Kharif Special: फसलों को कीटों से ऐसे बचाएं क‍िसान, कम लागत में होगा अध‍िक फायदा

Kharif Special: फसलों को कीटों से ऐसे बचाएं क‍िसान, कम लागत में होगा अध‍िक फायदा

Kharif Special:टिकाऊ खेती के लिए ऐसी तकनीक की जरूरत है, जिसमें हानिकारक कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल कम हो साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा के साथ-साथ क‍िसानों आर्थिक लाभ भी बना रहे और इसके लिए समेकित कीट प्रबंधन (आईपीएम) एक ऐसा तरीका है, जिसके कई फायदे हैं.

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Kharif Special: फसलों को कीटों से ऐसे बचाएं क‍िसान, कम लागत में होगा अध‍िक फायदासमेक‍ित कीट प्रबंधन से ट‍िकाऊ खेती करें क‍िसान- फोटो क‍िसान तक

आज के इस दौर में किसान उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्नत किस्मों के साथ आधुनिक तौर-तरीके भी अपना रहे हैं. वहीं दूसरी ओर क‍िसानों की तरफ से रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का भी भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके चलते कई तरह की समस्याएं आ रही हैं. इनमें कीटों से फसलों को होने वाला नुकसान लगातार बढ़ रहा है. वहीं कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से खेत और उसके वातावरण पर भी बहुत बुरा असर हो रहा है, ज‍िसमें कम हानि पहुंचाने वाले कीटों का भी बेहद हानिकारक कीट का रूप ले लेना जैसी समस्याएं बन रही हैं. ऐसे में आज के तौर में टिकाऊ खेती पर जोर द‍िया जा रहा है. क‍िसान तक की सीरीज खरीफनामा की इस कड़ी में समेकित कीट प्रबंधन (आईपीएम) पर व‍िस्तार से जानकारी...जो क‍िसानों को कम खर्च में अध‍िक मुनाफा देने में सक्षम है. 

कीटों की रोकथाम के लिए करें खेती के तरीके में बदलाव 

गौतम बुद्ध नगर कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख और पौध सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ मंयक राय ने क‍िसान तक से बातचीत में बताया क‍ि अलग-अलग राज्यों में कीटों के प्रकोप का स्तर और उनमें खपने वाले पेस्टीसाइड्स की मात्रा ऐसी है, जो भविष्य के लिए आशंकित करने वाली है. उन्होंने बताया क‍ि चिंता की बात ये है कि पेस्टीसाइड्स की ये मात्रा लगातार बढ़ानी पड़ रही है, इसके लिए समेकित कीट प्रबन्धन एक ऐसा तरीका है, जिसे अपना कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना आप कीटों पर नियंत्रण कर सकते हैं.

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उन्होंने कहा कि खेती के तरीकों में बदलाव लाकर भी पेस्टीसाइड की जरूरत कम कर सकते हैं. जैसे खेतों की गहरी जुताई करके खेतों में पहले से पड़े कीटों से निजात पाया जा सकता है. क्योंकि हरी जुताई करने से जमीन में पड़े कीट और कीट के लार्वा ऊपर आ जाते हैं और गर्मी के चलते कीट लार्वा नष्ट हो जाते हैं.

करें फसल चक्र में बदलाव, कीटों की होगी रोकथाम

क‍िसान तक से बातचीत में डॉ राय ने बताया क‍ि कई बार कुछ फसलों को लगातार एक खेत में लगाने से किसी खास तरह के कीट का प्रकोप बार-बार होने लगता है, लेकिन अगर किसान फसलों के चक्र को बदल दें तो इन कीटों का प्रकोप कम होगा, जिससे आपकी फसल स्वस्थ रहेगी. पौध सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ राय ने कहा कि कीटों को हाथ से पकड़कर इकट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए, लेकिन अगर फसल बड़े पैमाने पर लगी है तो आप फसल की सिंचाई करें,उसके बाद फसल पर रस्सी को आर-पार फेरें, जिससे फसल में जो कीट होंगे वो पानी में गिरकर नष्ट हो जाएंगे.

