सीधा खरीद करने की इजाजत देता है जिसका विरोध किया जा रहा है. 2020 में राज्य विधानसभा में APMC अधिनियम को मंजूरी दिए जाने के बाद कर्नाटक के कई किसान समूहों ने तुमकुरु, मैसूरु, मांड्या, चिक्कबल्लापुर, कोलार, मंगलुरु, हुबली और धवाद में विरोध प्रदर्शन किया था.
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ऐसा ही एक मुद्दा पाम तेल का भी है. जयचंद्र शर्मा कहते हैं, "सरकार अन्य देशों से पाम तेल खरीद रही है और इस वजह से बाजार हमारे लिए क्रैश हो गए हैं. जबकि 170 रुपये की खेती की लागत है, पाम तेल के आयात के कारण बाजार मूल्य 80 रुपये प्रति किलो है. बाजार में पाम तेल सस्ता होने की वजह से लोग नारियल से अधिक पाम की ओर बढ़ रहे हैं." उन्होंने आगे आरोप लगाया कि नाराजगी के बावजूद राज्य सरकार द्वारा किसान समूहों की मांगों को दरकिनार किया गया. किसानों की मांग है कि सरकार दाम की ऐसी तरकीब अपनाए जिससे किसानों को भी जीने-खाने का मौका मिले.
नारियल किसानों की एक बड़ी समस्या नारियल में लगने वाले रोग भी हैं. इसमें स्टेम ब्लीडिंग और बड रॉटिंग प्रमुख हैं. तुमकुरु के किसानों का कहना है कि पिछले तीन साल में इन दोनों बीमारियों से खेती का बहुत नुकसान हुआ है. एक नारियल किसान और कर्नाटक राज्य रायता संघ के सदस्य गंगादरैया ने कहा, "पिछले एक साल में नारियल के पेड़ों में ये बीमारियां काफी बढ़ गई हैं. इन बीमारियों की वजह से नारियल की खेती करना मुश्किल हो गया है और यह हमारी आजीविका को प्रभावित कर रहा है. हमारे पास और कोई काम नहीं है, हम नारियल की खेती पर निर्भर हैं." उन्होंने दावा किया कि 2022 में नारियल की खेती की लागत 18,000 से 19,000 रुपये प्रति क्विंटल थी, जबकि 2023 में यह दर घटकर 8,500-9000 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है.
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