फसल बीमा में धोखाधड़ी: अकोला के 48 किसानों के साथ फर्जीवाड़ा, नुकसान कम दिखाकर 'लूटे' पैसे

फसल बीमा में धोखाधड़ी: अकोला के 48 किसानों के साथ फर्जीवाड़ा, नुकसान कम दिखाकर 'लूटे' पैसे

अकोला जिले में 300000 से अधिक किसानों ने अपनी फसलों का बीमा कराया है. इसमें लगभग 70 से 75 हजार से अधिक किसानों ने अपनी फसल बर्बाद होने की शिकायतें सरकारी दफ्तरों में दर्ज कराई हैं. शिकायत दर्ज होने के बाद अकोला पुलिस ने आईसीआईसीआई लोम्बार्ड कंपनी के जिला प्रबंधक और सभी सात तालुका के प्रबंधकों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है.

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फसल बीमा में धोखाधड़ी: अकोला के 48 किसानों के साथ फर्जीवाड़ा, नुकसान कम दिखाकर 'लूटे' पैसेफर्जीवाड़े की आपबीती सुनाते अकोला के किसान

महाराष्ट्र में फसल बीमा में बड़ी धांधली सामने आई है. अकोला के किसानों के फसल बीमा में लगभग चार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी पकड़ी गई है. इस घटना के बाद फसल बीमा कंपनी के 10 अधिकारियों और कर्मचारियों पर मामला दर्ज किया गया है. जिन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, वे आईसीआईसीआई लोम्बार्ड बीमा कंपनी से जुड़े हैं. कंपनी के अधिकारियों और कर्मचारियों ने फसल का नुकसान कम दिखाया जिससे किसानों को कम मुआवजा मिला. इस मामले में बीमा कंपनी के खिलाफ कृषि अधिकारी ने मामला दर्ज कराया जिसके बाद घटना की तहकीकात शुरू की गई है.     

इस पूरे मामले में अकोला जिले के धनेगांव के लगभग 48 किसान शामिल हैं. इन किसानों ने अपनी लड़ाई लड़ते हुए बीमा कंपनी पर कार्रवाई करने के लिए कड़ा संघर्ष किया है. इनमें एक किसान हैं जगन्नाथ लांडे जिन्होंने पांच एकड़ में सोयाबीन की खेती की है. इस किसान ने फसल बीमा के लिए 5000 रुपये का प्रीमियम भरा. उनकी सोयाबीन की खेती बारिश से चौपट हो गई. अचानक बारिश से इस किसान की पूरी फसल खराब हो गई और बीमा कंपनी के नुमाइंदों ने नुकसान का सर्वेक्षण किया. इसमें 80 फीसद तक फसल खराबी का पता चला.

80 फीसद फसल नुकसान के आधार पर किसान जगन्नाथ लांडे को कंपनी की तरफ से 40 से 45 हजार मुआवजा मिलना चाहिए था. लेकिन मुआवजे की राशि इतनी ही मिली जितनी किसान ने प्रीमियम के तौर पर भरा था. बदतर स्थिति तब हो गई जब मुआवजे का पैसा किस्तों में मिला. अब जगन्नाथ कहते हैं कि उनके संघर्ष से बीमा कंपनी के खिलाफ मामला तो दर्ज हो गया, मगर उनके मुआवजे का पैसा कब और कैसे लौटेगा. जगन्नाथ का यह सवाल सरकार से है.

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धनेगांव के ही किसान शरद पाटिल हैं जो तीन एकड़ में खेती करते हैं. इन्होंने मूंग और उड़द की खेती की थी जो मौसम की मार से बर्बाद हो गई. पाटिल ने फसल बीमा के लिए लोम्बार्ड कंपनी को 1000 रुपये का प्रीमियम भरा. फसल नुकसान होने पर बीमा कंपनी के कर्मचारियों ने 80 फीसद नुकसान बताया. इस तरह शरद पाटिल को 40 हजार रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए था. लेकिन बीमा कंपनी के कर्मचारियों ने नुकसान कम करके दिखाया और 80 से घटाकर 40 परसेंट कर दिया. इस तरह कंपनी से मुआवजे के तौर पर पाटिल को महज पांच हजार रुपये ही मिल पाए. 

ये दोनों केस सोयाबीन और उड़द की फसल के लिए हैं. इन दोनों फसलों के लिए महाराष्ट्र में मुआवजे की अलग-अलग राशि निर्धारित है. इसी तरह दोनों फसलों के लिए प्रीमियम भी अलग होता है. इसी प्रीमियम के आधार पर किसानों को मुआवजे का पैसा दिया जाता है.

इस तरह की धोखाधड़ी धनेगांव के 48 किसानों के साथ की गई है. सरकारी कागजों से मिली जानकारी के अनुसार अकोला जिले में 300000 से अधिक किसानों ने अपनी फसलों का बीमा कराया है. इसमें लगभग 70 से 75 हजार से अधिक किसानों ने अपनी फसल बर्बाद होने की शिकायतें सरकारी दफ्तरों में दर्ज कराई हैं. शिकायत दर्ज होने के बाद अकोला पुलिस ने आईसीआईसीआई लोम्बार्ड कंपनी के जिला प्रबंधक और सभी सात तालुका के प्रबंधकों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है. 

अकोला जिला कृषि अधीक्षक डॉ मुरलीधर इंगले की शिकायत पर यह कारवाई की गई है. पुलिस में दर्ज शिकायत के अनुसार इस कंपनी ने जिले के किसानों से तीन करोड़ 95 लाख 9 हजार 177 रुपये की ठगी की है. संभावना जताई जा रही है कि आईसीआईसीआई लोम्बार्ड कंपनी ने प्रदेश भर के किसानों से इस तरह ठगी की है जिसकी जांच पुलिस की आर्थिक शाखा करेगी. 

इस पूरे मामले ने राजनीतिक रंग अख्तियार कर लिया है. किसानों के साथ हुई धोखाधड़ी के खिलाफ शिवसेना के ठाकरे गुट ने जिले भर में बड़ा विरोध प्रदर्शन किया है. शिवसैनिकों ने मुर्तिजापुर और अमरावती में प्रहार संघठन ने आईसीआईसीआई लोम्बार्ड कंपनी के कार्यालय को तोड़ दिया. शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने इस कंपनी के अनाचार के खिलाफ केंद्रीय कृषि मंत्री को पत्र भी लिखा है.

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इस मामले में शेतकरी संगठन के नेता रविकांत तुपकर ने बड़ा गंभीर आरोप लगाया है. तुपकर कहते हैं, बीमा कंपनियों के कर्मचारी-अधिकारियों ने मनमाने ढंग से किसानों के साथ छलावा किया है. फसल का पंचनामा करने के बाद उस पर कृषि अधिकारी का मुहर लगाना जरूरी होता है. लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया. तुपकर का कहना है कि अकोला के हजारों किसानों के साथ फसल बीमा की धोखाधड़ी हुई है जिसकी जांच महाराष्ट्र और केंद्र के कृषि मंत्री को जरूर करना चाहिए. उनकी मांग है कि फसलों के पंचनामा में हुई गड़बड़ी की जांच बड़े स्तर पर कराई जाए और धोखा करने वालों को सजा दिलाई जाए.

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