Rajasthan: अब एक करोड़ परिवारों को दाल, चीनी के साथ मिलेंगे मसाले भी, क्या कांग्रेस को होगा चुनावी फायदा? 

Rajasthan: अब एक करोड़ परिवारों को दाल, चीनी के साथ मिलेंगे मसाले भी, क्या कांग्रेस को होगा चुनावी फायदा? 

राजस्थान सरकार ने 77वें स्वाधीनता दिवस के मौके पर अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना लांच की. इसमें खाद्य सुरक्षा योजना में शामिल परिवारों को ये फूड किट बांटी जाएगी. अन्नपूर्णा फूड पैकेट में एक-एक किलो चना दाल, चीनी, आयोडाइज्ड नमक, एक लीटर सोयाबीन रिफाइण्ड खाद्य तेल होगा.

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Rajasthan: अब एक करोड़ परिवारों को दाल, चीनी के साथ मिलेंगे मसाले भी, क्या कांग्रेस को होगा चुनावी फायदा? अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना के तहत दी गई किट के साथ लाभार्थी महिला. फोटो- DIPR

राजस्थान सरकार ने 15 अगस्त को अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना की शुरूआत की है. इसके तहत प्रदेशभर में 1.04 करोड़ परिवारों को हर महीने खाद्य सामग्री निशुल्क दी जाएगी. इस पैकेट में दाल, चीनी, नमक, तेल के साथ-साथ मसाले भी होंगे. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस साल में कई नई योजनाओं की शुरूआत की है. ऐसे में सवाल है कि क्या इसका फायदा साल के अंत में होने चुनावों में कांग्रेस को फायदा हो पाएगा? क्योंकि विपक्ष में बैठी बीजेपी इसे रेवड़ी राजनीति बताकर सरकार पर हमलावर है.

विपक्ष के इन सवालों का जवाब देते हुए योजना लॉंच करते वक्त मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार गरीब को केन्द्र में रखकर फैसले ले रही है. जनहित में लाई गई योजनाएं रेवड़ी ना होकर लोकतांत्रिक सरकार का आमजन के प्रति दायित्व है. इस आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति से पहले हम यह जानते हैं कि आखिर अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना क्या है? 

क्या है अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना? 

राजस्थान सरकार ने 77वें स्वाधीनता दिवस के मौके पर अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना लांच की. इसमें खाद्य सुरक्षा योजना में शामिल परिवारों को ये फूड किट बांटी जाएगी. अन्नपूर्णा फूड पैकेट में एक-एक किलो चना दाल, चीनी, आयोडाइज्ड नमक, एक लीटर सोयाबीन रिफाइण्ड खाद्य तेल होगा. इसके अलावा सौ-सौ ग्राम मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर और  50 ग्राम हल्दी पाउडर दिया जा रहा है. सरकार का कहना है कि इससे प्रदेश के 1.04 करोड़ परिवारों को लाभ होगा. यह किट उन परिवारों को दी जाएगी, जिन्हें अभी पोस मशीन से खाद्य सामग्री बांटी जाती है. 

कोविड प्रभावित परिवारों को भी मिलेगी किट

योजना की शुरूआत करते वक्त मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि भारत सरकार की राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA) में अधिकतम लाभार्थियों की सीमा निश्चित करने से कई जरूरतमंद परिवारों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसीलिए कोविड के दौरान राज्य सरकार ने जिन परिवारों को आर्थिक सहायता दी थी, उन्हें भी इस योजना में शामिल किया गया है. 

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बता दें कि राजस्थान सरकार ने कोविड के दौरान जरूरतमंद परिवारों का सर्वे कर लगभग 32 लाख खाद्य सुरक्षा योजना में शामिल परिवारों और नॉन एनएफएसए परिवारों को 5500 रुपये की आर्थिक सहायता दी थी. इस मौके पर सीएम ने केन्द्र सरकार से मांग की कि राशन वितरण का समय 6-6 महीने बढ़ाने की बजाय इसे नियमित रूप से लागू कर देना चाहिए. 

राशन डीलर्स का कमीशन भी बढ़ाया 

अन्नपूर्णा फूड पैकेट वितरण पर राशन डीलर्स को मिलने वाले कमीशन को  चार रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये प्रति पैकेट कर दिया गया है. साथ ही, मुख्यमंत्री ने राज्य में राशन डीलर्स को टेलिस्कोपिक रेट के आधार पर कमीशन देने और पोस मशीन के पेटे राशन डीलर्स से कोई शुल्क नहीं लिए जाने की भी घोषणा की. 

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क्या है इन योजनाओं का चुनावी कनेक्शन? 

राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में कांग्रेस सरकार ने बीते कुछ महीनों में ऐसी कई योजनाएं शुरू की हैं, जो सीधे  गांव, गरीब और किसान से जुड़ी हुई हैं. इंदिरा गांधी गैस सिलेंडर योजना, अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना, मुफ्त मोबाइल फोन योजना से गहलोत ने सीधे पूरे प्रदेश के महिला वर्ग को छूने की कोशिश की है. वहीं, मनरेगा में 25 दिन बढ़ाना, किसानों को दो हजार यूनिट बिजली मुफ्त देना भी किसानों और गरीब परिवारों को जोड़ने के मकसद से शुरू की गई योजनाएं हैं. 

लाभार्थियों को फूड पैकेट देते सीएम अशोक गहलोत. फोटो- DIPR

वहीं, केन्द्र सरकार ने पर महंगाई पर काबू नहीं पाने का आरोप विपक्ष लगाता है. ऐसे में राजस्थान में सरकार ने महंगाई राहत कैंप लगाए. इनमें 1.84 करोड़ परिवारों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया. इस तरह इस साल की शुरूआत से ही गहलोत ने चुनावों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं शुरू की हैं. साथ ही इन योजनाओं से उनका लाभार्थी वर्ग भी स्पष्ट दिखता है. 

राजस्थान में राजनीति के जानकारों का कहना है कि इन योजनाओं के माध्यम से कांग्रेस ने मीडिया में और धरातल पर एक पॉजिटिव माहौल तो बनाया है, लेकिन संशय यह है कि क्या ये माहौल वोट में बदल पाएगा? अगर ऐसा होता है तो राजस्थान में 30 साल से सरकार रिपीट नहीं होने का मिथक टूट जाएगा. 


 

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