बफर स्टॉक यानी केंद्रीय पूल में गेहूं का सबसे ज्यादा योगदान देने वाले पंजाब ने रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 में एक करोड़ मीट्रिक टन की खरीद पार कर ली है. एक मीट्रिक टन में 10 क्विंटल होता है. दूसरी ओर एमएसपी पर गेहूं खरीदने के मामले में हरियाणा और मध्य प्रदेश ने भी अर्धशतक जमा दिया है. पिछले साल पंजाब 100 लाख टन की खरीद को पार नहीं कर सका था, जबकि आमतौर पर यहां कभी भी इससे कम खरीद नहीं होती थी. सिर्फ पिछले साल हीटवेव और ज्यादा एक्सपोर्ट की वजह से पंजाब का यह रिकॉर्ड टूट गया था. लेकिन, इस साल फिर से खरीद का शतक जमाने का रिकॉर्ड पंजाब ने अपने नाम कर लिया है. पिछले वर्ष भी पंजाब ने देश में सबसे अधिक गेहूं तो खरीदा था, लेकिन यह आंकड़ा सिर्फ 96.45 लाख मीट्रिक टन ही रह गया था. यह खरीद पिछले एक दशक में सबसे कम रही थी.
भारतीय खाद्य निगम (FCI) से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक 2 मई तक पंजाब में 1,09,18,885 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जा चुका है. यानी यह सूबा अब अपने टारगेट से बस कुछ ही दूर है. यहां पर इस बार 132 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया है. जो देश में सबसे अधिक है. पंजाब के बाद हरियाणा और मध्य प्रदेश बफर स्टॉक में सबसे ज्यादा गेहूं देते हैं. इस साल इन दोनों में भी रिकॉर्ड खरीद हो रही है. हरियाणा में 75 लाख मीट्रिक टन खरीद का लक्ष्य है. इसके मुकाबले अब तक करीब 59 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई है.
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बात करें मध्य प्रदेश की तो यहां 80 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया है. जबकि अब तक करीब 57 लाख मीट्रिक टन की खरीद हो चुकी है. यह दोनों राज्य भी पंजाब की तरह अपने खरीद लक्ष्य को पूरा करते हुए दिख रहे हैं. इन्हीं तीनों यानी पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश के भरोसे ही केंद्र सरकार भी अपना लक्ष्य पूरा करने की उम्मीद में बैठी है. केंद्र ने इस साल 341.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा हुआ है. सरकार ने गेहूं का एमएसपी 2125 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है. एक अप्रैल को केंद्र के पास करीब 84 लाख मीट्रिक टन गेहूं का स्टॉक पहले से ही था, जो कि बफर स्टॉक नॉर्म्स से अधिक था. एक अप्रैल को गेहूं का बफर स्टॉक 74.60 लाख टन ही चाहिए होता है.
देश में अब तक 2 करोड़ 27 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं खरीदा जा चुका है. इसका मतलब साफ है कि खरीद का राष्ट्रीय टारगेट पूरा होने में कोई बहुत तकलीफ जैसी स्थिति नहीं दिखाई दे रही है. क्योंकि अभी कई राज्यों में जून तक खरीद का कार्यक्रम चलेगा. जबकि पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में भी अभी करीब 60 लाख मीट्रिक टन की खरीद और बाकी है. इन सूबों में एमएसपी पर गेहूं खरीदने की जो रफ्तार है उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि अगले दस दिन में बाकी लक्ष्य भी पूरा हो जाएगा. तीनों राज्यों की मंडियों में गेहूं की बंपर आवक हो रही है. इसलिए सरकार अपने टारगेट पूरा करने के लिए आश्वस्त दिख रही है.
गेहूं खरीद में जो राज्य फिसड्डी साबित हो रहे हैं उनमें सबसे ऊपर नाम आ रहा है उत्तर प्रदेश का. जबकि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक सूबा है. इसकी कुल गेहूं उत्पादन में हिस्सेदारी करीब 35 फीसदी है. इसके बावजूद यहां अब तक मात्र 1,35,000 मीट्रिक टन गेहूं ही खरीदा जा सका है. जबकि यहां कुल 35 लाख मीट्रिक टन खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. जो पिछले साल से भी 25 लाख मीट्रिक टन कम है.
यूपी में पिछले साल यानी रबी मार्केटिंग सीजन 2022-23 में 60 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया था. जबकि सिर्फ 3.36 लाख मीट्रिक टन की ही खरीद हुई थी. इसलिए इस बार वहां टारगेट घटाकर 35 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया. अब यह घटा हुआ टारगेट भी पूरा होता नहीं दिखाई दे रहा. यहां की अधिकांश अनाज मंडियां और खरीद केंद्र सूने पड़े हैं. किसान एमएसपी पर गेहूं बेचने नहीं आ रहे.
राजस्थान में गेहूं खरीद की रफ्तार थोड़ी बढ़ी है. यहां अब तक 1,09,453 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जा चुका है. जबकि राज्य को 5 लाख मीट्रिक टन खरीद का लक्ष्य दिया गया है. इसके अलावा बिहार, उत्तराखंड, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीरगेहूं की सरकारी खरीद के मामले में फिसड्डी साबित हो रहे हैं. इन पांच राज्यों में 14.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य है जबकि अब तक महज 2394 मीट्रिक टन की ही खरीद हुई है.
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