फेरोमेन ट्रैप और स्टिकी ट्रैप एक अच्छा उपाय

क‍िसान तक से बातचीत में डॉ राय ने कहा कि इन सबके अलावा प्रभावी कीट नियंत्रण के लिए खेतों में विभिन्न तरह के प्रपंच यानि ट्रैप्स लगाकर इन कीटों को नष्ट कर सकते हैं. लाईट ट्रैप, फेरोमेन ट्रैप का उपयोग करने से फसल में कीट नहीं आते हैं.फेरोमेन ट्रैप की गंध से कीट आकर्षित होकर आते हैं और उसमें फंस कर मर जाते हैं. एक एकड़ में 10 फेरोमेन ट्रैप लगाकर आप बिना कीटनाशक के प्रयोग से ही फसल को कीटों से बचा सकते हैं. इसी तरह एक मैकेनिक विधि में सस्ता और सरल उपाय है स्टिकी ट्रैप. इस तकनीक में कीटों से फसलों को बचाने के लिए पीले रंग का स्ट्रिकी ट्रैप का इस्तेमाल किया जाता है. एक एकड़ में खेत में 10 पीले रंग के स्ट्रिकी ट्रैप में गिरीस का लेप लगाने से, कीट उसी स्टिकी ट्रैप में चिपक कर मर जाते हैं. इस तरह,हानिकारक कीटों का रोकथाम बिना केमिकल कीटनाशक के इस्तेमाल के बिना हो जाता है. 

हानिकारक कीटों का कैसे करें जैविक नियंत्रण ?

पौध सुरक्षा विशेषज्ञ ने क‍िसान तक से बातचीत में बताया क‍ि फसल के कीटों पर नियंत्रण के लिए प्रकृति ने खुद व्यवस्था कर रखी है, जो पारिस्थितिकी संतुलन कहलाता है. यानी कीटों को खाने वाले परभक्षी कीट इन पर नियंत्रण करते हैं और इसलिए इन्हें मित्र परभक्षी कहते हैं. बस जरूरत ये जानने की कि आपके खेतों की फसल को कौन से कीड़े नुकसान पहुंचा रहे हैं और उन्हें खाने वाले मित्र परभक्षी को आप कैसे प्रश्रय दे सकते हैं. यानी उनके अनुकूल माहौल बना कर कैसे आप उनकी संख्या बढ़ा सकते हैं, ये भी पेस्टीसाइड्स पर आपकी निर्भरता को कम करेगा. आजकल ट्राईकोग्रामा, क्राईसोपरला, लेडी बर्ड बीटल जैसे मित्र कीटों को जैव प्रयोगशाला में पालकर इनकी संख्या बढ़ाई जाती है और फिर इनका प्रयोग दुश्मन कीटों पर नियंत्रण के लिए किया जाता है. कई कम्पनियां जीवाणुओं, कवकों और विषाणुओं से कीटनाशी बना रही हैं, ये कीटों की वृद्धि और विकास को प्रभावित कर उन्हें मार देते हैं, जो बाज़ार में उपलब्ध हैं.

जैविक कीटनाशक का प्रयोग

क‍िसान तक से बातचीत में डॉ मंयक ने कहा अगर इन तमाम तकनीकों से कीटों की रोकथाम ना हो सके तो किसान बाजार में उपलब्ध जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके आलावा फसलों पर नीम ऑयल  छिड़काव कर कीटों नियंत्रण कर सकते हैं. अगर इसके बाद भी कीटों नियंत्रण नही हो रहा है और कीटों का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर से अधिक है तब अंत में  रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करना चाहिए.

समेकित कीट प्रबंधन के लाभ

कीटनाशक रसायनों के मुक़ाबले समेकित कीट प्रंबधन से आपको एक साथ कई फायदे होंगे. ये टिकाऊ और प्रकृति में पाए जाने वाले संसाधनों पर आश्रित होने के कारण लाभदायक है. पर्यावरण को संतुलित रखने में मददगार है. इससे मित्र कीट और लाभदायक जीवों की संख्या बढ़ती है. खाद्यानों और सब्जियों में कीटनाशी के अवशेष की मात्रा बहुत कम या नहीं के बराबर होती है. रासायनिक कीटनाशी के छिड़काव में भारी कटौती से खेत और जेब दोनों को लाभ होता है.

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