
खेत में ग्रीन हाउस लगने के बाद खुश किसान मेवाराम. फोटो- Agriculture Departmentकम क्षेत्रफल में बेहतर क्वालिटी और अधिक उपज लेने के लिए किसान खेतों में ग्रीन हाउस बनवाते हैं. राजस्थान सरकार ने अब ग्रीन हाउस निर्माण पर सब्सिडी 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 95 प्रतिशत कर दी है. इसके दायरे में प्रदेश के सभी लघु एवं सीमांत किसान आएंगे. वहीं, अधिसूचित जनजाति क्षेत्र के सभी किसानों को इसमे शामिल किया गया है. इससे प्रदेश के सैंकड़ों प्रगतिशील किसानों के साथ-साथ ऐसे किसान जो पैसे के अभाव में ग्रीन हाउस नहीं बनवा सकते थे, उन्हें भी लाभ होगा.
सरकार ने संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के तहत अनुदान राशि बढ़ाई है.
जयपुर जिले के गांव गुढ़ा बालूलाई के रहने वाले किसान मेवाराम महरिया 16 बीघा खेती के मालिक हैं. वे पारंपरिक गेहूं, चना और सरसों की खेती करते थे. मेवाराम कहते हैं, “पहले मैं रबी में सरसों, चना और गेहूं उगाता था और खरीफ में बाजरा या दाल. इससे मुझे दो से ढाई लाख रुपये की ही आय होती थी.”
मेवाराम जोड़ते हैं, “मुझे कई साल पहले गांव के ही एक दूसरे किसान ने ग्रीन हाउस बनाने का सुझाव दिया,लेकिन मेरी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि मैं खेत में ग्रीन हाउस बनवा सकूं. हाल ही में मुझे ग्रीन हाउस निर्माण पर सब्सिडी के बारे में पता चला. मैंने राज्य सरकार से सब्सिडी पर मात्र डेढ़ बीघा में ग्रीन हाउस बना लिया. इसमें मैं खीरा और शिमला मिर्च की खेती कर रहा हूं.”
मेवाराम आमदनी के बारे में कहते हैं कि ग्रीन हाउस बनने के बाद खेती में खराबा नहीं हो रहा. मुझे सब्जी से ही साल में छह से सात लाख रुपये तक की आय हो रही है. पहले मेरे पास इतना पैसा नहीं था कि मैं ग्रीनहाउस लगवा सकूं. लेकिन अभी मुझे लागत पर 95 प्रतिशत की सब्सिडी मिली है. मैंने कुछ हजार रुपये ही लगाए हैं.
राजस्थान सरकार ने इस साल के बजट में प्रदेश में संरक्षित खेती को बढ़ावा देने की घोषणा की थी. इसी के तहत अगले दो सालों में 60 हजार किसानों को संरक्षित खेती मसलन ग्रीन हाउस, शेड निर्माण, पॉली हाउस जैसे कामों के लिए एक हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी. इस वित्तीय वर्ष में 30 हजार किसानों को 501 करोड़ रुपये बतौर सब्सिडी दी जाएगी.
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ग्रीन एवं शेडनैट हाउस के निर्माण पर सामान्य किसानों को लागत का 50 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाता था. इसी प्रकार प्रदेश के अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के किसानों को 70 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा था. राज्य सरकार द्वारा इस वर्ष की बजट घोषणा में अनुदान की राशि बढ़ाते हुए प्रदेश के सभी लघु एवं सीमांत किसानों और अधिसूचित जनजाति क्षेत्र के किसानों के लिए 95 प्रतिशत सब्सिडी देने की घोषणा की थी.

किसानों को 500 वर्ग मीटर में ग्रीन हाउस स्थापित करने के लिए 1060 रुपये प्रति वर्ग मीटर, 500 से 1008 वर्ग मीटर के लिए 935 रुपये प्रति वर्ग मीटर, 1008 से 2080 वर्ग मीटर के लिए 890 रुपये तथा 2080 से 4000 वर्ग मीटर पर 844 रुपये प्रति वर्ग मीटर इकाई लागत के आधार पर पात्रतानुसार 50, 70 अथवा 95 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है. इसी प्रकार शेडनैट हाउस स्थापित करने के लिए एक हजार से चार हजार वर्ग मीटर पर 710 रुपये प्रति वर्गमीटर लागत के आधार पर सब्सिडी दी जा रही है.
किसान खेती और विशेषकर बागवानी फसलों के लिये ग्रीन हाउस और शेडनैट में खेती कर रहे हैं. इस संरक्षित ढांचे को लगाने के लिये राज्य सरकार की योजनाओं में किसान रुचि दिखा रहे हैं. क्योंकि ग्रीनहाउस बहुत अधिक गर्मी या सर्दी से फसलों की सुरक्षा करते हैं. ओलावृष्टि और अतिवृष्टि से पौधों की ढाल बनते हैं.
साथ ही कीटों को बाहर रखने में मदद करते हैं. इसके अलावा धूप, तापमान एवं पोषक तत्व नियंत्रण की वजह से ग्रीनहाउस मौसम की विपरीत परिस्थितियों में ज्यादा मुनाफा देता है. जिससे पारंपरिक खेती की तुलना में संरक्षित खेती से उत्पादन एवं गुणवत्ता में कई गुना वृद्धि हुई है.
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इस तकनीक से गैर-मौसमी फसलें उगाने में भी मदद मिलती है. जिससे किसानों को बाजार में अच्छी कीमत मिलती है. ग्रीन हाउस संरचना से वर्षा जल को जमा कर ड्रिप संयंत्र से सिंचाई की जा रही है. राज्य में इस खेती का एक बड़ा लाभ यह भी है कि इस प्रकार की खेती में पानी की आवश्यकता बहुत कम होती है. यह राजस्थान जैसे कम वर्षा वाले राज्य के लिए बेहद जरूरी भी है.
राजस्थान के हॉर्टिकल्चर विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में बीते चार साल में किसानों ने सब्सिडी से 38,17,524 वर्ग मीटर में ग्रीन और शेडनेट हाउस बनाए हैं. इसमे से 34,10,936 वर्ग मीटर में ग्रीन हाउस और 4,06,588 वर्ग मीटर में शैडनेट बनाए गए हैं. इस वित्तीय वर्ष में 36 लाख वर्ग मीटर में ग्रीन हाउस और 10 लाख वर्ग मीटर में शैडनेट हाउस स्थापित किए जाएंगे.
ग्रीन हाउस अथवा शेडनैट हाउस स्थापित करने के लिए कृषक राज किसान साथी पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. वहीं किसानों को नक्शा ट्रेश, भू-स्वामित्व प्रमाण पत्र और मिट्टी एवं पानी की जांच रिपोर्ट के साथ आवश्यक पूर्ण दस्तावेज भी ऑनलाइन प्रस्तुत करने होंगे.
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