एक तरफ किसान अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. किसान पिछले कई महीनों से हरियाणा और पंजाब के बॉर्डर पर आंदोलन और भूख हड़ताल कर रहे हैं. साथ ही केंद्र सरकार किसानों की मांग को नहीं मान रही है, जिसे लेकर किसान दिल्ली कूच की कई प्रयास कर चूके हैं जिसमें वे सफल नहीं हुए है. वहीं, दूसरी तरफ हरियाणा सरकार ने अन्नदाताओं के हित में एक और बड़ा कदम उठाया है. सीएम नायब सिंह सैनी ने किसानों के हित में 24 फसलें एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की अधिसूचना जारी की है.
कृषि और किसान कल्याण विभाग द्वारा जारी की गई इस अधिसूचना का उद्देश्य किसानों की उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करना है. बता दें कि मुख्यमंत्री सैनी ने किसानों के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता को और मजबूत करते हुए एमएसपी के तहत दस अतिरिक्त फसलों की खरीद की घोषणा की गई है. इन फसलों में रागी, सोयाबीन, नाइजर सीड, कुसुम, जौ, मक्का, ज्वार, जूट, खोपरा और ग्रीष्मकालीन मूंग शामिल हैं. ये फसलें अब उन 14 फसलों की सूची में शामिल हो जाएंगी, जिनकी एमएसपी पर खरीद पहले से ही की जा रही है इसमें धान, बाजरा, खरीफ मूंग, उड़द, अरहर, तिल, कपास, मूंगफली, गेहूं, सरसों, चना, मसूर, सूरजमुखी और गन्ना जैसी महत्वपूर्ण खाद्य और नकदी फसलें शामिल हैं.
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यह अधिसूचना केंद्र सरकार की एमएसपी नीति के अनुसार जारी की गई है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी अधिसूचित फसलों की खरीद सरकार द्वारा घोषित एमएसपी पर की जाए. इसके अलावा, गन्ने की खरीद एमएसपी के समान एक उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) पर जारी रहेगी.
सभी अधिसूचित फसलों की खरीद घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर केवल ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर रजिस्टर्ड पात्र किसानों से की जाएगी. यह कदम किसानों को उनकी उपज के लिए बेहतर मूल्य दिलाएगा, उन्हें बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाएगा और यह सुनिश्चित करेगा कि उनकी मेहनत को पुरस्कृत किया जाए. वहीं, हरियाणा सरकार किसान समुदाय का समर्थन करने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि उनकी उपज उचित मूल्य पर खरीदी जाए, जिससे किसानों और कृषि अर्थव्यवस्था दोनों को लाभ हो.
किसान पिछले लगभग 300 से ज़्यादा दिनों से आंदोलन में डटे हुए हैं और पीछे हटने से इनकार कर रहे हैं. वहीं, हरियाणा पुलिस ने किसानों को राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंचने से रोकने के लिए भारी बैरिकेड्स, आंसू गैस, वाटर कैनन का इस्तेमाल कर चुकी है. सैकड़ों किसान शंभू और खनोरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं और केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं. बैरिकेड्स तोड़ने की बार-बार की गई कोशिशों पर पुलिस ने आपत्ति जताते हुए विरोध किया है. दिल्ली मार्च के दौरान रोके जाने के बाद पिछले कुछ दिनों में कई किसान हरियाणा पुलिस की कार्रवाई में घायल हुए हैं.
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