Mustard Price: सरसों क‍िसानों को डबल झटका, 3000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक का घाटा

Mustard Price: सरसों क‍िसानों को डबल झटका, 3000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक का घाटा

क‍िसानों को प‍िछले साल सरसों का भाव 7000 से 8000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक म‍िल रहा था. जबक‍ि इस बार 4000 से 5000 रुपये के दाम पर उपज बेचनी पड़ रही है. काफी क‍िसानों को 5450 रुपये रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल की एमएसपी भी नहीं म‍िल पा रही. ई-नाम पर भी एमएसपी से कम दाम पर हो रही ट्रेड‍िंग. 

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Mustard Price: सरसों क‍िसानों को डबल झटका, 3000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक का घाटाहर‍ियाणा में क‍ितना है सरसों का दाम (Ministry of Agriculture).

Mustard Price: सरसों के प्रमुख उत्पादक सूबों में से एक हर‍ियाणा में इसकी खेती करने वाले क‍िसानों को इस बार काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. यहां भले ही देश में सरसों की सबसे ज्यादा खरीद हुई हो, लेक‍िन अब भी बहुत सारे क‍िसान ऐसे हैं ज‍िनकी सरसों एमएसपी पर नहीं ब‍िक पा रही है. इसकी वजह से वो औने-पौने दाम पर व्यापार‍ियों को बेचने पर मजबूर हैं. राष्ट्रीय कृष‍ि बाजार यानी ई-नाम प्लेटफार्म पर भी सरसों की ट्रेड‍िंग एमएसपी से कम दाम पर हो रही है. इसल‍िए क‍िसान जाएं तो कहां जाएं? उन्हें एमएसपी से एक से डेढ़ हजार रुपये कम दाम पर ओपन मार्केट में अपनी उपज बेचनी पड़ रही है. अगर प‍िछले साल से तुलना करें तो क‍िसानों को सरसों के दाम (Mustard Price) में 3000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक का घाटा उठाना पड़ रहा है. 

रबी मार्केट‍िंग सीजन (RMS) 2023-24 के लिए सरसों का एमएसपी 5450 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल है. जबक‍ि क‍िसान इसे 4000 से 5000 रुपये के रेट पर बेचने के ल‍िए मजबूर हैं. प‍िछले साल यानी आरएमएस 2022-23 के दौरान ओपन मार्केट में सरसों का भाव 7500 से 8000 रुपये प्रति क्विंटल था. ई-नाम पर हर‍ियाणा की सभी मंड‍ियों में सरसों एमएसपी से नीचे के भाव पर ब‍िक रही है. क‍िसान नेताओं का कहना है क‍ि इस साल सरसों का दाम जान बूझकर ग‍िरवाया गया है. क्यों‍क‍ि प‍िछले दो साल से न्यूनतम समर्थन मूल्य के ऊपर दाम म‍िल रहा था जो कुछ लोगों को रास नहीं आया. 

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क्यों इतना ग‍िर गया सरसों का दाम

क‍िसान नेता रामपाल जाट का आरोप है क‍ि एक ही साल में सरसों के दाम में इतनी ग‍िरावट के पीछे सरकार की आयात नीति ज‍िम्मेदार है. केंद्र सरकार ने खाद्य तेल आयात को प्रमोट करने वाली पॉल‍िसी बनाई हुई है. साल 2020 तक खाद्य तेलों पर इंपोर्ट ड्यूटी 45 फीसदी थी. पाम आयल पर अतिरिक्त 5 फीसदी सुरक्षा शुल्क भी लगा हुआ था, ज‍िसे अक्टूबर 2021 को जीरो कर द‍िया गया. इसल‍िए आयात बहुत सस्ता हो गया. खासतौर पर ऐसी आयात पॉल‍िसी की वजह से सरसों का दाम धड़ाम हो गया. हमने प्रधानमंत्री को पत्र ल‍िखा है ताक‍ि खाद्य तेलों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़े और भारतीय क‍िसानों को राहत म‍िले. 

दूसरी ओर, एमएसपी पर होने वाली खरीद की पॉल‍िसी भी ऐसी है क‍ि ज्यादातर क‍िसान अपनी सरसों सरकारी रेट पर भी नहीं बेच पाते. केंद्र ने यह न‍ियम बनाया हुआ है क‍ि त‍िलहन फसलों की अध‍िकतम सरकारी खरीद कुल उत्पादन की स‍िर्फ 25 फीसदी ही हो सकती है. ऐसे में सरसों की 75 फीसदी उपज एमएसपी की खरीद के दायरे से बाहर हो जाती है. इससे बाजार में क‍िसानों का दबाव नहीं बन पाता. 

क‍िस मंडी में क‍ितना रहा दाम

  • हर‍ियाणा की ऐलनाबाद मंडी में 871 क्व‍िंटल सरसों की आवक हुई. यहां न्यूनतम दाम 1,760, मॉडल प्राइस 4,521 और अध‍िकतम भाव 4,601 रुपये रहा. 
  • आदमपुर मंडी में 577 क्व‍िंटल सरसों की आवक हुई. यहां पर न्यूनतम दाम 4,061, मॉडल प्राइस 4,490 और अध‍िकतम भाव4,899 रुपये रहा. 
  • चरखी दादरी मंडी में 632 क्व‍िंटल सरसों की आवक हुई. यहां पर न्यूनतम दाम 4,425, मॉडल प्राइस और अध‍िकतम दाम 5,200 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा. 
  • रेवाड़ी मंडी में 1,145 क्व‍िंटल सरसों की आवक हुई. यहां पर न्यूनतम दाम 4,300, मॉडल प्राइस 4,400 और अध‍िकतम दाम 5,000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा.

                (Source: e-NAM/03-05-2023)  

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