जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही हैं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विकास योजनाओं की झड़ी लगा दी है. बुधवार को कैमूर जिले के भभुआ स्थित जगजीवन स्टेडियम में एनडीए कार्यकर्ताओं के संवाद कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने ₹980.15 करोड़ की लागत वाली 178 योजनाओं का शिलान्यास किया. इनमें से ₹528.44 करोड़ की लागत से बनने वाली जमानिया से ककरैट तक गंगाजल उद्वहन एवं सिंचाई योजना विशेष रूप से चर्चा में है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि 24 नवंबर 2005 को जब उनकी सरकार बनी, तब बिहार की हालत बेहद खराब थी. "शाम होते ही लोग घर से निकलने से डरते थे, कानून व्यवस्था बदहाल थी, सड़कों का बुरा हाल था, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं नहीं के बराबर थीं," उन्होंने कहा. लेकिन उनकी सरकार के बाद से बिहार में कानून का राज और तेज विकास शुरू हुआ.
मुख्यमंत्री ने बताया कि 2006 से कब्रिस्तानों की घेराबंदी शुरू की गई, जिससे हिंदू-मुस्लिम विवादों में भारी कमी आई है. 2016 से 60 वर्ष से पुराने हिंदू मंदिरों की भी घेराबंदी की जा रही है ताकि धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.
सरकार ने अब तक 2 लाख 62 हजार नियोजित शिक्षकों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दे दिया है, जो शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है.
मुख्यमंत्री ने बताया कि 2005 से 2020 के बीच 8 लाख सरकारी नौकरियां दी गईं. वहीं, ‘सात निश्चय-2’ के तहत शुरू की गई योजना के अंतर्गत अब तक 10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी और 39 लाख को अन्य रोजगार दिए गए हैं. यानी अब तक कुल 49 लाख युवाओं को नौकरी और रोजगार के अवसर दिए जा चुके हैं. चुनाव से पहले यह आंकड़ा 50 लाख पार करने का दावा किया गया है.
नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार के सहयोग से बिहार में सड़क, स्वास्थ्य, उद्योग, पर्यटन और बाढ़ नियंत्रण जैसे क्षेत्रों में तेजी से विकास हो रहा है. 2025 के बजट में मखाना बोर्ड की स्थापना, ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट, पश्चिमी कोसी नहर, राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण संस्थान और IIT पटना का विस्तार शामिल है, जो राज्य की आर्थिक स्थिति को और मजबूत करेगा. मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया कि अगले 5 वर्षों में 1 करोड़ युवाओं को नौकरी और रोजगार देने का लक्ष्य पूरा किया जाएगा.
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