शेयर बाजार से ताल्लुक रखते हैं तो आपको एक नाम जरूर पता होगा. ये तीन अक्षर का नाम है MRF. नाम में अंग्रेजी के भले ही तीन अल्फाबेट्स (हिंदी में अक्षर) हों, लेकिन इसका काम सुनकर आप हैरत में पड़ जाएंगे. नाम और काम के अलावा इस कंपनी का शेयर प्राइस देखें तो आप कई बार चौंकने को मजबूर होंगे. यह रिपोर्ट लिखते वक्त एमआरएफ का शेयर (MRF share price) 97000 रुपये से अधिक चल रहा है. कमोबेस इसी दाम के आसापस इस शेयर का भाव बना रहता है. ऐसे में आप पूछ सकते हैं कि आखिर ये कंपनी करती क्या है जो एक शेयर का भाव तकरीबन लाख रुपये का होता है. तो जान लीजिए, यह कंपनी देश-दुनिया का मशहूर टायर बनाती है, वह भी रबर से. वही रबर जो देश के दक्षिणी हिस्सों में खासकर केरल के किसान उगाते हैं.
किसानों के रबर की बदौलत इस मुकाम पर पहुंची एमआरएफ कंपनी के बारे में जानना हो तो उसके ब्रांड एम्बेसडर को भी देख सकते हैं. क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर कभी MRF के ब्रांड एम्बेसडर हुआ करते थे. मद्रास रबर फैक्ट्री यानी कि MRF की विश्वसनीयता इसी बात से भी समझी जा सकती है कि एक ही दिन में इस कंपनी के शेयर 2400 रुपये तक बढ़ोतरी पा चुके हैं. ऐसे में भला कौन नहीं चाहेगा कि उसके पास भी इस कंपनी के कुछ शेयर हों.
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अब आइए इस कंपनी का खेती-किसानी से कनेक्शन समझते हैं. मद्रास रबर फैक्ट्री या MRF नाम से स्पष्ट है कि इसका पूरा काम रबर पर आधारित है. इसी रबर से अलग-अलग तरह के टायर बनाए जाते हैं जो आपकी गाड़ियों में इस्तेमाल होते हैं. ये वही रबर है जिसे किसान अपने बाग या खेतों में लगे रबर के पौधों से कड़ी मशक्कत के बाद निकालते हैं. इतिहास के गलियारों में झांकें तो भारत में सबसे पहले 1895 में केरला में रबर का पहला पौधा लगाया गया था. हालांकि भारत में रबर की व्यावसायिक खेती 1902 में शुरू हुई और उसी के बाद एमआरएफ जैसी कंपनियों का बिजनेस चमका.
अब आइए उन राज्यों के नाम जान लेते हैं जहां रबर का उत्पादन सबसे अधिक होता है. इसमें पहले स्थान पर केरला है. उसके बाद त्रिपुरा, कर्नाटक, असम, तमिलनाडु, मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, गोवा और अंडमान निकोबार के नाम हैं. इसमें केरला अकेला ऐसा राज्य है जहां पूरे देश का 74 परसेंट रबर उत्पादन होता है. अभी हाल की एक रिपोर्ट बताती है कि 2017-18 में केरला में नेचुरल रबर का उत्पादन 77.8 फीसद था जो कि 2019-20 में गिरकर लगभग 75 फीसद पर आ गया. यानी हाल के वर्षों में केरला में रबर उत्पादन में कमी देखी जा रही है.
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इस कमी के बारे में कई एक्सपर्ट चिंता जाहिर कर रहे हैं और इसमें सरकार की दखलंदाजी बढ़ाने की मांग की जा रही है ताकि उत्पादन घटने की बजाय बढ़े. बताया जा रहा है कि केरल में रबर के बाग बहुत पुराने हो चले हैं और उसमें नए पौधों पर काम नहीं हो रहा है जिससे उत्पादन में गिरावट है. इसी तरह जिन लोगों के रबर के बाग हैं, वे या तो केरल से दूसरी जगहों पर शिफ्ट हो गए हैं या वे रबर की खेती में कम दिलचस्पी ले रहे हैं. इस वजह से भी रबर के उत्पादन में गिरावट देखी जा रही है.
हाल के वर्षों में सरकार ने रबर उत्पादन को केरल या दक्षिण के राज्यों से उत्तर पूर्वी राज्यों की तरफ शिफ्ट किया है. सरकार उत्तर पूर्व में रबर की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की स्कीम चला रही है और किसानों को सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है. यही वजह है कि त्रिपुरा, केरल के बाद रबर उत्पादन में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है. इसके बाद असम, नगालैंड, मेघालय का स्थान है.
एक अच्छी बात ये है कि देश में टायर कंपनियों के संगठन ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ATMA) ने अगले पांच साल में उत्तर पूर्व के राज्यों में अतिरिक्त 2,00,000 हेक्टेयर में रबर की खेती को बढ़ावा देने के लिए 1100 करोड़ रुपये निवेश करने का एलान किया है. इसी में एक कंपनी MRF भी है जिसके एक शेयर (MRF share price) की कीमत 97,000 रुपये से अधिक चल रही है.
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